Friday, April 10, 2020

आर्टिकल 370 और बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर'

'आर्टिकल 370 और बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर'
कश्मीर या पाकिस्तान के मामले में बाबासाहेब की सोच जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल या कान्ग्रेस वैचारिकी से कुछ मामलों में अलग थी। पाकिस्तान के बारे में उनकी बहुचर्चित किताब ‘थाट्स ऑन पाकिस्तान’ सर्वसुलभ है। उसे पढ़कर उनकी पाकिस्तान के सम्बन्ध मे राय समझी जा सकती है। कश्मीर मामले पर उस किताब मे भी टिप्पणियाँ हैं। इसके अलावा नेहरू कैबिनेट से 27 सितम्बर, 1951 को दिए डॉ. अम्बेडकर के इस्तीफ़े मे दर्ज कुछ महत्वपूर्ण टिप्पणियों से भी कश्मीर पर उनके विचारों को समझा जा सकता है। उनका इस्तीफ़ा दस पृष्ठों का है। वह कोई मामूली त्यागपत्र नहीं है। यह उस वक्त की भारतीय राजनीति और वैचारिकी को समझने का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज बन चुका है।
नेहरू कैबिनेट से अपने इस्तीफ़े के लिए डॉ. अम्बेडकर ने कई प्रमुख कारण बताए।
इस्तीफ़े के तीसरे कारण मे उन्होंने नेहरू सरकार की #विदेश_नीति के कुछ ख़ास पहलुओं से असहमति जताई है। इस क्रम में डॉ. अम्बेडकर ने जॉर्ज बर्नाड शा और बिस्मार्क को भी उद्धृत किया है। वह बताते हैं, "भारत इस वक्त कुल 350 #करोड़_का_राजस्व_सालाना प्राप्त कर रहा है, इसमें 180 #करोड़_हम_सेना_पर_ख़र्च कर रहे हैं। यह बहुत बड़ा खर्च है और ऐसा उदाहरण शायद ही कहीं और मिलेगा। #सेना_पर_यह_खर्चहमारी_विदेश_नीति_के_चलते_है। #हमारे_दोस्त_देश_नहीं_हैं#जिन_पर_हम_किसी_इमरजेंसी_मे_भरोसा_कर_सकें
क्या यह सही विदेश नीति है?
पाकिस्तान से हमारा झगड़ा विदेश नीति की विफलता का नतीजा है, जिससे मैं बुरी तरह क्षुब्ध रहा हूं। दो वजहें हैं, जिनके चलते हमारे पाकिस्तान से रिश्ते खराब हैं। पहली वजह कश्मीर और दूसरी वजह है पूर्वी बंगाल का इलाका।"
डॉ. अम्बेडकर कश्मीर पर साफ़ शब्दों मे कहते हैं कि जम्मू और लद्दाख के इलाके को अगर भारत अपने साथ रखे और पूरे कश्मीर को पाकिस्तान को सौंपे या कश्मीरी जनता पर छोड़े कि वहाँ के लोग क्या करना चाहते हैं? यह पाकिस्तान और कश्मीर के मुसलमानो के बीच का मामला है। वह यह भी कहते हैं कि जनमत-सँग्रह कराना है तो वह सिर्फ कश्मीर में कराया जाय!
#उर्मिलेश (वरिष्ठ पत्रकार)

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