Friday, October 20, 2017

वासेट्ठ-सुत्त

‘‘कथं बाह्मणो होति?’’ -भारद्वाज माणवो वासेट्ठ माणवं  पुच्छि।
‘‘बाहमण कैसे(कथं) होता है?’’ -भारद्वाज माणवक ने वासेट्ठ माणवक से पूछा।
‘‘मातितो च पितितो च जातिवादेन बाह्मणो होती"ति भारद्वाज माणवो एवं आह।
‘‘माता-पिता के रक्त-संबंध से(जातिवादेन) ‘बाहमण’ पैदा होता है।’’ -भारद्वाज माणवक ने यह कहा(एवं आह)।
‘‘यतो सीलवा च वत-सम्पन्नो होति, एतावत्ता सो बाह्मणो होति’’ति वासेट्ठ माणवो पटि-आह।
‘‘जो सीलवन्त और व्रत-सम्पन्न होता है, वह ‘बाहमण’ होता है।’’ -वासेट्ठ माणवक ने कहा।
अथ खो वासेट्ठो माणवो भारद्वाज माणवं आमन्तेसि- ‘गोतमो साक्य पुत्तो सक्यकुला पब्बजितो इच्छानंगले विहरति।  आयात भो भारद्वाज, समणं गोतमं एतं अत्थं पुच्छिस्साम। यथा समणो गोतमो ब्याकरिस्सति, तथा धारेस्साम।’
तब, वासेट्ठ माणवक ने भारद्वाज माणवक को आमंत्रित किया- ‘श्रमण गौतम साक्य-पुत्र, साक्य-कुल में प्रव्रजित इच्छानंगल उपवन में विहार कर रहे हैं। आओ(आयात) भारद्वाज, श्रमण गौतम से इसका(एतं) अर्थ(अत्थं) पूछेंगे(पुच्छिस्साम)। जैसा(यथा) श्रमण गौतम याख्या करेंगे(व्याकरिस्सति), वैसा धारण कर लेंगे।’
अथ खो वासेट्ठ-भारद्वाज माणवा येन भगवा तेनुपसंकमिंसु। उपसंकमित्वा भगवता सद्धिं सम्मोदनीयं कथं साराणीयं वीतिसारेत्वा एकमन्त निसीदिंसु।
तब, वासेट्ठ-भारद्वाज माणवक जहां(येन) भगवान थे, गए(तेनुपसंकमिंसु)। पास जाकर(उपसंकमित्वा) भगवान के साथ कुसल-क्षेम पूछा(सम्मोदनीयं कथं साराणीयं) और पूछकर(वीतिसारेत्वा) एक ओर(एकमन्तं) बैठ गए(निसीदिंसु)।
एकमन्त निसिन्नो खो वासेट्ठो माणवो भगवन्तं गाथाय अज्झभासि-
‘‘एक ओर बैठे वासेट्ठ माणवक ने गाथा में कहा-
‘‘जातिवादस्मिं, विवादो अत्थि गोतम।
जातिया बाहमणो होति, उदाहु भवति कम्मना?’’
जन्म के संबंध में(जातिवादस्मिं) विवाद है(अत्थि), गौतम। बाहमण, जन्म से होता है अथवा(उदाहु) कर्म से?
भगवा-
‘‘न जच्चा बाह्मणो होति, न जच्चा होति अबाह्मणो।
कम्मना बाह्मणो होति, कम्मना होति अबाह्मणो।।’’
भगवान-
न जन्म से(जच्चा) बाहमण होता है, न जन्म से अबाहमण होता है। अपितु, कर्म से बाहमण होता है और कर्म से ही अबाहमण होता है।
अभिक्कन्तं भो गोतम! एते मयं भगवन्तं गोतमं सरणं गच्छाम, धम्मं च भिक्खु संघं सरणं गच्छाम।
धन्य(अभिकन्तं) है, गौतम! हम भगवान गौतम की सरण जाते हैं, धम्म और भिक्खु-संघ की सरण जाते हैं(वासेट्ठसुत्त :महावग्गः सुत्तनिपात)। प्रस्तुति- अ. ला. ऊके 

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