Wednesday, February 24, 2021
स्तूप: डॉ राजेन्द्र प्रसाद सिंह
पालि सीखें
सरलानि वाक्यानि-
लड़कियों! क्या तुम आज बुद्धविहार जाना चाहती हो?
दारिकायो! किं तुम्हे अज्ज बुद्धविहारे गन्तुं इच्छथ?
मैं औषघालय से दवा लेने के लिए आ रहा हूं।
अहं ओसधालयस्मा ओसधं गण्हितुं आगच्छामि।
यहां गली में कोई औषधालय नहीं है।
इध बिसिखायं कोचि ओसधालयो नत्थि।
पिताजी! मैं अब पालि में बोलना चाहती हूं।
पितु! अहं इदानि पालियं वदितुं इच्छामि।
हम नदी पर कोई नाव नहीं देखते हैं।
मयं नदियं कोचि नावा न पस्साम।
वह विद्यालय देखने के लिए लड़कियों के साथ जाना चाहती है।
सा विज्झालय पस्सितुं दारिकाहि सह गन्तुं इच्छति।
आदर पूर्वक लड़कियां बुद्ध को फूल भेट करने जाती है।
आदरेन दारिकायो बुद्धस्स पुप्फं समप्पेतुं गच्छन्ति।
तुम धम्मं सुनने के लिए बुद्धविहार जाते हो।
त्वं धम्मं सुणेतुं बुद्धविहारं गच्छसि।
लड़के और लड़कियां नदियों में स्नान करना चाहते हैं।
दारिका च दारिकायो नदिसु नहायितुं इच्छन्ति।
Tuesday, February 23, 2021
दोला(झुला) नाम सुखं
दोला(झुला) नाम सुखं
पालि सीखें -
सरलानि वाक्यानि 1. लड़का सड़क पर खेल रहा है।
दारको मग्गे कीळति।
2. लड़कियां तालाबों में मछलियां देखती हैं।
दारिकायो तळागे मच्छे पस्सन्ति।
3. दारको च दरिकायो पाठसाले पठन्ति.
लड़की और लड़कें पाठशाला में पढ़ते हैं.
4. किसान गावों में रहते हैं।
कसका गामे निवसन्ति।
5. हे किसानों! तुम लोग पुनः कब यहां आओगे?
हे कसका! तुम्हे पुनं कदा अत्थ आगच्छिस्सन्ति?
6. यात्रियों! तुम लोग अभी कहां जा रहे हो?
पथिका! तुम्हे इदानि कुत्थ गच्छथ?
7. मैं आसमान में पक्षियों को देख रहा हूं।
अहं आकासे सकुणानं पस्सामि।
8. यात्री दुनियां में भ्रमण करते हैं।
पथिका लोके भमन्ति।
9. हां, वे भी जा रहे हैं।
आम! ते अपि गच्छन्ति।
10. हम अब आकास में सूरज और चांद नहीं देख पा रहे हैं।
मयं इदानि आकासे सुरियं च चन्दं न पस्सतुं सक्कोम।
11. साधु सदैव पर्वत पर क्यों नहीं निवास करते हैं?
साधु सब्बदा पब्बते कथं न निवसन्ति?
12. हां! पिताजी, हम आज बाग में नहीं खेल रहे हैं।
आम पितु! मयं अज्ज उय्याने न कीळाम।
13. रोगी क्यों नहीं सय्याओं पर सोते हैं?
गिलाना कथं न सयने सयन्ति?
14. हे व्यापारियों! तुम सदैव कहां भटकते रहते हो?
हे वाणिजा! तुम्हे सब्बदा कुत्थ विचरन्ति?
15. बच्चों! तुम तालाब में कुत्तों के साथ सदैव खेलते रहते हो।
बाला! तुम्हे तळागे सुनखेहि सह सब्बदा कीळन्ति।
16. अब शिक्षक व शिष्य विहार में रहते हैं।
इदानि आचरियो च सिस्सो विहारे वसन्ति.
पालि सीखें-
सरलानि वाक्यानि- मैं मित्र को पत्र लिख रहा हूं।
Thursday, February 18, 2021
पालि सीखें
सरलानि वाक्यानि-
घरस्स वत्थुनि
घरस्स वत्थुनि
मम घरे द्वे कपाटिकायो सन्ति।
कपाटिकायं कानि कानि वत्थुनि सन्ति?
कपाटिकायं बहुनि विविधानि वत्थानि सन्ति।
गुत्त द्वारे आभूसनानि च रूप्पिकानि सन्ति।
अञ्ञस्मिं कपाटिकायं बहुनि गन्थानि च पोत्थकानि सन्ति।
गन्थानि मज्झे बाबासाहब आम्बेडकरेन लिखितं गन्थो-
‘बुद्धा एण्ड हिज धम्मा’ अत्थि।
कपाटिकायं ति-पिटक गन्थानि अपि सन्ति।
परिवार सह अहं पटिदिनं भोजन-आसने भोजनं करोमि।
घरस्स द्वारानि च वातापानानि उग्घाटनीया।
तेन घरे सुद्ध वायु आगच्छति।
सुरियस्स पकासो अपि आगच्छति।
लेखनी मानवकानं आवस्सकं।
लेखनीया मनुस्सो अत्तनो चिन्तनं लिखति।
यो लिखति सो लेखको।
यं लिखति तं लेखनं।
अज्जते लेखनी उपयोगं ऊनतरं।
जना लेखनं गणकेन, संगणकेन करोन्ति।
पातो अहं चायं करोमि।
पच्चेक घरे सोपानं अत्थि।
घरस्स उपरि तले जना सोपानेन गच्छन्ति।
गिम्ह मासे जना कुम्भस्स सीतलं जलं पिबन्ति।
Thursday, February 11, 2021
यत्थ-तत्थ पयोगा-
यत्थ-तत्थ पयोगा-
यत्थ भगवा अत्थि तत्थ करुणा अत्थि।
यत्थ भिक्खु अत्थि तत्थ चिवरं अत्थि।
यत्थ जलं अत्थि तत्थ जीवनं अत्थि।
यत्थ पुप्फं अत्थि तत्थ सुगन्घि अत्थि।
यत्थ लेखको अत्थि तत्थ लेखनी अत्थि।
यत्थ उयानं अत्थि तत्थ भमरा सन्ति।
यत्थ रुक्खो अत्थि तत्थ छाया अत्थि।
यत्थ बुद्धविहारं अत्थि तत्थ भगवा अत्थि।
यत्थ मातु अत्थि तत्थ ममता अत्थि।
यत्थ सुरियो अत्थि तत्थ अन्धकारं नत्थि।
यत्थ पदीपो अत्थि तत्थ पभासेति।
यत्थ सुखं अत्थि तत्थ दुक्खं अपि अत्थि।
यत्थ द्वारं अत्थि तत्थ घरं अत्थि।
यत्थ कम्मं अत्थि तत्थ कम्मकारो अत्थि।
यत्थ गामं अत्थि तत्थ कसको अत्थि।
यत्थ कसको अत्थि तत्थ ओदनं अत्थि।
यत्थ नदि अत्थि तत्थ बालुका अत्थि।
यत्थ सीलं अत्थि तत्थ सन्ति अत्थि।
यत्थ मुखं अत्थि तत्थ वाणी अत्थि।
यत्थ समुदो अत्थि तत्थ लोणं अत्थि।
यत्थ मनुस्सो अत्थि तत्थ मनुस्सता अत्थि।
यत्थ आचरियो अत्थि तत्थ माणवका सन्ति।
यत्थ नीरं अत्थि तत्थ हरितं अत्थि।
यत्थ माया अत्थि तत्थ मोह अत्थि।
यत्थ धम्म-धजा अत्थि तत्थ धम्मं पकासति.
Wednesday, February 10, 2021
याव-ताव पयोगा-
याव-ताव पयोगा-
(तब तक- तब तक)
1. याव सुरियो अत्थि, ताव अन्घकारं नत्थि।
जब तक सूर्य है, तब तक अन्धकार नहीं है।
याव जलं अत्थि ताव जीवनं अत्थि।
याव भगवा अत्थि ताव करुणा अत्थि।
याव भिक्खु अत्थि ताव चिवरं अत्थि।
याव रुक्खो अत्थि ताव छाया अत्थि।
याव मेघा अत्थि ताव वुट्ठि भवि सक्कोति।
याव दीपो अत्थि ताव अधिपातका आगच्छन्ति।।
याव अहं न आगच्छामि, ताव घरस्मा मा निक्खमाहि।
याव कोचि न आमन्तेति, ताव न वदाहि।
याव आवस्सकं न अत्थि, ताव मा विवादेहि।
Saturday, February 6, 2021
अतो-यतो पयोगा-
1.
अतो (इसलिए) पयोगा-
1. दिट्ठी अत्थि अतो पस्सामि।
दृष्टि है, इसलिए देखता हूं।
2. बाहु अत्थि अतो कम्मं करोमि।
3. वाचा अत्थि अतो वदामि।
4. खुदा(क्षुदा) अत्थि अतो खादामि।
5. पिपिसा अत्थि अतो पिबामि।
6. आवस्सकं अत्थि अतो आगच्छामि।
7. लेखनी अत्थि अतो लिखामि।
8. दान पारमिता अत्थि अतो दानं ददामि।
9. धनं अत्थि अतो कीणामि।
10. करुणा अत्थि अतो पेमं करोमि।
11. धम्मं अत्थि अतो जानामि।
12. कोधं अत्थि अतो कुज्झामि।
13. सेत साटिका अत्थि अतो धारेमि।
14. अत्थरणं(चादर) अत्थि अतो अत्थरामि।
15. भगवा अत्थि अतो वन्दामि।
2.
यतो (क्योंकि) पयोगा-
1.अहं पठितुं न सक्कोमि यतो उपनेत्तं नत्थि।
मैं पढ़ नहीं सकती/सकता हूं क्योंकि ऐनक नहीं है।
2. त्वं सुणितुं न सक्कोसि यतो कण्ण-यन्तं नत्थि।
3. सो लिखितुं न सक्कोति यतो लेखनी नत्थि।
4. अहं आगच्छतुं न सक्कोमि यतो वाहनं नत्थि।
5. तुम्हे धम्मं जानितुं न सक्कोथ यतो पञ्ञा नत्थि।
6. मयं कीणितुं न सक्कोम यतो धनं नत्थि।
7. अज्ज अहं पठितुं न सक्कोमि यतो मम आरोग्य सम्मा नत्थि।
Thursday, February 4, 2021
IPF Sanchi Summit (3, 4 April 2021)
INTERNATIONAL PALI FOUNDATION
2 day’s Summit on Revival of Pali/Dhammalipi
On 3-4th April 2021 at Sanchi.
Expected Participants are-
1. Bhante Shakyaputro Thero, Buddhabhumi, Bhopal
Mob. 09926220408, email- Buddhabhoomi2017@gmail.com
2. Dr. Atul Bhosekar, Pali Scholar Nasik MS
Mob. 09545277410, email- bhosekaratul@gmail.com
3. Dr. Hemlata Mahiwsar, New Delhi
Mob. 09560454760, email- hemlatamahishwar@gmail.com
4. Dr. Vitthal Waggan, Sundar Nagar Kalburgi, KA
Mob. 09739999933, email- vithalwaggan123@gmail.com
5. Dr. RahulSingh Noida UP
Mob. 09891122678, email- drrahulvsingh@gmail.com
6. Hon. Sudhir Raj Singh
Buddhist Scholar and Historian, Delhi
Mob. 09717787848, email- seeeansh@gmail.com
7. Dr. Nilima chawan
Mob. 09423111353, email- nmcpali2@gmail.com
Associate Professor, Swami Vivekanand Subharati University Meerut UP
8. Hon. Ashok Sarwati Bodhi, Nagpur MS
Mob. 08530980741, email- ashoksaraswati15@gmail.com
9. Dr. Bhimrao Gote, Nagpur MS
Mob. 09822235029, email- bhimraogt@gmail.com
10. Hon. Vijay Orkey, Nagpur MS
Mob. 09890906248, email- vijayorkay@gmail.com
11. Dr. Priyadarshi Khobragade, Nagpur MS
Mob. 09623184742, email- mr.priyadarshi.khobragade@gmail.com
12. Dr. Kailas Tularamji Sahare, Nagpur MS
Mob. 9860348911, email- drktsahare@gmail.com
13. Hon. Roza Bansode, Nagpur MS
Mob. 09372171905, email- bansodroza.000@gmail.com
14. Hon. Anil Rangari, Durg CHH
Mob. 09981241212, email- ahrangari@gmail.com
15. Dr. Ravikumar, Dharwad Karnataka
Mob. 09448224936, email- ravikumarbevinagidad@gmail.com
Ariano Pali Scholar, Chairman BPEART(R) Dwd Karnataka
G. C. Kamale Dy. SP
Dr. Bhaskar T. M Mob 09738484810
Chairman of Kannada adhyayan Pittha, Ex Vice chancelor
16. Dr. MA. Velusamy, Tamil Nadu
Mob. 08220870548, email- mavelusamy@gmail.com
Assistant Professor, Department of Social work,
DDE Alagappa University Kassikudi TN
17. Dr. Gandhi Pragash, Pondecherry
Mob. 09952461454, email- mgpbiot@gmail.com
18. Dr Dhammadeep Wankhede, Asst Professor,
Institute of Pali and Buddhist Studies, Gulbarga.
Mob. 91 7709152964, wdhammadeep@gmail.com
19. Dr. Harshavardhan Eluri, Archaeologist
Mob. 09441075196, email- harshaeluri@gmail.com
Professor of Buddhist Studies Dravidian University Agaram AP
20. Dr. Jai Kuldeep Hissar, Hariyana
Mob. 08396010340/09313688410, email- jaikuldip@gmail.com
21. Hon. BodhiRaj Vishwas, Gujrat
Mob. 09408792285, email- bodhivish@gmail.com
22. Dr. Tararam, Jodhpur Raj.
Mob. 09414295276, email- tararam@gmail.com
23. Dr. Ramkumar Ahirwar
Mob. 09827094308, email - rkahirwar1968@Gmail.com
Professor & HoD; ancient Indian History, culture
& Archaeology, Vikram University Ujjain
24. Dr. J. S Ganveer, Indore MP
Mob. 08989409083, email- jsganveer@gmail.com
25. Dr. Ratnsheel Rajwardhan Sanchi
Mob. 08839973215, email-
26. Hon. Mundare Prabhakar Nagpur MS
Mob. 08817108544, email- prabhakarmundre@gmail.com
27. Hon. SiddharthSwaroop Bouddh Indore
Mob. 09425445185, email- sgautamswaroop@gmail.com
28. Pro. Suresh Sonone
MS Mob. 09970985811, email-
H.0.D Pali Rajashri Shahu College, Lature MS
29. Dr. M Gunasekaran Sr Scientist(Rtd) Chennai
Mob. 08778501056, email- mgsekar@gmail.com
30. Hon. Avinash Barman
Mob. 07836816345, email- avinashbarman225@gmail.com
PhD research scholar in Buddhist studies in Sanchi university
31. Hon. Sivanand Bouddha Surat, Gujrat
Mob. 09825016767, email- gopalsamudre@gmail.com
32. Prof. Manoj Kumar Bouddha, Muradabad UP
Mob. 09897445775, email- manusant@rediffmail.com
33. InderSingh Ludhiyana Panjab
Mob. 09868210775, email- indersingh1963@gmail.com
34. Hon. Lakhanlal Bhopal 09425309392
35. Hon. Sankhawar B. D. Bhopal Mob. 09425378788, email-
36. Hon. Motilal Alamchandra Bhopal
Mob. 09754052555, email- mahirwar333@gmail.com
37. Hon. Anil Golait Bhopal
Mob. 07000223585, email- anilgolait2017@gmail.com
38. Hon. Milind Bouddha, Bhopal Mob. 07974068647, email- boudhhmilind@gmail.com
39. Hon. Shekhar Bouddha, Bhopal
Mob. 09424442611, email- sjukey@gmail.com
40. Hon.Abhiman Sonvane, Bhopal Mob. 09826960084, email-
41. Hon. Joti Dharade, Bhopal Mob. 07974952365 email- Dharadejyoti@gmail.com
42. Hon. Shaila Avinash Somkunvar
Mob. 09340176817, email- Somkuwarshaila@gmail.com
43. A. L. Ukey Bhopal
Mob. 09630826117, email- amritlalukey@gmail.com
44. Dr. Sahebrao Sadawarte, Bhopal Mob. 09893056155, email-
45. Hon. Sahare B. C. Bhopal
Mob. 098269 20903, email- bcshahare@gmail.com
46. Hon. Hemraj More, Bhopal Mob. 09826871290, email-
47. Siddharth More, Bhopal Mob. 09993813055, email- siddharthmore1961@gmail.com
48. Hon. Vjaykumar Zumbare, Solapur MS Mob. 08793977898
49. Er. M N Ramtake, Nagpur MS Mob. 09423114179
50. Dr. Manish Anand, Pali Scholar
Dr. Babasahab Ambedkar Marathwada University Aurangabad
Mob. 08459491855, email- dr.manishanand52@gmail.com
51. Hon. Nilima Gajbhiye Nagpur MS
Mob. 08668728295, email-
52. Hon. Ekta Dharkar Nagpur MS + 1
53. Dr. Challpalli SwarupRani
Nagarjun University Vijayawada AP
Mob. 09440362433, email- challapalliswaroopa2012@gmail.com
56. Dr. E Sudharani Mob. o9912314493
Ambedkar open University Hyderabad
Natrajan
Vishakhapattam University Registar
57. BinojBabu Trivendram Kerala
Mob. 09747041597 email-
58. Dr. Sudha Mohile & Oshin Mohile Mob. 09773507551
Mumbai University
60. Dr. Sukhdev dongre, Mob. 09425005333
JH Govt PG college Betul
61. Dr. Sachya Samu
Professor Civil Engg. Banglore University Mob. 09902970 707
50. Hon. Anban E TTF(Tipitaka Tamil Foundation) Chennai
Mob. 094 453 69 542, email-
51. Prof. Dhammik JayaSinghe Mob. 09074759350, email-
51. Prof Naik C. D. Indore. 08359978391
54. Dr. Rajendra Bhalshankar, Mumbai Mob. 09823678620
केन्द्रीय नई शिक्षा नीति 2020
नई शिक्षा नीति 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दे दी है, जिससे स्कूली और उच्च शिक्षा दोनों क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रूपांतरकारी सुधार के रास्ते खुल गए हैं. यह 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है और यह 34 साल पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनपीई), 1986 की जगह लेगी.
सबके लिए आसान पहुंच, इक्विटी, गुणवत्ता, वहनीयता और जवाबदेही के आधारभूत स्तंभों पर निर्मित यह नई शिक्षा नीति सतत विकास के लिए एजेंडा 2030 के अनुकूल है और इसका उद्देश्य 21वीं सदी की जरूरतों के अनुकूल स्कूल और कॉलेज की शिक्षा को अधिक समग्र, लचीला बनाते हुए भारत को एक ज्ञान आधारित जीवंत समाज और ज्ञान की वैश्विक महाशक्ति में बदलना और प्रत्येक छात्र में निहित अद्वितीय क्षमताओं को सामने लाना है.
नई शिक्षा नीति की महत्वपूर्ण बातें (स्कूली शिक्षा)
स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर सबकी एकसमान पहुंच सुनिश्चित करना
एनईपी 2020 स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों प्री-स्कूल से माध्यमिक स्तर तक सबके लिए एकसमान पहुंच सुनिश्चित करने पर जोर देती है. स्कूल छोड़ चुके बच्चों को फिर से मुख्य धारा में शामिल करने के लिए स्कूल के बुनियादी ढांचे का विकास औरर नवीन शिक्षा केंद्रों की स्थापनी की जाएगी. इस नई शिक्षा नीति में छात्रों और उनके सीखने के स्तर पर नज़र रखने, औपचारिक और गैर-औपचारिक शिक्षा सहित बच्चों की पढ़ाई के लिए बहुस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराने, परामर्शदाताओं या प्रशिक्षित सामाजिक कार्यकर्ताओं को स्कूल के साथ जोड़ने, कक्षा 3, 5 और 8 के लिए एनआईओएस और राज्य ओपन स्कूलों के माध्यम से ओपन लर्निंग, कक्षा 10 और 12 के समकक्ष माध्यमिक शिक्षा कार्यक्रम, व्यावसायिक पाठ्यक्रम, वयस्क साक्षरता और जीवन-संवर्धन कार्यक्रम जैसे कुछ प्रस्तावित उपाय हैं. एनईपी 2020 के तहत स्कूल से दूर रह रहे लगभग 2 करोड़ बच्चों को मुख्य धारा में वापस लाया जाएगा.
नए पाठ्यक्रम और शैक्षणिक संरचना के साथ प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा
बचपन की देखभाल और शिक्षा पर जोर देते स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांचे की जगह 5 + 3 + 3 + 4 का नया पाठयक्रम संरचना लागू किया जाएगा जो क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 उम्र के बच्चों के लिए है. इसमें अब तक दूर रखे गए 3-6 साल के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाने का प्रावधान है, जिसे विश्व स्तर पर बच्चे के मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण चरण के रूप में मान्यता दी गई है. नई प्रणाली में तीन साल की आंगनवाड़ी / प्री स्कूलिंग के साथ 12 साल की स्कूली शिक्षा होगी.
एनसीईआरटी 8 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (एनसीपीएफईसीसीई) के लिए एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा विकसित करेगा. एक विस्तृत और मजबूत संस्थान प्रणाली के माध्यम से प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) मुहैया कराई जाएगी. इसमें आंगनवाडी और प्री-स्कूल भी शामिल होंगे जिसमें इसीसीई शिक्षाशास्त्र और पाठ्यक्रम में प्रशिक्षित शिक्षक और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता होंगे. इसीसीई की योजना और कार्यान्वयन मानव संसाधन विकास, महिला और बाल विकास (डब्ल्यूसीडी), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण (एचएफडब्ल्यू) और जनजातीय मामलों के मंत्रालयों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा.
बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान प्राप्त करना
बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान की प्राप्ति को सही ढंग से सीखने के लिए अत्यंत जरूरी एवं पहली आवश्यकता मानते हुए ‘एनईपी 2020’ में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) द्वारा ‘बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन’ की स्थापना किए जाने पर विशेष जोर दिया गया है. राज्य वर्ष 2025 तक सभी प्राथमिक स्कूलों में ग्रेड 3 तक सभी शिक्षार्थियों या विद्यार्थियों द्वारा सार्वभौमिक बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान प्राप्त कर लेने के लिए एक कार्यान्वयन योजना तैयार करेंगे. एक राष्ट्रीय पुस्तक संवर्धन नीति तैयार की जानी है.
स्कूल के पाठ्यक्रम और अध्यापन-कला में सुधार
स्कूल के पाठ्यक्रम और अध्यापन-कला का लक्ष्य यह होगा कि 21वीं सदी के प्रमुख कौशल या व्यावहारिक जानकारियों से विद्यार्थियों को लैस करके उनका समग्र विकास किया जाए और आवश्यक ज्ञान प्राप्ति एवं अपरिहार्य चिंतन को बढ़ाने व अनुभवात्मक शिक्षण पर अधिक फोकस करने के लिए पाठ्यक्रम को कम किया जाए. विद्यार्थियों को पसंदीदा विषय चुनने के लिए कई विकल्प दिए जाएंगे. कला एवं विज्ञान के बीच, पाठ्यक्रम व पाठ्येतर गतिविधियों के बीच और व्यावसायिक एवं शैक्षणिक विषयों के बीच सख्त रूप में कोई भिन्नता नहीं होगी.
स्कूलों में छठे ग्रेड से ही व्यावसायिक शिक्षा शुरू हो जाएगी और इसमें इंटर्नशिप शामिल होगी.
एक नई एवं व्यापक स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा ‘एनसीएफएसई 2020-21’ एनसीईआरटी द्वारा विकसित की जाएगी.
बहुभाषावाद और भाषा की ताकत
नीति में कम से कम ग्रेड 5 तक, अच्छा हो कि ग्रेड 8 तक और उससे आगे भी मातृभाषा/स्थानीय भाषा/क्षेत्रीय भाषा को ही शिक्षा का माध्यम रखने पर विशेष जोर दिया गया है. विद्यार्थियों को स्कूल के सभी स्तरों और उच्च शिक्षा में संस्कृत को एक विकल्प के रूप में चुनने का अवसर दिया जाएगा. त्रि-भाषा फॉर्मूले में भी यह विकल्प शामिल होगा. किसी भी विद्यार्थी पर कोई भी भाषा नहीं थोपी जाएगी. भारत की अन्य पारंपरिक भाषाएं और साहित्य भी विकल्प के रूप में उपलब्ध होंगे. विद्यार्थियों को ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ पहल के तहत 6-8 ग्रेड के दौरान किसी समय ‘भारत की भाषाओं’ पर एक आनंददायक परियोजना/गतिविधि में भाग लेना होगा. कई विदेशी भाषाओं को भी माध्यमिक शिक्षा स्तर पर एक विकल्प के रूप में चुना जा सकेगा. भारतीय संकेत भाषा यानी साइन लैंग्वेज (आईएसएल) को देश भर में मानकीकृत किया जाएगा और बधिर विद्यार्थियों द्वारा उपयोग किए जाने के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय पाठ्यक्रम सामग्री विकसित की जाएंगी.
आकलन में सुधार
‘एनईपी 2020’ में योगात्मक आकलन के बजाय नियमित एवं रचनात्मक आकलन को अपनाने की परिकल्पना की गई है, जो अपेक्षाकृत अधिक योग्यता-आधारित है, सीखने के साथ-साथ अपना विकास करने को बढ़ावा देता है, और उच्चस्तरीय कौशल जैसे कि विश्लेषण क्षमता, आवश्यक चिंतन-मनन करने की क्षमता और वैचारिक स्पष्टता का आकलन करता है. सभी विद्यार्थी ग्रेड 3, 5 और 8 में स्कूली परीक्षाएं देंगे, जो उपयुक्त प्राधिकरण द्वारा संचालित की जाएंगी. ग्रेड 10 एवं 12 के लिए बोर्ड परीक्षाएं जारी रखी जाएंगी, लेकिन समग्र विकास करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए इन्हें नया स्वरूप दिया जाएगा. एक नया राष्ट्रीय आकलन केंद्र ‘परख (समग्र विकास के लिए कार्य-प्रदर्शन आकलन, समीक्षा और ज्ञान का विश्लेषण) एक मानक-निर्धारक निकाय के रूप में स्थापित किया जाएगा.
समान और समावेशी शिक्षा
‘एनईपी 2020’ का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी बच्चा अपने जन्म या पृष्ठभूमि से जुड़ी परिस्थितियों के कारण ज्ञान प्राप्ति या सीखने और उत्कृष्टता प्राप्त करने के किसी भी अवसर से वंचित नहीं रह जाए. इसके तहत विशेष जोर सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से वंचित समूहों (एसईडीजी) पर रहेगा जिनमें बालक-बालिका, सामाजिक-सांस्कृतिक और भौगोलिक संबंधी विशिष्ट पहचान एवं दिव्यांगता शामिल हैं. इसमें बुनियादी सुविधाओं से वंचित क्षेत्रों एवं समूहों के लिए बालक-बालिका समावेशी कोष और विशेष शिक्षा जोन की स्थापना करना भी शामिल है. दिव्यांग बच्चों को बुनियादी चरण से लेकर उच्च शिक्षा तक की नियमित स्कूली शिक्षा प्रक्रिया में पूरी तरह से भाग लेने में सक्षम बनाया जाएगा जिसमें शिक्षाविशारद का पूरा सहयोग मिलेगा और इसके साथ ही दिव्यांगता संबंधी समस्त प्रशिक्षण, संसाधन केंद्र, आवास, सहायक उपकरण, प्रौद्योगिकी-आधारित उपयुक्त उपकरण और उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप अन्य सहायक व्यवस्थाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी. प्रत्येक राज्य/जिले को कला-संबंधी, कैरियर-संबंधी और खेलकूद-संबंधी गतिविधियों में विद्यार्थियों के भाग लेने के लिए दिन के समय वाले एक विशेष बोर्डिंग स्कूल के रूप में ‘बाल भवन’ स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. स्कूल की नि:शुल्क बुनियादी ढांचागत सुविधाओं का उपयोग सामाजिक चेतना केंद्रों के रूप में किया जा सकता है.
प्रभावकारी शिक्षक भर्ती और करियर प्रगति मार्ग
शिक्षकों को प्रभावकारी एवं पारदर्शी प्रक्रियाओं के जरिए भर्ती किया जाएगा. पदोन्नति योग्यता आधारित होगी जिसमें कई स्रोतों से समय-समय पर कार्य-प्रदर्शन का आकलन करने और करियर में आगे बढ़कर शैक्षणिक प्रशासक या शिक्षाविशारद बनने की व्यवस्था होगी. शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय प्रोफेशनल मानक (एनपीएसटी) राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा वर्ष 2022 तक विकसित किया जाएगा, जिसके लिए एनसीईआरटी, एससीईआरटी, शिक्षकों और सभी स्तरों एवं क्षेत्रों के विशेषज्ञ संगठनों के साथ परामर्श किया जाएगा.
स्कूल प्रशासन
स्कूलों को परिसरों या क्लस्टरों में व्यवस्थित किया जा सकता है जो प्रशासन (गवर्नेंस) की मूल इकाई होगा और बुनियादी ढांचागत सुविधाओं, शैक्षणिक पुस्तकालयों और एक प्रभावकारी प्रोफेशनल शिक्षक-समुदाय सहित सभी संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा.
स्कूली शिक्षा के लिए मानक-निर्धारण एवं प्रत्यायन
एनईपी 2020 नीति निर्माण, विनियमन, प्रचालनों तथा अकादमिक मामलों के लिए एक स्पष्ट, पृथक प्रणाली की परिकल्पना करती है. राज्य/केंद्र शासित प्रदेश स्वतंत्र स्टेट स्कूल स्टैंडर्ड्स अथारिटी (एसएसएसए) का गठन करेगे. सभी मूलभूत नियामकीय सूचना का पारदर्शी सार्वजनिक स्व-प्रकटन, जैसाकि एसएसएसए द्वारा वर्णित है, का उपयोग व्यापक रूप से सार्वजनिक निगरानी एवं जवाबदेही के लिए किया जाएगा. एससीईआरटी सभी हितधारकों के परामर्श के जरिये एक स्कूल गुणवत्ता आकलन एवं प्रत्यायन संरचना (एसक्यूएएएफ) का विकास करेगा.
नई शिक्षा नीति की महत्वपूर्ण बातें (उच्चतर शिक्षा)
2035 तक जीईआर को बढ़ाकर 50 प्रतिशत करना
एनईपी 2020 का लक्ष्य व्यवसायिक शिक्षा सहित उच्चतर शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को 26.3 प्रतिशत (2018) से बढ़ाकर 2035 तक 50 प्रतिशत करना है. उच्चतर शिक्षा संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएंगी.
समग्र बहुविषयक शिक्षा
नीति में लचीले पाठ्यक्रम, विषयों के रचनात्मक संयोजन, व्यावसायिक शिक्षा एवं उपयुक्त प्रमाणन के साथ मल्टीपल एंट्री एवं एक्जिट बिन्दुओं के साथ व्यापक, बहुविषयक, समग्र अवर स्नातक शिक्षा की परिकल्पना की गई है. यूजी शिक्षा इस अवधि के भीतर विविध एक्जिट विकल्पों तथा उपयुक्त प्रमाणन के साथ 3 या 4 वर्ष की हो सकती है. उदाहरण के लिए, 1 वर्ष के बाद सर्टिफिकेट, 2 वर्षों के बाद एडवांस डिप्लोमा, 3 वर्षों के बाद स्नातक की डिग्री तथा 4 वर्षों के बाद शोध के साथ स्नातक.
विभिन्न एचईआई से अर्जित डिजिटल रूप से अकादमिक क्रेडिटों के लिए एक एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट की स्थापना की जानी है जिससे कि इन्हें अर्जित अंतिम डिग्री की दिशा में अंतरित एवं गणना की जा सके.
देश में वैश्विक मानकों के सर्वश्रेष्ठ बहुविषयक शिक्षा के माडलों के रूप में आईआईटी, आईआईएम के समकक्ष बहुविषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय (एमईआरयू) स्थापित किए जाएंगे
पूरी उच्च शिक्षा में एक मजबूत अनुसंधान संस्कृति तथा अनुसंधान क्षमता को बढ़ावा देने के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन का सृजन किया जाएगा.
विनियमन
चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर समस्त उच्च शिक्षा के लिए एक एकल अति महत्वपूर्ण व्यापक निकाय के रूप में भारत उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई) का गठन किया जाएगा.
एचईसीआई के चार स्वतंत्र वर्टिकल होंगे- विनियमन के लिए राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामकीय परिषद (एनएचईआरसी), मानक निर्धारण के लिए सामान्य शिक्षा परिषद (जीईसी), वित पोषण के लिए उच्चतर शिक्षा अनुदान परिषद (एचईजीसी) और प्रत्यायन के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (एनएसी). एचईसीआई प्रौद्योगिकी के जरिये चेहरारहित अंतःक्षेपों के माध्यम से कार्य करेगा और इसमें नियमों तथा मानकों का अनुपालन न करने वाले एचईआई को दंडित करने की शक्ति होगी. सार्वजनिक एवं निजी उच्चतर शिक्षा संस्थान विनियमन, प्रत्यायन एवं अकादमिक मानकों के उसी समूह द्वारा शासित होंगे.
विवेकपूर्ण संस्थागत संरचना
उच्चतर शिक्षा संस्थानों को उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षण, अनुसंधान एवं सामुदायिक भागीदारी उपलब्ध कराने के जरिये बड़े, साधन संपन्न, गतिशील बहु विषयक संस्थानों में रूपांतरित कर दिया जाएगा. विश्वविद्यालय की परिभाषा में संस्थानों की एक विस्तृत श्रेणी होगी जिसमें अनुसंधान केंद्रित विश्वविद्यालयों से शिक्षण केंद्रित विश्वविद्यालय तथा स्वायत्तशासी डिग्री प्रदान करने वाले महाविद्यालय शामिल होंगे.
महाविद्यालयों की संबद्धता 15 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से समाप्त हो जाएगी तथा महाविद्यालयों को क्रमिक स्वायत्ता प्रदान करने के लिए एक राज्य वार तंत्र की स्थापना की जाएगी. ऐसी परिकल्पना की जाती है कि कुछ समय के बाद प्रत्येक महाविद्यालय या तो एक स्वायत्तशासी डिग्री प्रदान करने वाले महाविद्यालय में विकसित हो जाएंगे या किसी विश्वविद्यालय के संघटक महाविद्यालय बन जाएंगे.
प्रेरित, ऊर्जाशील और सक्षम संकाय
एनईपी सुस्पष्ट रूप से परिभाषित, स्वतंत्र, पारदर्शी नियुक्ति, पाठ्यक्रम/अध्यापन कला डिजाइन करने की स्वतंत्रता, उत्कृष्टता को प्रोत्साहन देने, संस्थागत नेतृत्व के जरिये प्रेरक, ऊर्जाशील एवं संकाय के क्षमता निर्माण की अनुशंसा करता है. इन मूलभूत नियमों का पालन न करने वाले संकायों को जबावदेह ठहराया जाएगा.
अध्यापक शिक्षण
एनसीईआरटी के परामर्श से, एनसीटीई के द्वारा अध्यापक शिक्षण के लिए एक नया और व्यापक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा, एनसीएफटीई 2021 तैयार किया जाएगा. वर्ष 2030 तक, शिक्षण कार्य करने के लिए कम से कम योग्यता 4 वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड डिग्री हो जाएगी. गुणवत्ताविहीन स्वचालित अध्यापक शिक्षण संस्थान (टीईओ) के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
परामर्श मिशन
एक राष्ट्रीय सलाह मिशन की स्थापना की जाएगी, जिसमें उत्कृष्टता वाले वरिष्ठ/सेवानिवृत्त संकाय का एक बड़ा पूल होगा- जिसमें भारतीय भाषाओं में पढ़ाने की क्षमता वाले लोग शामिल होंगें- जो कि विश्वविद्यालय/कॉलेज के शिक्षकों को लघु और दीर्घकालिक परामर्श/व्यावसायिक सहायता प्रदान करने के लिए तैयार करेंगे.
छात्रों के लिए वित्तीय सहायता
एससी, एसटी, ओबीसी और अन्य विशिष्ट श्रेणियों से जुड़े हुए छात्रों की योग्यता को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जाएगा. छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले छात्रों की प्रगति को समर्थन प्रदान करना, उसे बढ़ावा देना और उनकी प्रगति को ट्रैक करने के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल का विस्तार किया जाएगा. निजी उच्च शिक्षण संस्थानों को अपने यहां छात्रों को बड़ी संख्या में मुफ्त शिक्षा और छात्रवृत्तियों की पेशकश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
खुली और दूरस्थ शिक्षा
जीईआर को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए इसका विस्तार किया जाएगा. ऑनलाइन पाठ्यक्रमों और डिजिटल संग्रहों, अनुसंधान के लिए वित्तपोषण, बेहतर छात्र सेवाएं, एमओओसी द्वारा क्रेडिट आधारित मान्यता आदि जैसे उपायों को यह सुनिश्चित करने के लिए अपनाया जाएगा कि यह उच्चतम गुणवत्ता वाले इन-क्लास कार्यक्रमों के समतुल्य हों.
ऑनलाइन शिक्षा और डिजिटल शिक्षा:
हाल ही में महामारी और वैश्विक महामारी में वृद्धि होने के परिणामस्वरूप ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सिफारिशों के एक व्यापक सेट को कवर किया गया है, जिससे जब कभी और जहां भी पारंपरिक और व्यक्तिगत शिक्षा प्राप्त करने का साधन उपलब्ध होना संभव नहीं हैं, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के वैकल्पिक साधनों की तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए, स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों को ई-शिक्षा की जरूरतों को पूरा करने के लिए एमएचआरडी में डिजिटल अवसंरचना, डिजिटल कंटेंट और क्षमता निर्माण के उद्देश्य से एक समर्पित इकाई बनाई जाएगी.
शिक्षा में प्रौद्योगिकी
सीखने, मूल्यांकन करने, योजना बनाने, प्रशासन को बढ़ावा देने के लिए, प्रौद्योगिकी का उपयोग करने पर विचारों का मुक्त आदान-प्रदान करने हेतु एक मंच प्रदान करने के लिए एक स्वायत्त निकाय, राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच ( एनईटीएफ) का निर्माण किया जाएगा. शिक्षा के सभी स्तरों में, प्रौद्योगिकी का सही रूप से एकीकरण करके, उसका उपयोग कक्षा प्रक्रियाओं में सुधार लाने, पेशेवर शिक्षकों के विकास को समर्थन प्रदान करने, वंचित समूहों के लिए शैक्षिक पहुंच बढ़ाने और शैक्षिक योजना, प्रशासन और प्रबंधन को कारगर बनाने के लिए किया जाएगा.
भारतीय भाषाओं को बढ़ावा
सभी भारतीय भाषाओं के लिए संरक्षण, विकास और जीवंतता सुनिश्चित करने के लिए, एनईपी द्वारा पाली, फारसी और प्राकृत भाषाओं के लिए एक इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसलेशन एंड इंटरप्रिटेशन (आईआईटीआई), राष्ट्रीय संस्थान (या संस्थान) की स्थापना करने, उच्च शिक्षण संस्थानों में संस्कृत और सभी भाषा विभागों को मजबूत करने और ज्यादा से ज्यादा उच्च शिक्षण संस्थानों के कार्यक्रमों में, शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा/ स्थानीय भाषा का उपयोग करने की सिफारिश की गई है.
शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण को संस्थागत रूप से सहयोग और छात्र और संकाय की गतिशीलता दोनों के माध्यम से सुगम बनाया जाएगा और हमारे देश में परिसरों को खोलने के लिए शीर्ष विश्व रैंकिंग रखने वाले विश्वविद्यालयों के प्रवेश करने की अनुमति प्रदान की जाएगी.
व्यावसायिक शिक्षा
सभी व्यावसायिक शिक्षाओं को उच्च शिक्षा प्रणाली का अभिन्न अंग बनाया जाएगा. स्वचलित तकनीकी विश्वविद्यालयों, स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालयों, कानूनी और कृषि विश्वविद्यालयों आदि को उद्देश्य बहु-विषयक संस्थान बनना होगा.
प्रौढ़ शिक्षा
इस नीति का लक्ष्य, 2030 तक 100% युवा और प्रौढ़ साक्षरता की प्राप्ति करना है.
वित्तपोषण शिक्षा
शिक्षा पहले की तरह 'लाभ के लिए नहीं' व्यहार पर आधारित होगी जिसके लिए पर्याप्त रूप से धन मुहैया कराया जाएगा. शिक्षा क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए, केंद्र और राज्य मिलकर काम करेंगे जिससे जीडीपी में इसका योगदान जल्द से जल्द 6% हो सके.
अभूतपूर्व परामर्श
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को, परामर्शों की अभूतपूर्व प्रक्रियाओं के बाद तैयार किया गया है जिसमें 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6,600 ब्लॉकों, 6,000 यूएलबी, 676 जिलों से प्राप्त हुए लगभग 2 लाख से ज्यादा सुझावों को शामिल किया गया है. एमएचआरडी द्वारा, जनवरी 2015 से इस अभूतपूर्व सहयोगात्मक, समावेशी और अत्यधिक भागीदारी वाली परामर्श प्रक्रिया की शुरूआत की गई. मई 2016 में, ‘नई शिक्षा नीति के विकास के लिए गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसकी अध्यक्षता स्वर्गीय श्री टी.एस. आर. सुब्रमण्यन, पूर्व कैबिनेट सचिव ने की थी. उसने इसके आधार पर, मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2016 के लिए कुछ इनपुट तैयार किए. जून 2017 में, प्रख्यात वैज्ञानिक, पद्म विभूषण डॉ के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे के लिए एक समिति का गठन किया गया था, जिसने 31 मई, 2019 को माननीय मानव संसाधन विकास मंत्री को राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2019 का मसौदा प्रस्तुत किया. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 का मसौदा, एमएचआरडी की वेबसाइट पर और 'माईगव इनोवेट' पोर्टल पर अपलोड किया गया, जिसमें आम नागरिक सहित हितधारकों के विचारों/सुझावों/टिप्पणियों को प्राप्त किया गया.