Tuesday, June 9, 2020

हिन्दुओं का दलित प्रेम

प्रसंग लंदन के द्वितीय गोलमेज सम्मेलन का है। दलित जातियों के प्रति हिन्दुओं के व्यवहार से तंग आकर बाबासाहब अम्बेडकर ने अंग्रेजों के सामने 'पृथक निर्वाचन' की मांग रखी थी। इस पर मदनमोहन मालवीय ने भरी सभा में बाबासाहब डॉ० भीमराव अम्बेडकर को पृथक निर्वाचन को अनावश्यक बताते हुए कहा- 'अम्बेडकर मेरे छोटे भाई हैं और हम सब समान हैं, एक हैं।'

इस पर अम्बेडकर ने पानी का एक गिलास उठा कर मदन मोहन मालवीय की तरफ बढ़ा कर कहा- 'आप मेरे बड़े भाई हैं, तो छोटे भाई के हाथ का पानी पी लीजिये'।

अम्बेडकर के इस कृत्य पर मदन मोहन मालवीय स्तब्ध रह गए। सभी की नज़रे मदन मोहन मालवीय की ओर थी। किन्तु वे   डॉ० भीमराव अम्बेडकर के हाथ का पानी पीने की हिम्मत नहीं जुटा सके। 


और तब,  बाबासाहेब डॉ० अम्बेडकर आसंदी पर बैठे सभापति की और देख कर कहा-  यही है, हमारे देश के हिन्दू भाइयों का प्रेम। इसलिए, इस प्रेम को गहराई से समझने की आवश्यकता है। महोदय,  मैं तमाशे के लिए यहाँ नही आया हूँ। बल्कि उनके लिए आया हूँ जिनकी परछाई से भी ऐसे लोग अपवित्र हो जाते हैं। हम हजारों वर्षों में अपनी मानसिक गंदगी नही मिटा सके। सामाजिक गंदगी और स्वच्छ भारत तो केवल एक नारा है।

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