तो बात मैं अपने नीदरलैंड प्रवास की कर रहा था.हम लोग डच टाउन वेस्प (Dutch town Weesp) गये थे.वहां जोई को वेक्सिनेशन कराना था. इसके आलावा भी सोनू को कुछ काम निपटाने थे जो काफी दिनों से पेंडिंग चल रहे थे. यहाँ मैं बता दूँ कि राहुल पहले वहीँ रहता था.शादी के बाद भी तीन-चार महीने ये लोग वेस्प में ही रहे थे. इसी कारण लोकल रेसिडेंस से सम्बन्धित सारे काम इनके वहीँ से हो रहे थे.
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वेस्प को यहाँ टाउन/ विलेज (गाँव ) कहा जाता हैं.यह एम्स्टरडम के आउट-स्कर्ट(out-skirt) में है.मगर यहाँ रईस लोग रहते हैं. कुछ अजीब-सा लगता है न ! मगर ये सच है. असल में गाँव को यहाँ शहर के भीड़-भाड़ और कोलाहल से दूर शांत एरिया माना जाता है जहाँ रईस (rich)लोग रहना पसंद करते हैं.और सच में मैंने देखा वहां गाँव का माहौल तो कहीं भी नहीं था. मगर, शहर का माहौल भी नहीं था. ऊंची-ऊंची बिल्डिंगे नहीं थी.गली-सडकों में लोग झुण्ड के झुण्ड बेमतलब-से नहीं घूम रहे थे...वगैरे..वगैरे.
यहाँ हर मकान के सामने और लान में गार्डनिंग बेहतरीन तरीके से सजी थी जैसे आपको कुछ पल रूक कर देखने को निमंत्रित कर रही हो.मकान सिंगल स्टोरी वाले ज्यादा दिख रहे थे, जैसे, वे बतला रहे हो कि आप किसी सिटी (city) में नहीं वरन गाँव में हैं.
यह तो आप को मालूम ही है कि यूरोप के लोग फूलों के बेहद शौक़ीन होते हैं.शहर हो या गाँव, जगह-जगह फूलों के गमलों से लदी दुकाने आप को दिखती हैं.इन दुकानों से लोग उसी तरह भीनी-भीनी सुगन्धित फूलों के गुलदस्ते/गमले खरीदते हैं, जैसे कि अन्य खरीदारी करते हैं.
मैंने जानना चाहा कि आखिर यहाँ के लोग फूलों को इस तरह क्यों चाहते हैं ?
ऐसे लगता है कि चूँकि, यहाँ का क्लाइमेट इसके फेवर में है और स्वाईल(soil ) भी फूलों की फसल के अनुकूल है अत: लोगों का टेस्ट भी वैसा हो, यह स्वाभाविक ही था.
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एक और बात, हमारे यहाँ घर/आँगन में मकान मालिक के आराध्य किसी-न-किसी देवी-देवता की मूर्ति या छोटा-सा मन्दिर मिलना स्वाभाविक-सा रहता है.मगर अम्स्टरडम में मुझे ये नजारा देखने नहीं मिला. यहाँ देवी-देवता की जगह किसी कलाकार की काष्ठ या पत्थर की बनायीं कलाकृति देखने मिलती है.यह कलाकृति पारम्परिक बकरी को दोनों हाथ में उठाए हुए किसान की हो सकती है या फिर आधुनिक निपट कलात्मक कारीगरी अर्थात माडर्न आर्ट.
यहाँ पर आपको गली/सडक के किनारे या पार्क में पेड़ों की कतारे एक ही साईज की बड़ी ही सुन्दर लगेगी. इसलिए कि ये सब योजना बध्द तरीके से लगाये गए हैं. सबकी ऊँचाई और आयतन एक-सा दीखेगा. सूखी जमीं कहीं भी आप नहीं पाएंगे.बिना हरी घास के एक इंच जमीन भी यहाँ खाली नहीं होती.लानों में घास बाकायदा ट्रीम की हुई मिलेगी.हमारे यहाँ गलियों में टी वी केबल जैसे इधर के उधर क्रास करते हुए मिलते हैं, यहाँ पर आपको स्ट्रीट लाइट के बल्ब पुरे केबिनेट के साथ क्रास वायर से लटकते मिलेंगे. और इसके बीच-बीच आकर्षक फूलों के बड़े-बड़े गमले इसी स्टाइल में लटकते दीखेंगे.आकर्षक फूलों के गमले आपको खम्बे (पोस्ट) में, ओव्हर ब्रिज में लटकते दिखेंगे.इनमे रंग-बिरंगी फूलों की लदी टहनियां उसी तरह लटकती मिलती हैं जैसे दीपावली में हमारे यहाँ जगमग रंग-बिरंगे छोटे-छोटे विद्युत् बल्ब की लड़ियाँ घर और आँगन में सजी दिखती हैं.
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मकान शीर्ष पर स्टिप टेपर (steep taper) रहते हैं. बर्फ जो साल के 7-8 महीने गिरते रहता है.कांच का व्यापक प्रयोग होता है मकान और बिल्डिंगे बनाने. कांच सूर्य की किरणों को अन्दर पहुँचाने का एक अच्छा माध्यम है. चूँकि, यहाँ का औसत टेम्परेचर काफी कम है अत: लोगों को धूप की आवश्यकता बनी रहती है. दूसरे, बिजली की खपत भी कम होती है. हमारे यहाँ दिन में भी आफिसों में बिना बिजली की रौशनी के काम नहीं होता.यहाँ बिल्डिंगे बनायीं ही ऐसी जाती है कि दिन के समय बिजली न जलाना पड़े.स्थान-स्थान पर स्पेस बना कांच की खिड़कियाँ लगा कर सूर्य की रोशनी को अन्दर पहुँचाया जाता है. हाँ, इससे कास्ट तो बढती ही होगी. मगर, यहाँ पैसा भी तो काफी है.
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यहाँ की सड़के कुछ अलग होती है. पहली बात, इधर दाए से चलने का रूल है. यु हेव टू किप राइट.कार हो या बस, ड्राइविंग व्हील राइट में होता है.यहाँ पर फोर व्हीलर सडक के साथ एक और सडक जो सायकिल वालों के लिए होती है, साथ में समानांतर चलती है. एक तीसरी सडक पैदल चलने वालों के लिए होती है जिसे पेडस्टेरियन पाथ (pedestrians path) कहा जाता है.ट्राफिक नियमों के अनुसार, पहली प्राथमिकता फुट-पाथ पर चलने वालों की होती है. कार वाला, अगर आप स्ट्रीट क्रास करना चाहते हैं तो वह रुक जायेगा और आपको सडक क्रास करने देगा. मगर, मुख्य सडक मार्ग में स्थान-विशेष बने होते है,जैसे कि हमारे यहाँ. इधर, एक अतिरिक्त सोह्लियत होती है- पोल में प्रोवाइड किये गए स्विच के द्वारा उसे आप दबा क़र और पेडस्टेरियन (pedestrians) को जाने देने का चिन्ह आने प़र सडक क्रास कर सकते हैं. आने वाले फोर व्हीलर्स तब रुके रहेंगे.सडकों में जगह-जगह पार्किंग प्लेस बने होते हैं.पेसेंजर बस कहीं भी नहीं रुक सकती.दूसरे, ड्रेगिंग बेग जो व्हील वाले ड्रेगिंग सूटकेस की तरह होते हैं,या छोटे बच्चों को केरिंग(carrying) करने की गाड़ियाँ, इनके लिए सडकों में प्रावधान बने होते हैं की आप कहाँ से क्रास कर सकते हैं या एक स्ट्रीट से दूसरी स्ट्रीट में जा सकते हैं.
यहाँ पर सायकिल चलाना आम बात है. सायकिल चलाना यहाँ गरीबी की पहचान नहीं मानी जाती जैसे कि अपने यहाँ होता है. बड़ा से बड़ा आदमी भी सायकिल चलाना पसंद करता है.सायकिल चलाने के कई फायदे हैं.पहला तो सेहत तंदुरस्त रहती है.यूरोपियन लोग स्वास्थ्य के प्रति बेहद कांशस (conscious) होते हैं.प्राय: फूट-पाठ पर लोग दौड़ते हुए दिख जायेंगे.दूसरे,इस तरह आप प्रदूषण कम करने में सहायक होते हैं.सायकिल यहाँ इतनी आम है कि इसके लिए एक अलग से समानांतर रोड (parallel )चलती है.
यहाँ पर गलियां और आवासीय सडकें इंटों की बनी होती है.चूँकि, ईंटों को डिजाइन दिया जा सकता है, इसलिए ये सडकें बड़ी सुन्दर लगती है. गली और सडकों को साफ़ करने की मशीने होती है. चूँकि, यहाँ श्रम बेहद महंगा है इसलिए अधिकतर काम मशीनों द्वारा किया जाता है.
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