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Thursday, March 13, 2014

संगत

संगत

शास्त्रीय गायन पेश हो रहा था।  मंच पर पंडित रामशरण शर्मा अपनी प्रस्तुति में बुरी तरह लीन थे।  इस बीच पंडितजी को तानपुरे की आवाज मिसिंग लगी। उन्होंने पीछे मुड़ कर देखा।  तानपुरे पर जो मोहतरमा संगत दे रही थी , सो गई थी।
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भोलापन 

पिछले सन्डे को बगल के अशोक बुद्ध विहार में बुद्ध वंदना हो रही थी।  बुद्ध वंदना के बीच पीछे बैठे एक बच्चे ने मुझे टोका - अंकल, आपके मोज़े गंदे हैं।
वो तो आपके भी होंगे ? - मैंने अपने पैरों को छुपाते हुए कहा।
पर मैं तो मोज़े पहना ही नहीं ?  - बच्चे ने भोलेपन से कहा। 

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