Wednesday, September 4, 2013

यशवंतराव आंबेडकर(Bhaiya Saheb Yashvant Rao Ambedkar)


कहा जाता है कि पीपल या बरगद के नीचे फिर कोई दूसरा पेड़ नहीं पनपता। यह कहावत उन लोगों ने बनाई है जिनके अनुसार किसी बड़े महापुरुष के घर  कोई दूसरा महापुरुष पैदा नहीं होता। औरों के बारे में तो नहीं मालूम  मगर, भैयासाहेब यशवंतराव आंबेडकर के बारे में यह कहावत झूठी लगती है।

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पुत्र यशवंतराव ही नहीं, पत्नी रमाबाई और घर-परिवार पर ध्यान देने की फुर्सत बाबा साहब के पास नहीं थी. उनके सतत सम्पर्क में रहने वाले, चाहे सोहनलाल शास्त्री हो या फिर नानक चंद रत्तु ; के संस्मरणों से स्पष्ट है कि बाबा साहब के पास बिलकुल समय नहीं था. कई-कई बार तो रमाबाई के द्वारा भेजा गया टिफिन वैसे ही रह जाता था. खैर, हम बात भैयासाहेब यशवंतराव आंबेडकर की कर रहे थे.       

भैया साहेब यशवंतराव आंबेडकर का जन्म 12 दिस 1912 को हुआ था. उस समय भैयासाहेब के पिताजी अर्थात बाबासाहब डा भीमराव आंबेडकर परिवार के साथ मुम्बई के पायबावाडी परेल, बी आय टी चाल में रहते थे. बाबा साहब आंबेडकर की पांच संतानों में यशवंतराव सबसे बड़े पुत्र थे. यशवंत को लोग आदर और प्यार से भैयासाहेब कह कर ही बुलाते थे.
बाबा साहब की पांच संतानों में क्रमश: यशवंत राव, रमेश, गंगाधर, राजरत्न चार पुत्र और इंदु नामक एक पुत्री थी. यशवंतराव  ज्येष्ठ पुत्र थे. इंदु , राजरत्न से बड़ी थी. मगर, बड़े बच्चे यशवंत को छोड़कर चारों बच्चें जिस में पुत्री इंदु भी शामिल हैं, दो-तीन वर्षों के अंतर से मृत्यु को प्राप्त हुए थे. यशवंत राव का स्वास्थ्य भी कुछ खास ठीक नहीं रहता था. बाबा साहब को बच्चें और परिवार तरफ ध्यान देने के लिए समय जो नहीं था. वे अपनी व्यस्तताओं के चलते चाह कर भी ध्यान ही नहीं दे पाते  थे.
शारीरिक अस्वस्थता के चलते यशवंतराव  मेट्रिक तक ही शिक्षा प्राप्त कर सके. दूसरे, बालक का मन पढाई में कम और कोई काम-धंधा करने में अधिक था. अभी 25 वर्ष की उम्र भी न हो पाई थी कि बालक यशवंत के सर से  माता साया उठ गया. मई 27, 1935 में माता रमाबाई का निधन हो गया. रमाबाई के गुजर जाने के बाद भैयासाहेब की जिम्मेदारी बाबा साहेब पर आन पड़ी. वे यशवंतराव की  खबर रखने लगे. अब भैया साहेब के स्वास्थ्य में भी धीरे-धीरे सुधार होने लगा .
13 अक्टू  19 35  को येवला में बाबा साहेब ने घोषणा की थी कि वे हिन्दू के रूप में पैदा हुए किन्तु हिन्दू  के रूप में मरेंगे नहीं . इस समय भैया साहेब 23 वर्ष के हो चुके थे.  वे पुरे होशों-हवास अपने पिता की हुंकार को सुन-समझ रहे थे. अर्थात अब भैया साहेब  बाबा साहेब की तरह सामाजिक कार्यों में भाग लेने लगे थे. 'जनता ' नामक समाचार पत्र और प्रिंटिंग प्रेस, जिसकी स्थापना बाबा साहेब ने की थी, सन 1944  में भैया साहब ने संभाल ली थी.
सन 19 52 में रंगून में संपन्न 'विश्व बौद्ध सम्मेलन' से लौट कर आने के बाद बाबा साहेब ने अपने इस पत्र  'जनता' का नाम बदलकर 'प्रबुद्ध भारत' और प्रिंटिंग प्रेस का नाम 'बुद्ध भूषण प्रिंटिंग प्रेस' रख लिया था. भैया साहेब 'प्रबुद्ध भारत' के सम्पादक तो थे ही, वे प्रिंटिंग प्रेस के प्रकाशक, मुद्रक का काम भी सम्भाल रहे थे.  इस समय भैयासाहब की उम्र 32 वर्ष हो चुकी थी।
भैया साहब का विवाह मीराताई के साथ  19 अप्रेल 1953 को परेल के आर एम् भट्ट हाई स्कूल हाल में बौद्ध पद्यति से संपन्न हुआ था. अब यशवंतराव ने राजनीति में कदम रखा. सन 19 52 में कुलावा विधान सभा सीट से वे खड़े हुए थे मगर, सीट निकाल नहीं पाए .
Photo source:Navayan.com

 6 दिस 19 56 को बाबासाहब,  भैयासाहब का साथ छोड़ गए.  बाबा साहेब के जाने के बाद उनके द्वारा स्थापित 'दी बुद्धिस्ट सोसायटी आफ इण्डिया' का वृहतर कार्य भैयासाहेब के कन्धों पर आन पड़ा . भैया साहब ने लोगों के द्वारा दी गई इस जिम्मेदारी को ठीक ढंग से सम्भाला. 'दी बुद्धिस्ट सोसायटी आफ इण्डिया' के बेनर तले धम्म प्रचार-प्रसार, बौद्ध उपासक /उपासिकाओं का प्रशिक्षण और शिविर आदि के कार्य को उन्होंने एक नई गति दी .बौद्ध  धार्मिक संस्कारों के निष्पादन के लिए बोधाचार्यों की नियुक्ति में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा था.
भैयासाहेब की सहमति से ही  'रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इंडिया'  जिसकी स्थापना  3 अक्टू 1957  को हुई थी , के अध्यक्ष एन शिवराज चुने गए. इधर 19 57  के आम चुनाव में शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन के 6 सदस्य चुन कर आए थे, यद्यपि उन में भैयासाहेब नहीं थे. भैयासाहेब यशवंतराव आंबेडकर सन 1960  मुंबई विधान परिषद् के लिए चुने गए थे. भैयासाहब के विधान परिषद् के लिए चुने जाने से दलित जातियों में  ख़ुशी की लहर छा गई .ऐसे मौके पर सम्बोधित करते हुए एक बार उन्होंने कहा था कि उनकी जय-जयकार करने से बेहतर है लोग बाबा साहब के द्वारा किये गए कार्यों को आगे बढाए.  विधान परिषद् में उन्होंने गरीब, मजदूर और दलित हित से जुड़े मुद्दों को जम  कर उठाया था.

दलित आन्दोलन को व्यवस्थित ढंग से चलाने मुंबई में एक बड़ी बिल्डिंग होना चाहिए, यह बाबा साहब की इच्छा रही थी. इसे मूर्त रूप देने के लिए सन 1966 में बाबा साहेब की जयंती के अमृत महोत्सव पर भैया साहेब के  नेतृत्व में जन्म स्थली मऊ (इंदौर) से चैत्य भूमि (दादर मुंबई) तक ऐतिहासिक लांग मार्च  'भीम ज्योत रैली' का आयोजन किया गया था. दादर (मुंबई) में स्थापित चैत्य भूमि का निर्माण भैया साहेब के इसी लांग मार्च से ही सम्भव हुआ था. स्मरण रहे, चैत्य-भूमि में सीमित जगह को देखते हुए भैया साहेब ने इससे लगी  वर्षों से बंद पड़ी इंदु मिल के जमीन की मांग इस हेतु शासन की थी जो  उनके देहांत के 45 वर्ष बाद  5 दिस 2012 को पूरी हुई. 

 भैया साहेब मुंबई आर पी आई के अध्यक्ष थे. मगर, रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं की आपसी गुटबाजी से वे बड़े दुखी रहा करते थे. उन्होंने पार्टी वरिष्ठ नेताओं से व्यक्तिगत सम्पर्क कर मिल कर काम करने का अनुरोध किया. किन्तु नेताओं की आपसी गुटबाजी और स्वार्थ के कारण वे पार्टी में अपेक्षित सुधार नहीं ला सके .
Photo source:Navayan.com

बाबा साहेब द्वारा लिखित 'दी बुद्धा एंड हिज धम्मा' के प्रसार-प्रचार में भैया साहेब ने देश-विदेश के कई दौरे किए. सन 19 57  से 19 63 के दौरान  'दी बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ़ इंडिया' के प्रचार-प्रसार में उन्होंने देश भर  दौरे किए. बौद्ध-संस्कार विधि बताने के लिए देश में बौद्ध भिक्षुओं की संख्या बहुत कम थी. भैया साहब के नेतृत्व में बौद्ध प्रचारकों/ बौद्ध-आचार्यों का नेट-वर्क बनाने का काम बड़े पैमाने पर किया गया.  इसके लिए बौद्धाचार्यों को चैत्य-भूमि में प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की गई.

मुंबई में 23 नव 19 68 को बौद्ध भिक्षु दलाई लामा की उपस्थिति में 'दी बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ़ इंडिया' के बेनर तले  महाअधिवेशन हुआ. श्रीलंका में सम्पन्न  10 वें विश्व बौद्ध सम्मेलन जो  22 मई 19 72 को  हुआ था, में भारत का प्रतिनिधित्व किया व भारतीय बौद्धों के प्रश्नों को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर रखा.इसी प्रकार  दिल्ली में सम्पन्न एशियाई बौद्ध परिषद् में उन्होंने देश का प्रतिधित्व किया था.

भैया साहेब द्वारा लिखित पुस्तिका  'तुम्हे बौद्ध होने किसने बताया ?' सन 19 77  में प्रकाशित हुई थी. धम्म के प्रचार-प्रसार के दौरान कई बार उन पर प्राण-घातक हमले भी हुए मगर, भैया साहेब अपने कार्य में निरंतर डटे रहे. पंद्रह दिनों के लिए सन 1967 में  वे  श्रामणेर बने थे. श्रामणेर के रूप में उनका नाम पंडित काश्यप था.

दादा साहेब भाऊ राव गायकवाड के साथ मिल कर भैया साहब यशवंत राव आम्बेडकर ने भूमि सम्बन्धी कई आन्दोलन चलाए  और सत्याग्रह किए  14 अग 19 77 को प्रधान मंत्री मोरारजी देसाई से धर्मान्तरित बौद्धों को अनुसूचित जाति की सुविधा जारी रहनी चाहिए, इस बाबत चर्चा की. मुंबई विधान परिषद् का सदस्य रहते हुए भी भैया साहेब यह मांग बराबर उठाते रहे. भैया साहेब दीक्षा-भूमि नागपुर में बौद्ध विद्यापीठ स्थापित करने वाले थे किन्तु उनके तमाम प्रयासों के बावजूद यह स्वप्न साकार नहीं हो सका .

बाबा साहब के आन्दोलन को आगे बढ़ाते हुए भैयासाहेब अपने अथक प्रयासों से धम्म के रथ को आने वाली पीढ़ी के कन्धों पर रख कर  17 सित 1977 को हम से विदा  ले लिए. 
  

33 comments:

  1. UKEY Sir thanks for great and valuable information about SURYAPUTRA Yashwat/ Bhaiyasaheb Ambedkar

    ReplyDelete
  2. Great Job Sir.Many Buddhist People dont Know About Yashwantrao Ambedkar.
    Carry On.

    ReplyDelete
  3. KEDHIHI KRUPAYA SATTYA TRUE MAHITI UPLOAD KARAVI

    NAMRA VINANTI

    ReplyDelete
  4. Sarvani khara itihas History janun ghyavi

    ReplyDelete
  5. AAPKE DWARA LIKHA GAYA YE LEKH BAHUT HI ACHCHHA HAI. HUM SUB KO YE JAANKARI HONI CHAHIYE. AAPKO BAHUT BAHUT DHANYAWAD
    WORKING IN GOVT SERVICE
    IN CSIR NEW DELHI

    ReplyDelete
  6. सर यशवंत आम्बेडकर का जो आपने सदस्य का कार्यकाल बताया है विधानपरिषद का ओ मिल नही रहा है

    ReplyDelete
  7. आज हम उन तमाम लोगो की आज्ञा मानने को मजबूर है । जिनको हैम दिल से नही मानते । अगर परमात्मा कही भी ओर उसने जब जब धर्म की हानि तब तब जन्म लेकर धर्म की जय करवाई । वो भविष्य में संभावना दिख रही है ।

    ReplyDelete
  8. क्या हम सब मिलकर भय्यासाहब तथा यशवंत भीमराव आंबेडकर जी का स्वप्न पूर्ण कर सकते हे।। क्यू ना हम भारत देश को बुद्धामय बनाये।।

    ReplyDelete
  9. क्या हम सब मिलकर भय्यासाहब तथा यशवंत भीमराव आंबेडकर जी का स्वप्न पूर्ण कर सकते हे।। क्यू ना हम भारत देश को बुद्धामय बनाये।।

    ReplyDelete
  10. खूप सुंदर व खरी माहिती दिली त्या बद्दल धन्यवाद

    ReplyDelete
  11. महान पिता की महान हस्ती यशवंतराव आंबेडकर...नमन...

    ReplyDelete
  12. Nice to read it.we require to spread the works on large scale.
    Thanks for this information.

    ReplyDelete
  13. नमन करता हूं अपने महापुरुषों डॉ बी आर अंबेडकर और भैया साहब यशवंत राव अंबेडकर जय भीम नमो बुद्धाय
    Ajay gautam 7351564439

    ReplyDelete
  14. The great 👨‍✈️ man salute jai bheem

    ReplyDelete
  15. Very nice information sir.But it should be given more details. Thank you.
    Sir tell me who,when said first time Babasaheb to Dr Babasaheb Ambedkar?

    ReplyDelete
  16. Thx for unique knowledge
    I didn't know about him

    ReplyDelete
  17. thankyou sir.jay bhim namo buddhay.7 year bad new bhim ka janm hoga.abhi sirf chandrashekhar ajad ka hi janm hua hai.main vachan deta hoon.jay bhim

    ReplyDelete
  18. jay bhim sir namo buddhay.i love my greate india

    ReplyDelete
  19. जय भीम जय भैयासहेब जी

    ReplyDelete
  20. सर भैया साहेब यशवंत राव अंबेडकर के पुत्र का क्या नाम था

    ReplyDelete
  21. I don't know why this information is not available on Wikipedia

    ReplyDelete
  22. Bhayya saheban baddal ji aapan mahiti dili tya baddal aamhi aapke khup aabhari aahot,

    ReplyDelete