Tuesday, June 30, 2020

Pali learning lesson Jul.. 2020)

धम्म बंधुओं,  'आओ पालि सीखें' वाट्स-एप ग्रुप के द्वारा आपको घर बैठे, आपके समय/सुविधानुसार पालि भाषा सीखाने का प्रयास किया जाता है।
प्रत्येक दिन करीब 9.00 बजे वाट्सएप ग्रुप पर पढाया जाने वाला पाठ/अभ्यास  पोस्ट किया जाता है और 16.00 से 16.40 तक नए अभ्यर्थियों की तथा 16.40 से 17.30 के मध्य सीनियर अभ्यर्थियों की आन-लाइन क्लास ली जाती है। इच्छुक  उपासक/उपासिका इस ग्रुप में शामिल होकर नि:शुल्क पालि भाषा सीख सकते हैं।  -Contact No.  09630826117

01. 07. 2020
अज्ज पाठो
कनिट्ठ च जेट्ठ  माणवकानं
(3.) वत्तमान कालो: अञ्ञो(पठमो) पुरिसो
1. लिखति- लिखता है। सो लिखति। ते लिखन्ति।
वह लिखता है। वे लिखते हैं।

इसी प्रकार वाक्य बनाईये-
57. जीवति-  जीता है। .................................।............................।
58. पालेति- पालता है। .................................।............................।
59. सन्तप्पति- सन्तापित होता है। .......................।.......................।
60. तोलेति- तौलता है। ................................।.............................।
61. दण्डेति- दण्डित करता है। ..........................।..........................।
62. पवहति- बहता है।  ...............................।.............................।
63. निसीदति- बैठता है। ...............................।.............................।
64. उपदिसति- उपदेश करता है। .........................।.......................।
65. उच्चारेति- उच्चारण करता है। ......................।........................।
66. नमक्करोति- नमस्कार करता है। .......................।....................।
67. पाठेति- पढाता है। ............................।.................................।
68. आचरेति- आचरण करता है। .................।..............................।
69. दस्सेति- दिखाता है। .........................।.................................।
70. वित्थारेति- विस्तारित करता है। ...............।............................।
71. पतति- गिरता है। .......................।......................................।
72. सरति- स्मरण/याद करता है। ...............।..............................।
73. पेसेति- भेजता है। ..................................।...........................।
74. फुसति- स्पर्श करता है। ...................।.................................।
75. पसंसति- प्रशंसा करता है। .......................।............................।
76. जालेति- जलाता है। ...............................।............................।
77. निब्बापेति- बुझाता है। ..........................।...............................।
78. सिब्बति- सीलाई करता है। ........................।...........................।
79. होति/भवति- होता है। .........................।.................................।
80. अत्थि/वत्तति- है। ..............................।.................................।
81. गण्हाति- ग्रहण करता है। ..........................।...............  .........।
82. जानाति- जानता है। .............................।................................।
83. सक्कोति/अरहति- सकता है। ...............।.................................।
84. फलति- फलता है। ...................।.........................................।
सो होति।  ते होन्ति।
सो अत्थि।  ते सन्ति। 
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02. 07. 2020
कनिट्ठ एवं जेट्ठ  माणवकानं
अज्ज पाठो
संख्या(1-50)
1. एकं 2. द्वे
3. तीणि 4. चत्तारि
5. पंच 6. छह
7. सत्त 8. अट्ठ
9. नव 10. दस

11. एकादस 12. द्वादस/बारस
13. तेरस/तेळस  14. चतुद्दस
15. पंचदस/पण्णरस 16. सोळस
17. सत्तदस 18. अट्ठदस
19 एकूनवीसति 20. वीसति

21. एकवीसति 22. बावीसति
23. तेवीसति 24. चतुवीसति
25. पंचवीसति 26. छब्बीसति
27. सत्तवीसति 28. अट्ठवीसति
29. एकूनत्तिंसति 30. त्तिंसति

31. एकत्तिंसति 32. बत्तिंसति
33. तेत्तिंसति 34. चतुत्तिंसति
35. पंचत्तिंसति 36. छहत्तिंसति
37. सत्तत्तिंसति 38.अट्ठत्तिंसति
39. एकूनचत्तालिसति 40. चत्तालिसति/चत्ताळीसति
 
41. एकचत्तालिसति 42. द्वेचत्तालिसति
43. तिचत्तालिसति 45. चतुचत्तालिसति
45. पंचचत्तालिसति 46. छहचत्तालिसति
47. सत्तचत्तालिसति 48. अट्ठचत्तालिसति
49. एकूनपञ्चासा 50 पञ्चासा

एकं च एकं योगं द्वे होति।
तीणि च चत्तारि योगं सत्तं होति।
पञ्च च अट्ठं योगं तेळस होति।
एकादसं च बाविसति योगं तेत्तिंसति होति।

एकं गुणितं एकं, एकं होति।
तीणि गुणितं पञ्च पञ्चदसं होति।
सत्तं गुणितं अट्ठं छह पञ्चासा होति।
छह गुणित छह छहत्तिंसति।

पञ्च उन तीणि द्वे सेसेति/अवसेसति।
बारस उन छह, छह होति/सेसेति।
पञ्चविसति उन पञ्च, विसति होति/सेसेति
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03. 06. 2020
कनिट्ठ माणवकानं
पालि किय सरला भासा!
वत्तमान(पचुपन्न) कालोः परस्सपद
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उत्तम पुरिसो अहं पठामि। अम्हे पठाम।
(मैं पढ़ता हूँ) (हम पढ़ते हैं)
मज्झिम पुरिसो  त्वं पठसि। तुम्हे पठथ।
(तुम पढ़ते हो) (तुम लोग पढ़ते हों)
पठम पुरिसो   सो पठति। ते पठन्ति।
(वह पढ़ता है) (वे पढ़ते हैं)।

वाक्यानि पयोगा-
1. विसाखा बुद्धविहारं गच्छति।
विसाखा बुद्धविहार जाती है।
2. मातु भोजनं पचति।
माता भोजन पकाती है।
3. कम्मकरो सीसेन भारं वाहेति।
कर्मकार सीर से भार वहन करता है।
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जेट्ठ माणवकानं
‘तुं’ निमित्तार्थक किरिया-प्रत्यय
पालि में किरिया के साथ ‘तुं’ प्रत्यय का प्रयोग ‘के लिए’ के अर्थ हेतु किया जाता है।
1. बालिका पाठसालं गन्तुं इच्छति।
2. बालका कीळितुं कीळांगणं गच्छन्ति।
3. अहं अम्बु-फलं खादतुं इच्छामि।
4. भवं किं कातुं इच्छति?
5. भरिया मातु-घरं गन्तुं इच्छति।
6. सिस्सा पालि भासा लिखितुं जानन्ति।
7. सो नहायितुं तळाकं गच्छति।
8. खेत्तं रुन्धितुं गच्छ आनेहि।
9. पथिको गामं गन्तुं मग्गं न जानाति।
10. राहुलो तिपिटकं पठितुं आचरियस्स सन्तिके गच्छति।

 गन्तुं(गच्छति)- जाने के लिए।
कीळितुं(कीळति)- खेलने के लिए।
कातुं(करोति)- करने के लिए। सन्तिके- नजदीक
गच्छ- रुन्धने की घास। आनेहि- लाओ।
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04. 07. 2020
कनिट्ठ माणवकानं
वत्तमान(पचुपन्न) कालोः परस्सपद
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उत्तम पुरिसो अहं पठामि। अम्हे पठाम।
(मैं पढ़ता हूँ) (हम पढ़ते हैं)
मज्झिम पुरिसो  त्वं पठसि। तुम्हे पठथ।
(तुम पढ़ते हो) (तुम लोग पढ़ते हों)
पठम पुरिसो सो पठति। ते पठन्ति।
(वह पढ़ता है) (वे पढ़ते हैं)।

वाक्यानि पयोगा
एकवचन अनेक/बहु वचन
1. अहं बुद्धं सरणं गच्छामि। मयं बुद्धं सरणं गच्छाम।
2. बालको बुद्धं वन्दति। बालका बुद्धं वन्दन्ति।
3. अहं रथेन गच्छामि। मयं रथेन गच्छाम।
4. अहं जलं पिबामि। मयं जलं पिबाम।
5. त्वं रथेन गच्छसि। तुम्हे रथेन गच्छथ।
6. त्वं दण्डेन सुनखं पहरसि। तुम्हे दण्डेहि सुनखे पहरथ।
7. सुदो घटे धोवति। सुदा घटे धोवन्ति।
8. सकुणो रुक्खे वसति। सकुणा रुक्खेसु वसन्ति।

4. वर्तमानकाल की दी गई क्रियाओं में से रिक्त स्थान भरिए ?
(गच्छामि/पिबामि/गच्छाम/वन्दति)
अहं बुद्धं सरणं ...........।
बालको बुद्धं ..............।
मयं रथेन ..................।
अहं जलं ..................।
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जेट्ठ माणवकानं
‘तुं’ निमित्तार्थक किरिया-प्रत्यय
पालि में किरिया के साथ ‘तुं’ प्रत्यय का प्रयोग ‘के लिए’ के अर्थ हेतु किया जाता है।
वाक्यानि पयोगा-
सो अत्तनो धीतरं विवाह इदानि संवच्छरे कातुं न इच्छति।
अहं अत्तनो धीतरं भवं पुत्तस्स दातुं इच्छामि।
अहं भरियाय सद्धिं पाठसालं गन्तुं इच्छामि।
कुहिं त्वं भरियाय सद्धिं गन्तुं गच्छसि?
सिस्सा इदानि पालि भासाय लेखनानि लिक्खितुं जानन्ति।
नरा भारियानं दातुं आपनेहि वत्थानि कीणान्ति।
दारिका घरं गन्तुं मग्गं न जानाति।
गिलाना घरानि गन्तुं ओसधसालाय निक्खिमन्ति।
भारिये, कुहिं त्वं गन्तुं इच्छसि?
भारिया दारिकानं दातुं ओदनं पचति।
दारिकायो उग्गण्हितुं पाठसालं गच्छन्ति।
ते गंगाय कीळितुं इच्छन्ति।
कञ्ञायो आहरं भुञ्जितुं सालायं निसिदन्ति।
खेत्त रुन्धितुं गच्छं (गाछ/पौधा) आनेहि।
सो नहायितुं नदिं गच्छति।
अजाय खीरं पातुं बालको इच्छति।
अहं तिपिटकं पठितुं आचरियस्स सन्तिके गच्छामि।
धम्मं सोतुं अम्हे गच्छाम।
मम भरिया अज्झेतुं विज्झालयं गच्छति।
सो अत्तनो आहरं पचितुं तण्डुलं याचति।
किञ्चि ‘पि कातुं सो न जानाति।
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05. 07. 2020
अज्ज पाठो
कनिट्ठ माणवकानं
वत्तमान(पचुपन्न) कालोः परस्सपद
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उत्तम पुरिस अहं पठामि। अम्हे पठाम।
(मैं पढ़ता हूँ) (हम पढ़ते हैं)
मज्झिम पुरुस  त्वं पठसि। तुम्हे पठथ।
(तुम पढ़ते हो) (तुम लोग पढ़ते हों)
पठम पुरिस    सो पठति। ते पठन्ति।
(वह पढ़ता है) (वे पढ़ते हैं)।

वाक्यानि पयोगा
एकवचन   अनेक/बहु वचन
1. अहं बुद्धं सरणं गच्छामि। मयं बुद्धं सरणं गच्छाम।
2. बालको बुद्धं वन्दति।  बालका बुद्धं वन्दन्ति।
3. अहं रथेन गच्छामि। मयं रथेन गच्छाम।
4. अहं जलं पिबामि। मयं जलं पिबाम।
5. त्वं रथेन गच्छसि। तुम्हे रथेन गच्छथ।
6. त्वं दण्डेन सुनखं पहरसि। तुम्हे दण्डेहि सुनखे पहरथ।
7. सुदो घटे धोवति। सुदा घटे धोवन्ति।
8. सकुणो रुक्खे वसति। सकुणा रुक्खेसु वसन्ति।

जेट्ठ माणवकानं
‘तुं’ निमित्तार्थक किरिया-प्रत्यय
पालि में किरिया के साथ ‘तुं’ प्रत्यय का प्रयोग ‘के लिए’ के अर्थ हेतु किया जाता है।
1. लिखति- लिखता है।
अहं लिखितुं वायामो करोमि। मयं लिखितुं वायामो करोम।
मैं लिखने के लिए प्रयास करता हूँ। हम लिखने के लिए प्रयास करते हैं।
इसी प्रकार वाक्य बनाईये-
2. धावति- दौड़ता है। .................................।.................................।
3. चलति- चलता है। .................................।.................................।
4. पठति- पढ़ता है। ...................................।.................................।
5. खेलति- खेलता है। ................................।.................................।
6. नमति- नमन करता है। ..........................।.................................।
7. पस्सति- देखता है।  ...............................।.................................।
8. निसीदति- बैठता है। ...............................।.................................।
9. उट्ठहति- उठता है। ...............................।.................................।
10. विहरति- विहार करता है। ......................।................................।
11. नहायति- नहाता है। ..............................।.................................।
12. इच्छति- इच्छा करता है। ........................।.................................।
13. चजति- त्याग करता है। .........................।.................................।
14. देति- देता है। .......................................।.................................।
15. खादति- खाता है। ..................................।.................................।
16. याचति- याचना करता है। .......................।.................................।
17. नच्चति- नाचता है। ................................।.................................।
18. धोवति- धोता है। ..................................।.................................।
19. सुणोति- सुनता है। ................................।.................................।
20. निन्दति- निन्दा करता है। .......................।.................................।
21. गायति- गाता है। ..................................।.................................।
22. पिबति- पीता है। ..................................।.................................।
23. सयति- सयन करता है। ........................।.................................।
24. रक्खति- रक्षा करता है। .........................।.................................।
25. खिप्पति- फेंकता है। ..............................।.................................।
26. सेवति- सेवा करता है। ..........................।.................................।
27. कम्पति- काम्पता है। .............................।.................................।
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06. 07. 2020
अज्ज पाठो
कनिट्ठ च जेट्ठ माणवकानं
वर्ण परिचय
बुद्धकाल में हुए भदन्त कच्चायन ने पालि भाषा का व्याकरण तैयार किया था। उन्होंने उसमें  8 स्वर और 33 वर्ण मिलाकर 41 वर्ण माने थे।
भदन्त कच्चायन के अनन्तर भदन्त मोग्गलायन ने अपने व्याकरण में ‘ऐ’ और ‘औ’ को मिलाकर 10 स्वर और 33 व्यंजन माने।
किन्तु वर्तमान में कच्चायन व्याकरण ही मान्य है, जिसमें 8 स्वर और 33 व्यंजन होते हैं-

स्वर
अ  आ,  इ  ई,  उ  ऊ,  ए ऐ,  ओ औ
एक जोडी को एक सवर्ण कहा गया है।
यथा- अ  आ,  इ  ई,  उ  ऊ,  ए ऐ,  ओ औ

व्यंजन

 च झ ञ
 ट
 त
 प
 य
 स अं.

1. पांच-पांच वर्ण के पांच वर्ग होते हैं, जैसे क वर्ग, च वर्ग, ट वर्ग, त
वर्ग, प वर्ग। क वर्ग में क ख ग घ ड ये पांच वर्ण आते हैं, इस प्रकार
33 वर्ण हैं। प्रत्येक वर्ग का पांचवां वर्ण ‘अनुनासिक’ होता है।
2. पालि में अं( ं ) को निग्गहित(अनुस्वार) कहते है। इसे व्यंजन माना जाता है। इसका उच्चारण ‘अं ’ और ग को मिलाकर किया जाता है। जैसे,  बुद्धं = बुद्ध+अं।
3. ङ और अं के उच्चारण में कोई अन्तर नहीं होता। ‘ङ’ कभी भी शब्द के अन्त में नहीं आता है, बल्कि उसके साथ सदैव उसी वर्ग का कोई व्यंजन रहता है।
4. ख, घ, छ, झ, ठ, ढ, थ, ध, फ, भ का उच्चारण ‘ह’ ध्वनि के साथ किया जाता है।
5.  पालि भाषा में विसर्ग(: ) और हलन्त( ् ) का प्रयोग नहीं होता है। सभी शब्द स्वरान्त होते हैं।

6. पालि में ‘ऋ’ वर्ण नहीं होता। इसके स्थान पर अ, इ, उ  वर्ण प्रयोग होते हैं। यथा-
गृह - गहं। नृत्यं- नच्चं। कृत- कतं।
धृत- धतं। नृत्य- नच्चं। यहां ‘अ’ का उच्चारण होता है।
कृत्य- किच्चं। दृष्ट- दिट्ठ। ऋण- इणं। यहां ‘ऋ’ का ‘इ’ हुआ।
ऋषि - इसि। यहां ऋ’ का ‘इ’ और ‘षि’ का ‘सि’ हुआ।
ऋतु- उतु। ऋषभ- उसभ।  वृष्टि- वुट्ठि। यहां ‘ऋ’ का ‘उ’ हुआ।
7. पालि में मूर्धन्य ‘ष’ तथा तालव्य ‘श’ नहीं होते हैं। इन दोनों के स्थान पर दन्त्य ‘स’ का प्रयोग होता है। यथा-
यश- यस। शिष्य- सिस्स आदि।
8. हिन्दी का क्ष पालि में ‘क्ख’  हो जाता है। यथा-  शिक्षा- सिक्खा आदि।
9. इसी प्रकार ‘ऐ’ और ‘औ’ पालि में ए और ओ हो जाता है। यथा-
ऐरावण- एरावण।
वैमानिक- वेमानिक। वैयाकरण- वेयाकरण।
कभी.कभी ‘ऐ’ का ‘इ’ अथवा ‘ई’ हो जाता है। यथा-
गैवेयं- गीवेय्यं।                             सैन्धव- सिन्धवं।
औदरिक- ओदरिक। दौवारिक- दोवारिक।
कभी.कभी ‘औ’ का अथवा ‘उ’ हो जाता है। यथा-
मौत्त्किक- मुत्तिक। औद्धत्य- उद्धच्च।
यहां ‘मौ’ का मु(म + उ ) और ‘औ’ का उ(अ + उ ) हुआ।
10. पालि में ‘ल’ और मराठी के समान ‘ळ’ भी होता है।
11. पालि में  ‘र’ वाला रेफ और संयुक्त ‘र’ का लोप हो जाता है। यथा-
कर्म- कम्म। निर्जल- निज्जल।
सर्व- सब्ब। वर्ग- वग्ग।
तर्हि- तरहि। एतर्हि- एतरहि।
आर्य- अरिय। सूर्य- सुरिय।
भार्या- भरिया। पर्यादान- परियादान।
तिर्थ- तित्थ। धार्मिक- धम्मिक।
संयुक्त ‘र’ का लोप-
क्रीत- कीत। प्रेत- पेत।
ग्राम- गाम। प्रक्रम- पक्कम।
त्रिपिटक- ति-पिटक।  स्रावक- सावक।
सूत्रा- सुत्त। समुद्र- समुद्द।
समग्र- समग्ग। आदि
11. पालि में ‘ष्ट’ या  ‘ष्ठ’ के स्थान पर ‘ट्ठ’,  तथा ‘स्त’ के स्थान पर ‘थ’, ‘त्थ’ अथवा  ‘त्त’ हो जाता है। यथा- 
तुष्ट- तुट्ठ। षष्ठ- छट्ठ।
स्तम्भ- थम्भ। हस्ती- हत्थी। दुस्तर- दुत्तरं।
12. निम्न परिवर्तन भी दृष्टव्य है-
स्थूल- थूलो। स्थान- ठानं। अस्थि- अटि। मस्त्य- मच्छो।
उल्का- उक्का। फल्गु- फग्गु। ग्लान- गिलानो।
क्लेश- किलेसो। ज्वलति- जलति।
पक्वं- पक्कं। अध्दा- अद्धा।  ह्रस्व- रस्सो। स्कन्ध- खन्धो।
निष्क्रम- निक्खम्मो। पश्चात- पच्छा।
स्पृशति- फुसति। पुष्पं- पुप्फं। देय- देय्यं। श्रेय- सेय्यो।
सप्त- सत्तं। लवण- लोणं। स्नेह- सनेहो।
चन्द्रमा- चन्दिमा। गुरु- गरु। पुरुष- पुरिस। कील- खीलो।
प्रसेनजित- पसेनदि। प्रति- पटि। प्रत्यय- पच्चय।
प्रज्ञा- पञ्ञा। संज्ञा- संञ्ञा। ज्ञाति-  ञाति। ज्ञान-  ञाणं।
धान्य- धञ्ञं । सून्य- सुञ्ञं  । हीरण्य- हिरञ्ञं।
पृथ्वी- पठवी। दहति- डहति आदि।
12. संयुक्त व्यंजनों को लिखते समय पहले उच्चारित व्यंजन को ऊपर और बाद में उच्चारित व्यंजन को नीचे लिखा जाता है।
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07. 07. 2020
अज्ज पाठो
कनिट्ठ च जेट्ठ माणवकानं
पूर्वकालिक किरिया रूप
'कर' अथवा 'करके' के अर्थ में किरिया में 'त्वा' प्रत्यय लगाया जाता है। यथा -
करोति- करता है। करित्वा(कर)
धावति- दौड़ता है। धावित्वा(दौड कर)
खादति- खाता है। खादित्वा(खा कर)

इसी प्रकार निम्न किरिया शब्दों में 'त्वा' प्रत्यय लगा कर छोटे-छोटे वाक्य बनाईये-
2. धावति- दौड़ता है। .................................।
3. चलति- चलता है। .................................।
4. पठति- पढ़ता है। ...................................।
5. खेलति- खेलता है। .................................।
6. नमति- नमन करता है। ..........................।
7. पस्सति- देखता है।  ...............................।
8. निसीदति- बैठता है। ...............................।
9. उट्ठहति- उठता है। ................................।
10. विहरति- विहार करता है। ......................।
11. नहायति- नहाता है। ..............................।
12. इच्छति- इच्छा करता है। ........................।
13. चजति- त्याग करता है। .........................।
14. देति- देता है। .........................................।
15. खादति- खाता है। ..................................।
16. याचति- याचना करता है। .......................।
17. नच्चति- नाचता है। ................................।
18. धोवति- धोता है। ....................................।
19. सुणोति- सुनता है। ..................................।
20. निन्दति- निन्दा करता है। .......................।
21. गायति- गाता है। ....................................।
22. पिबति- पीता है। ....................................।
23. सयति- सयन करता है। ..........................।
24. रक्खति- रक्षा करता है। ..........................।
25. खिप्पति- फेंकता है। ...............................।
26. सेवति- सेवा करता है। ............................।
27. कम्पति- काम्पता है। .............................।
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08. 07. 2020
अज्ज पाठो
कनिट्ठ च जेट्ठ माणवकानं
'त्वा' प्रत्यय
(भूतकालिक निपात/पूर्वकालिक किरिया)
‘कर’ या ‘करके’ के अर्थ के लिए धातु में 'त्वा'  प्रत्यय जोड़ा जाता है।
'त्वा'  प्रत्यय लगने के पूर्व धातु के आगे बहुधा 'इ'  लग जाता है।
यथा-
पच-त्वा(पचित्वा)- पका कर।
गमु-त्वा(गन्त्वा)- जा कर।
ठा-त्वा(ठत्वा)- खड़ा होकर।
निसीदित्वा- बैठ कर।
कीळित्वा- खेलकर।
पा-त्वा(पित्वा)/पिबित्वा।

कभी-कभी  ‘त्वा’ के स्थान पर ‘त्वान’ या ‘तून’ प्रत्यय जोड़े जाते हैं-
कत्वा/करित्वा/कत्वान/कातून- करके।
सुत्वा/सुत्वान/सोतून- सुन कर
पा-त्वा(पित्वा)/पिबित्वा/पिबित्वान/पिबितून- पी कर; आदि।

कभी कभी इस प्रकार के प्रयोग देखने मिलते हैं-
आ-गमु-त्वा(आगत्वा)/आगम्म-आ कर।
सक्करित्वा/सक्कच्च- सत्कार करके।
समेत्वा/समेच्च- मिलकर

वाक्यानि पयोगा-
सो मग्गे धावित्वा विहारं गच्छति।
तथागतो अनुकम्पं कत्वा धम्मं देसेति।
माणवा पातोव पबुज्झित्वा पोत्थके वाचन्ति।
धम्मं सुत्वा गहपतीनं बुद्धे सद्धा उप्पज्जति।
भिक्खु तस्स उपकारं सरित्वा पब्बाजेति।
सुनखा अट्ठीनि गहेत्वा मग्गे धावन्ति।
सकुणा खेत्तेसु वीहिं दिस्वा खादन्ति।
अतिथि अम्हाकं घरं आगन्त्वा आहारं भुञ्जति।
कपयो रुक्खं आरुहित्वा फलानि खादन्ति।
तच्छका रुक्खे छिन्दति, साखा-पलासे कन्तित्वा पीठं करोन्ति।

निम्न किरिया शब्दों के साथ इसी प्रकार के वाक्य बनाईये-
28. मद्दति- मर्दन करता है।
29. निम्मीलेति- आंखे झपकता है।
30. उम्मीलेति- आंखे खोलता है।
31. निवसति- निवास करता है।
32. तोटेति- तोड़ता है।
33. कत्तेति- काटता है।
34. खण्डेति- खण्ड-खण्ड करता है।
35. जलति- जलता है।
36. पप्पोति- प्राप्त करता है।
37. लभति- प्राप्त करता है।
38. विकसति- विकसित करता है।
39. वड्ढेति- बढ़ता है।
40. जानाति- जानता है।
41. बुज्झति- बुझता/समझता है।
42. अन्विसति- अन्वेषण करता है।
43. हिंसति- हिंसा करता है।
44. लज्जति- लज्जा/शर्माता है।
45. सोभति- शोभा देता है।
46. रोचति- रुचिकर लगता है।
47. हसति- हंसता है।
48. रुदति- रुदन करता है।
49. पचति- पकाता है।
50. उड्डेति- उड़ता है।
51. डयति- उड़ता है।
52. चिनोति- चुनता है।
53. उपदिसति- उपदेश देता है।
54. कण्डुवति- खुजलाता है।
55. झायति- ध्यान करता है।
56. जयति- जीतता है।
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09. 07. 2020
अज्ज पाठो
कनिट्ठ च जेट्ठ माणवकानं
पूर्वकालिक किरिया रूप
'कर' अथवा 'करके' के अर्थ में 'त्वा' प्रत्यय धातु में लगाया जाता है। यथा -
कर(करना)+ त्वा- कत्वा/करित्वा(करके)।
धाव(दौड़ना)+ त्वा- धावित्वा(दौड कर)

वाक्यानि पयोगा-
सीलरतनो सिनानं करित्वा पाठसालं गच्छति।
विसाखा धावित्वा बुद्ध विहारं गच्छति।
धम्मरक्खिता चलित्वा करियालयं गच्छति।
विवेको गायित्वा सिनानं घरे नहायति।

इसी प्रकार निम्न किरिया शब्दों में 'त्वा' प्रत्यय लगाकर छोटे-छोटे वाक्य बनाईये-
2. धावति- दौड़ता है। .................................।
3. चलति- चलता है। .................................।
4. पठति- पढ़ता है। ...................................।
5. खेलति- खेलता है। .................................।
6. नमति- नमन करता है। ..........................।
7. पस्सति- देखता है।  ...............................।
8. निसीदति- बैठता है। ...............................।
9. उट्ठहति- उठता है। ................................।
10. विहरति- विहार करता है। ......................।
11. नहायति- नहाता है। ..............................।
12. इच्छति- इच्छा करता है। ........................।
13. चजति- त्याग करता है। .........................।
14. देति- देता है। .........................................।
15. खादति- खाता है। ..................................।
16. याचति- याचना करता है। .......................।
17. नच्चति- नाचता है। ................................।
18. धोवति- धोता है। ....................................।
19. सुणोति- सुनता है। ..................................।
20. निन्दति- निन्दा करता है। .......................।
21. गायति- गाता है। ....................................।
22. पिबति- पीता है। ....................................।
23. सयति- सयन करता है। ..........................।
24. रक्खति- रक्षा करता है। ..........................।
25. खिप्पति- फेंकता है। ...............................।
26. सेवति- सेवा करता है। ............................।
27. कम्पति- काम्पता है। .............................।
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10. 07. 2020
अज्ज पाठो
कनिट्ठ च जेट्ठ माणवकानं
विसेसण सद्दा-

विसेसण, लिंग, विभक्ति और वचन में अपने विशेष्य का अनुकरण करते हैं।
विसेसण 4 प्रकार के होते हैं-
1. गुणवाचक-  सुन्दरो बालको।
2. संख्यावाचक- एको बालको।
3. कृदन्त- पठमो बालको।
4. तद्धितान्त- पठमानो(पढ़ता हुआ) बालको।

1. गुणवाचक-
पुल्लिंगे-
         एकवचन- अनेकवचन
सुन्दरो बालको। सुन्दरा बालका।
विसालो गजो। विसाला गजा।
सुगमो मग्गो। सुगमा मग्गा।
अनुत्तरो धम्मो। अनुत्तरा धम्मा।

इत्थिलिंगे-
सुन्दरी बालिका। सुन्दरियो बालिकायो।
       गुणवंती दारिका।  गुणवन्तियो दारिकायो
       धाविका कञ्ञा। धाविकायो कञ्ञायो।
       सुफला लता। सुफलायो लतायो।

नपुंसकलिंगे-
सुन्दरं फलं। सुन्दरानि फलानि।
सीतलं जलं। सीतलानि जलानि।
विसालं नगरं। विसालानि नगरानि।
उच्चं आसनं। उच्चानि आसनानि।

कुछ गुणवाचक विशेषण, सब्द-
अखिल, अब्भुत, अनुत्तर, अन्ध, अप्प, उग्ग, उण्ह, कटुक
अतीत, अधम, अनुरत्त(अनुरक्त), अलस, अड्ढ(धनी), उच्च
उजु, काण, गोल, चंचल, दुब्बल, पिय, वधिर, मलिन, रस्स
विचित्त, विसाल, सीतल, सुफल, धम्मिक, नव, पोराण, फरुस
मत(मृत), मूग(गूंगा), रित्त, विनित, वित्थत, सुक्क, सुगम आदि।
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11. 07. 2020
अज्ज पाठो
कनिट्ठ च जेट्ठ माणवकानं
विसेसण सद्दा-
2. संख्या-विसेसण
पुल्लिंगे-
एको बालको।
द्वे/दुवे बालका।
तयो बालका।
चतुरो बालका।
पञ्च बालका।

इत्थिलिंगे-
एका बालिका।
द्वि बालिकायो।
तिस्सो बालिकायो।
चतस्सो बालिकायो।
पञ्च बालिकायो।     

नपुसंकलिंगे-
एकं फलं।
द्वि फलानि।
तीनि फलानि।
चत्तारी फलानि।
पञ्च फलानि।
 -पञ्च  से आगे एकूनविसति तक पञ्च के समान ही 'संख्या विसेसण' लगते हैं।

विंसति मनुस्सा। विंसति इत्थी। विंसति फलानि।
पञ्चासा मनुस्सा। पञ्चासा इत्थी। पञ्चासा फलानि।

वाक्यानि पयोगा-
एका  बालिका विणा मधुरं वादेति।
सा एकं पुप्फं गुच्छं देति।
एक किलोगाम सेब फलं किय मूल्यं अत्थि ?
अहं एकस्मिं ठाने तिट्ठामि।
दुवे गायिकायो अम्हाकं गामे आगच्छन्ति।
सीलरतनो एकस्स याचकस्स भिक्खं देति।
अहं द्वीहि नेत्तेहि पस्सामि।
एकस्मिं मासे चत्तारा सत्ताहा होन्ति।

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12. 07. 2020
अज्ज पाठो
कनिट्ठ च जेट्ठ माणवकानं
विभत्तिरूप
1.6 ‘इ’कारान्त इत्थिलिंगे
1.6.1 भूमि
विभत्ति एकवचनं- अनेकवचनं
पठमा- भूमि- भूमी, भूमियो
दुतिया- भूमिं- भूमी, भूमियो
ततिया- भमिया- भूमीहि, भूमीभि
चतुत्थी- भूमिया- भूमिनं
पञ्चमी- भूमिया- भूमीहि, भूमीभि
छट्ठी- भूमिया- भूमीनं
सत्तमी- भूमिया, भूमियं- भूमीसु
आलपनं- भूमि- भूमी, भूमियो

समं रूपं-
अटवि(जंगल), अरति(अरुचि), असनि(बिजली), अवनि, अंजलि, आसन्दि, आपत्ति, आसत्ति(आसक्ति), ओसधि, कन्ति(कान्ति), कटि, केलि(क्रीडा), कित्ति(कीर्ति), कोटि(करोड़), खन्ति(सहनसीलता), गति, चुति(मृत्यु), छवि(त्वचा), जाति(जन्म), तन्ति(तार), तित्ति(तृप्ति), तिथि, तुट्ठि(संतोष), दिट्ठि(मत), दुन्दुभि(बाजा), दोणि(ढोंगी), धूलि, धिति(धीरज), नन्दि(आनन्द), नाभि, निब्बति(जन्म), नेमि(पहिये का घेरा)।

सरलानि वाक्यानि-
रत्तियं कवि पोत्थकं लिखति।
रत्तियं चन्दिमाय आलोको गेहे भवति।
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13.07.2020
अज्ज पाठो
कनिट्ठ च जेट्ठ माणवकानं
विभत्तिरूप
‘इ’कारान्त इत्थिलिंगे
भूमि
विभत्ति एकवचनं- अनेकवचनं
पठमा- भूमि- भूमी, भूमियो
दुतिया- भूमिं- भूमी, भूमियो
ततिया- भमिया- भूमीहि, भूमीभि
चतुत्थी- भूमिया- भूमिनं
पञ्चमी- भूमिया- भूमीहि, भूमीभि
छट्ठी- भूमिया- भूमीनं
सत्तमी- भूमिया, भूमियं- भूमीसु
आलपनं- भूमि- भूमी, भूमियो

समं रूपं-

पन्ति(पंक्ति), पत्ति(प्राप्ति), पवत्ति(समाचार), पटिपत्ति(आचार), पटिपाटि(क्रम), पटिसन्धि(जन्म लेना), पालि(पंक्ति), पीति(प्रीति), बुद्धि, बोधि, भति(मजदूरी), भत्ति(भक्ति), भित्ति(दीवार), भीति(डर), मति, मुट्ठि, मुत्ति(मुक्ति), यट्ठि(लाठी), युत्ति(युक्ति), युवति, रस्सि(लगाम), रंसि(रश्मि), वासि(वसूला), वुट्ठि(वृष्टि), वुत्ति(जीवन-वृत्ति), वुद्धि(वृद्धि), सति(स्मृति), सत्ति(योग्यता) सन्ति(सान्ति), सन्धि(मेल), सुगति, सम्पत्ति, सुगन्धि, सुद्धि, हानि आदि।

सरलानि वाक्यानि-
रत्तियं कवि पोत्थकं लिखति।
रत्तियं चन्दिमाय आलोको गेहे भवति।
आसत्तियं तित्ति नत्थि।
अहं सन्ति विन्दामि(अनुभव करता हूँ )।
सुद्धिहि जना सुज्झन्ति।
धनेन लोके वुद्धि भवति।
खन्तिया पीति उप्पज्जति ।
रत्तिया जायति सोको।
रत्तिया जायति भयं।
असोको अस्सम्हा भूमियं न पतति ।
गहपति कुदालेन भूमियं कूपं खणिस्सति।
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14. 07. 2020
कनिट्ठ च जेट्ठ माणवकानं
अज्ज पाठो
सुरियो

सुरियो पुब्बदिसाय उदेति।
उदित भानु सब्बे विहगमा,
मधुरेन सरेन रवन्ति।
तस्स आगमनं थोमेन्ति।
सब्बे मनुस्सा सकानि सकानि,
कम्मानि आरभन्ति।
अयं सब्बेसानं जीवनदाता।
पभाते अयं सविता अतीव सुखदो,
पसादकरो।
मज्झन्तिके सो येव तपनो, तापतरो।
सायण्हे पुनं सीतकरो, नेत्तहरो।
अयं सुरियो दिवाकरो, पभाकरो,
दिनकरो आदि अञ्ञेहि नामेभि ञायते।
सुरियो अन्धकारं अपनेति,
पठवीं च पभासेति।
भगवा बहुजनानं अञ्ञाणं अन्धकारो अपनेति
अपि च धम्म-ञ्ञाणं दत्वा
जनस्मिं निब्बानसुखं वितरेति।
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15. 07. 2020
अज्ज पाठो
विभत्ति
‘किं’/का (कौन)

पुल्लिंग-
एकवचन- अनेकवचन
पठमा (कौन) को- के
दुतिया (किसको) कं- के
ततिया (किससे) केन- केहि, केभि
चतुत्थी (किसके लिए) कस्स- केसं, केसानं
पंचमी (किससे) कस्मा, कम्हा- केहि, केभि
छट्ठी (किसका) कस्स- केसं, केसानं
सत्तमी (किस में) कस्मिं, कम्हि- केसु

सरलानि वाक्यानि-
को नाम त्वं?
को नाम एसो?
को नाम ते आचरियो?
इदानि एसो किं करिस्सति?
किं त्वं एतं पुच्छसि?
एसा नारी ते किं होति?
स्वे(सुवे) किं एते करिस्सन्ति?
तेसं धनेन मे किं पयोजनं?
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16. 07. 2020
अज्ज पाठो
विभत्ति
‘किं’/का (कौन)
इत्थिलिंग-
एकवचन- अनेकवचन
पठमा    का- का, कायो
दुतिया कं- का, कायो
ततिया कस्सा, काय- काहि, काभि
चतुत्थी कस्सा, काय- कासं, कासानं
पंचमी कस्सा, काय- काहि, काभि
छट्ठी कस्सा, काय- कासं, कासानं
सत्तमी कस्सं, कायं- कासु

नपुंसकलिंग-
पठमा किं, कं- के, कानि
दुतिया किं, कं- के, कानि

सरलानि वाक्यानि-
किस्स फलं नाम एतं?
कायं दिसायं तस्सा जननी इदानि वसति?
कस्स धम्मं सोतुं एते इच्छन्ति?
यं त्वं इच्छसि तं एतस्स आरोचेहि।
को जञ्ञा, कदा किं भविस्सति?
को जानाति किं ‘एसो करिस्सति?
को आकास-मग्गेन सद्दं करोन्तो गच्छति?
...............................
सरनीयं- अनिश्चय वाचक सर्वनाम बनाने के लिए सभी लिंगों में ‘क’ की सभी विभक्तियों में ‘चि’ प्रत्यय लगाया जाता है, यथा- कोचि, काचि इत्यादि।
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17. 07. 2020
अज्ज पाठो
विभत्ति
‘किं’/का (कौन)
पुल्लिंग-
एकवचन- अनेकवचन
पठमा (कौन) को- के
दुतिया (किसको) कं- के
ततिया (किससे) केन- केहि, केभि
चतुत्थी (किसके लिए) कस्स- केसं, केसानं
पंचमी (किससे) कस्मा, कम्हा- केहि, केभि
छट्ठी  (किसका) कस्स- केसं, केसानं
सत्तमी (किस में) कस्मिं, कम्हि- केसु

नपुंसकलिंग-
पठमा किं, कं- के, कानि

दुतिया किं, कं- के, कानि
- सेस पुल्लिंग समं।

इत्थिलिंग-
एकवचन- अनेकवचन
पठमा     का- का, कायो .
दुतिया कं- का, कायो
ततिया कस्सा, काय- काहि, काभि
चतुत्थी कस्सा, काय- कासं, कासानं
पंचमी कस्सा, काय- काहि, काभि
छट्ठी  कस्सा, काय- कासं, कासानं
सत्तमी कस्सं, कायं- कासु
-----------------------------
सरनीयं- अनिश्चय वाचक सर्वनाम बनाने के लिए सभी लिंगों में ‘क’ की सभी विभक्तियों में ‘चि’ प्रत्यय लगाया जाता है, यथा- कोचि, काचि इत्यादि।

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18.07. 2020
अज्ज पाठो
अज्झयन-घरं
आनन्दो- संगणको कुत्थ अत्थि?
राहुलो- संगणको फलकाधारे अत्थि।
आनन्दो- फलकाधारे किं किं अत्थि?
राहुलो- फलकाधारे कुंचिका-पटलं च झेराक्स-यन्तं सन्ति।
आनन्दो- फलकाधारो कुत्थ अत्थि?
राहुलो- फलकाधारो अज्झयन-गहे अत्थि।
आनन्दो- अज्झयन-गहे किं किं अत्थि?
राहुलो- अज्झयन-गहे आसन्दिका अत्थि, लेखन-फलको अत्थि,
-गन्थ-कपाटिका अत्थि, सीतकं अत्थि, घटिका अत्थि,
-दिनदस्सिका अत्थि, मान-चित्तं च अत्थि।
आनन्दो- लेखन-फलके किं किं अत्थि?
राहुलो- लेखन-फलके अंक-संगणको अत्थि, सद्द-कोसो अत्थि,
-अंकनी अत्थि, लेखनी अत्थि, दीप्पणी-पोत्थिका च अत्थि।
आनन्दो- गंथ-कपाटिकायं किं किं अत्थि?
राहुलो- गंथ-कपाटिकायं गन्थानि सन्ति, पोत्थकानि च संचिकायो सन्ति।
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कुत्थ- कहां अत्थि- है संगणको- कम्प्युटर
फलकाधारे- टेबिल पर कुंचिका-पटल- की बोर्ड
झेराक्स-यन्तं- झेराक्स मशीन अज्झयन-गहे- अध्ययन-कक्ष
आसन्दिका- कुर्सी लेखन-फलके- लेखन-टेबिल पर
कपाटिका- आलमिरा सीतकं- कुलर घटिका- घड़ी
दिन-दस्सिका- कलेण्डर मान-चित्तं- मान-चित्रा
अंक-संगणको- लेपटाप सद्दकोसो- शब्दकोश
अंकनी- पेंसील लेखनी- पेन गंथानि- अनेक ग्रंथ
दीप्पणी-पोत्थिका- राइटिंग-पेड पोत्थकानि- पुस्तकें
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19. 07. 2020
अज्ज पाठो
अनागतकालो
धातु पच- पकानाः परस्सपद
पुरिस एकवचन- अनेकवचन
उत्तम पुरिसो- अहं पचिस्सामि। मयं पचिस्साम।
 मैं पकाऊँगा।  हम पकाएंगे।
मज्झिम पुरिसो- त्वं पचिस्ससि। तुम्हे पचिस्सथ।
तू पकायेगा। तुम लोग पकाओगे।
अञ्ञ (पठम) पुरिसो- सो पचिस्सति। ते पचिस्सन्ति।
वह पकायेगा।  वे पकाएंगे।

सरलानि वाक्यानि-
जलं पिबिस्सामि।
जल पीऊंगा।
सच्चं भणिस्सामि।
सत्य बोलूंगा।
न कुज्झिस्सामि।
क्रोध न करूंगा।
अक्कोधेन कोधं जिनिस्सामि। जिनाति/जेति
अक्रोध से क्रोध को जीतूंगा।
असाधुं साधुना जेस्सामि। जेति/जयति
असाधु  पर साधु से जीतूंगा ।
सुचरितं धम्मं चरिस्सामि।
सुचरित धम्म आचरण करूँगा।
दुच्चरितं न चरिस्सामि।
दुष्चरित न आचरण करूँगा।
यो धम्मं चरिस्सति, सो सुख सेस्सति।
जो धम्म से आचरण करता है, वह सुख से सोता है।
अविज्जाय बन्धनं छिन्दिस्सामि।
अविद्या का बंधन काटूँगा।

सब्बे सत्ता मरिस्सन्ति।
सभी सत्व मरेंगे।
सब्बे पाणा मरिस्सन्ति।
सभी प्राणी मरेंगे।
अयं कायो अचिरं पठविं अधिसेस्सति।
यह काया शीघ्र पृथ्वी पर लेट जाएगी।
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20. 07. 2020
अज्ज पाठो
अनागतकालो
धातु पच- पकानाः परस्सपद
इसे भविस्सकाल भी कहते हैं।
वत्तमान की किरिया यथा, पचति- पकाता हूँ  के धातु(पच) में 'इ' प्रत्यय लगा कर उसमें भविस्सकाल का प्रत्यय 'स्स' जोड़ा जाता है। यथा - पच+इ = पचि+स्स = पचिस्स+ति = पचिस्सति(पकाऊंगा)।
पुरिस एकवचन- अनेकवचन
उत्तम पुरिसो- अहं पचिस्सामि। मयं पचिस्साम।
 मैं पकाऊँगा।  हम पकाएंगे।
मज्झिम पुरिसो- त्वं पचिस्ससि। तुम्हे पचिस्सथ।
तू पकायेगा। तुम लोग पकाओगे।
अञ्ञ (पठम) पुरिसो- सो पचिस्सति। ते पचिस्सन्ति।
वह पकायेगा।  वे पकाएंगे।

सरलानि  वाक्यानि-
1 . सो सिसु अत्थि।  सुवे सो दहरो भविस्सति।
2. जोति पालि पठति।  सुवे सा पालि आचरिया भविस्सति।
3. मयं पालि पठाम। सुवे गाम-गामं जना पठिस्सन्ति।
4. नूनं(निस्संदेह) भगवा भासा आकासे सुरियो विय पभासेन्ति।
5. सचे(यदि) सम्मा वायामो(प्रयास) करोम, पालि रट्ठ भासा भविस्सति।
6. कसको बीजं वपति।  सो रुक्खो भविस्सति।
7. आकासे मेघा दिस्सति। कदाचि वुट्ठि(वर्षा) भविस्सति।
8. कोरोना लक्खणा दिस्सति। खिप्पं आरोग्य भव।
9. ता बालिका मनसा(मन से) पठति। सा उच्चाधिकारी भविस्सति।
10. अहं बुद्धं नमिस्सामि। अहं धम्म नमिस्सामि। अहं सघं नमिस्सामि।
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21.07.2020
वत्तमान(पच्चुपन्न) कालो
1. धातुः गच्छ- जाना
परस्सपद
पुरिस एकवचन अनेकवचन/बहुवचन
उत्तम पुरिस अहं गच्छामि। मयं गच्छाम।
मैं जाता हूॅं। हम जाते हैं।
मज्झिम पुरिस त्वं गच्छसि। तुम्हे गच्छथ।
तुम जाते हो। तुम लोग जाते हो।
अञ्ञं(पठम) पुरिस सो गच्छति। ते गच्छन्ति।
वह जाता है। वे जाते हैं।
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सरनीयं-
1. वत्तमाने मिम ति सिथ ति अन्ति।
2. वत्तमान काल में, सभी गण के धातु से परे निम्न प्रत्यय आते हैं-
3. पुरिस एकवचन- अनेकवचन
उ. पु.-- मि-
म. पु.-- सि-
अ. पु. -- ति- अन्ति
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 एतेसं  किरियानं पयोगो करणीयो-
85. कथयति - कहता है।
86. भमति - घूमता है।
87. परिवेसति - भोजन परोसता है।
88. पविसति - प्रवेश करता है।
89. भासति - बोलता है।
90. निम्माति - निर्माण करता है।
91. कसति - कृषि करता है।
92. सिंचति - सिंचाई करता है।
93. रटति- रटता है।
94. रचति- बनाता है।
95. यतति- प्रयत्न करता है।
96. ओतरति- नीचे उतरता है।
97. आरोहति- चढ़ता है।
98. सरति- स्मरण करता है।
99. पापुणोति- प्राप्त करता है।
100. उग्घाटेति- खोलता है। 

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22. 07. 2020
जेट्ठ माणवकानं
अज्ज पाठो
'त्वा' और 'तुं' प्रत्येक लगा कर वाक्य बनाईये -
85. कथयति - कहता है।
86. भमति - घूमता है।
87. परिवेसति - भोजन परोसता है।
88. पविसति - प्रवेश करता है।
89. भासति - बोलता है।
90. निम्माति - निर्माण करता है।
91. कसति - कृषि करता है।
92. सिंचति - सिंचाई करता है।
93. रटति- रटता है।
94. रचति- बनाता है।
95. यतति- प्रयत्न करता है।
96. ओतरति- नीचे उतरता है।
97. आरोहति- चढ़ता है।
98. सरति- स्मरण करता है।
99. पापुणोति- प्राप्त करता है।
100. उग्घाटेति- खोलता है।
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23. 07. 2020
अनुज्ञा परस्पद
आदेसात्मक/इच्छात्मक भाववाचक वाक्यानि
एकवचन- अनेकवचन
उत्तम पुरिस- पचामि (मैं पकाऊं)।  पचाम (हम पकाएं)।
मज्झिम पुरिस- पच, पचाहि (तुम पकाओ)। पचथ (तुम लोग पकाओ)।
पठम पुरिस- पचतु (वह पकाए)। पचन्तु (वे पकाएं)।
..........................
टिप. 1. ‘हि’, ‘मि’ और ‘म’ के पहले आने वाला स्वर सदैव दीर्घ होता है।
2. द्वितीय पुरिस में एक अतिरिक्त प्रत्यय ‘अ’ होता है।

वाक्यानि पयोगा-
यानं मन्दं चालेतु।
आसन्दं इध आनेतु।
मम आसयं सुणोतु।
द्वारं उग्घाटेसु।
विजनं चालेतु।
अजयं इदं सूचेतु।
अज्ज चलचित्तं पस्साम।
अवगच्छन्तु ?
आम, अवगच्छाम।
यमहं(एवं-अहं) वदामि तं वदेहि/वदेथ।
अज्ज अहं अवकास सिकरोमि।
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24. 07. 2020
अनुज्ञा परस्पद
आदेसात्मक/इच्छात्मक भाववाचक वाक्यानि
एकवचन- अनेकवचन
उत्तम पुरिस- अहं पचामि (मैं पकाऊं)।  मयं पचाम (हम पकाएं)।
मज्झिम पुरिस- त्वं पच/पचाहि (तुम पकाओ)। तुम्हे पचथ (तुम लोग पकाओ)।
पठम पुरिस- सो पचतु (वह पकाए)। ते पचन्तु (वे पकाएं)।
..........................
टिप. 1. ‘हि’, ‘मि’ और ‘म’ के पहले आने वाला स्वर सदैव दीर्घ होता है।
2. द्वितीय पुरिस में एक अतिरिक्त प्रत्यय ‘अ’ होता है।

आदेस-
इध आगच्छ।
यहाँ आओ।
त्वं धरस्मा निक्खमाहि।
तुम घर से निकलो।
तुम्हे इध तिट्ठथ।
तुम लोग यहां खड़े होओ।

इच्छा-
अहं बुद्धो भवामि।
मैं बुद्ध बन जाऊं।।
बुद्धो धम्मं देसेतु।
बुद्ध धम्म का उपदेस करें।

सरलानि वाक्यानि-
भिक्खूनं धम्मं देसेतु।
भिक्खुओं को धम्म का उपदेश करें। इच्छा/आदेस
भवं, पीठेसु निसिदतु।
महोदय, आसनों पर विराजमान हों। इच्छा/आदेस
भवं, तव लेखनि ददातु।
महोदय, आपका पेन दो। इच्छा/आदेस
धेनु तिणं खादतु।
गाय घास खाए। इच्छा /आदेस
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25. 07. 2020
जेट्ठ  माणवकानं
अनुज्ञा परस्पद
आदेसात्मक/इच्छात्मक भाववाचक वाक्यानि
एकवचन- अनेकवचन
उत्तम पुरिस- अहं पचामि (मैं पकाऊं)।  मयं पचाम (हम पकाएं)।
मज्झिम पुरिस- त्वं पच/पचाहि (तुम पकाओ)। तुम्हे पचथ (तुम लोग पकाओ)।
पठम पुरिस- सो पचतु (वह पकाए)। ते पचन्तु (वे पकाएं)।
..........................
टिप. 1. ‘हि’, ‘मि’ और ‘म’ के पहले आने वाला स्वर सदैव दीर्घ होता है।
2. द्वितीय पुरिस में एक अतिरिक्त प्रत्यय ‘अ’ होता है।

सरलानि  वाक्यानि -
आवुसो, अटविया दारुं आहरित्वा अग्गिं करोहि।
आवुस, जंगल से लकड़ी लाकर अग्नि जलाओ। इच्छा/आदेस
भिक्खवे, अहं धम्मं देसेस्ससामि, साधुकं सुनाथ।
भिक्खुओं, मैं धम्म देशना करता हूँ, तुम ठीक से सुनो। इच्छा/आदेस
याव‘हं(यावं-अहं ) गच्छामि, ताव इध तिट्ठथ।
जब तक मैं यहाँ बैठता हूँ , तब तक इधर खड़े रहो।  इच्छा/आदेस
भिक्खू पण्हं साधुकं बुज्झन्तु।
भिक्खुओं, प्रश्न ठीक से समझो।  इच्छा/आदेस
सिस्सा, सदा कतञ्ञू होथ।
शिष्य, सदा कृतज्ञ हों। इच्छा/आदेस
‘‘धम्मं पिबथ, भिक्खवो।’’
धम्म को पीओ, भिक्खुओ। इच्छा/आदेस
अहं चक्खूहि पापं न पस्सामि, भन्ते।
मैं आँखों से पाप न देखूं, भंते। इच्छा
आवुसो, भिक्खूनं पुरतो मा तिट्ठथ। आदेस/इच्छा
आवुस, भिक्खुओं के सामने मत बैठो।
भन्ते, भिक्खुम्हा मयं पञ्हं पुच्छाम।
भंते, भिक्खु से हम प्रश्न पूछते हैं। इच्छा
नरा च नारियो च भिक्खूहि धम्मं साधुकं सुत्वा धम्मस्स पचारेन्तु। इच्छा
नर और नारी भिक्खुओं से धम्म ठीक से सुन कर धम्म का प्रचार करें ।
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अनुज्ञा परस्पद
आदेसात्मक/इच्छात्मक भाववाचक वाक्यानि
एकवचन- अनेकवचन
उत्तम पुरिस- अहं पचामि (मैं पकाऊं)।  मयं पचाम (हम पकाएं)।
मज्झिम पुरिस- त्वं पच/पचाहि (तुम पकाओ)। तुम्हे पचथ (तुम लोग पकाओ)।
पठम पुरिस- सो पचतु (वह पकाए)। ते पचन्तु (वे पकाएं)।
..........................
टिप. 1. ‘हि’, ‘मि’ और ‘म’ के पहले आने वाला स्वर सदैव दीर्घ होता है।
2. द्वितीय पुरिस में एक अतिरिक्त प्रत्यय ‘अ’ होता है।
निसेधात्मक निपात ‘मा’ पयोगा-
मा गच्छ।
मा अगमासि।
मा अट्ठासि।
मा भुञ्जि।
गहपतयो, भिक्खूसु मा कुज्झथ।
गृहपति, भिक्खुओं पर क्रोधित मत हो। इच्छा/आदेस
...................................
टिप- निपात ‘मा’ सदैव भूतकाल (पठम पुरिस) के साथ प्रयुक्त होता है।

यमहं- एवं-अहं।
अजयं इदं सूचेतु- अजय को यह बतला देना।
मया इमे सत्ता निम्मिता- मेरे द्वारा इन जीवों की रचना की गई है।
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28. 07. 2020
जेट्ठ माणवकानं
ततिया विभत्ति के कुछ और वाक्य
1. सह/सद्धिं योगेन-
सिस्सेन सह आचरियो गच्छति।
        शिष्य के साथ आचार्य जाता है।
जननी कञ्ञाय सह गच्छति।
        मां लड़की के साथ जाती है।
भिक्खु संघेन सद्धिं भगवा निसीदति।
         भगवान भिक्खु-संघ के साथ बैठते हैं।
विवेको भातरा सह आपणं गच्छति।
       विवेक भाई के साथ बाजार जाता है।

         धनेन मे को अत्थो? धन से मेरा क्या काम?
ञाणेन ते किं पयोजनं? तुम्हारे लिए ज्ञान का क्या लाभ?

        तिलेहि खेत्ते वपति।
        वह तिलों से खेत बोता है।
तेन समयेन भगवा सावत्थियं विहरति।
उस समय भगवान सावत्थी में विहार कर रहे थे।

         बिना योगेन-
जलेन विना रुक्खो सुक्खति। जल के बिना वृक्ष सूखता है।

तुल्यत्थेन-
पितरा सदिसो। पिता के समान।
मातरा समो। माता के समान।
आचरियेन सदिसो सिस्सो। आचार्य के सदृश्य शिष्य।
रूपियेन उनो। एक रुपये की कमी।
धनेन हीनो। धन से हीन।
वाचाय निपुणो। वाचा से निपुण।
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29. 07. 2020
जेट्ठ माणवकानं
उकारान्त सद्दो
पितु
विभत्ति एकवचनं- अनेकवचनं
पठमा पिता- पितरो
दुतिया पितरं- पितरे, पितरो
ततिया पितरा- पितरेहि, पितरेभि, पितूहि, पितूभि
चतुत्थी पितु, पितुनो, पितुस्स- पितरानं, पितानं, पितून्नं
पञ्चमी पितरा- पितरेहि, पितरेभि, पितूहि, पितूभि
छट्ठी पितु, पितुनो, पितुस्स- पितरानं, पितानं, पितून्नं
सत्तमी पितरि- पितरेसु, पितुसु, पितूसु
आलपनं भो पित, भो पिता- भोन्तो पितरो

समं रूपं-
भातु(भाता), धीतु(धीता), दुहितु(दुहिता), जमातु(जमाता), नत्तु, होतु, पोतु आदि।
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30. 07. 2020
जेट्ठ माणवकानं
उकारान्त शब्द  'पितु' के साथ प्रश्नवाचक सर्वनाम ‘किं’/का (कौन) का प्रयोग-
1. उकारान्त 'पितु' सद्दो
विभत्ति एकवचनं- अनेकवचनं
पठमा पिता- पितरो
दुतिया पितरं- पितरे, पितरो
ततिया पितरा- पितरेहि, पितरेभि, पितूहि, पितूभि
चतुत्थी पितु, पितुनो, पितुस्स- पितरानं, पितानं, पितून्नं
पञ्चमी पितरा- पितरेहि, पितरेभि, पितूहि, पितूभि
छट्ठी पितु, पितुनो, पितुस्स- पितरानं, पितानं, पितून्नं
सत्तमी पितरि- पितरेसु, पितुसु, पितूसु
आलपनं भो पित, भो पिता- भोन्तो पितरो

समं रूपं-
भातु(भाता), धीतु(धीता), दुहितु(दुहिता), जमातु(जमाता), नत्तु, होतु, पोतु आदि।
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2. प्रश्नवाचक सर्वनाम ‘किं’/का (कौन)
विभत्ति  पुल्लिंग-
एकवचन- अनेकवचन
पठमा (कौन) को- के
दुतिया (किसको) कं- के
ततिया (किससे) केन- केहि, केभि
चतुत्थी (किसके लिए) कस्स- केसं, केसानं
पंचमी (किससे) कस्मा, कम्हा- केहि, केभि
छट्ठी  (किसका) कस्स- केसं, केसानं
सत्तमी (किस में) कस्मिं, कम्हि- केसु
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31. 07. 2020
जेट्ठ माणवकानं
उकारान्त शब्द  'पितु' के साथ प्रश्नवाचक सर्वनाम ‘किं’/का (कौन) का प्रयोग-
1. उकारान्त 'पितु' सद्दो
विभत्ति एकवचनं- अनेकवचनं
पठमा पिता- पितरो
दुतिया पितरं- पितरे, पितरो
ततिया पितरा- पितरेहि, पितरेभि, पितूहि, पितूभि
चतुत्थी पितु, पितुनो, पितुस्स- पितरानं, पितानं, पितून्नं
पञ्चमी पितरा- पितरेहि, पितरेभि, पितूहि, पितूभि
छट्ठी पितु, पितुनो, पितुस्स- पितरानं, पितानं, पितून्नं
सत्तमी पितरि- पितरेसु, पितुसु, पितूसु
आलपनं भो पित, भो पिता- भोन्तो पितरो

समं रूपं-
भातु(भाता), धीतु(धीता), दुहितु(दुहिता), जमातु(जमाता), नत्तु, होतु, पोतु आदि।
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2. प्रश्नवाचक सर्वनाम ‘किं’/का (कौन)
विभत्ति  पुल्लिंग-
एकवचन- अनेकवचन
पठमा (कौन) को- के
दुतिया (किसको) कं- के
ततिया (किससे) केन- केहि, केभि
चतुत्थी (किसके लिए) कस्स- केसं, केसानं
पंचमी (किससे) कस्मा, कम्हा- केहि, केभि
छट्ठी  (किसका) कस्स- केसं, केसानं
सत्तमी (किस में) कस्मिं, कम्हि- केसु

उकारान्त शब्द  'पितु' और प्रश्नवाचक सर्वनाम ‘किं’/का (कौन) के विभत्ति रूपों के साथ कल किये गए अभ्यास के आधार पर छोटे-छोटे वाक्य बनाईये ?

Saturday, June 27, 2020

बाबरी मस्जिद बनाम साकेत मुद्दा: कुछ उठते प्रश्न ?

बाबरी मस्जिद बनाम साकेत मुद्दा: कुछ उठते प्रश्न ?
1. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विवादित अयोध्या ढांचे में हिंदूओ सरकार द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए खुदाई समतलीकरण का कार्य प्रारंभ किया गया था। इसी दरमियान वहां 2000 वर्ष पुरानी भगवान बुद्ध की कई मूर्तियां सम्राट अशोक कालीन अवशेष अशोक चक्र मिले हैं, बुद्ध प्रतिमा अवशेष मिलने पर वह बौद्धौ ने उक्त ढांचे पर निर्माण हो रहे राम मंदिर निर्माण कार्य पर रोक लगाने की मांग कर कहा कि यह स्थल अयोध्या नहीं साकेत बौद्ध स्थल है, यहां बावरी नामक बुद्ध विहार था, जिसे पुष्यमित्र शुंग नामक ब्राह्मण ने नष्ट किया था, विवादित ढांचे पर सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं के आस्थाओं के आधार पर मनुवादी सरकार के दबाव एवं राज्यसभा सांसद बनाए जाने के प्रलोभन में असंवैधानिक एक पक्षीय फैसला दिया गया था, राम मंदिर निर्माण समतलीकरण का कार्य अचानक रोक दिया गया है,
जिस पर बुद्धिस्ट सोसायटी आफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजरत्न अंबेडकर द्वारा एक वीडियो यूट्यूब जारी कर यह बताया गया कि राम मंदिर निर्माण कार्य को बौद्धौ के संघर्ष आवाज उठाने के कारण रोक दिया गया है, इस मामले में हमें बहुत बड़ी सफलता मिल गई है, उन्होंने उक्त मुद्दे पर आवाज उठाने के लिए बौद्ध भिक्षु सुमित रत्न लखनऊ को साधुवाद दिया है, वही जब भंते सुमित रत्न से अहमदाबाद निवासी बुद्धिस्ट अकादमी गुजरात के अध्यक्ष अमृत प्रियदर्शी से फोन पर कार्य रोके जाने पर चर्चा हुई तो भंते सुमित रत्न ने कहा कि यह निर्माण समतलीकरण का कार्य टेक्निकल कारणवश रोका गया है, 1 जुलाई को राम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन होना है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया गया है, और उन्होंने अपना समय नहीं दिया है, और कोरोनावायरस के चलते लाखों की भीड़ जमा करना उचित नहीं है,इसलिए काम को रोका गया है, इसका मतलब यह है कि कार्य बौद्धौ के प्रभाव दबाव में नहीं बल्कि टेक्निकल कारणवश रोका गया है, ऐसी स्थिति में राज रतन अंबेडकर का यह बयान कि बौद्धों के द्वारा उठाई गई आवाज के चलते कार्य रोका गया। यह बयान हास्यास्पद एवं गुमराह करने वाला है, भंते सुमित रत्न के अनुसार यह बताया गया कि अयोध्या साकेत आंदोलन के लिए देशव्यापी संगठन बना लिया गया है, और देश के सभी राज्यों में जिम्मेदारी भी दी गई है, इस पर सवाल खड़ा होता है, कि जब देशव्यापी संगठन बना लिया गया है,तो फिर बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क, बहुजन आंदोलन के प्रणेता वामन मेश्राम, प्रोफेसर विलास खरात द्वारा साकेत बचाओ विरासत बचाओ अभियान भंते सुमित रत्न से अलग समूचे देश में क्यों चलाया जा रहा है? दि बुद्धिस्ट सोसायटी आफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजरत्न अंबेडकर,बौद्ध भिक्षु सुमित रत्न से हटकर अलग से अंतरराष्ट्रीय न्यायालय यूनेस्को में कार्यवाही क्यों कर रहे हैं? वही एक और बुद्धिस्ट सोसायटी आफ इंडिया के तथाकथित राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदू पाटिल, डॉक्टर पी जी ज्योतिकर अहमदाबाद कुछ दिनों पहले तक क्यों भंते सुमितरत्न से हटकर अलग सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे थे? क्यों भंते आनंद दिल्ली भंते सुरई ससाई जो अंतरराष्ट्रीय स्तर के बौद्ध भिक्षु है, जिन्होंने बोधगया महाबोधी बुद्ध विहार मुक्ति आंदोलन चलाया भंते सदानंद तथा हाल ही में कल मुझे दिल्ली निवासी और वह भी भारतीय बौद्ध महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष 78 वर्षीय सीएम पीपल ने फोन कर उक्त मुद्दे पर चर्चा कर कुछ सलाह सुझाव मांगा था, और वह भी अपने स्तर पर अयोध्या साकेत मुद्दे पर अलग से कार्यवाही करने जा रहे हैं, तो मुझे यह समझ नहीं आ रहा है कि भंते सुमित रत्न थेरा ने अयोध्या साकेत बचाओ आंदोलन के लिए कौन सा देशव्यापी संगठन बनाया है? और उस देशव्यापी संगठन से जो बुद्धौ के हित संरक्षण में वर्षों से बड़े-बड़े संघर्ष करने वाले बौद्ध संगठनों के प्रमुखों को बौद्ध भिक्षुओं के प्रमुखों को शामिल किए बिना ही कैसे भंते सुमित रत्न का देशव्यापी संगठन बन गया? और किस-किस राज्य में किस को जवाबदारी दे दी गई ?और कैसे दे दी गई? 23 मई को उक्त मुद्दे पर जब लखनऊ में भंते सुमित रत्न की अध्यक्षता में लखनऊ के ही 4 बौद्धौ की बैठक संपन्न हुई उसके बाद ही मैंने एक लेख जारी कर अनुरोध किया था कि उक्त मुद्दा अहम एवं गंभीर है, सरकार और सुप्रीम कोर्ट एक है। मनुवादियों की सरकार है। यह सरकार भगवान बुद्ध एवं डॉ अंबेडकर के विचारों के विपरीत सरकार है, संविधान विरोधी सरकार है, इस सरकार और सुप्रीम कोर्ट से अकेले भंते सुमित रत्न या अकेले कोई भी संगठन नहीं लड़ सकते, और लड़ भी ले तो जीत नहीं सकते, सफल नहीं हो सकते, इसलिए देश के तमाम बौद्ध संगठनों के प्रमुख बौद्ध चिंतक बौद्ध विद्वानों सुप्रीम कोर्ट के बहुजन लायर एवं इमानदार संघर्षशील बौद्धौ की एक संयुक्त कमेटी बनाई जाए यह निवेदन किया था। परंतु उपरोक्त बयानों और अलग-अलग नेताओं द्वारा अलग-अलग कार्यवाही आंदोलनों से यह नहीं लगता कि भंते सुमित रत्न ने कोई देशव्यापी संगठन इस साकेत बचाओ आंदोलन के लिए खड़ा किया हो। मैं भंते सुमित रत्न जी को याद दिलाना चाहता हूं,और यह बताना चाहता हूं इस देश में मनुवाद वर्सेस अंबेडकरवाद की ही लड़ाई है, इस देश में बौद्ध धम्म को नष्ट करने के लिए ब्राह्मण पुष्यमित्र शुंग ने सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए 84000 स्तूप बुद्ध विहार ओं को नष्ट कर दिया था, लाखों बौद्ध भिक्षुओं को कत्लेआम सर काट दिए गए थे, उन्हीं के वंशजों से आज हमारी लड़ाई है, यह लड़ाई को इतनी आसान और सरल नहीं समझना चाहिए। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने मोहर लगाई है, सरकार व्यक्तिगत रूप से राम मंदिर के पक्ष में है,और सरकारी पैसों से राम मंदिर बनवा रही है, औरंगाबाद यूनिवर्सिटी का नामकरण डॉक्टर अंबेडकर यूनिवर्सिटी किए जाने की मांग को लॉन्ग मार्च निकाला गया था, 16 वर्षों तक शरद पवार सरकार से लड़ाई लड़ी गई थी, कई अंबेडकर वादियों ने कुर्बानी दिए थे, तब कहीं यूनिवर्सिटी का नाम डॉ आंबेडकर विद्यापीठ किया गया था, रायपुर जो आज छत्तीसगढ़ की राजधानी है वहां शासन द्वारा निर्मित 700 बिस्तर वाले अस्पताल का प्रस्तावित नाम डॉक्टर भीमराव अंबेडकर किए जाने कई वर्षों तक कांग्रेस सरकार से संघर्ष किया गया, सरकार ने 14 अप्रैल डॉक्टर अंबेडकर जयंती के दिन ही हजारों संघर्षरत अंबेडकरवादियों को जेल में डाल दिया था , लंबा और कठिन संघर्ष के बाद उस 700 बिस्तर के भव्य अस्पताल का नाम डॉक्टर भीमराव अंबेडकर किया गया है। साकेत बचाओ आंदोलन में हम अकेले अकेले लड़ नहीं सकते और लड़ भी ले तो विजय प्राप्त नहीं कर सकते, इसलिए तुरंत सभी बौद्ध संगठनों बुद्धिजीवियों की एक संयुक्त कमेटी का गठन होना चाहिए। और यदि ऐसा नहीं होता है तो मैं समझूंगा कि हम साकेत बचाओ आंदोलन नहीं चला रहे हैं , बल्कि जिस तरह से बच्चे कबड्डी कबड्डी खेलते हैं , उस तरह से हम राजनीति राजनीति खेल रहे। भदंत नागार्जुन सुरईससाई की एक भूल से बोधगया महाबोधि विहार मुक्ति आंदोलन खत्म हो गया,अटल बिहारी की सरकार ने भंते सुरई ससई को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का सदस्य बनाकर बोधगया महाबोधि बुद्ध विहार आंदोलन ही खत्म करवा दिया था, साकेत बचाओ आंदोलन तो बोधगया महाबोधी बुद्ध विहार मुक्ति आंदोलन से भी बड़ा आंदोलन है, इस आंदोलन को खत्म करने के लिए भी किसी बौद्ध भिक्षु या बौद्ध नेता को किसी भी राष्ट्रीय आयोग में ले लिया जाएगा और आंदोलन खत्म कर दिया जाएगा , यह उक्त समीक्षा आंदोलन संघर्ष मे मैं स्वयं वर्षों से सक्रिय रहा हूं,‌यह मेरा अनुभव है, इसलिए संगठित हो जाओ और संघर्ष करो, जीत हमारी होगी.
        
2. 
अयोध्या साकेत विवादित मामले में चौथी याचिका सुप्रीम कोर्ट में बुद्धिस्ट सोसायटी आफ इंडिया के ट्रस्टी चेयरमैन डॉक्टर पी जी ज्योतिकर अहमदाबाद ने दायर की है,
 इसके पूर्व भी बुद्धिस्ट सोसाइटी के एक और राष्ट्रीय अध्यक्ष राज रतन अंबेडकर द्वारा सुप्रीम कोर्ट में इसी मसले को लेकर याचिका दायर की गई है, तथा लखनऊ उत्तर प्रदेश के बौद्ध भिक्षु  सुमित रत्न द्वारा भी याचिका दायर की गई है, एवं 2 वर्ष पूर्व से विनीत मौर्य द्वारा भी याचिका दायर है, डॉक्टर पी जी ज्योतिकर द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है, कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण समतलीकरण खुदाई के दौरान भगवान बुद्ध की मूर्तियां अशोक स्तंभ धम्मचक्र सम्राट अशोक कालीन अवशेष निकले हैं उन सभी ऐतिहासिक धरोहर पुरातन वस्तुओं का सरकार जतन एवं संरक्षण करें, एवं उसी स्थल को पुरातत्व विभाग अपने अधिकार क्षेत्र में लेकर निरीक्षण जांच कर, जांच रिपोर्ट सार्वजनिक कर और म्यूजियम बनाकर सुरक्षित करें,तथा जिस स्थान से अवशेष प्राप्त हुए हैं, उसी स्थान पर संशोधन उपरांत उसका पुनर्गठन किया जाए और पुनर्गठन कार्य में संस्था यानी कि उनकी सोसाइटी का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए, उक्त दायर याचिका में कहीं यह नहीं कहा गया है कि अयोध्या विवादित ढांचे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हिंदुओं की आस्था को आधार मानकर राम मंदिर निर्माण किए जाने का जो एक पक्षीए  असंवैधानिक फैसला दिया गया है, बिना साक्ष्य प्रमाण के वह विवादित स्थल को रामलला राम जन्मभूमि मान लिया गया है, जबकि राम मंदिर निर्माण खुदाई समतलीकरण के दौरान उस विवादित स्थल से भगवान बुद्ध की 2000 वर्ष पूर्व की मूर्तियां अशोक स्तंभ धम्म चक्र सम्राट अशोक कालीन अवशेष निकले हैं, इसलिए यह स्थल बौद्ध स्थल है, जो साकेत नगर था, और इस जगह बावरी नामक बुद्ध विहार था, इसलिए इस स्थान पर राम मंदिर का निर्माण कार्य जो चल रहा है, उस निर्माण कार्य पर सबसे पहले रोक लगाई जाए, और पुरातत्व विभाग उसी स्थल का निरीक्षण करें और वह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश कर उसे सार्वजनिक करें ऐसा उल्लेख याचिका में नहीं किया गया बल्कि यह कहा गया है कि जो अवशेष निकले हैं अवशेषों का सरकार जतन करें, मेरा मानना है कि जब उस स्थल पर राम मंदिर निर्माण का कार्य जारी रहेगा तो उसी स्थान पर सरकार  म्यूजियम कैसे बनाएगी? उस स्थान पर सरकार अवशेषों का जतन एवं संरक्षण कैसे करेगी? जब उस स्थल से बुद्ध मूर्तियां अवशेष प्राप्त हो रहे हैं तो उस स्थल पर बौद्ध स्मारक बुद्ध विहार बनना चाहिए राम मंदिर क्यों? क्योंकि खुदाई के दौरान राम जन्मभूमि राम की कोई मूर्तियां हिंदू धर्म से संबंधित कोई साक्ष्य प्रमाण नहीं मिले हैं, इसका मतलब वह स्थल राम जन्मभूमि राम लला का नहीं है, वह बौद्ध स्थल है, इसलिए सबसे पहले उसी स्थल पर राम मंदिर निर्माण कार्य को रोका जाना आवश्यक है, और यदि ऐसा नहीं हुआ तो राम मंदिर का निर्माण कार्य चलता रहेगा और उक्त सभी दायर याचिकाओं पर कोई निर्णय होते तक राम मंदिर बन जाएगा, फिर उसे किसकी हिम्मत है कि तोड़ दे? इसलिए राम मंदिर निर्माण कार्य को रोके जाने की मांग याचिका में करना चाहिए था, लेकिन ऐसा क्यों नहीं किया गया या जानबूझकर सरकार के साथ सांठगांठ कोई षड्यंत्र के तहत गोलमोल याचिका दायर की गई है?और यह बात समझ के परे है कि अवशेष जिस स्थान से प्राप्त हुए हैं उसी स्थान पर संशोधन उपरांत उस का पुनर्गठन किए जाने और पुनर्गठन कार्य में संस्था यानीकि डॉक्टर पी जी ज्योतिकर के सोसायटी का प्रतिनिधित्व सरकार में सुप्रीम कोर्ट सुनिश्चित करें  यह उल्लेख किया गया है, यह कौन सी भाषा में है, यह कोई बुद्धिस्ट सोसाइटी का बुद्धिजीवी स्पष्ट करेगा? ताकि मैं और बौद्ध समाज यह सोसाइटी कौन से स्थान का संशोधन करने की मांग कर रही है, और संशोधन के उपरांत किस चीज का पुनर्गठन करना चाहती है, और कौन से पुनर्गठन कार्य में सोसाइटी का प्रतिनिधित्व चाहती है, यह समझ सके यह भी स्पष्ट करें? जब उक्त मुद्दे सामने आया तो मैंने सबसे पहले अपना सुझाव दिया था, कि उक्त मुद्दा अत्यंत अहम एवं गंभीर है, सरकार और सुप्रीम कोर्ट एक ही है, सरकार राम मंदिर के पक्ष में है इसलिए सुप्रीम कोर्ट को दबाव एवं प्रलोभन देकर हिंदुओं के पक्ष में राम मंदिर निर्माण हेतु फैसला करवाया गया है, सरकार और न्यायालय संविधान से हटकर मनुवादी व्यवस्था के चलते मनुस्मृति के अनुरूप आस्था पर फैसले कर रहे हैं, बौद्धों के पास आस्था के अलावा साक्ष्य प्रमाण भी है, इसलिए उक्त मुद्दे पर संघर्ष आंदोलन की रूपरेखा के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की संयुक्त कमेटी बनाई जाए और जितने भी जिन्होंने अभी अलग-अलग याचिकाएं दायर की है, उन्हें भी तथा बौद्ध संगठनों के प्रमुखों बुद्धिजीवियों बौद्ध चिंतकों को कमेटी में शामिल किया जाए परंतु ऐसा नहीं किया गया जिसका नतीजा यह है कि एक ही मुद्दे पर चार याचिकाएं अलग-अलग ढंग से दायर की गई है, जिसे सुप्रीम कोर्ट एक मुद्दा मानकर संयुक्त सुनवाई करेगा और जो याचिका गोलमोल रूप से दायर की गई है, उस याचिका पर अपना निर्णय देगा, इसका अंजाम क्या होगा यह बुद्धिजीवी सच्चे अंबेडकरवादी जानते हैं, इस मुद्दे पर न्यायालयीन कार्यवाही के अलावा अंतरराष्ट्रीय  आंदोलन की आवश्यकता है , हमें सरकार को ही नहीं सुप्रीम कोर्ट के आस्था के आधार पर दिए गए फैसले के खिलाफ भी लड़ाई लड़ना पड़ेगा अन्यथा हम अपनी-अपनी फॉर्मेलिटी निभा रहे हैं, अभी भी हम एक साथ आकर कोई ऐतिहासिक आंदोलन की तैयारी कर सकते हैं, समूचे देश के बौद्ध इस आंदोलन में कूदने मरने लड़ने कटने तैयार है, परंतु कोई नेतृत्व दिख नहीं रहा है,‌ऐसी स्थिति में अयोध्या साकेत जो बौद्धो की विरासत है, हमारी अस्मिता है, उसे कैसे बचा पाएंगे यह विचारणीय प्रश्न है ?  
- विजय बौद्ध संपादक दि बुद्धिस्ट टाइम्स भोपाल मध्य प्रदेश मोबाइल नंबर 942475 6130       

प्रसंग वश

प्रसंग वश-
जातक कथा के अलावा दीघनिकाय, मज्झिमनिकाय, संयुत्तनिकाय, धम्मपद आदि तमाम बौद्ध-ग्रंथों में आर्य-अनार्य, ‘स्वर्ग-नरक’, ‘पाप-पुण्य’, ‘देव’, ‘भूत’, ‘पंडित’, ‘बाह्मण’, ‘ब्रह्मा’, ‘सिरि’, ‘भगवान’ जैसे कई शब्दों का प्रयोग प्रचुरता से हुआ है। कई स्थानों पर ये शब्द स्वाभाविक लगते हैं और कई बार अस्वाभाविक। जैसे, प्रारम्भ करते ही बुद्ध पूजा में-  ‘सिरिपाद सरोरुहे’। यहां ‘सिरि’ शब्द से बचा जा सकता था। क्योंकि, ‘सिरि(श्री)’ के मायने लक्ष्मी होता है। प्रसंग पूजा का है और यह शब्दावली ब्राह्मण-धर्म की रीढ़ है। स्पष्ट है, भाणकों के द्वारा इन शब्दों का प्रयोग अप्रयास हुआ था। वहीं, ‘चत्तारि अरिय सच्चानि’ में ‘आर्य’(अरिय) शब्द स्वाभाविक जान पड़ता है। क्योंकि, तब यह उसी अर्थ में रूढ़ था। दूसरे, तब यह उतना विवादास्पद नहीं था जितना कि आज है। तब भी, आज सवाल तो खड़े हो रहे हैं ?

सर्व विदित है कि बुद्ध की धम्म-देशना जन-सामान्य की भाषा थी। उन्होंने उन्हीं शब्दों और मुहावरों का प्रयोग किया था जो जन-सामान्य की बोली-भाषा में प्रचलित थे। सुभ नामक ब्राह्मण परिव्राजक को ‘ब्रह्म-विहार’ के मायने उन्होंने उसी के शब्दों में बतलाया था। खैर, पूजा से संबंधित जितने भी प्रसंग हैं, वहां इन शब्दों की प्रचुरता को समझा जा सकता है। किन्तु, दीघ निकाय, संयुत्त निकाय, मज्झिम निकाय आदि बौद्ध-ग्रंथों में ऐसी शब्दावली खटकती है। क्योंकि, ‘बौद्ध सुधारों का कार्यक्रम, एक प्रकार से विकृत-समाज व्यवस्था के विरुद्ध एक ‘नैतिक प्रतिक्रिया’ कहा जाता है (The Essence of Buddhism: P Lakshmi Narasu) । यथा जाति-भेद के विरुद्ध वासेट्ठसुत्त(मज्झिमनिकाय/सुत्तनिपात), जाति-भेद के आर्थिक आधार के विरुद्ध माधुरिय सुत्त(मज्झिमनिकाय), ब्राह्मण-श्रेष्ठता के विरुद्ध अस्सलायनसुत्त(मज्झिमनिकाय), ब्राह्मण-कर्मयोग के विरुद्ध एसुकारित सुत्त आदि दृष्टव्य है।

‘धम्मपदः गाथा और कथा’ में दिल्ली विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन विभाग के रीडर  डाॅ. संघसेनसिंह लिखते हैं कि ब्राह्मण-वग्ग में ब्राह्मण शब्द को पारिभाषिक पद के रूप में व्याख्यायित किया गया है। पूरे वग्ग में ब्राह्मण शब्द एक-दो स्थानों को छोड़कर सर्वत्र ‘अरहन्त’ के अर्थ में प्रयुक्त किया गया है। अरहन्त-पद(स्थान) प्रारम्भिक बौद्ध धर्म में सर्वश्रेष्ठ पद है, निब्बान(निर्वाण) है, मोक्ष है(प्राक्कथन पृ. 14-15)।

परित्तं-गाथाओं में देवता के स्थान पर ‘अरहन्त’ शब्द हमें पढ़ने को मिलता है, यथाः ‘अरहन्तानं च तेजेन, रक्खं बन्धामि सब्ब सो’ आदि। किन्तु बाद के पाठों में कई स्थानों पर ‘देवता’ शब्द खटकता है। प्रस्तुत ग्रंथ में इसे दुरुस्त करने का प्रयास किया गया है। आखिर, कब तक हम ‘भवन्तु सब्ब मंगलं, रक्खन्तु सब्ब देवता’ का पाठ करते रहेंगे(पाक्कथन: धम्म परित्तं)?

कर्म और पुनर्जन्म के सिद्धांत को इतना गुढ़ार्थ बना दिया गया है कि पाठक को समझ नहीं आता, लाख जतन के बाद भी कि पुनर्जन्म के चक्कर से वह मुक्त होगा भी या नहीं? बाबा साहेब डाॅ. अम्बेडकर ने अपने ग्रंथ ‘दी बुद्धा एन्ड हिज धम्मा’ में कई मारक तर्क दिए कि बुद्ध के कर्म का सिद्धांत का संबंध मात्र कर्म से है और वह भी वर्तमान जन्म के कर्म(बुद्ध और उनका धम्मः चतुर्थ काण्ड-दूसरा भाग पृ. 295) से। किन्तु, लोग हैं कि मानते ही नहीं। वे तब भी ‘स्वर्ग और नर्क’ तथा ‘पाप और पुण्य’ के चक्कर में पडे़ रहते हैं। मुझे तो इसमें लोगों का कम बौद्ध-ग्रंथों का दोष ही अधिक नजर आता है। वैसे, ‘कर्म’ और ‘पुनर्जन्म’ के बारे में बुद्धवचनों के गलत प्रस्तुतीकरण के अवसर सामान्य बात है। चूंकि, इन सिद्धांतों का ‘ब्राह्मणी-धर्म’ में भी स्थान प्राप्त है। परिणाम-स्वरूप भाणकों के लिए ब्राह्मणी-मत को बौद्ध धम्म में सम्मिलित कर लेना सुगम था। इसलिए ति-पिटक में जिसे भी ‘बुद्ध-वचन’ के रूप में माना गया है, समझने में बहुत सावधानी की आवश्यकता है। मान लो, आपने कुछ पके आम बाजार से खरीद लाए और चुसकर एक आम का बीज बगीचे में रोप दिया। कुछ समय के बाद वह आम का पौधा बड़ा होकर फल देने लगा तो वह उस आम के बीज का, जो आप बाजार से खरीदकर लाए थे, पुनर्भव (पुनर्जन्म) हुआ या नहीं? पेड़-पौधे चेतन होते हैं, विज्ञान खुद इसका साक्षी है। लेकिन यहां ‘आत्मा’ कहीं भी नहीं है। डाॅ. अम्बेडकर के इस तरह समझाने के तरीके के जैसा क्या इन गुढ़ार्थ बनाये गए शब्दों को बौद्ध विद्वान अपनी लेखनी का विषय बनाएंगे, इसी प्रतीक्षा और विश्वास के साथ(धम्म परित्तं- लेखक द्वय अ.  ला. ऊके : प्रो. हेमलता महिस्वर )।

Thursday, June 25, 2020

पालि अर्थात बुद्धवचन

पालि अर्थात बुद्धवचन
बुद्ध ने बुद्धत्व प्राप्ति के बाद 45 साल तक समस्त उत्तर-भारत और मध्य मण्डल में धूम-घूम कर धम्म का प्रचार किया था। उनके भिक्खु-संघ में सभी वर्गों के कुलपुत्र प्रव्रजित हो सम्मिलित हुए थे। चाहे मगध, वेसाली, कासी, मिथिला अथवा कोसल के हो या राज, श्रेष्ठि अथवा शूद्र कुल; सभी भिक्खु समान रूप से साथ रहते थे। निस्संदेह, भिन्न-भिन्न प्रांत और समाज के होने से उनकी अपनी-अपनी बोली थी। बावजूद सभी साथ रहने पर साधारण भाषा मागधी का ही प्रयोग करते थे।
वास्तव में, मागधी भाषा का पूरा विकास भिक्खु-संघ में ही हुआ था। यह सारे मध्य-मण्डल की एक जीवित अन्तर-प्रांतीय भाषा थी, जिसे सभ्य समुदाय बड़े गौरव के साथ बोलता था। यही भाषा मगध सम्राटों की राज-भाषा बनी, क्योंकि मगध राज्य के विस्तार के बाद ऐसी ही व्यापक भाषा की आवश्यकता थी। राज-भाषा होने से इस भाषा का सम्मान और भी बढ़ गया; तथा मगध राज्य की भाषा होने के कारण इसका नाम भी ‘मागधी’ पड़ा।
विनयपिटक के चुल्लवग्ग में एक कथा आती है जिसमें बुद्ध, भिक्खुओं का सम्बोधित करते हुए कहते हैं- अनुजानामि भिक्खवे, सकाय निरुत्तिया बुद्धवचनं परियापुणितं। जिसका अर्थ है- भिक्खुओं, अनुमति देता हूॅं अपनी भाषा में बुद्धवचन सीखने की।
दरअसल, ब्राह्मण जाति के दो भिक्खुओं ने बुद्ध से, उनके कहे हुए वचनों को, वैदिक छंद में संग्रह किए जाने का आग्रह किया था। बुद्ध ने उन्हें फटकारते हुए उक्त गाथा कही।
लेख है कि सम्राट अशोक(राज्यकाल  272-232 ई. पू.) पुत्र महिन्द, जो धम्म प्रचारार्थ भिक्खु प्रतिनिधि-मंडल के साथ सिंहलदीप गए थे, मूल ति-पिटक ग्रंथों के साथ उन पर लिखी अट्ठकथाएं भी ले गए थे।
महिन्द के लगभग 650 वर्ष बाद, सिंहलदीप जाकर मूल ति-पिटक ग्रंथों पर बड़े पैमाने पर अट्ठकथाएं लिखने का काम बुद्धघोष(380-440 ईस्वी) ने किया था।
बुद्धघोष ने अपनी अट्ठकथा में ‘सकाय निरुत्तिया’ का अर्थ ‘मागधी भाषा’ किया है। चूंकि बुद्धघोष, ति-पिटक ग्रंथों पर अट्ठकथाएं लिखने वालों में एक हस्ताक्षर है, अतः इसके बाद के सभी लोगों ने बुद्धवचन का अर्थ मागधी-भाषा ही किया। मागधी-भाषा अर्थात बुद्धवचन। प्रश्न है कि इस मागधी भाषा का नाम ‘पालि’ कैसे पड़ा?
भिन्न-भिन्न मत-
1. आचार्य मोग्गल्लान तथा दूसरे वैयाकरण ‘पालि’ शब्द का अर्थ ‘पंक्ति’ अथवा ‘मूल ग्रंथ की पंक्ति’ बताते हैं (भूमिकाः पालि परिचयः डाॅ. प्रियसेन सिंह)।
2. भदन्त कौसल्यायन के अनुसार भी, प्रचलित मतों में जो सबसे अधिक स्वीकार करने लायक मत मालूम देता है, वह यह है कि ‘पालि’ शब्द का प्रयोग ‘पंक्ति’ के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है।
भदन्तजी के अनुसार, आगे चलकर जब शास्त्रीय ग्रंथों पर भाष्य लिखे जाने की तरह बुद्धवचन पर भी अट्ठकथाएं लिखी जाने लगी तो उनमें और मूल बुद्धवचनों में भेद करने के लिए मूल बुद्धवचनों को ‘पालि’ नाम दिया गया। अट्ठकथाओं में अथवा पालिभाषा में लिखे गए इतर वांगमय में ‘इदं पालियं वुत्तं’ प्रयोग इसका साक्षी है(पालि परिचयः आवश्यक पालिः इकत्तीस दिन में)।
3. डाॅ. प्रियसेन सिंह के अनुसार निस्संदेह, ‘पालि’ शब्द का प्रयोग मूल ति-पिटक के लिए आया है। यथा-
1. ‘पालिमत्तं इध आनितं, नत्थि अट्ठकथा इध’।
2. नेव पालियं न अट्ठकथायं दिस्सति।
3. इमिस्सा पन पालिया एवमत्थो वेदितब्बो; आदि।
ति-पिटक ग्रंथों में जगह-जगह पर बुद्धवचन के अर्थ में ‘धम्म परियाय’ शब्द का पाठ मिलता है। यथा-
1. ‘तस्मातिह त्वं आनन्द! इमं धम्म-परियायं अत्थ जालन्ति पि नं धारेहि....अनुत्तरो संगाामविजयो ति पि नं धारेहि(ब्रह्मजाल सुत्तः दीघनिकाय)।
2. ‘एवं वुत्ते मुण्डो राजा आयस्मतं नारदं एतदवोच- ‘‘को नामो अयं भन्ते! धम्मपरियायो ति?’’ ‘‘सोकसल्ल -हरणो नामं अयं महाराज! धम्मपरियायो ति’’(नारद सुत्तः अंगुत्तर निकाय)।

पालि परिचय नामक अपने ग्रंथ की भूमिका में लेखक डाॅ. प्रियसेन सिंह ने उक्त उद्धरण देते हुए लिखा है कि अशोक ने भी, इसी अर्थ में अपने धम्म-लेख में इस शब्द का प्रयोग किया। लेखक के अनुसार ‘पारियाय’ शब्द जो बुध्दवचन के लिए प्रयुक्त किया जाता था, कालान्तर में ‘पलियाय’ से ‘पालियाय’ और बाद में लघु-रूप ‘पालि’ हो गया।
रायस डेविड्स और गाइगर दोनों विद्वान् इससे सहमत है

सिंहल द्वीप में जब ति-पिटक के साथ 'पालि' शब्द पहुंचा, उस समय 'परियाय/पलियाय या पालियाय से इसका सम्बन्ध टूट चुका था और लोगों को यह एक पृथक नया शब्द मालूम हुआ। वैयाकरणों ने इसका अर्थ 'पा'(रक्खति) धातु से करना प्रारंभ किया।  पा- पालेति रक्खति इति 'पालि'(भूमिका: पालि महा व्याकरण : भिक्खु जगदीश काश्यप )।


 - अ. ला. उके

Friday, June 19, 2020

रामरतनजी जानोरकर

कानूनी मान्यता प्राप्त बौद्ध धम्म गुरु, पूर्व महापौर नागपुर १९७६~७७ स्मृति शेष बाबू रामरतनजी जानोरकर का १५ वा स्मृति दिन
जन्म :~ ८ अगस्त १९३१
निर्वाण:~ १९ जुन २००५
धम्म दिक्षा ग्रहण :~ १४ आक्टो.१९५६ दलितों के मशीहा डाँ. बाबा साहब भिमरावजी आम्बेडकर के हस्ते
धम्म दिक्षा दान:~ १७ मार्च १९५७ से आगे भी .
डाँ. बाबा साहब आम्बेडकर जी ने १४ आक्टो १९५६ को नागपुर मे धम्म दिक्षा आयोजित किया , उस आयोजन समिति के सचिव दलितों के लाडले नेता अँड्व्होकेट बाबू हरीदासजी आवळे के सहयोगी एवं प्रसिद्ध पुस्तिका मै भंगी हूँ के लेखक एवं सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता मा . स्मृति शेष मा. भगवानदास जी दिल्ली के परम् मित्र एवं संबंधी स्मृति शेष बाबू रामरतनजी जानोरकर ने अपनी युवा अवस्था में ही स्वयं को आम्बेडकरी आंदोलन मे झोंक दिया .
इनका जन्म ८ अगस्त १९३१ को नागपुर की ठक्करनगर पाचपावली में हुआ . मुलत: इनके दादीजी जियालाल राजापुर तह. कर्वी , जिल्हा बांदा, यु.पी के थे. वे काम~धंदे की तलाश मे नागपुर आये थे. बाबू जानोरकरजी ने शेड्युलकास्ट फेडरेशन , भारतीय बौद्ध महा सभा सफाई मजदूर संघटन, बीडी मजदूर संघटन, मेहतर विविध उद्धेसिय सहकारी संस्था का निर्माण, शैक्षणिक क्षेत्र, एवं रिपब्लिकन पार्टी के विभिन्न राष्ट्रीय पदो को सुशोभित किया. १४ आक्टो १९५६ की दिक्षा कार्यक्रम की संयोजन समिती के सहासचिव की हैसियत से काम किया था . बौद्ध धम्म के प्रचार~ प्रसार हेतू भारत भ्रमण किया १७मार्च १९५७ को लष्करीबाग मे आयोजित दिक्षा कार्यक्रम में हजारों दलितों को बौद्ध धम्म की दिक्षा दी. और बौद्ध बनाया. उसमें दलितों के नेता डाँ. डी.पी.मेष्राम , दे.वा.भगत , वाशुदेवजी डोंगरे आ.कान्त माटे आदि सम्मिलित थे.
१७ जनवरी १९६२ को हुवे विधान सभा के चुनाव में पराजित उम्मेदवार ने विजित उम्मीदवार के खिलाफ केस उच्च न्यायालय खंड पीठ नागपुर मे अपील की जिसमें न्यायाधीश महोदय ने निर्णय दिया कि, १४आक्टो १९५६ को डाँ. बाबा साहब आम्बेडकर जी ने तथा १७ मार्च १९५७ को बाबू सरामरतनजी जानोरकर द्वारा दी गयी धम्म् दिक्षा कार्यक्रम, धम्म् दिक्षा ना हो कर राजकीय सभा थी. इस निर्णय से १४आक्टो १९५६ को बाबा साहब द्वारा दी गयी धम्म दिक्षा , एवं १७मार्च १९५७ को बाबू रामरतन जानोरकरजी द्वारा धम्म् दीक्षित लोग बौद्ध ना होकर पूर्व श्रम के महार ही कहलाए गये .
इस निर्णय के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने का निर्णय बाबू हरिदास आवळेजी ने लिया . इस काम की पूर्ण जवाबदारी बाबू रामरतन जानोरकरजी को दी. उन्होने अपनी जबाबदारी कुशलता पुर्वक निभाई, इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि १४ आक्टो १९५६ को बाबा साहब द्वारा एवं १७मार्च १९५७ को बाबू रामरतनजी जानोरकर द्वारा दी गयी दिक्षा राजकीय सभा ना होकर दिक्षा कार्यक्रम ही था.
.. इस निर्णय से.दीक्षित दलित बौद्ध . कहलाए

Friday, June 12, 2020

IPST:Minuts of Webinar Meeting(11.05.2020) & Proceeding

Be a part of this Innovative Historical Work , please-
पालि अध्ययन और प्रशिक्षण प्रतिष्ठान: भोपाल, म. प्र.
IPST(The Institute of Pali Studies and Training)
जुम वेबनार मीटिंग दि. 11.05.2020  के परिपालन में
To follow the Minutes of Webnar Meeting dtd. 11. 05. 2020

'एक्शन प्लान'
(Action Plan)
1.  भोपाल में,  'पालि अध्ययन और प्रशिक्षण प्रतिष्ठान' स्थापित करने बाबद शासन को पुन: मांग-पत्र प्रस्तुत किया जाये  और पूर्व में सौपें गए मांग-पत्र पर शासन द्वारा उठाये गए कदमों की जानकारी ली जाये।
Re-submission of Memorandum and necessary pursuance of previous submitted memorandum, to the Govt,  to Establish of The Institution of Pali Studies and Training, in Bhopal.
2.  संस्था के सञ्चालन के लिए 10 सदस्यों वाला 'बोर्ड ऑफ़ डाइरेक्टर' का गठन किया जाये जिसके अध्यक्ष  मान. लखनलाल (पूर्व आई. जी.) हों। BOD  की सदस्य सीमा बढाकर 15 की गई है।
Constitute a 10 members of Board of Directors(BOD) for the purpose of administration, in Chairmanship of Hon. Lakhanlal, I.G.(Rtd)
3.  संस्था के उद्देश्य और कार्यप्रणाली के लिए 'बाय-लाज' बना कर संस्था को रजिस्टर्ड किया जाये।
To Frame By-Laws for the functioning of IPST, and its Registration.
4. बैंक में संस्था का एकाउन्ट खोला जाये .
Open Bank A/C in the name of IPST.
5.  'बोर्ड ऑफ़ डाइरेक्टर' का प्रत्येक सदस्य संस्था की प्राथमिक सदस्यता के बतौर प्रति सदस्य 1 लाख रुपये एकमुश्त अथवा किश्तों में 14 अक्टू 2020 तक संस्था के  एकाउन्ट में जमा करें।
The BOD Members have to deposit Rs/ One Lac at a time/installments up to 14 Oct. 2020.

बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स
Board Of Directors(BOD)-
1.  मान्य. लखनलाल जी,  भोपाल
Hon. Lakhanlal, Bhopal
2. मान्य. शेखर बौद्ध, भोपाल
Hon. Shekhar Bouddh, Bhopal
3. प्रो. हेमलता महिस्वर, दिल्ली
Prof. Hemlata Mahiswar, Delhi
4. डॉ. प्रफुल्ल गढ़पाल, लखनऊ
Dr. Prafull Gadhapal, Lakhanau
5. मान्य. प्रभाकर मुन्दरे, नागपुर
Hon. Prabhakar Mundare, Nagpur
6. मान्य. राष्ट्रपाल बागडे, इंदौर
Hon. Rashtrapal Bagade, Indore
7. मान्य. संखवार बी. डी., भोपाल
Hon. Sankhawar B. D. , Bhopal
8. मोतीलाल आलमचन्द्र, भोपाल
Hon. Motilal Alamchandra, Bhopal
9. अनिल गोलाईत, भोपाल
Hon. Anil Golaeet, Bhopal
10. ए. के. संकुले, जबलपुर
Hon. A. K. Sankule, Jabalpur
11. एस. आर. धाड़े,  खंडवा
Hon. S. R. Dhade, Khandawa
12. राजू राउतकर, पन्ना
Hon. Raju Rautkar, Panna
13. डॉ  राहुल सिंग, दिल्ली
Dr. Rahul Sinh, Delhi
14. प्रवीण पंडित मुंबई
Hon. Pravin pandit, Mumbai
15. - अ. ला. ऊके, भोपाल
A. L. Ukey, Bhopal

-मानद सदस्यों से सहमति की अपेक्षा की जाती है।
The consent is expected from the Honorable Members, please.

By-Laws

कार्य-क्षेत्र - सम्पूर्ण भारतवर्ष।
Work area- All India
उद्देश्य- पालिभाषा का अध्ययन और प्रशिक्षण ।
Object- To Studies of Pali Language and Training .
कार्य- उक्त उद्देश्य की पूर्ति के लिए संस्था निम्न कार्य करेगी-
Work- To attained the object, the Institution shall run-
1. स्कूली और उच्च शिक्षा, शोध के पाठ्य-क्रमों का सञ्चालन।
To run Schools and Higher Education, Research faculties etc.
2. अन्य विषयों के साथ धम्मलिपि/अशोक लिपि का अध्ययन-अध्यापन और शोध.
To Study, Teaching and Resaerch of Pali and Dhammlipi(Ashoklipi) in addition to other subjects.
3. डॉ. अम्बेडकर कृत 'बुद्धा एंड हिज धम्मा' की दृष्टी से पालि-ग्रंथों का अध्ययन-अध्यापन और शोध।
To Studies, Teaching and Resaerch of Pali Ti-Pitak in view of Baba Sahab Dr. Ambedkar' work  'Buddha and His Dhamma'.
4. बौद्ध पुरातात्विक स्थानों का अध्ययन-अध्यापन और शोध ।
To Studies and research of Buddhist related ancient/Architecture places/spots
5. पालि भाषा(धम्मलिपि) अध्ययन से रोजगार से अवसर बढ़ाना।
To Create employments through Studies of Pali/Dhammlipi.
6. पालि/बौद्ध अध्ययन से मध्य-प्रदेश/भारतवर्ष की छवि विश्व मानचित्र में निखारना।
Shining of M.P./India through Studies of Ancient Pali Language/Buddhist Inheritance, in world map
7.  बौद्ध विहारों/संथागारों में पालि भाषा सम्बन्धी शैक्षणिक कार्यक्रमों का सञ्चालन।
To run Pali-Educational programs in Buddha Viharas/Monestaries.
8.  बौद्ध नैतिक शिक्षा, शील, सदाचार का अध्ययन।
To Studies of Vinay/Buddhist way of life and Moral Education.
9. विपस्सना अध्ययन और शोध।
To Studies and Research in field of Vipassana.
10. बौद्ध प्रतीक, पर्व/त्यौहार, सम्राट अशोक का जन्म दिवस(लिपि दिवस) आदि का अध्ययन और शोध ।
Studies and research of Buddhist Marks/Events, Lipi Day(Birth Day of Ashok) etc.
11. वाट्स-एप, टेलीग्राम, यू ट्यूब आदि सोशलसाइट्स/ मीडिया द्वारा पालि कक्षाएं संचालित करना ।
To run Pali Learning classes through WhatsApp, Teilgram, You Tubes etc
12. शासन द्वारा किए जा रहे जन-कल्याण के कार्यों में सह-भागिता।
To Perform Social responsibility as directed by Govt.

प्रबंध-  संस्था के प्रबंध के लिए 15 से 20  सदस्यीय बीओडी(बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स) होगा।
Administration- The 15 to 20 Members BOD(Board of Directors) shall be the Administrative Body.
कार्य-सञ्चालन- संस्था के दैनिक कार्य-सञ्चालन हेतु सचिव आदि मिलाकर एक कार्य-समिति होगी।
Executives- For day to day work, there shall be an Executive Body having Secretary and its staff.
एडवायजरी बोर्ड-  पालि विषयक विशेषज्ञों का एक पेनल होगा।
Advisory Board- There shall be an Advisory Board having Specialist in Pali concern

जो सदस्य संस्था के  By-Laws  में रूचि रखते हैं, वे इसमें संवर्धन/परिवर्द्धन कर सकते हैं.  वास्ते सूचनार्थ।
Member, who is concern in Framing By-Laws, welcomed for His valuable advice,  please.

Hon, Members are requested to take note of this-
1. By-Laws of this Institution are being formulated and Registration is being done of this Body.
2. Please guide us for taking notes of your valuable advice in this respect.
3. We are not personally known to each other, but synchronizing with goal/object of this Institution, and having that vision, we can go ahead.
4. Being the Lieutenant of Dr. Babasahab Ambedkar, it's social responsibility on our shoulder, to work, to unearthed, to restate ancient Pali Language and it's Dhammlipi(Ashoklipi) in which Loard Buddha delivered His Preaching. We are waiting, eagerly awaited your valuable suggestion. Thanks a lot.

Be a Part of-
पालि अध्ययन और प्रशिक्षण संस्थान', भोपाल
IPST(Institute Of Pali Studies and Trainging), Bhopal
के कार्यकारी समिति(Excecutive Body) के लिए 7 महिला सदस्यों में से 3 के नाम इस प्रकार है-
1. आवुसा ललिता मेश्राम
2. आवुसा आशा बोरसे
3. आवुसा जोति धराड़े
शेष 4 पद निम्न 8 महिला पालि छात्रों से भरना प्रस्तावित है। कृपया अपनी सहमति दें.
1. श्रुतिभा पाटिल
2. शैला सोमकुंवर
3. सुनंदा गजभिये
4. विनीता रंगारी
5. प्रीति घरडे
6. रेखा बागड़े
7. लीना
8. सुरेखा बागड़े
-----------------
संस्थान की सदस्यता-
Membership Of the Institution-
1. सोसायटी नियम, प्रारूप एक (क) के उपनियम- 5 के परिपालन में संस्था के सदस्य निम्न तीन प्रवर्गों में होंगे-
Following the concern rule of 'Firm and Society' there are three(3) heads of Membership.
(क ) संरक्षक सदस्य(Trusty)- इस प्रवर्ग के सदस्य को संस्था की सदस्यता के बतौर संस्था के एकाउंट में एक लाख रूपया एकमुश्त/सुविधानुसार किश्तों में 14 अक्टू(धम्म दिवस) तक जमा करना होगा। ये ही सदस्य संस्था के निदेशक होंगे।
Trusty Membership- Board of Directors.
(ख )- आजीवन सदस्य(Life Membership):
इस प्रवर्ग के सदस्य को अपने अंशदान के बतौर संस्था के एकाउंट में रू. 10, 000/- एकमुश्त/सुविधानुसार किश्तों में 14 अक्टू(धम्म दिवस) तक जमा करना होगा।
Rs. 10,000/- at a time/partly shall be their contribution and have to deposit up to 14th Oct. 2020.
(ग)- साधारण सदस्य- इस प्रवर्ग के सदस्य को अपने अंशदान के बतौर संस्था के एकाउंट में रू. 100/- प्रतिमाह जमा करना होगा। साधारण सदस्य केवल उसी कालवधि के लिए सदस्य होंगे जिसके लिए वह अंशदान करेगा।
General Membership- Rs/- 100/- per month is their contribution and shall be valid for contributed period.
(घ) मानद सदस्य(Honorable Membership)-

2. उक्त प्रवर्गों के सदस्य ही उपनियम 12 के तहत प्रबंधकारिणी/कार्यकारिणी(Executive Body) का गठन करते हैं.
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23. 06. 2020
Be a Part of-
पालि अध्ययन और प्रशिक्षण संस्थान', भोपाल
IPST(Institute Of Pali Studies and Trainging), Bhopal
के कार्यकारी समिति(Excecutive Body) में 7 महिला सदस्यों के नाम प्रस्तावित हैं। तत्सम्बंध में 3 महिला सदस्यों (क्रं- 1 से 3) के साथ रिक्त 4 पदों के विरुद्ध निम्न 5 महिलाओं (क्रं- 4 से 8) की सहमति प्राप्त हुई है। वास्ते सूचनार्थ।
1. आवुसा ललिता मेश्राम
2. आवुसा आशा बोरसे
3. आवुसा जोति धराड़े

4. श्रुतिभा पाटिल
5. शैला सोमकुंवर
6. प्रीति घरडे
--------------------------------------
24. 06. 2020
Be a part of this Innovative Historical Work , please-

पालि अध्ययन और प्रशिक्षण प्रतिष्ठान: भोपाल, म. प्र.
IPST(The Institute of Pali Studies and Training)


By-Laws-
Proposed and drafted by- 
1. A. L. Ukey,  Bhopal. 
2. Motilal Alamchandra Bhopal
3. Dr. Prafull Gadhpal Lakhanau 
4. Dr. R. V. Rahul Singh, Delhi

कार्य-क्षेत्र - सम्पूर्ण भारतवर्ष।
Work area- All India

उद्देश्य- पालिभाषा का अध्ययन, अध्यापन, प्रशिक्षण और शोध ।
Object/Goal- Studies of Pali Language, Research, Teaching and Training .

उक्त उद्देश्य की पूर्ति के लिए संस्था निम्न कार्य करेगी-
To attained the object/goal, the Institution shall execute the following activities to attain the Objectives/Goals-

Work/Activities-
1. प्रायमरी स्कूल, मिडिल स्कूल, हायर सेकेंडरी, स्नातक, पोस्ट-स्नातक, पीएच डी, डिप्लोमा आदि उच्च शिक्षा, शोध के पाठ्य-क्रमों का सञ्चालन करना ।
To run Primary Schools, Middle Schools, Higher Secondary, Graduations, Post-Graduation, PhD and diploma.

2. अन्य विषयों के साथ पालि भाषा का नागरी-लिपि, धम्मलिपि(अशोक लिपि) और अहिन्दी भाषियों(राष्ट्रीय, अंतराष्ट्रीय) के लिए रोमन-लिपि में अध्ययन-अध्यापन और शोध.
In addition to other subjects, Studies, Teaching and Research of Pali in Nagari-lipi, Dhamma-lipi(Ashok-lipi) and in Roman-lipi to promote it among Non-Hindi speaking people (national and international).

3. डॉ. अम्बेडकर कृत 'बुद्धा एंड हिज धम्मा' की दृष्टी से पालि-ग्रंथों का अध्ययन-अध्यापन और शोध।
Critical Studies of Pali Ti-Pitak and associates literature in view of Baba Sahab Dr. Ambedkar' work  'Buddha and His Dhamma'.

4. राष्ट्रीय, अन्तराष्ट्रीय बुद्धिस्ट स्मारक (बौद्ध-विश्व-विद्यालय, संस्थागार, विहार, गुफाएं, लेनी, स्तूप आदि )  पुरातात्विक स्थानों का संस्कृति, धर्म, इतिहास, भाषायी और सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक महत्ता की दृष्टी से अध्ययन-अध्यापन और शोध ।
Studies and research of National and International Buddhist Monuments (Buddhist Universities, Monasteries, Vihars, Caves and Lenies, Stupas etc.)  architecture  places/spots in the reference of culture, religious, historical, linguistic and social, economic and educational importance.

5. पालि के अध्ययन, अध्यापन एवं तत्सम्बन्धी अन्वेषण से रोजगार के अवसर निर्माण करना ।
Create the opportunities of employments through Teaching, Training and Advanced Research Studies of Pali Language and Literature

6.  पालि भाषा, साहित्य, बुद्ध उपदेश, सम्राट अशोक का धम्म-मिशन, प्रबुद्ध भारत तथा  धर्म, संस्कृति, सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, विश्व मानवता के सशक्तिकरण की स्थापना में, सुख, शांति, समृद्धता का मार्ग दिखाते हुए बोधिसत्व बाबासाहब डॉ अम्बेडकर के मिशन को महत्त्व को रेखांकित करना .
To highlight the role and importance of Pali language and literature,Teachings of Buddha, Dhamma Mission of Samtrat Ashoka and Buddhist India dream and Mission of Bodhisatva Babasahab Dr. Ambedkar in establishing of culture, religious, social, economic and education
empowerment of world humanity by showing path of Peace, Happiness and prosperity.

7.  बुद्धविहारों/संथागारों, अम्बेडकरी/बौद्ध संस्थाओं/संगठनों से सम्बद्ध भिक्खु, उपासक, बच्चें, युवकों के बीच पालि भाषा सम्बन्धी औपचारिक, अनौपचारिक शैक्षणिक कार्यक्रम और पालि  कक्षाओं का सञ्चालन।
To organize formal and informal courses and classes of Pali for Bhikkhus, Upasakas, children, youths related to Buddha Vihars/Monestaries, staffs of Ambekarites and Buddhists Institutions and organizations.

8. सामाजिक जीवन और नैतिक शिक्षण में समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व की स्थापना हेतु  विनय, बुद्धिस्ट जीवन, वैज्ञानिक तार्किक सोच, जागरूकता, संवैधानिक महत्त्व  का अध्ययन।
Studies of Vinay/Buddhist way of life, rationality and scientific thinking, awareness and importance of Constitution in establishing of EQUALITY, LIBERTY AND FRATERNITY in social life and Moral Education.

9. विपस्सना अध्ययन और शोध।
Studies and Research in field of Vipassana.

10. वर्तमान धम्म और उसके पुनर्जीवन से सम्बंधित  विभूतियों, प्रतीकों, पर्व/त्यौहारों, सम्राट अशोक का जन्म दिवस(लिपि दिवस) आदि का अध्ययन और शोध ।
Studies and research  on Great Buddhist Personalities who contributed in revival and survival of Dhamma Marks/Events, Lipi Day(Birth Day of Ashok etc.

11.  अन्तराष्ट्रीय पालि-दिवस, पालि-जागरूकता सप्ताह/माह, पालि-उत्सव, पालि-ज्ञान प्रतियोगिता, पालि- निबंध प्रतियोगिता, पालि भाषा, साहित्य और बुद्धोपदेश के प्रति जागरूकता हेतु वार्षिक सम्मलेन आयोजित करना .
To organize International Pali Day, Pali awareness week/month, Pali Festival, Pali Knowladge competition, Essay competition on Pali and Buddhism and Annually Pali Conference for creating awareness toward Pali language, Literature and Teaching of Buddha.

12. एमओओसी, वाट्स-एप, टेलीग्राम, यू ट्यूब आदि सोशल-मीडिया/साइट्स के द्वारा पालि शिक्षण कक्षाएं, डिग्री, डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित करना ।
To organize online Pali Learing classes and diploma courses and degree courses, through MOOC(Massive Online Open Courses), social media such as WhatsApp, Telegram, You Tubes etc

13. पालि, बौद्ध अध्ययन के क्षेत्र में समान उद्देश्य वाली राष्ट्रीय, अन्तराष्ट्रीय संस्थानों, विश्व-विद्यालयों/विभागों के मध्य सम्बन्ध और सहयोग विकसित करना।
To develop linkage and collaboration with national and international institution/ universities/ departments on Pali, Buddhist studies for attaining similar objectives.

14. बैठकों और विचार-विमर्श द्वारा भारतीय संविधान की 8 अनुसूची में पालि भाषा को सूचीबद्ध करने और संरक्षित भाषा का दर्जा देने तथा हाई स्कूल, उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं, भारतीय विश्व-विद्यालयों में एक विषय के रूप में शामिल कराने लोगों में जागरूकता पैदा करना।
To create awareness among people through meetings, discussion, companion for inclusion of Pali language in 8th Schedule of Indian Constitution and status of classical language and also inclusion in as a subject in High Schools, Intermediate classes and Indian Universities as an independent Department.

15. जन-मानस में प्रचार के लिए 'पालिबुद्ध वाणी' हिंदी-अंग्रेजी द्वि-भाषी पत्रिका तथा शैक्षणिक, बौद्धिक  जगत के लिए पाली भाषा और साहित्य की अन्तराष्ट्रीय पत्रिका प्रकाशित करना।
To publish a monthly/Quarterly Magazine PALI BUDDHA VANI  bilingual Hindi and English for popularization among masses and International Journal of Pali Language and Literature for academicians and intellectuals.

16. पालि के प्रचार के लिए राष्ट्रिय, अन्तराष्ट्रीय सम्मलेन, सेमिनार,  कार्य-शाला आयोजित कर पालि से सम्बंधित मुद्दों को उठाना।
To organize National international conference, seminars, workshops on promotion of Pali and highlight the issues related to Pali.

17. जन-कल्याण से सम्बंधित शासन के कार्यों में सह-भागिता।
 Participation in social causes with Govt.

- Attention needed of the concern Honorable Members for any suggestion/ change/ modification please.

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26. 06. 2020

पालि अध्ययन और प्रशिक्षण प्रतिष्ठान: भोपाल, म. प्र.
IPST(The Institute of Pali Studies and Training)

The Institution is going to Registered shortly, Member concern, may kind take notice please-


1. स्टेटस-  एनजीओ
Status- Non Profit Company(NGO)

2. कानून/एक्ट- सोसायटी रजिस्टेशन एक्ट 1860
Act/Law applied- Societies Registration Act 1860.

3. एक ही परिवार के सदस्य सोसायटी में नहीं हो सकते।
Eligibility of Family Members- Members of the same family can not be member of the society.

4. संचालन का कार्य-क्षेत्र- सम्पूर्ण भारतवर्ष, राष्टीय स्तर पर रजिस्टर्ड।
Area of Operation-  If registered as a National level, Society can be operated throughout India.

5. कम-से-कम 8 सदस्य देश के अलग-अलग राज्यों से होना अनिवार्य है।
Minimum  Members at National level-  Minimum 8 Members from 8 different states are required in National level Society.

6. कार्यकारिणी का प्रारूप- 1. जनरल बाॅडी 2. एक्जेक्युटिव कमेटी।
Governing Structure- 1. General Body. 2. Executive Committee.

7. वोटिंग अधिकार- एक समान।
Vote Power- All the Members of the Society have equal rights in the General Body.

8. फन्डिंग- सोसायटी, राज्य और केन्द्र सरकार से फन्ड प्राप्त कर सकती है।
Funding-  Can get Fund from Govt. Ministries/Deportment.

9. एन्युअल रिपोर्ट व डाक्यूमेन्टेशन- प्रज्येक वित्तीय वर्ष एन्युअल रिपोर्ट इनकम टेक्स की आडिट के साथ भेजना होता है।
Annual Report and documentation- Annual list of Managing body is to be filed every year.

10. मीटिंग-  समय-समय पर जनरल बाॅडी और बोर्ड मीटिंग करना आवश्यक।
Gen. body and Board meetings- General Body and Board Meeting are required to be held up as prescribed  in the Bye-Laws of the Society.

11. विदेशी सदस्यता- कोई विदेशी सोसायटी का सदस्य बन सकता है।
Foreign Membership- A foreigner can be a Member of the Society.

12. प्रोविजन आफ रिकरिंग एक्सपेडिचर- न के बराबर।
Recurring and Expenditure- Minimum statutory compliance's are required.

13. स्कूल/कालेज शिक्षण संस्था चलाने की योग्यता- सोसायटी सभी राज्यों में स्कूल-कालेज शिक्षण संस्थाएं खोल सकती है।
Eligibility for School/College formation- Society is eligible for Schools/College formation in all states of India.

14. तनख्वाह/वेतन/सैलरी का अधिकार- जनरल बाॅडी के सदस्यों को तनख्वाह देने के आदेश पारित किया जा सकता है।
Can members get Payment or can not-  General Body can permit and approve to get payment.
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29. 06. 2020
Be a Part of-
पालि अध्ययन और प्रशिक्षण संस्थान', भोपाल
IPST(Institute Of Pali Studies and Trainging), Bhopal
के कार्यकारी समिति(Excecutive Body) में स्थानीय 7 महिला सदस्यों के नाम प्रस्तावित हैं। तत्सम्बंध में निम्न 5 महिला सदस्यों की सहमति प्राप्त हुई है। वास्ते सूचनार्थ।
1. आवुसा ललिता मेश्राम
2. आवुसा आशा बोरसे
3. आवुसा जोति धराड़े
4. अवुसा श्रुतिभा पाटिल
5. अवुसा शैला सोमकुंवर
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29. 06. 2020
Trusties/ Life Member-
1. Hon. Lakhanlal, Bhopal  (M. P.)
2. Hon. Shekhar Bouddh, Bhopal M. P.
3. Prof. Hemlata Mahiswar, Delhi, (CHH)
4. Dr. Prafull Gadhapal, Lakhanau (M. P.)
5. Hon. Prabhakar Mundare, Nagpur (M. S.)
6. Hon. Rashtrapal Bagade, Indore M. P.
7. Hon. Sankhawar B. D. Bhopal M. P.
8. Hon. Motilal Alamchandra, Bhopal M. P.
9. Hon. Anil Golaeet, Bhopal M. P.
10. Hon. Raju Rautkar, Panna M. P.
11. Dr. Rahul Sinh, Delhi (Delhi)
12. A. L. Ukey, Bhopal
13.  Dr. Nilima Chauhan Merath (M.S)
14. Dr  J. S Ganveer Indore M. P.
15.  Prof. Vimalkirti Nagpur (M. S.)
16.  Gotam More, Mumbai (M. S.)
17.  Rajendra Meshram Singrauli M. P.
18.  Sunil Borse Bhopal M. P
10. Buddhsharan Hans Patna(Bihar)
20. Dr. Vijay Kumar Tisharan (Jharkhand)
21. KuldeepKumar Hissar(Hariyana)
22. Dr RaviKumar Dharwad (Karnataka)
23. Dr. Tararam Joddhapur (Raj.)
24. Dr. Bhimrao Gote Nagpur M. S.
25. Sarswati Ashok Boddhi Nagpur M. S.
26. Sudhir Raj Singh (Delhi)
27. Pro. Ratnsheel Rajvardhan Sanchi, M.P.
28. Abhiman Sonvane Bhopal, M.P.
29. Madan Gajbhiye Bhopal M.P.
30. Rajesh Bhanvar Meghvanshi (Rajsthan)
31.  Pro. Anusarita mandal Kalkatta Univesity (West Bengal)
32. Pro. Vaishali Haidarabad (Telngana )

33.Bhadant Vanna Sami Arunanchal Pradesh
34.Bhantet Dhammsikhar Balaghat M. P.
35.Bhante Sagar Bhopal M. P.

36. Dr S. N. Bouddha
38.Dr SwroopRani vijaywad
39. Dr. Tararam Jodhpur Rajsthan
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All new Hon. members are welcome to establish 'The Institution of Pali Studies and Training' in Bhopal(M.P.). The objectives are as follow-

Be a part of this Innovative Historical Work , please-

पालि अध्ययन और प्रशिक्षण प्रतिष्ठान: भोपाल, म. प्र.
IPST(The Institute of Pali Studies and Training)


By-Laws, as drafted- 
कार्य-क्षेत्र - सम्पूर्ण भारतवर्ष।
Work area- All India

उद्देश्य- पालिभाषा का अध्ययन, अध्यापन, प्रशिक्षण और शोध ।
Object/Goal- Studies of Pali Language, Research, Teaching and Training .

उक्त उद्देश्य की पूर्ति के लिए संस्था निम्न कार्य करेगी-
To attained the object/goal, the Institution shall execute the following activities to attain the Objectives/Goals-

Work/Activities-
1. प्रायमरी स्कूल, मिडिल स्कूल, हायर सेकेंडरी, स्नातक, पोस्ट-स्नातक, पीएच डी, डिप्लोमा आदि उच्च शिक्षा, शोध के पाठ्य-क्रमों का सञ्चालन करना ।
To run Primary Schools, Middle Schools, Higher Secondary, Graduations, Post-Graduation, PhD and diploma.

2. अन्य विषयों के साथ पालि भाषा का नागरी-लिपि, धम्मलिपि(अशोक लिपि) और अहिन्दी भाषियों(राष्ट्रीय, अंतराष्ट्रीय) के लिए रोमन-लिपि में अध्ययन-अध्यापन और शोध.
In addition to other subjects, Studies, Teaching and Research of Pali in Nagari-lipi, Dhamma-lipi(Ashok-lipi) and in Roman-lipi to promote it among Non-Hindi speaking people (national and international).

3. डॉ. अम्बेडकर कृत 'बुद्धा एंड हिज धम्मा' की दृष्टी से पालि-ग्रंथों का अध्ययन-अध्यापन और शोध।
Critical Studies of Pali Ti-Pitak and associates literature in view of Baba Sahab Dr. Ambedkar' work  'Buddha and His Dhamma'.

4. राष्ट्रीय, अन्तराष्ट्रीय बुद्धिस्ट स्मारक (बौद्ध-विश्व-विद्यालय, संस्थागार, विहार, गुफाएं, लेनी, स्तूप आदि )  पुरातात्विक स्थानों का संस्कृति, धर्म, इतिहास, भाषायी और सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक महत्ता की दृष्टी से अध्ययन-अध्यापन और शोध ।
Studies and research of National and International Buddhist Monuments (Buddhist Universities, Monasteries, Vihars, Caves and Lenies, Stupas etc.)  architecture  places/spots in the reference of culture, religious, historical, linguistic and social, economic and educational importance.

5. पालि के अध्ययन, अध्यापन एवं तत्सम्बन्धी अन्वेषण से रोजगार के अवसर निर्माण करना ।
Create the opportunities of employments through Teaching, Training and Advanced Research Studies of Pali Language and Literature

6.  पालि भाषा, साहित्य, बुद्ध उपदेश, सम्राट अशोक का धम्म-मिशन, प्रबुद्ध भारत तथा  धर्म, संस्कृति, सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, विश्व मानवता के सशक्तिकरण की स्थापना में, सुख, शांति, समृद्धता का मार्ग दिखाते हुए बोधिसत्व बाबासाहब डॉ अम्बेडकर के मिशन को महत्त्व को रेखांकित करना .
To highlight the role and importance of Pali language and literature,Teachings of Buddha, Dhamma Mission of Samtrat Ashoka and Buddhist India dream and Mission of Bodhisatva Babasahab Dr. Ambedkar in establishing of culture, religious, social, economic and education
empowerment of world humanity by showing path of Peace, Happiness and prosperity.

7.  बुद्धविहारों/संथागारों, अम्बेडकरी/बौद्ध संस्थाओं/संगठनों से सम्बद्ध भिक्खु, उपासक, बच्चें, युवकों के बीच पालि भाषा सम्बन्धी औपचारिक, अनौपचारिक शैक्षणिक कार्यक्रम और पालि  कक्षाओं का सञ्चालन।
To organize formal and informal courses and classes of Pali for Bhikkhus, Upasakas, children, youths related to Buddha Vihars/Monestaries, staffs of Ambekarites and Buddhists Institutions and organizations.

8. सामाजिक जीवन और नैतिक शिक्षण में समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व की स्थापना हेतु  विनय, बुद्धिस्ट जीवन, वैज्ञानिक तार्किक सोच, जागरूकता, संवैधानिक महत्त्व  का अध्ययन।
Studies of Vinay/Buddhist way of life, rationality and scientific thinking, awareness and importance of Constitution in establishing of EQUALITY, LIBERTY AND FRATERNITY in social life and Moral Education.

9. विपस्सना अध्ययन और शोध।
Studies and Research in field of Vipassana.

10. वर्तमान धम्म और उसके पुनर्जीवन से सम्बंधित  विभूतियों, प्रतीकों, पर्व/त्यौहारों, सम्राट अशोक का जन्म दिवस(लिपि दिवस) आदि का अध्ययन और शोध ।
Studies and research  on Great Buddhist Personalities who contributed in revival and survival of Dhamma Marks/Events, Lipi Day(Birth Day of Ashok etc.

11.  अन्तराष्ट्रीय पालि-दिवस, पालि-जागरूकता सप्ताह/माह, पालि-उत्सव, पालि-ज्ञान प्रतियोगिता, पालि- निबंध प्रतियोगिता, पालि भाषा, साहित्य और बुद्धोपदेश के प्रति जागरूकता हेतु वार्षिक सम्मलेन आयोजित करना .
To organize International Pali Day, Pali awareness week/month, Pali Festival, Pali Knowladge competition, Essay competition on Pali and Buddhism and Annually Pali Conference for creating awareness toward Pali language, Literature and Teaching of Buddha.

12. एमओओसी, वाट्स-एप, टेलीग्राम, यू ट्यूब आदि सोशल-मीडिया/साइट्स के द्वारा पालि शिक्षण कक्षाएं, डिग्री, डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित करना ।
To organize online Pali Learing classes and diploma courses and degree courses, through MOOC(Massive Online Open Courses), social media such as WhatsApp, Telegram, You Tubes etc

13. पालि, बौद्ध अध्ययन के क्षेत्र में समान उद्देश्य वाली राष्ट्रीय, अन्तराष्ट्रीय संस्थानों, विश्व-विद्यालयों/विभागों के मध्य सम्बन्ध और सहयोग विकसित करना।
To develop linkage and collaboration with national and international institution/ universities/ departments on Pali, Buddhist studies for attaining similar objectives.

14. बैठकों और विचार-विमर्श द्वारा भारतीय संविधान की 8 अनुसूची में पालि भाषा को सूचीबद्ध करने और संरक्षित भाषा का दर्जा देने तथा हाई स्कूल, उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं, भारतीय विश्व-विद्यालयों में एक विषय के रूप में शामिल कराने लोगों में जागरूकता पैदा करना।
To create awareness among people through meetings, discussion, companion for inclusion of Pali language in 8th Schedule of Indian Constitution and status of classical language and also inclusion in as a subject in High Schools, Intermediate classes and Indian Universities as an independent Department.

15. जन-मानस में प्रचार के लिए 'पालिबुद्ध वाणी' हिंदी-अंग्रेजी द्वि-भाषी पत्रिका तथा शैक्षणिक, बौद्धिक  जगत के लिए पाली भाषा और साहित्य की अन्तराष्ट्रीय पत्रिका प्रकाशित करना।
To publish a monthly/Quarterly Magazine PALI BUDDHA VANI  bilingual Hindi and English for popularization among masses and International Journal of Pali Language and Literature for academicians and intellectuals.

16. पालि के प्रचार के लिए राष्ट्रिय, अन्तराष्ट्रीय सम्मलेन, सेमिनार,  कार्य-शाला आयोजित कर पालि से सम्बंधित मुद्दों को उठाना।
To organize National international conference, seminars, workshops on promotion of Pali and highlight the issues related to Pali.

17. जन-कल्याण से सम्बंधित शासन के कार्यों में सह-भागिता।
 Participation in social causes with Govt.
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17. 07. 2020
Time bound plan-
The Institute of Pali Studies and Training(IPST)
1. Resolution passed- on 10th Nov. 2019 at Gandhi Bhawan Bhopal
Further discussion on IPST formation Webinar zoom meeting- 11th June 2020
2. By-Laws/Society registration- up to 14th Oct. 2020
3. Land/Building work to be started- w.e.f. 14th April 2021
4. Responsible Body to carry out task-
20 Board of Directors(BOD)         
1. Hon. Lakhanlal, Bhopal  (MP) 
2. Hon. Shekhar Bouddh, Bhopal (MP)
3. Prof. Hemlata Mahiswar Delhi
4. Dr. Prafull Gadhapal (MP)
5. Hon. Prabhakar Mundare, Nagpur (MS)
6. Hon. Rashtrapal Bagade, Indore (MP)
7. Hon. Sankhawar B. D. Bhopal (MP)
8. Hon. Motilal Alamchandra Bhopal (MP)
9. Hon. Anil Golait Bhopal (MP)
10. Hon. Raju Rautkar Panna (MP)
11. Dr. Rahul Singh Noiada (UP)
12. Amritlal Ukey Bhopal (MP)
13.  Dr. Nilima Chauhan (MS)
14. Dr  J. S Ganveer Indore (MP)
15.  Rajendra Meshram Singrauli (MP)
16.  Sunil Borse Bhopal (MP)
17. Buddhsharan Hans Patna(Bihar)
19. Madan Gajbhiye Bhopal (MP)
20. Abhiman Sonvane Bhopal, M.P)

20. Pro. Ratnsheel Rajvardhan Sanchi (MP)
24. KuldeepKumar Hissar(Hariyana)
24. Dr. Bhimrao Gote Nagpur (MS)
25. Dr. Tararam Joddhapur (Raj)
20. Dr. Vijay Kumar Tisharan (Jharkhand)
22. Dr RaviKumar Dharwad (Karnataka)
25. Sarswati Ashok Boddhi Nagpur (MS)
31.  Pro. Anusarita mandal Kalkata (WB)
32. Pro. Vaishali Haidarabad (Telngana )
33.Bhadant Vanna Sami (Arunanchal Pradesh)
35.Bhante Sagar Bhopal M. P.
36. Dr S. N. Bouddha
38.Dr SwroopRani vijaywad
15.  Prof. Vimalkirti Nagpur (MS)
16.  Gotam More, Mumbai (MS)
-------------------------

22. 07. 2020
पालि अध्ययन और प्रशिक्षण प्रतिष्ठान: भोपाल, म. प्र.
IPST(The Institute of Pali Studies and Training)

This Institution is going to registers shortly under 'Firm ans Society Act'.

By-Laws, as drafted- 
कार्य-क्षेत्र - सम्पूर्ण भारतवर्ष।
Work area- All India

उद्देश्य- पालिभाषा का अध्ययन, अध्यापन, प्रशिक्षण और शोध ।
Object/Goal- Studies of Pali Language, Research, Teaching and Training .

उक्त उद्देश्य की पूर्ति के लिए संस्था निम्न कार्य करेगी-
To attained the object/goal, the Institution shall execute the following activities to attain the Objectives/Goals-

Work/Activities-
1. प्रायमरी स्कूल, मिडिल स्कूल, हायर सेकेंडरी, स्नातक, पोस्ट-स्नातक, पीएच डी, डिप्लोमा आदि उच्च शिक्षा, शोध के पाठ्य-क्रमों का सञ्चालन करना ।
To run Primary Schools, Middle Schools, Higher Secondary, Graduations, Post-Graduation, PhD and diploma.

2. अन्य विषयों के साथ पालि भाषा का नागरी-लिपि, धम्मलिपि(अशोक लिपि) और अहिन्दी भाषियों(राष्ट्रीय, अंतराष्ट्रीय) के लिए रोमन-लिपि में अध्ययन-अध्यापन और शोध.
In addition to other subjects, Studies, Teaching and Research of Pali in Nagari-lipi, Dhamma-lipi(Ashok-lipi) and in Roman-lipi to promote it among Non-Hindi speaking people (national and international).

3. डॉ. अम्बेडकर कृत 'बुद्धा एंड हिज धम्मा' की दृष्टी से पालि-ग्रंथों का अध्ययन-अध्यापन और शोध।
Critical Studies of Pali Ti-Pitak and associates literature in view of Baba Sahab Dr. Ambedkar' work  'Buddha and His Dhamma'.

4. राष्ट्रीय, अन्तराष्ट्रीय बुद्धिस्ट स्मारक (बौद्ध-विश्व-विद्यालय, संस्थागार, विहार, गुफाएं, लेनी, स्तूप आदि )  पुरातात्विक स्थानों का संस्कृति, धर्म, इतिहास, भाषायी और सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक महत्ता की दृष्टी से अध्ययन-अध्यापन और शोध ।
Studies and research of National and International Buddhist Monuments (Buddhist Universities, Monasteries, Vihars, Caves and Lenies, Stupas etc.)  architecture  places/spots in the reference of culture, religious, historical, linguistic and social, economic and educational importance.

5. पालि और धम्मलिपि के अध्ययन, अध्यापन एवं तत्सम्बन्धी अन्वेषण से रोजगार के अवसर निर्माण करना ।
Create the opportunities of employments through Teaching, Training and Advanced Research Studies of Dhammlipi and Pali Language and Literature

6.  पालि भाषा, साहित्य, बुद्ध उपदेश, सम्राट अशोक का धम्म-मिशन, प्रबुद्ध भारत तथा  धर्म, संस्कृति, सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, विश्व मानवता के सशक्तिकरण की स्थापना में, सुख, शांति, समृद्धता का मार्ग दिखाते हुए बोधिसत्व बाबासाहब डॉ अम्बेडकर के मिशन को महत्त्व को रेखांकित करना .
To highlight the role and importance of Pali language and literature,Teachings of Buddha, Dhamma Mission of Samtrat Ashoka and Buddhist India dream and Mission of Bodhisatva Babasahab Dr. Ambedkar in establishing of culture, religious, social, economic and education
empowerment of world humanity by showing path of Peace, Happiness and prosperity.

7.  बुद्धविहारों/संथागारों, अम्बेडकरी/बौद्ध संस्थाओं/संगठनों से सम्बद्ध भिक्खु, उपासक, बच्चें, युवकों के बीच पालि भाषा, धम्मलिपि सम्बन्धी औपचारिक, अनौपचारिक शैक्षणिक कार्यक्रम और पालि, धम्मलिपि   कक्षाओं का सञ्चालन।
To organize formal and informal courses and classes of Pali and Dhammlipi for Bhikkhus, Upasakas, children, youths related to Buddha Vihars/Monestaries, staffs of Ambekarites and Buddhists Institutions and organizations.

8. सामाजिक जीवन और नैतिक शिक्षण में समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व की स्थापना हेतु  विनय, बुद्धिस्ट जीवन, वैज्ञानिक तार्किक सोच, जागरूकता, संवैधानिक महत्त्व  का अध्ययन।
Studies of Vinay/Buddhist way of life, rationality and scientific thinking, awareness and importance of Constitution in establishing of EQUALITY, LIBERTY AND FRATERNITY in social life and Moral Education.

9. विपस्सना अध्ययन और शोध।
Studies and Research in field of Vipassana.

10. वर्तमान धम्म और उसके पुनर्जीवन से सम्बंधित  विभूतियों, प्रतीकों, पर्व/त्यौहारों, सम्राट असोक का जन्म दिवस(धम्मलिपि दिवस) आदि का अध्ययन और शोध ।
Studies and research  on Great Buddhist Personalities who contributed in revival and survival of Dhamma Marks/Events, Dhammlipi Day(Birth Day of Asoka etc.

11.  अन्तराष्ट्रीय पालि-दिवस, पालि-जागरूकता सप्ताह/माह, पालि-उत्सव, पालि-ज्ञान प्रतियोगिता, पालि- निबंध प्रतियोगिता, पालि भाषा, साहित्य और बुद्धोपदेश के प्रति जागरूकता हेतु वार्षिक सम्मलेन आयोजित करना .
To organize International Pali Day, Pali awareness week/month, Pali Festival, Pali Knowladge competition, Essay competition on Pali and Buddhism and Annually Pali Conference for creating awareness toward Pali language, Literature and Teaching of Buddha.

12. एमओओसी, वाट्स-एप, टेलीग्राम, यू ट्यूब आदि सोशल-मीडिया/साइट्स के द्वारा पालि और धम्मलिपि  शिक्षण कक्षाएं, डिग्री, डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित करना ।
To organize online Pali and Dhammlipi Learing classes and diploma courses and degree courses, through MOOC(Massive Online Open Courses), social media such as WhatsApp, Telegram, You Tubes etc

13. पालि,  धम्मलिपि और बौद्ध अध्ययन के क्षेत्र में समान उद्देश्य वाली राष्ट्रीय, अन्तराष्ट्रीय संस्थानों, विश्व-विद्यालयों/विभागों के मध्य सम्बन्ध और सहयोग विकसित करना।
To develop linkage and collaboration with national and international institution/ universities/ departments on Pali, Dhammlipi and Buddhist studies for attaining similar objectives.

14. बैठकों और विचार-विमर्श द्वारा भारतीय संविधान की 8 अनुसूची में पालि भाषा को सूचीबद्ध करने और संरक्षित भाषा का दर्जा देने तथा हाई स्कूल, उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं, भारतीय विश्व-विद्यालयों में एक विषय के रूप में शामिल कराने लोगों में जागरूकता पैदा करना।
To create awareness among people through meetings, discussion, companion for inclusion of Pali language in 8th Schedule of Indian Constitution and status of classical language and also inclusion in as a subject in High Schools, Intermediate classes and Indian Universities as an independent Department.

15. जन-मानस में प्रचार के लिए 'पालिबुद्ध वाणी' हिंदी-अंग्रेजी द्वि-भाषी पत्रिका तथा शैक्षणिक, बौद्धिक  जगत के लिए धम्मलिपि, पालीभाषा और साहित्य की अन्तराष्ट्रीय पत्रिका प्रकाशित करना।
To publish a monthly/Quarterly Magazine PALI BUDDHA VANI  bilingual Hindi and English for popularization among masses and International Journal of Dhammlipi and Pali Language and Literature for academicians and intellectuals.

16.  पालि भाषा और धम्मलिपि के प्रचार के लिए राष्ट्रिय, अन्तराष्ट्रीय सम्मलेन, सेमिनार,  कार्य-शाला आयोजित कर इससे सम्बंधित मुद्दों को उठाना।
To organize National international conference, seminars, workshops on promotion of Pali, Dhammlipi and highlight the issues related to this.

17. धम्मलिपि और पालि भाषा में उन्नत साहित्य, शोध, अध्यापन, प्रशिक्षण, प्रकाशन करने और राष्ट्रीय , अन्तर्राष्ट्रीय  संगठनों, संस्थाओं को सुलभ, सहयोग देने  के लिए एक 'अन्तराष्ट्रीय पालि एडवांसमेन्ट सोसायटी' की स्थापना करना।
To establish a society 'International society for Pali Advancement(ISPA) for providing the platform for promotion of  Dhammlipi and Pali Literature, Research, Teaching, Training, Publication and facilitate and co-operate to other national and international organizations and institutions.

18. जन-कल्याण से सम्बंधित शासन के कार्यों में सह-भागिता।
 Participation in social causes with Govt.
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23. 07. 2020
The 2nd Step-
The institution is going to Registered under 'Firm and Society Act', shortly.
List of Members(with email) state-wise.
Kindly extend your email address please- 
24.Bhadant Vanna Sami (Arunanchal Pradesh)
25.Bhante Sakyaputta Sagar  Thero Bhopal (MP)   Buddhabhoomi2017@gamil.com
27. Bhadant Dr. AnandRakkhit Asoknagar (MP) shikshamission47@gmail.com

1. Hon. Lakhanlal, Bhopal  (MP) 
2. Hon. Sankhawar B. D. Bhopal (MP) vijayorkay@gmail.com
3. Hon. Sahare B. C. Bhopal (MP) 
4. Amritlal Ukey Bhopal (MP) amritlalukey@gmail.com
5. Hon. Abhiman Sonvane Bhopal, M.P)
6. Hon. Shekhar Bouddh, Bhopal (MP)
7. Hon. Lalita Meshram Bhopal (MP)
8. Hon. Asha Borase Bhopal (MP)
9. Hon. Joti Darade Bhopal (MP)
10. Hon. Srutibha Patil Bhopal (MP)
11. Hon. Shaila Somkunvar Bhopal (MP)

1. Prof. Hemlata Mahiswar Delhi  hemlatamahishwar@gmail.com
36. Dr S. N. Bouddha  (Dehli)  snbouddha358@gmail.com
Dr. Usha Singh  dr.usha1234535@gmail.com
Pro. Manojkumar Boudha  Mob. 0989744775  manusant@rediffmail.com

2. Hon. Motilal Ahirwar Bhopal (MP) mahirwar333@gmail.com
3. Dr. Prafull Gadhapal (MP) prafullgadpal@gmail.com
4. Hon. Rashtrapal Bagade, Indore (MP)
6. Hon. Anil Golait Bhopal (MP)
8. Dr  J. S Ganveer Indore (MP) jsganvveer@gail.com
9. Hon. Raju Rautkar Panna (MP)
12. Hon. Madan Gajbhiye Bhopal (MP)
13. Pro. Ratnsheel Rajvardhan Sanchi (MP)
45. Ashok Sankule Iabalpur  (MP) 09425808500  ashoksankule@gmail.com

4. Hon. Prabhakar Mundare, Nagpur (MS)  08817108544  prabhakarmundre@gmail.com
10.  Dr. Nilima Chauhan Nagpur (MS)
14. Hon. Vijay Urkey Nagpur (MS)  Mob. 09890906248  vijayorkay@gmail.com
16. Dr. Bhimrao Gote Nagpur (MS) bhimraogt@gmail.com
19. Dr Rejndra Bhalshankar Nashik (MS) 
23. Hon. Sarswati Ashok Boddhi(Ashok Namdevrao Ingle) Nagpur (MS) 
                                 ashoksaraswati15@gmail.com
26.  Prof. Vimalkirti Nagpur (MS)  Mob. 09923116258/29, Grinfield Layout Bhamati Nagpur 22
31.  Hon. Goutam More, Mumbai (MS) Mob. 07710893962/ gautam.more19@gmail.com   Somaiya Vidyavihar University Mumbai  
39. Dr. Atul Bhosekar Mumbai (MS)  Mob. 09545277410/  bhosekaratul@gmail.com
41. Dr. Kailash Tukaramji Sahare  drktsahare@gmail.com 


32. Hon. Anil Rangari Durg (CHH)    ahrangari@gmail.com

7. Dr. Rahul Singh Noida (UP) rvasingh@gamil.com

11. Hon. Buddhsharan Hans Patna(Bihar)  anandu16@gmail.com


29. Dr. Vijay Kumar Tisharan(VijayKumar Ram) (Jharkhand)  dr.vktrisharan@gmail.com


22.  Pro. Anusrita mandal Kalkata (WB) Mob. 08961324874  anusrita1906@gmail.com

17. Hon. KuldeepKumar Hissar(Hariyana) jaikuldip@gmail.com

18. Hon. Indersingh Ludhiyana (Panjab)  indersingh1963@gmail.com

20. Dr. Tararam Joddhapur (Raj)  its.tararam@gmail.com

15. Dr BodhiRaj Vishvas Ahamadabad (Guj) bodhivish@gmail.com
42.  Prasenjit Bouddha Mahesana (Guj)  pmmahesana@gmail.com

30. Dr RaviKumar Dharwad (Karnataka)  Ariano Pali Scholar Chairman BPEART(R)Dwd
        Mob. 09448224936  ravikumarbevinagidad@gmail.com

38. Devraj Radhakrishana Mysore (Karnataka) 
43. S Marisamy DGP/IPS(Rtd) Banguluru (Karnataka)  Mob. 09611112192

28. Pro. Vaishali Haidarabad (Telngana )

21.Dr SwroopRani Vijaywada (AP)

34. Dr D Sakkiyasakthi Chennai (TN)  sakkiyasakthi@gmail.com
35. Dr M Velusamy  (TN)  Mob. 08220870548  mavelusamy@gmail.com
37. Dr SS Rajya Vardhan (TN)
40. Dr. M Gunasekaran Chennai (TN)    Mob.    mgsekar@gmail.com
43. 
44. V. Amritham (TN)  Mob. 08667446987  amrithalingampalai@gmail.com

36. Hon. BiniBabu Trivendraum (Kerla) Mob. 009747041597  pdma.binojbabu@gmail.com

33. Adv. Dhanavel (Pandichery)  Mob. 09790724526   kkrrajarajadhanvel19@gmail.com
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IPST By-Laws-
To all honourable member, with your kind permission I would suggest the following points to be included in the by-laws. These points can be discussed by all the honourable members in the by-laws drafting committee, and accordingly they may be accepted, modified or deleted as they feel fit.
 I want to place before the drafting committee that we should include as many items as possible to make the by-laws more exhaustive and informative. At a later date if we want to make some amendments, it may become difficult,  cumbersome as it would require the approval of the Governing Body or some competent authority for approval. We may or may not implement all items immediately in one go that's immaterial.

The Institute's / academy's Head Quarters can be at Bhopal, Madhya Pradesh, which is logistically a best choice. Here, the Head of theInstute can be of the status of a vice chancellor (but with a different name. If we name the Post as VC, it would invite the interference of the government at the helm of affairs. Even the govt.or any political party may plan to undertake the Institute in the future).  Hence, the post can be named as Administrator, Director General/Director etc.,  with the regional heads as Directors/Joint Directors.

There can be different Heads at the HQ., to discharge the duties of various functions, like Adminstration, Finance, Recruitment, Education (including distant mode), Training,

1. The HQ can look after the administrative affairs of International, national  and regional Centres.
2. Can look after the advanced academic activities or play the role of Centre of Excellence for Pali Studies, viz.The  admission of Post Graduate Diploma, Masters Degrees, Ph. D., and other short-term/ long-term research activities, etc.
Can conduct National and International level Trainings courses, meeting and Conferences.
3. Recruitment of staffs.
4. We can think of establishing four or more regional centres. e.g.,
i. Bangalore or Chennai.
Ii. Amaravati (AP) or Hyderabad (Telengana).
iii. Bhopal (under the aegis of the HQ).
iv. Patna (Bihar)  or Ranchi (Jharkhand).
v. Delhi or Shimla.
These regional centres  would cater the needs of a few states nearby as the learning centres.
In these regional centres we can focus -
a). The school education: namely -  primary, secondary,  higher secondary
 b). Certificate and diploma courses
c). Collegiate education - only undergradute (as mentioned earlier, the PG Studies will be only at the HQ).
d). Conduct formal and informal meetings,  trainings and regional conferences.

Once again request the Honourable members the by-laws drafting committee to consider these suggestions.

Thanking you.
Jai Bheem.
M. Gunasekaran,

Chennai.
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To start international interdisciplinary and multidisciplinary.  Open University  with support of UN...unis-co. Asian bank ...sharc countries organisation

To work with international  United nation University at Tokyo Japan....for creating the international as well as Regional  peace and cultural heritage protection and
-National Pali research Gr.
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27. 08. 2020
Zoom Webinar Meeting in evening of 30th Aug. 2020
discussion on-
1. Some change is proposed in Institution' name.
2. It is proposed to register the Institution under 'Public Trust Act'.
3. Organisational set-up/structure- 
                  Membership-  1. Trustee  2. Life member  3. General Member
                   Executive Body-  for day-to-day working
                   Advisory Board- Honorary Members

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01. 09. 2020

‘International Pali Foundation(IPF)

 is a non-profit PublicTrust

-Dedicated to Revival & Promotion of Pali Studies & Buddhism

Objectives-

1.To establish Advanced Teaching Centre for Pali Studies and Buddhism to organize online,

informal and formal classes for diploma, graduate, post-graduate, doctorate and

post-doctorate degrees in Pali Studies, Buddhism and Dhamma lipi.

 

2.To establish the Pali Studies and Buddhism Learning Centres/Regional Centres/Schools

across the country to extend IIPSB activities to cater to the needs of Buddhist and other

communities.

 

3.To establish Advanced Centre of Education to organize B.Ed, M.Ed and PhD degree

programme in Education for promotion of Pali and Buddhism in education system.

 

4.To establish Advanced Training Centre for Pali Studies and Buddhism to organize online,

informal and formal training courses on different aspects of Pali studies, Buddhism and

Dhamma lipi.

 

5.To establish Excellence Research Centre for Pali Studies and Buddhism; and to organize critical studies on Vinay/Buddhist way of life, Vipassana, Silas and Buddhist theology etc.; and great Buddhist Personalities, rational and scientific thinkers of Buddhist literature.

 

6.To establish Advanced Centre on Dhamma Script and Ancient Scripts; and to conduct Studies, Teaching and Research of Dhamma-lipi (Ashok-lipi) and Pali in Roman script.

 

7.To establish Digital Pali Studies & Buddhism Centre to develop Pali learning software, Online Pali Schools for organizing online Pali Learning classes and diploma and degree courses using MOOC (Massive Online Open Courses) etc.

 

8.To establish an International Society for Pali Studies and Buddhism (ISPSB) for providing the multi-disciplinary platform for promotion of Pali Literature, research, teaching, training, publication and to facilitate & cooperate with other national and international organizations and institutions.

 

9.To organize national and international debates, discussions and brainstorming sessions and

conferences, seminars on various themes pertaining to the Originality of the Teachings of Buddha in contemporary Buddhist Literature & Texts in context of Baba Sahab Dr. Ambedkar' work 'The Buddha and His Dhamma'

 

10.To study the influence of the Buddha and His teachings on the saints and scholars of India

and other Buddhist countries; with special emphasis on the medieval Indian Saints like

Kabir, Nanak, Ravidas, Tukaram; Siddha Saints of the South, Sufi Saints of the Western

India; influence of the Buddha on other scholars like Socrates, Plato, Aristotle, Confucius

etc

 

11.To study the causes of Rise and fall & decline of Buddhism in India; the role of the

Vibhishanas in finishing Buddhism from India.

 

12.To create the opportunities of employments through Teaching, Training and Advanced

Research Studies of Pali Language and Literature.

 

13.To prepare and publish elementary and basic magazine-like booklets for the children and

house-ladies for learning Pali in the easiest way.

 

14.To organize Pali promotional activities such as International Pali Day, Pali awareness

week/month, Pali Festival, Pali Knowledge competitions, Essay competition etc.

 

15.To create awareness among masses through meetings, discussion, campaigns for inclusion

of Pali language in 8th Schedule of Indian Constitution and status of classical language,

establishing State Pali Universities, Central Pali University and also inclusion as a subject

 

16.To establish Pali and Buddhism Media Centre (PBMC) for publishing literature of Pali

studies, Buddhism, writings of Baba Saheb Dr Ambedkar; and works and contributions of

other Buddhist intellectuals for promotion of Pali language and Buddhism;

monthly/Quarterly Journals/Magazines of Pali.

 

17.To publish an International Journal of Pali Studies and Buddhism publishing therein the

findings of critical studies pertaining to Pali language, Dhamma Script, Buddhism,

commentaries & reviews on Tripitaka and other Buddhist literature and texts.

 

18.To Participate in social causes with Govt.

 

A.    Board Of Directors(BOD)

 

1.     1.Pro. Hemlata Mahiswar(T) Delhi

K   2. Kailas Vankhede Indore(T)  MP

3.     3.Dr. Rahul Singh Noida UP

4.     4.Pro. Manoj Kumar (T) UP

5.     5.Hon. Lakhanlal Bhopal (T) MP

6.     6.Hon. Motilal Ahirwar Bhopal(T)  MP

7.    7.Hon. Amritlal Ukey Bhopal(T) MP

8.     8.Hon. Sankhawar B. D. (T) Bhopal MP

9.     9.Hon. Sekhar Bouddha(T) Bhopal MP

10 10.   Hon. Rashtrapal Bagade(T) Indore MP

1111.Hon. Anil Golait(T)  Bhopal MP

1212. Dr. Prafull Gadpal(T) UP

1313.Dr. J. S. Ganveer (T) Indore M P

1414.Hon. Raju Rautkar (T) Panna MP

1515.Hon. Madan Gajbhiye (T) Indore MP

1616. Pro.Ratnsheel Rajvardhan (T) Sanchi M P

1717.Dr. Snehlata Humane (T) Rajeem CHH

1818. Dr. Nilima Chouhan (T) Nagpur, MS

1919. Hon. Prabhakar Mundare (T) Nagpur MS

2020. Hon. Vijay Orkey (T) Nagpur MS

2121.Dr.BodhiRajVishvas (T) Ahmadabad Gujrat

 

A.     Executive Body Member-

1       Hon. Lalita Mesharm (LM)Bhopal MP

2       Hon. Asha Borse (LM)Bhopal MP

3       Hon. Joti Dharade (LM)Bhopal MP

4       Hon. Srutibha Patil  (LM)Bhopal MP

5       Hon. Shaila Somkunvar (LM)Bhopal MP

6       Hon. Abhiman Sonvane  (LM)Bhopal MP

7       Hon. Sahare B. C. (LM)Bhopal MP

 

Note- There will be 10 Hon. Member and  20 Life Members also.