Sunday, January 30, 2011

सरकारी जाँच आयोग और उनकी हकीकत

          दैनिक भास्कर, जबलपुर ३० जन २०११ के फ्रंट पेज पर छपी खबर के अनुसार, केन्द्रीय कानून मंत्री वीरप्पा मोईली ने कर्नाटक में गिरजाघरों पर हुए हमलों में संघ परिवार को क्लीन चिट दिए जाने पर हैरानी जाहिर करते हुए पुरे मामले की  सी बी आई  से जाँच कराने की मांग की है. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने सोमशेखरन आयोग को हाईजैक कर रिपोर्ट अपने पक्ष  में करवाई है.विदित हो कि सन २००८ में  कर्नाटक के कई जिलों में इसाई गिरजाघरों पर हुए हमलों पर राज्य सरकार द्वारा  गठित  जाँच आयोग ने पिछले वर्ष फर. में पेश अपने अंतरिम रिपोर्ट में हिन्दू संगठन 'बजरंग दल' का स्पष्ट उल्लेख किया था. श्री मोइली ने आयोग की रिपोर्ट को अस्वीकार करते  हुए कहा कि इससे सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता.
       हमारे देश में विभिन्न जाँच आयोग गठित होते रहते हैं. ये जाँच आयोग राज्य या केन्द्रीय सरकार द्वारा गठित किये जाते हैं. उद्देश्य होता है- घटनाओं के पीछे कौन जिम्मदार हैं, उन्हें कानून के कटघरे में खड़ा करना और साथ ही ऐसी व्यवस्था सुनिशित करना के भविष्य में पुनरावर्ती  न हो.
       ये अर्थ निकालना  कि मोयलीजी की टिप्पणी भाजपा के विरूद्ध है, तस्वीर का एक पहलु होगा. वास्तव में, राज्य या केंद्री सरकारों द्वारा नियुक्त जाँच आयोग लोगों का तत्कालिक गुस्सा शांत करने के लिए होते है. आयोग तो वही रिपोर्ट देता है, जो सरकार चाहती है.अगर कोई आयोग अपनी 'औकात' के बाहर जाता है तो सरकार वैसी रिपोर्ट को 'पब्लिक इंटरेस्ट' के खिलाप घोषित कर रद्दी की टोकरी में फैंक देती है.
            कुछ और बानगी दृष्टव्य है.गोधरा कांड(२७ फर.२००२ को साबरमती एक्सप्रेस के कोच एस ६ में आग लगाए जाने की घटना) पर अब तक गठित तीन आयोगों की रिपोर्ट :-
राज्य के मोदी सरकार द्वारा गठित नानावती आयोग-     आग जानबूझ कर लगायी गई.बाहरी लोगों ने आग लगायी.आग लगने से जलकर हुई मौत.रेलवे स्टेशन पर भीड़ थी.बाहर से बंद थे ट्रेन के डिब्बे.
केंद्र के तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव द्वारा गठित बनर्जी कमीशन-    दुर्घटना-वश लगी आग.दम घुटने से हुई मौत.इस साजिश में कोई बाहरी व्यक्ति शामिल नहीं था.स्टेशन पर भीड़ नहीं थी.राह चलते लोग मौजूद थे.ट्रेन के डिब्बे बंद नहीं थे.

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