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Anand Prabhu Kuti Vihar |
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Anand Prabhu Kuti Vihar |
पिछले सित 2011 में हमारा प्रवास छत्तीसगढ़ की तहसील मुख्यालय बागबाहरा था। बागबाहरा धान की मंडी
है। छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा क्यों कहा जाता है , यह छत्तीसगढ़ के अंदरूनी इलाकों में जा कर ही पता लगता है। पूरे छत्तीसगढ़ में फैले जब धान के लहलाते खेत देखते हैं तब , अनायास ही आपको भरा-भरा लगता है। छत्तीसगढ़, धान की फसल के लिए प्रसिद्द तो है ही इसके साथ यह प्राचीन '
बुद्धिस्ट साइट्स' के लिए भी प्रसिद्द है। यह अलग बात है कि पुरातत्व विभाग के द्वारा बौद्ध धरोहर के रूप में ये जो साइट्स सामने आयी हैं , संकीर्ण
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Anand Prabhu Kuti Vihar |
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Anand Prabhu Kuti Vihar |
मानसिकता के चलते उन में से कइयों को हिन्दू मंदिरों में बदला जा रहा है। यह ठीक है कि अतीत में यहाँ कई स्थान सर्व धर्म समभाव के केंद्र रहे हैं और जहाँ तक इतिहास की बात है
, बौद्धों द्वारा कहीं भी मूर्ति या मंदिरों को बौद्ध विहारों में तब्दील करने का जिक्र नहीं है। जबकि , इसके उलट प्रचुर इतिहास है। और इस देश का दुर्भाग्य कि संस्कृति का यह अपघात बदस्तूर जारी है।
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Museum |
बागबाहरा जाने का हेतु मेरे ब्रदर-इन-लॉ प्रदीप नागदेवे जी हैं। आप पिछले करीब 10 वर्षों से बागबाहरा में है। वे
सेरीकल्चर में अफसर है। शासकीय सेवा से रिटायर होने के बाद मेरे पास समय ही समय था।
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Padmpani Vihar |
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रिटायर होने के बाद प्राय: मेरे जैसे लोग किसी शहर में बस जाते हैं जिसकी प्लानिंग वर्षों पहले की होती है। मेरी सोच कुछ दूसरी थी। लीक से हट कर आप चलते हैं तो ताने भी पड़ते हैं। खैर, फिर कभी।
मैंने प्रदीप जी से कहा कि हम उनकी गृहस्थी के रंग में भंग घोटने आ रहे हैं। प्रदीप जी, मेरे ही जैसे हैं। हंस कर स्वागत करते हुए उन्होंने कहा, आप आईये तो ?
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Padmpani Vihar |
यह बागबाहरा जाने पर ही पता चला कि
अंतर्राष्ट्रीय बुद्धिस्ट साईट सिरपुर पास ही में है। यूँ सिरपुर के बारे में हमें काफी पहले से पता था। मगर , बागबाहरा जाने पर सिरपुर का विजिट होगा , यह प्रदीप जी के अतिथि बनने पर ही सम्भव हुआ। प्रदीप जी जानते हैं कि मैं एक लेखक हूँ और किसी बुद्धिस्ट साईट पर जाना मेरे लिए मायने रखता है। लिहाजा , दूसरे दिन ही प्रदीप जी ने एक फोर व्हीलर बुक की। हमने टिफिन साथ में रखा और निकल पड़े सिरपुर कि ओर।
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Said 'Laxman Temple' |
छत्तीसगढ़, प्राचीन काल से ही बौद्ध धर्म का केंद्र रहा है। ईसा की 6 वीं शताब्दी से 10 वीं शताब्दी के बीच बौद्ध धर्म यहाँ काफी फला-फुला। प्रसिद्द चीनी यात्री
व्हेनसांग जो 643 की अवधि में यहाँ आया था , अपने यात्रा वृतांत में इस बात का उल्लेख किया है कि यह भू -भाग बौद्ध धर्म का केंद्र था। और कि यहाँ का राजा सभी धर्मों का आदर करने वाला था। वह हिन्दू, जैन और बौद्ध धर्म को समान रूप से राजकीय सरंक्षण प्रदान करता था। व्हेनसांग ने यह भी लिखा है कि यहाँ बहुत बड़ा
शिक्षा का केंद्र था। दक्षिण-पूर्व एसिया से दूर-दूर के शिक्षार्थी यहाँ उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते थे। दो मंजिला बौद्ध विहारों में एक समय 10,000 से अधिक विद्यार्थी विद्या अध्ययन करते थे।
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Statue inside Laxman temple |
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इतिहास गवाह है कि समुद्रगुप्त ने 4 थी शताब्दी के दौर में यहाँ शासन किया था। मौर्य शासनाधीन यह अंचल दक्षिण कौशल के नाम से जाना जाता था। सोमवंशी राजाओं के समय सिरपुर राजधानी हुआ करती थी।
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Laying Buddha( Laxman temple) |
इसी राजवंश के शक्तिशाली राजा महा शिवगुप्त बालार्जुन ने यहाँ एक लम्बे समय तक राज्य किया था। कहा जाता है कि इसी राजा के समय प्रसिद्द लक्षमण मंदिर का निर्माण कराया गया था।
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Surang Tila |
पुरातात्विक खोज से प्राप्त बौद्ध स्मारक और शिलालेख इस बात के साक्षी है कि यहाँ बौद्ध धर्म का व्यापक प्रभाव था। शायद, यहाँ बौद्ध धर्म की
महायान शाखा का प्रभाव था। सिरपुर के आलावा , छत्तीसगढ़ की प्राचीन राजधानी रतनपुर तथा मल्हार , तुरतुरिया , सरगुजा , बस्तर अदि क्षेत्रो से प्राप्त अवशेष इस तथ्य को प्रयाप्त आधार प्रदान करते हैं।
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Surang Tila |
सर्व प्रथम खुदाई का कार्य यहाँ सन 1872 में अंग्रेजों के शासन काल में शुरू हुआ। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सन 1953 में भारत सरकार द्वारा फिर खुदाई की गई। इस खुदाई में आनंद प्रभु कुटी विहार , पद्मपाणि विहार , और दूसरे अन्य हिन्दू मंदिरों के भग्नावशेष उभर कर सामने आए।
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Surang Tila |
हम ने सीधा
आनंदप्रभु कुटी विहार की साईट पर अपनी गाड़ी रोकी। यह काफी बड़ी साईट है। साईट देख कर लगता है कि यह 14 कमरों का विहार रहा होगा जिसका बड़ा-सा प्रवेश द्वार था। प्रवेश द्वार के दोनों ओर पत्थर के बड़े स्तम्भ अब भी खड़े हैं जिन पर द्वारपालों को उकेरा गया है। अंदर भगवन बुद्ध की दाएं हाथ से जमीन को स्पर्श करती 6 फुट ऊँची मूर्ति है। कहा जाता है कि भगवन बुद्ध के जिस शिष्य ने इसका निर्माण कराया था उनका नाम आनंद प्रभु था।
आनंद प्रभु विहार की साईट पर हमें एक कर्मी मिला। शायद , साईट की रूटीन देख-भाल के लिए वह तैनात था। हम ने कुछ फ़ोटो लिए और अगली साईट के लिए बगल में ही मुड़ गए।
यह पद्मपाणि विहार था। यह साईट आनंद प्रभु विहार की तरह ही थी। इसके बाद इसी से लगे दो साईट देखे। वह हिन्दू मंदिरों की साईट थी। मगर, यहाँ अच्छा लगा। बुद्धिस्ट साइटों में रख-रखाव का जो बेमनापन था , वह यहाँ नजर नहीं आया। घास की हरियाली, पौधों में खिलते फूल , फूलों पर मंडराते भौरे बड़े अच्छे लग रहे थे। यहाँ गॉर्डन -गॉर्डन लग रहा था। गॉर्डन अटेंडेंट के द्वारा पाइप से पानी सींचा जा रहा था। साफ-सफाई भी पर्याप्त लगी।
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Buddha Vihar 1 to 4 |
इसके बाद हम वापस सिरपुर चौराहे की तरफ आ गए.यहाँ चौराहे पर बाबासाहेब आंबेडकर
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Buddha VIhar 1 to 4 |
की काफी ऊँची प्रतिमा खड़ी देख कर अच्छा लगा. सुना है, यहाँ भंते सुरई ससाई काफी लम्बे समय तक रहे थे. लोग बता रहे थे की उनके देख-रेख में
बौद्ध विहार क्र. 1 से 4 की साईट का उत्खनन किया गया था. बाबा साहेब की प्रतिमा को निहार कर हम लोग उसी साईट की और मुड़ गए. यह एक बहुत बड़ी साईट है. मगर, बोर्ड जो बाहर लगा है,
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Buddha Vihar 1 to 4 |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjnuxDUSAwNaRqxFF4_LAnc1dkNFZYD7At_L6E17EgPS2btKwI4TUv4UqT-RP3PNfNSyXptl9xhfzrYVEz-VeD4qRPLPzyJ1SRGXMeGl6y4BXYXaYpC-l3yqEfKwzCHYmMVMRtvebqnKx8/s200/070.JPG) |
Buddha Vihar 1 to 4 |
उस में भंते जी का कोई उल्लेख नहीं दिखा.हम ने यहाँ भी कुछ स्नेप लिए और आगे की साईट की और प्रस्थान किया.यह साईट
लक्ष्मण मन्दिर के नाम से
फेमस है. यहाँ का नजारा बेहद अच्छा लगा.यहाँ काफी सुविधाएँ हैं. यहाँ तक की पीने के पानी के लिए कूलर लगा है.लक्ष्मण मन्दिर से सटा हुआ मुजियम भी है जहाँ पर कुछ मूर्तियों के भग्नावशेष रखे हैं.यहाँ पर भगवान बुद्ध की एक-दो खंडित मूर्तियाँ दिखी.'गाइड' के रूप में जो व्यक्ति वहां तैनात था, जैसे की वह बतला रहा था, देशी दारू पिए था.उसने बदतमीजी तो नहीं की. मगर, पुरातत्व विभाग की कार्य शैली पर जरुर सवालिया निशान लगा रहा था. आखिर वहां देश-विदेश के विजिटर्स भी तो आते रहते हैं.
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Bauddh Sanghaaram(Bhikshu Residence) |
इसके बाद हम ने
बौद्ध संथागार की और रुख किया.यह काफी विस्तृत
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Bauddh Sanghaaram(Bhikshu Residence) |
एरिया में फैला है.लगता है कि यहाँ पूरा का पूरा नगर बसा रहा होगा.यहाँ का दृश्य देख कर आप उस समय के नगर की बसाहट, मकानों की डिजाइन,अनाज रखने के भण्डार-गृह, कुए की बनावट,भू-ड्रेनेज-सिस्टम और बाजार के दृश्य का अवलोकन कर सकते हैं. मुझे लगा कि आज जो पाश कालोनियों का निर्माण करते हैं, उन्हें जरुर यहाँ का विजिट करना चाहिए.