Tuesday, October 2, 2012

थर्मामीटर

 काठियावाड़  के एक गावं में एक अछूत अध्यापक की पत्नी को बच्चा हुआ। वह अस्वस्थ थी। डा. को देखने के लिए बुलाया गया। अछूत स्त्री होने के कारण सवर्ण डाक्टर स्वयं उसे थर्मामीटर नहीं लगा सकता था। डा. ने सीधे थर्मामीटर उस अच्छूत अध्यापक को नहीं दिया। पहले एक मुसलमान को दिया। फिर उस मुसलमान  ने उसे अध्यापक को दिया। अध्यापक ने थर्मामीटर पत्नी को लगाया। फिर उस मुसलमान को दिया और मुसलमान ने उसे डाक्टर को दिया। डाक्टर दवा बता कर और अपनी फ़ीस ले कर चला गया। उचित इलाज के अभाव में उस स्त्री का देहांत हो गया।
एक अछूत अध्यापक की ऐसी दुर्दशा के बारे में यह पत्र गांधीजी के सहयोगी अमृतलाल ठक्कर जो अछूतोध्दार में लगे हुए थे, ने  सन 1927 की गर्मियों में गांधीजी को लिखा था(गांधीजी के पत्र  'यंग इण्डिया' के 5 मई  1927 के अंक में छपे एक लेख का मजमून)। 

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