Pages

Monday, February 19, 2018

जयपुर, दी सिटी ऑफ़ पैलेस

पिंक सिटी-
जयपुर को 'पिंक सिटी' कहा जाता है।  पिंक अर्थात गुलाबी।  दरअसल, जयपुर के अधिकांश मकान गुलाबी रंग से पुते हुए हैं।
यहीं कारण है की इसे पिंक सिटी भी कहा जाता है। अगर आपने 'सिटी ऑफ पेलेस' के किसी दुर्ग के ऊंचे बुर्ज से शहर को न  देखा हो, तो 'बाबूजी मार्केट' में चले जाएँ, आप खुद-ब-खुद गुलाबी शहर से रुबरुं हो जायेंगे। कहा जाता है कि सन 1876 में महाराजा  सवाई रामसिंह (प्रथम) ने प्रिन्स ऑफ वेल्स(एडवर्ड VII ) के स्वागत में एक ख़ास पहचान देने के लिए  पुरे शहर को गुलाबी रंग से पुतवा दिया था।

सिटी ऑफ  पैलेस-
जयपुर को 'सिटी ऑफ़ पैलेस' भी कहा जाता है। सिटी ऑफ पैलेस अर्थात राज-महलों का शहर। यहाँ कई राज-महल हैं, यद्यपि वर्तमान में ये राज महल  अधिकतर रिसॉर्ट अथवा पर्यटक-होटलों में तब्दील हो चुके हैं।

 पहले राज-वंश के लोग इस में रहते थे , अब भी राज-शाही ठाट-बाट  के लोग इस में रहते हैं। गरीब, दूर से इसके दीदार कर सकता है, देख सकता है। सनद रहे, राज पैलेस होटल के प्रेंसीडेन्सीयल सूट का किराया सन 2012 में 45,000 अमेरिकन डॉलर प्रति रात्रि था।

इतिहास की बात करें तो जयपुर को अमेर/अम्बर के राजा मानसिहं (द्वितीय) ने सन 1727 में बसाया था।  अमेर/अम्बर जयपुर से कुछ ही दूरी  पर स्थित था।  राजा मानसिहं ने यहाँ पर सन 1699 -1743 के दौर में राज किया था।

चूँकि राजा ने बसाया था, शहर का नाम जयपुर हो गया।  अगर न होता, तो कर दिया जाता। आज राजशाही नहीं है, लोक-शाही है, किन्तु जो सत्ता में होता है, वह मन चाहे शहर, गावं,  मोहल्ला, सड़क के नाम अपने हिसाब से कर देता  है।

शीश महल 
जयपुर में पर्यटन के दृष्टी से नाहरगढ़ फोर्ट, जयगढ़ फोर्ट, अम्बर(अमर) फोर्ट,  सिटी पैलेस, हवा महल, जल महल, जंतर-मंतर आदि दर्शनीय स्थल हैं। 


सिटी पैलेस -
 इसका निर्माण  महाराजा सवाई जय सिंह माधो ने किया था जिसने जयपुर नगर बसाया था।
यह राज पैलेस राजस्थानी, मुग़ल और यूरोपियन कला (आर्किटेक्ट) का संगम है। लाल और गुलाबी सेंड स्टोन से निर्मित इन इमारतों में पत्थर पर की गई बारीक़ कटाई और दीवारों पर की गई चित्रकारी मन मोह लेती है।   इसके एक हिस्से को संग्रहालय और आर्ट-गैलरी में तब्दील किया गया है।

जयगढ़ फोर्ट 
इस पैलेस परिसर में मुकुट महल, महारानी पैलेस, मुबारक महल, चन्द्र महल, दीवान-ए -ख़ास, दीवाने- ए-आम, गोविन्द देव मंदिर, म्युसियम आदि दर्शनीय स्थल हैं। महारानी पैलेस को म्युसियम का रूप दिया गया है जिस में युद्ध के दिनों में राज परिवार के द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले सैनिक साज-सामान को पर्यटकों के दर्शनार्थ रखा गया है।
 अम्बर फोर्ट-
 रेड सेंड स्टोन और मार्बल से निर्मित यह ऐतिहासिक धरोहर अब म्युसियम के रूप में है।  यह जयपुर सिटी से 10 की. मी. दूरी पर पहाड़ी में स्थित है। वास्तव में इस किले को मीणा-वंश के राजा अलन सिंह ने 967  ईस्वी में स्थापित किया था। बाद में राजा मानसिंह प्रथम(1550 -1614 ईस्वी ) ने  इसे मीणा राजाओं से छीन कर यहाँ राज किया।
रेड स्टोन और मार्बल से निर्मित चार मंजिला दुर्ग बेहद उच्च कारीगरी की मिशाल है। इसके दीवान -ए -हॉल , दीवान -ए -ख़ास, शीश महल देखते ही बनते हैं।
जयगढ़ फोर्ट -
नाहरगढ़ फोर्ट 
इस किले का निर्माण जयसिंह द्वितीय ने सन  1727  में किया था। आमेर स्थित इस दुर्ग में विश्व की सबसे बड़ी तोप राखी हुई है। जयगढ़ किले के नीचे पानी की 7 विशालकाय टंकियां बानी हैं। कहा जाता है की इन में शाही खजाना भरा हुआ है।
नाहरगढ़ फोर्ट- यह फोर्ट अरावली की पहाड़ियों पर निर्मित है।  इसे सन 1734 ने महाराजा सवाई जय सिंह  द्वितीय ने बनाया था।
जल महल -
मान सागर झील के मध्य  स्थित जल महल दूर मेन रोड़ से देखते ही बनता है। लगता है, जैसे यह आसमान से उतर कर झील में तैर रहा हो। झील में महल के ऊपर से उड़ते पक्षियों के झुण्ड इस ख्वाब को और  चार चाँद लगाते हैं। सायं को यह दृश्य बेहद मनोहारी हो जाता है।  किन्तु जैसे ही आप झील के किनारे होते हैं, शहर के सीवेज झील के साथ-साथ पर्यटकों को नाक में रुमाल रखने को विवश करते हैं।


जयपुर के दाल-बाटी चूरमा, झूमर लोक नृत्य, कठ पुतली डांस राजस्थानी संस्कृति के प्रतीक दिलों-दिमाग में एक छाप छोड़ जाते हैं।

एक मुद्दत से जयपुर के बारे में सुन रखा था। यह एक संयोग ही था कि न सिर्फ जयपुर बल्कि अजमेर शरीफ , पुष्कर, जैसलमेर  और वापसी में  जोधपुर घूमने का मौका मिल गया।  दरअसल मेरे पुत्र ऐशवर्य, जो मेनिट भोपाल से पी. एच. डी. कर रहा है, का एक पेपर प्रजेंटेशन जयपुर में होना था। एक लम्बे अरसे बाद यह एक सुखद अहसास था कि बेटा, बहू  और हम दोनों पति-पत्नी साथ थे। यद्यपि पत्नी की तबियत इतनी लम्बी यात्रा करने लायक नहीं थी किन्तु वह खुद को जफ्त न कर सकी। बेटा-बहू  ने इस दौरान जो उसका ख्याल रखा,  वह मिशाल है।         

No comments:

Post a Comment