1.
अहं अमतो।
अमतलाल उके मम सम्पूण्णं नाम।
अहं भोपाल नगरे निवसामि।
भोपाल नगरस्स होसंगाबाद राज-मग्गे मम आवासो।
अहं अट्ठ अधिकं सट्ठि वस्सीयो अम्हि।
अहं निवुत्तमान सासकीय सेवको।
मज्झपदेस विज्झुत मंडल मम सासकीय सण्ठानो।
अहं द्वे सहस्सं दस तमे वस्से सेवा निुवुत्तो।
सेवा निव्वुत्तं तदन्तरं अहं भोपाल नगरे निवसामि।
बालाघाट तालुकायं मम सालेबर्डी गामो।
सालेबर्डी मम जात ठानं।
सतं एकूनवीसति द्वे अधिकं पन्नास तमे वस्से दिस. 5 मम जात दिवसो।
2.
मम भरिया नाम रत्नमानिका।
ता बहु विदुसा अपि च सुन्दरा।
ता गहणी।
मम एका पुत्ती च द्वे पुत्तो।
पुत्ती प्रेरणा उके ताकसांडे
मुम्बई नगरे निवसति।
सा अभियान्तिका।
मम जामाता बिपिन ताकसांडे
अपि अभियान्तिको।
राहुलो मम जेट्ठ पुत्तो।
सो निदरलेंड देसस्स एम्सरडम नगरे,
करियं करोति अपि च निवसति।
मम कनिटठ पुत्तो एस्वरय आनन्द सागरो।
सो मम सन्तिके निवसति।
सो अपि अभियान्तिको।
तस्स भरिया, मम दुहिता अपि अभियान्तिका।
ता विदुसा च करियं कुसला।
3.
सासकीय सेवा निवुत्तं हुत्वा अहं पालि भासा सिखिं।
पालि भगवा वाणी।
पालि भगवा वाचा।
पालि बुद्धवचना।
पालि अम्हाकं संखार भासा।
अम्हे सब्बे पालि भासा जानाति।
मयं सब्बे पालि भासा थोकं-थोकं जानाति।
बुद्ध वन्दना, धम्म वन्दना, संघ वन्दना
पालि भासायं करोन्ति।
परित्तं पाठ अपि च पालि भासायं होति।
अम्हाकं सब्बे संखारा पालि भासायं होन्ति।
मयं पालि भासा जानाम।
अम्हाकं बालका च बालिकायो अपि च
पालि भासा जानन्ति।
4.
ते थोकं-थोकं पालि भासा वदन्ति।
घरे वा बुद्धविहारे,
पालि भासायं संगायन्ति।
सामुहिक वन्दना पालि भासायं होति।
भवं सब्बे पालि भासा जानन्ति।
पालि अम्हाकं भासा।
पालि अम्हाकं संखार भासा।
पालि बहु सरला सुबोधा भासा।
पालि बहु मधुरा भासा।
पालि गाम-देहातस्स भासा।
अम्हे सब्बे गामीण-जना,
पालि भासा जानन्ति।
पालि भासनीयं।
पालि सम्भासनं करणीयं।
5.
इध भोपाल नगरे,
नाना बुद्धविहारे गन्त्वा
पालि भासा पाठेतुं
अहं वायामं करोमि।
विहारं-विहारं गन्त्वा
पालि भासाय महत्ता कथेमि।
जना पुच्छन्ति-
पालि भासा किं आवस्सका?
पालि भासा कथं आवस्सका?
किं हेतु
किं कारणा
पालि सिक्खणं आवस्सकं ?
आंग्लं भासा आवस्सकं दिस्सति।
पन, पालि किं आवस्सकं ?
अस्सा किं उपयोगा ?
किं अत्थं?
किं तत्थ रोजगार अवसरा सन्ति ?
6.
पालि अम्हाकं भासा।
''मयं सब्बे बुद्ध सावका।''
बाबा साहब आम्बेडकरो,
अम्हाकं मुत्तिदाता, चक्खुदाता;
- अयं कथेति।
पालि अम्हाकं भासा।
बुद्धकाले
अयं लोकभासा आसि।
जन-भासा आसि।
जना पालियं सम्भासनं करोन्ति।
ते पालियं भासन्ति, आचरेन्ति।
तदन्तरे,
असोक-काले
पालि, अयं सम्पूण्णं जम्बुदीपस्स
रट्ठ-भासा आसि।
7.
सीलालेखे, थम्बलेखे वा गुहालेखे
असोको पालियं
‘धम्म-परियाय’ लिखापेति।
अयं धम्मलिपि।
पन भासा, पालि अत्थि।
पालियं सो आदेसति।
पालियं सो अभिनन्दति।
पालियं सो ति-पिटक सुत्ता लिखापेति।
सम्पूण्णं ति-पिटक गंथा
पालियं सन्ति।
परित्तं गाथायो
पालियं सन्ति।
बुद्धवचना
पालियं सन्ति।
पालि अम्हाकं भासा।
पाण-पियं अम्हाकं भासा।
पालि बहु मधुरा भासा।
8.
पालि आनिसंस
'पालि महत्ता'
अथ, अहं 'पालि आनिसंस' कथेमि।
अब हम 'पालि महत्ता कहते हैं.
भवं अपि मया सद्धिं
संगायनं करि सक्कोन्ति-
आप भी हमारे साथ दुहरा सकते हैं।
पालि भासा, पालि भासा।
पालि मम, पिय भासा।
पालि भासा, पालि भासा।
पालि किय सरला भासा!
पालि भासा, पालि भासा।
पालि बुद्ध-वचनस्स भासा।।
पालि भासा, पालि भासा।
पालि ति-पिटकस्स, भासा।
पालि भासा, पालि भासा।
पाणसमा मम, पिय भासा।
पालि भासा, पालि भासा।
बुद्ध-काले, लोक-भासा।
पालि भासा, पालि भासा।
असोक-काले, रट्ठ-भासा।
पालि भासा, पालि भासा।
पालि बहु, पुरातन भासा।
पालि भासा, पालि भासा।
पालि अतीव, सरला भासा।
पालि भासा, पालि भासा।
सम्भासनं, करणीयं भासा।
पालि भासा, पालि भासा।
थोकं-थोकं, वदनीयं भासा।
पालि भासा, पालि भासा।
पालि बहु रमणीया भासा।
पालि भासा, पालि भासा।
पालि मम संखारानं भासा।
पालि भासा, पालि भासा।
पालि मम हदयस्स भासा।
पालि भासा, पालि भासा।
पालि किय, मधुरा भासा!
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इति 'पालि आनिसंस' निट्ठितं
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