Saturday, September 25, 2010

सवर्णों की कुतिया

पिछले दिनों 'म.प्र सहारा चेनल' से एक खबर प्रसारित हुई-

भिंड जिले के सवर्णों ने एक दलित परिवार पर 1500 रु का जुरमाना ठोंक दिया। हुआ यह की गाँव के सवर्णों की एक कुतिया घूमते घुमते दलित मोहल्ले में चली गई। दलित महिला ने मानवीय स्वभाववश बची हुई झूठन कुतिया के आगे डाल दी। पर यह बात गाँव के सवर्णों को हजम नहीं हुई।

-इस तरह की ढेरों खबरें आये दिनों आती रहती हैं। हम आप पढ़ते हैं और अपने-अपने काम में लग जाते हैं। सोचता हूँ , कम से कम दलित समाज के पढ़े-लिखे लोगों को तो इसके विरुद्ध पूरी ताकत के साथ आवाज उठाना चाहिए. यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे इस तबके के नवजवानों को जो रामराज्य और इस तरह के अन्य काल्पनिक विषयों पर बड़ी-बड़ी थीसिस लिखते हैं, अपनी इन माँ-बहनों की दशा पर क्या शोध नहीं करना चाहिए ?

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