Friday, January 19, 2018

गोतमी सुत्तं

एकं समयं भगवा सक्केसु(साक्यों के जनपद में)विहरति कपिलवत्थुस्मिं(कपिलवत्थु में स्थित) निगोधारामे(निग्रोधाराम विहार में)। अथ खो महापजापती गोतमी येन(जहां) भगवा तेनुपसंकमि(पहुंची); उपसंकमित्वा(पहुंच कर) भगवन्तं (भगवान को)अभिवादेत्वा(अभिवादन कर) एकमन्तं(एक ओर) अट्ठासि(खड़ी हो गई)। एकमन्तं ठिता(खड़ी) खो महापजापती गोतमी भगवन्तं एकतदवोच(ऐसा कहा)-
‘‘साधु(अच्छा हो), भन्ते, लभेय्य(लाभ हो) मातुगामो(महिलाओं को) तथागत -उप्पवेदिते(तथागत द्वारा उपदिस्ट) धम्मविनये(धम्म-विनय में) अगारस्मा(घर से) अनगारियं(बे-घर हुए को) पब्बज्जं’’न्ति(प्रव्रज्जा)।
‘‘अलं(बस), गोतमी! मा(न) ते(तुम्हे) रुच्चि(रुचिकर हो) मातुगामस्स(महिलाओं का) तथागतप्पवेदिते धम्मविनये अगारस्मा अनगारियं पब्बज्जा’’ति। दुतियप्मि...अपि ततियम्पि खो महापजापती गोतमी भगवन्तं एतदवोच- ‘साधु, भन्ते, लभेय्य मातुगामो तथागतप्पवेदिते धम्मविनये अगारस्मा अनगारियं पब्बज्जं’’न्ति। ‘‘अलं, गोतमी! मा ते रुच्चि मातुगामस्स तथागतप्पवेदिते धम्मविनये अगारस्मा अनगारियं पब्बज्जा’’ति।
अथ खो महापजापती गोतमी ‘न भगवा अनुजानाति(अनुज्ञा देते हैं) मातुगामस्स तथागतप्पवेदिते धम्मविनये अगारस्मा अनगारियं पब्बज्ज’न्ति दुक्खी दुम्मना(दुक्खी-मन) अस्सुमुखी(अश्रु-मुख) रुदमाना(रोते हुए) भगवन्तं अभिवादेत्वा पदक्खिणं(प्रणाम) कत्वा (कर) पक्कामि(चली गई)।
अथ खो भगवा कपिलवत्थुस्मिं यथाअभिरन्तं(इच्छानुसार) विहरित्वा येन वेसाली तेन चारिकं पक्कामि। तत्थ भगवा वेसालियं विहरति महावने कूटागारसालायं।
अथ खो महापजापती गोतमी केसे(केस) छेदापेत्वा(कटवा कर) कासायानि(कासाय) वत्थानि(वस्त्रों को) अच्छाादेत्वा(ओढ़ कर) सम्बहुलानि(कुछ) साकियानिहि(साक्य महिलाओं के) सद्धिं(साथ) येन वेसाली तेन पक्कामि। अथ खो महापजापती गोतमी सूनेहि(सूजे हुए) पादेहि(पैरों से) रजोकिण्णेन गत्तेन(धूल-धूसरित देह से) दुक्खी  दुम्मना अस्सुमुखी रुदमाना बहिद्वारकोट्ठके(कमरे के बाहरी दरवाजे में) अट्ठासि(खड़ी हो गई)।
अद्दस्सा(देखा) खो आयस्मा आनन्दो(आयु. आनन्द ने) महापजापतिं गोतमिं(गोतमी को) ‘‘किं(क्यों) नु त्वं(तुम), गोतमि,  सूनेहि पादेहि रजोकिण्णेन गत्तेन दुक्खी दुम्मना अस्सुमुखी रुदमाना बहीद्वाराकोट्ठके ठिता’’ति?
‘‘तथा हि पन(क्योंकि), भन्ते आनन्द, न भगवा अनुजानाति मातुगामस्स तथागतप्पवेदिते धम्मविनये अगारस्मा अनगारियं पब्बज्जं’’न्ति।
‘‘तेन(तब) ही त्वं, गोतमि, मुहुत्तं(उचित समय) इध एव(यहीं) ताव होहि(आप ठहरें), याव(तब तक) अहं(मैं) भगवन्तं याचामि(याचना करता हूं)...........क्रमसः।

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