सवाल-क्या मंदिर-मस्जिद अलग-अलग हैं ?
जवाब- हाँ , दोनों अलग अलग है.
- क्यों ?
-क्योंकि, मंदिर में बुत होता है जबकि मस्जिद में नहीं।
-मगर इससे क्या होता है ? इबादत तो दोनों जगह होती है।
-सवाल इबादत का नहीं, इबादत करने वाले का है। मंदिर में हिन्दू करता है जबकि मस्जिद में मुस्लिम।
-ये हिन्दू-मुस्लिम क्या है ?
-ये हिंदुस्तान की दो कोमें हैं।
-ये दो क्यों हैं ?
-क्योंकि, एक नहीं हैं।
-तो एक कि जगह चार होते, दो ही क्यों ?
-चार है न..... हिन्दू मुस्लिम,सिख, ईसाई। और चार ही क्यों, पांच हैं, दस हैं, पचास हैं......
Saturday, September 25, 2010
सवर्णों की कुतिया
पिछले दिनों 'म.प्र सहारा चेनल' से एक खबर प्रसारित हुई-
भिंड जिले के सवर्णों ने एक दलित परिवार पर 1500 रु का जुरमाना ठोंक दिया। हुआ यह की गाँव के सवर्णों की एक कुतिया घूमते घुमते दलित मोहल्ले में चली गई। दलित महिला ने मानवीय स्वभाववश बची हुई झूठन कुतिया के आगे डाल दी। पर यह बात गाँव के सवर्णों को हजम नहीं हुई।
-इस तरह की ढेरों खबरें आये दिनों आती रहती हैं। हम आप पढ़ते हैं और अपने-अपने काम में लग जाते हैं। सोचता हूँ , कम से कम दलित समाज के पढ़े-लिखे लोगों को तो इसके विरुद्ध पूरी ताकत के साथ आवाज उठाना चाहिए. यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे इस तबके के नवजवानों को जो रामराज्य और इस तरह के अन्य काल्पनिक विषयों पर बड़ी-बड़ी थीसिस लिखते हैं, अपनी इन माँ-बहनों की दशा पर क्या शोध नहीं करना चाहिए ?
भिंड जिले के सवर्णों ने एक दलित परिवार पर 1500 रु का जुरमाना ठोंक दिया। हुआ यह की गाँव के सवर्णों की एक कुतिया घूमते घुमते दलित मोहल्ले में चली गई। दलित महिला ने मानवीय स्वभाववश बची हुई झूठन कुतिया के आगे डाल दी। पर यह बात गाँव के सवर्णों को हजम नहीं हुई।
-इस तरह की ढेरों खबरें आये दिनों आती रहती हैं। हम आप पढ़ते हैं और अपने-अपने काम में लग जाते हैं। सोचता हूँ , कम से कम दलित समाज के पढ़े-लिखे लोगों को तो इसके विरुद्ध पूरी ताकत के साथ आवाज उठाना चाहिए. यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे इस तबके के नवजवानों को जो रामराज्य और इस तरह के अन्य काल्पनिक विषयों पर बड़ी-बड़ी थीसिस लिखते हैं, अपनी इन माँ-बहनों की दशा पर क्या शोध नहीं करना चाहिए ?
Subscribe to:
Posts (Atom)