ऑल इण्डिया शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन
ऑल इण्डिया शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन एक ऐसा राजनीतिक दल था जो अनुसूचित जाति के लोगों का प्रतिनिधित्व करता था। इसकी स्थापना बाबा साहब डॉ आंबेडकर ने की थी। इसके पहले, डॉ आंबेडकर ने 'इनडिपेंडेंट लेबर पार्टी की स्थापना की थी। तब, वे मजदूरों के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे थे।
आजादी के आंदोलन के दौरान भारतीय राजनीति का परिदृश्य तेजी से बदल रहा था। इस समय, डॉ आंबेडकर दलित जातियों के राजनैतिक अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रहे थे। अब उन्हें ऐसे राजनैतिक मंच की आवश्यकता थी जो दलितों के हितों को देश के भावी संविधान में सुनिश्चित करे। दलित जातियों में अनुसूजित जाति और जन-जातियां आती थी।
मगर, यहाँ एक पेंच था। आदिवासी समुदाय के नेताओं में इतना दम -ख़म नहीं था कि कांग्रेस से अलग हट कर कुछ सोच सके। ठक्कर बापा जैसे लोग, जो गांधीजी के करीबी थे और जो उस समय आदिवासी समाज के सर्व-मान्य नेता के तौर पर जाने जाते थे, कांग्रेस का साथ छोड़ने तैयार नहीं थे। मजबूरन, डॉ आंबेडकर को अपना ध्यान अनुसूचित जन-जातियों को अलग रखते हुए अनुसूचित जातियों पर केंद्रित करना पड़ा था।
ऑल इण्डिया शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन की स्थापना 17-20 जुला 1942 के नागपुर अधिवेशन में हुई थी। मद्रास के दलित नेता राव बहादूर एन शिवराज इसके प्रथम अध्यक्ष और बाम्बे (मुम्बई) के पी एन राजभोज इसके प्रथम महासचिव चुने गए थे। वास्तव में , शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन 'इनडिपेंडेंट लेबर पार्टी' का ही विकसित रूप था जिसकी स्थापना उन्होंने सन 1936 में की थी।
निश्चित रूप में ऑल इण्डिया शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन से देश के तमाम दलित जातियों को देश के भावी संविधान के निर्माण के परिदृश्य में अपनी आवाज पुरजोर तरीके से रखने का मौका मिला था। तब , डॉ आंबेडकर वाइसरॉय के एक्जेक्यूटिव कौंसिल में लेबर मिनिस्टर थे। रॉय बहादूर एन शिवराज और प्यारेलाल कुरील तालिब सेन्ट्रल असेम्बली के मनोनीत सदस्य थे।
मार्च 1946 में जो आम चुनाव हुए थे, में शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन ने अखिल भारतीय स्तर पर विभिन्न प्रान्त असेम्ब्लियों में कुल 51 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। इनकी प्रान्त वार संख्या इस प्रकार थी - मद्रास से 24, बाम्बे से 5, बंगाल से 6, यूपी से 5, सीपी एंड बरार से 11. मगर, इन में से मात्र दो उम्मीदवार जोगेन्द्रनाथ मंडल (बंगाल) और आर पी जाधव (सी पी एंड बरार) से जीत पाए थे।
ब्रिटिश सरकार का केबिनेट मिशन विभिन्न राजनैतिक पार्टियों/ संस्थाओं की राय लेने 24 मार्च 1946 को भारत आया था। केबिनेट मिशन को डा आंबेडकर ने शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन की ओर से मेमोरेंडम सौपा था। मगर, केबिनेट मिशन ने जो प्लान घोषित किया, उस में शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन के उक्त मेमोरेंडम के तारतम्य में कोई बात नहीं थी। केबिनेट मिशन के प्रस्ताव के अनुसार, संविधान सभा के लिए 210 सदस्य सामान्य मतदाताओं के चुनाव से , 78 सदस्य मुस्लिम मतदाताओं के चुनाव से और 4 सदस्य सिख मतदाताओं के चुनाव से चुने जाना था। कांग्रेस और मुस्लिम लीग ने तो केबिनेट मिशन के प्रस्ताव को तो मान लिया था मगर, डॉ आंबेडकर के लिए यह बड़ा आघात था।
केबिनेट मिशन के इस रवैये से नाराज होकर शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन ने पी एन राजभोज के नेतृत्व में 15 जुला 1946 से देश भर में सत्यागृह आरम्भ किया था।
जब पं जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में दिल्ली में अंतरिम सरकार की स्थापना हुई तब, इस अंतरिम सरकार में शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन का एक सदस्य; बंगाल इकाई के जोगेन्द्रनाथ मंडल को लिया गया था।
इसी दौरान, संविधान सभा के लिए शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन की टिकिट पर डॉ आंबेडकर पहले बंगाल से और पार्टीशन के बाद बाम्बे से निर्वाचित हुए थे । डॉ आंबेडकर संविधान ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष बने और बाद में स्वतंत्र भारत के कानून मंत्री बने थे।
सन 1952 में सम्पन्न लोकसभा के आम चुनाव में शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन ने कुल 34 उम्मीदवार खड़े किए थे; बाम्बे से 4, सी पी एंड बरार से 3 , मद्रास से 9, पंजाब से 2, यू पी से 8, हैदराबाद से 4, राजस्थान से 1, दिल्ली से 1,हिमांचल प्रदेश से 1, विन्ध्य प्रदेश से 1. मगर , इन 34 उम्मीदवारों में सिर्फ दो चुने जा सके थे - सोलापुर(महा.) से पी. एन. राजभोज और करीमनगर से एम. आर. कृष्णा। डा आंबेडकर, जो बाम्बे सीट से खड़े हुए थे , चुनाव नहीं जीत पाए। इसके बाद उन्होंने भंडारा (महा.) लोक सभा का उपचुनाव (1954 ) लड़ा किन्तु यहाँ भी वे सफल नहीं हुए थे।
ऑल इण्डिया शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन ने देश के विभिन्न प्रान्तों की असेंबलियों में कुल 215 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, जिसमें 12 ने जीत दर्ज की थी; हैदराबाद से 5, मद्रास से 2, बाम्बे से 1, मैसूर से 2 ,पेप्सू से 1 और हिमांचल प्रदेश से 1.
डा आंबेडकर बाम्बे असेम्बली से राज्य सभा के लिए चुने गए थे। इसी प्रकार शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन के उम्मीदवार जे एच सुब्बिय्हा हैदराबाद से सन 1952 में राज्य सभा के लिए चुने गए थे।
शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन ने सन 1942 -1956 के अवधि में दलितों के प्रश्न पर भारत की राजनीति पर बड़ा गहरा प्रभाव डाला था। इसकी शाखाएं उत्तर से दक्षिण तक पूरे देश में फैली थी। विधायी मसलों पर भी शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन के सदस्यों ने अहम भमिका अदा की थी।
सेन्ट्रल असेम्बली ने शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन के सदस्य प्यारेलाल कुरिल तालिब द्वारा प्रस्तुत सेना में किसी अछूत के आफिसर बनने पर लगे प्रतिबन्ध को ख़त्म करने का बिल पारित किया था।
बाद के दिनों में डा आंबेडकर स्वत: चाहते थे कि शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन को ख़त्म कर रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इण्डिया की स्थापना की जाए ताकि इसमें जाति नहीं, विचारों की मान्यता हो ।
धर्मांतरण के बाद दलित जातियों और धर्मान्तरित बौद्धों की राजनैतिक आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए बाबासाहब अम्बेडकर शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन को भंग कर इसका विस्तार करते हुए 'अखिल भारतीय रिपब्लिकन पार्टी' का गठन करना चाहते थे ताकि इस राजनैतिक पार्टी में जाति और धर्म के परे लोगों का प्रतिनिधित्व हों।किन्तु बाबासाहब के महापरिनिर्वाण के बाद निकट आम चुनावों को देखते हुए शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन के अध्यक्ष-मंडल ने तुरंत इसे भंग न कर इसी संगठन के बैनर तले 1957 के लोकसभा चुनाव लड़ने का निर्णय लिया।
1957 के लोकसभा चुनाव में शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन के महाराष्ट्र से 6 उम्मीदवार चुन कर आए थे। इसके अलावा कर्नाटक, मद्रास और गुजरात राज्य से भी 1 -1 उम्मीदवार चुन कर आए थे। चुने गए उम्मीदवारों के नाम थे - नासिक से दादासाहेब गायकवाड़, मध्य मुंबई से जी. के. माने, खेड़ से बी. डी. साळुंखे, मुंबई से एडव्होकेट बी. सी. काम्बले, कोल्हापुर से एस. के. दीघे, नांदेड़ से हरिहरराव सोनुले, चिकोडी (मैसूर ) से दत्ता आप्पा कट्टी, गुजरात से के. यू. परमार और मद्रास से एन. शिवराज(धम्म चक्र प्रवर्तन के बाद परिवर्तन : डा प्रदीप आगलावे )।
ऑल इण्डिया शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन एक ऐसा राजनीतिक दल था जो अनुसूचित जाति के लोगों का प्रतिनिधित्व करता था। इसकी स्थापना बाबा साहब डॉ आंबेडकर ने की थी। इसके पहले, डॉ आंबेडकर ने 'इनडिपेंडेंट लेबर पार्टी की स्थापना की थी। तब, वे मजदूरों के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे थे।
आजादी के आंदोलन के दौरान भारतीय राजनीति का परिदृश्य तेजी से बदल रहा था। इस समय, डॉ आंबेडकर दलित जातियों के राजनैतिक अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रहे थे। अब उन्हें ऐसे राजनैतिक मंच की आवश्यकता थी जो दलितों के हितों को देश के भावी संविधान में सुनिश्चित करे। दलित जातियों में अनुसूजित जाति और जन-जातियां आती थी।
मगर, यहाँ एक पेंच था। आदिवासी समुदाय के नेताओं में इतना दम -ख़म नहीं था कि कांग्रेस से अलग हट कर कुछ सोच सके। ठक्कर बापा जैसे लोग, जो गांधीजी के करीबी थे और जो उस समय आदिवासी समाज के सर्व-मान्य नेता के तौर पर जाने जाते थे, कांग्रेस का साथ छोड़ने तैयार नहीं थे। मजबूरन, डॉ आंबेडकर को अपना ध्यान अनुसूचित जन-जातियों को अलग रखते हुए अनुसूचित जातियों पर केंद्रित करना पड़ा था।
निश्चित रूप में ऑल इण्डिया शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन से देश के तमाम दलित जातियों को देश के भावी संविधान के निर्माण के परिदृश्य में अपनी आवाज पुरजोर तरीके से रखने का मौका मिला था। तब , डॉ आंबेडकर वाइसरॉय के एक्जेक्यूटिव कौंसिल में लेबर मिनिस्टर थे। रॉय बहादूर एन शिवराज और प्यारेलाल कुरील तालिब सेन्ट्रल असेम्बली के मनोनीत सदस्य थे।
मार्च 1946 में जो आम चुनाव हुए थे, में शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन ने अखिल भारतीय स्तर पर विभिन्न प्रान्त असेम्ब्लियों में कुल 51 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। इनकी प्रान्त वार संख्या इस प्रकार थी - मद्रास से 24, बाम्बे से 5, बंगाल से 6, यूपी से 5, सीपी एंड बरार से 11. मगर, इन में से मात्र दो उम्मीदवार जोगेन्द्रनाथ मंडल (बंगाल) और आर पी जाधव (सी पी एंड बरार) से जीत पाए थे।
ब्रिटिश सरकार का केबिनेट मिशन विभिन्न राजनैतिक पार्टियों/ संस्थाओं की राय लेने 24 मार्च 1946 को भारत आया था। केबिनेट मिशन को डा आंबेडकर ने शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन की ओर से मेमोरेंडम सौपा था। मगर, केबिनेट मिशन ने जो प्लान घोषित किया, उस में शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन के उक्त मेमोरेंडम के तारतम्य में कोई बात नहीं थी। केबिनेट मिशन के प्रस्ताव के अनुसार, संविधान सभा के लिए 210 सदस्य सामान्य मतदाताओं के चुनाव से , 78 सदस्य मुस्लिम मतदाताओं के चुनाव से और 4 सदस्य सिख मतदाताओं के चुनाव से चुने जाना था। कांग्रेस और मुस्लिम लीग ने तो केबिनेट मिशन के प्रस्ताव को तो मान लिया था मगर, डॉ आंबेडकर के लिए यह बड़ा आघात था।
केबिनेट मिशन के इस रवैये से नाराज होकर शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन ने पी एन राजभोज के नेतृत्व में 15 जुला 1946 से देश भर में सत्यागृह आरम्भ किया था।
जब पं जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में दिल्ली में अंतरिम सरकार की स्थापना हुई तब, इस अंतरिम सरकार में शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन का एक सदस्य; बंगाल इकाई के जोगेन्द्रनाथ मंडल को लिया गया था।
इसी दौरान, संविधान सभा के लिए शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन की टिकिट पर डॉ आंबेडकर पहले बंगाल से और पार्टीशन के बाद बाम्बे से निर्वाचित हुए थे । डॉ आंबेडकर संविधान ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष बने और बाद में स्वतंत्र भारत के कानून मंत्री बने थे।
सन 1952 में सम्पन्न लोकसभा के आम चुनाव में शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन ने कुल 34 उम्मीदवार खड़े किए थे; बाम्बे से 4, सी पी एंड बरार से 3 , मद्रास से 9, पंजाब से 2, यू पी से 8, हैदराबाद से 4, राजस्थान से 1, दिल्ली से 1,हिमांचल प्रदेश से 1, विन्ध्य प्रदेश से 1. मगर , इन 34 उम्मीदवारों में सिर्फ दो चुने जा सके थे - सोलापुर(महा.) से पी. एन. राजभोज और करीमनगर से एम. आर. कृष्णा। डा आंबेडकर, जो बाम्बे सीट से खड़े हुए थे , चुनाव नहीं जीत पाए। इसके बाद उन्होंने भंडारा (महा.) लोक सभा का उपचुनाव (1954 ) लड़ा किन्तु यहाँ भी वे सफल नहीं हुए थे।
ऑल इण्डिया शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन ने देश के विभिन्न प्रान्तों की असेंबलियों में कुल 215 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, जिसमें 12 ने जीत दर्ज की थी; हैदराबाद से 5, मद्रास से 2, बाम्बे से 1, मैसूर से 2 ,पेप्सू से 1 और हिमांचल प्रदेश से 1.
डा आंबेडकर बाम्बे असेम्बली से राज्य सभा के लिए चुने गए थे। इसी प्रकार शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन के उम्मीदवार जे एच सुब्बिय्हा हैदराबाद से सन 1952 में राज्य सभा के लिए चुने गए थे।
शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन ने सन 1942 -1956 के अवधि में दलितों के प्रश्न पर भारत की राजनीति पर बड़ा गहरा प्रभाव डाला था। इसकी शाखाएं उत्तर से दक्षिण तक पूरे देश में फैली थी। विधायी मसलों पर भी शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन के सदस्यों ने अहम भमिका अदा की थी।
सेन्ट्रल असेम्बली ने शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन के सदस्य प्यारेलाल कुरिल तालिब द्वारा प्रस्तुत सेना में किसी अछूत के आफिसर बनने पर लगे प्रतिबन्ध को ख़त्म करने का बिल पारित किया था।
बाद के दिनों में डा आंबेडकर स्वत: चाहते थे कि शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन को ख़त्म कर रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इण्डिया की स्थापना की जाए ताकि इसमें जाति नहीं, विचारों की मान्यता हो ।
धर्मांतरण के बाद दलित जातियों और धर्मान्तरित बौद्धों की राजनैतिक आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए बाबासाहब अम्बेडकर शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन को भंग कर इसका विस्तार करते हुए 'अखिल भारतीय रिपब्लिकन पार्टी' का गठन करना चाहते थे ताकि इस राजनैतिक पार्टी में जाति और धर्म के परे लोगों का प्रतिनिधित्व हों।किन्तु बाबासाहब के महापरिनिर्वाण के बाद निकट आम चुनावों को देखते हुए शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन के अध्यक्ष-मंडल ने तुरंत इसे भंग न कर इसी संगठन के बैनर तले 1957 के लोकसभा चुनाव लड़ने का निर्णय लिया।
1957 के लोकसभा चुनाव में शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन के महाराष्ट्र से 6 उम्मीदवार चुन कर आए थे। इसके अलावा कर्नाटक, मद्रास और गुजरात राज्य से भी 1 -1 उम्मीदवार चुन कर आए थे। चुने गए उम्मीदवारों के नाम थे - नासिक से दादासाहेब गायकवाड़, मध्य मुंबई से जी. के. माने, खेड़ से बी. डी. साळुंखे, मुंबई से एडव्होकेट बी. सी. काम्बले, कोल्हापुर से एस. के. दीघे, नांदेड़ से हरिहरराव सोनुले, चिकोडी (मैसूर ) से दत्ता आप्पा कट्टी, गुजरात से के. यू. परमार और मद्रास से एन. शिवराज(धम्म चक्र प्रवर्तन के बाद परिवर्तन : डा प्रदीप आगलावे )।
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