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Wednesday, December 21, 2011

चैत्य-भूमि का मसला

        यह विचित्रता और हैरत-अंगेजपना इस देश में ही हो सकता है कि जिस समाधि-स्थल पर मुश्किल से हजार-दो हजार लोग जाते हो,वह समाधि-स्थल सैकड़ों एकड़ में फैला है. परन्तु, जिस समाधि-स्थल जाने वाले लाखों की तादात में हो, उस जगह के लिए आधा एकड़ जमीन भी मयस्सर नहीं है !
       मुबई दादर में समुद्र के किनारे बाबा साहेब डा. आंबेडकर की चैत्य-भूमि है. यहाँ प्रति-दिन हजारों लोग दर्शन करने आते हैं.बाबा साहेब के अनुयायी गावं-देहात और विभिन्न शहरों से इस चैत्य-भूमि पर अपने  मसीहा को नमन करने जाते हैं,दिन-रात तांता लगा रहता हैं. 6 दिस.,जो बाबा साहब का परिनिर्वाण दिवस है, को देश के कोने-कोने से करीब 10-15 लाख लोग प्रति वर्ष आते हैं.
      चैत्य-भूमि में जाने के लिए समुद्र के किनारे-किनारे रोड से जाना पड़ता है. यहाँ भी अम्बेडकरी-साहित्य की दुकाने लाइन से लगी रहती है. जगह कम होने के कारण लोग बिना किसी निर्देशन के अपने-आप आते-जाते हैं. कही कोई अव्यवस्था नहीं, कहीं कोई दुर्घटना नहीं.मगर, न महाराष्ट्र की सरकार को और न ही केंद्र में बैठे लोगों को शर्म आ रही थी.जबकि, बाबा साहेब का नाम  लिए बगैर कोई भी पार्टी  सत्ता की कुर्सी पर बैठ नहीं सकती. चाहे किसी राज्य में हो या केंद्र में.
      आर. पी. आई. काफी दिनों से उस चैत्य-भूमि में पर्याप्त जगह हो, इसके लिए इधर कुछ दिनों से धरना-आन्दोलन कर रही थी. खबर है कि महाराष्ट्र शासन ने इस आशय का प्रस्ताव विधान सभा में पारित किया है कि चैत्य-भूमि के पास की मिल को अन्यत्र शिफ्ट कर जगह बनायीं जाएगी. ख़ुशी की बात है कि आर. पी. आई.  के धरना-आन्दोलन में शिव-सेना ने साथ दिया. अच्छा है, उसने मुद्दे को समझा. क्योंकि, मराठी मानुष और उत्तर-दक्षिण भारतियों जैसे मुद्दे से लोगों को ज्यादा दिनों तक बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता.

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