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Thursday, July 12, 2018

कट्ठहारको

आओ  पालि सीखें-
एको अधनो(गरीब)  कट्ठहारको(लकड़ी बेचने वाला) आसि।
सो(वह) नदी तीरं गन्त्वा(जा कर) वासिया(कुल्हाड़ी से) कट्ठानि(लकड़ियों को) छिन्दित्वा(काट कर),
तानि(उनको) विक्किणित्वा(बेच कर) जीवकं (जीविका) कप्पेति(चलाता है)।
एकदिवसं(एक दिन) तस्स(उसकी) वासि नदियं(नदी में) पति(गिर गई)।
तेन(उससे) सो दुक्खितो(दुक्खी) अभवि(हुआ)।
तेन समयेन, एको साधु पुरिसो तस्स पुरतो(सामने) आगच्छि(आया)।
अत्तनो(अपने) हत्थे(हाथ में) एकं सुवण्णवासिं(सूवर्ण कुल्हाड़ी) दस्सेत्वा(दिखा कर) पुच्छि  -
"तव(तुम्हारी) नु(वास्तव में) खो अयं(यह) वासि ?"
"न अयं मम वासि।" -कट्ठहारको अवोच(बोला)।
दुतियवारं साधु पुरिसो एकं रजतवासिं दस्सेसि(दिखाया)।
"अयं मम वासि। मम वासि अयोमय(लोहे की) । -कट्ठहारको अवोच।
तस्स सच्चं वदनं(कथन) पसीदित्वा(प्रसन्न हो कर) साधु तं तिस्सो(तीनों) वासियो पदासि(प्रदान किया)।
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अधनो- गरीब। कट्ठहारको- लकड़हारा वासि- कुल्हाड़ी
छिन्दति- काटना। छिन्दित्वा- काटकर(पू. कि.)।
विक्किणाति- बिक्री करना, बेचना।
अयोमय(अय-मय)- अय(लोहे) से निर्मित। अन्य उदा.- दारुमय, मनोमय, रजतमय, सुवण्णमय आदि।
पदाति/पदेति- प्रदान करना। पदासि(भू. कि.)।
पसीदति- प्रसन्न होना

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