Thursday, February 3, 2011

बाबा रामदेव का योग और मुस्लिम शिक्षण संस्थान

               इधर कुछ वर्षों से बाबा रामदेव के 'योग' ने राष्ट्रिय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर काफ़ी ख्याति अर्जित की है.आर एस एस और बीजेपी जैसी संस्थाओं को यह खूब जमा.क्यों न हो, बाबा रामदेव हिन्दू सनातन धर्म के स्थापना की  बात करते हैं,वेद पुराण और उपनिषद  की बात करते हैं.अर्थात 'हिन्दू मिथालाजी' को वे कहीं भी नकारते नहीं दीखते.
            अब यह अलग बात है कि बाबा रामदेव ने जब बीजेपी के एक बड़े नेता द्वारा उनके किसी आश्रम के लिए जमीन आबंटित करने एक भारी रकम मांगने का भंडा फोड़ा तो आर एस एस और बीजेपी के बड़े-बड़े नेता दायें-बाएं देखते नजर आयें.इसी तरह बाबा रामदेव  ने जब एक राजनितिक पार्टी बनाने का ऐलान किया तब भी ये ही लोग यह कहने से नहीं चुके कि बाबा को 'बाबा' ही रहना चाहिए,राजनीती में कूदना नहीं चाहिए.
              बहरहाल, हम बाबा रामदेव के योग पर आते हैं.जब से बाबा रामदेव ने योग का प्रचार आरम्भ किया हैं,बीजेपी शाशन वाले राज्य के मुख्य मंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों के शिक्षण संस्थानों में योग का शिक्षण अनिवार्य-सा कर दिया है.और तो और मुख्यमंत्री स्वयं इन शिक्षण संस्थाओं में खड़े होकर योग की कक्षा लेते दिखाई दिए. जिले के कलेक्टर कार्यालयों में योग की क्लास लेने लगे.
              वैसे, बाबा रामदेव का योग है बड़ी ऊँची चीज. बेशक, लोगों को फायदा हुआ और हो रहा है.कुर्सी तोड़ने वाले बड़े बाबू और साहब जो बड़े-बड़े पेट लेकर घूमते थे,सीने की सीध में पेट लाकर बाबा रामदेव का यशोगान करने लगे. मुझे लगता है कि निस्संदेह, बाबा रामदेव ने योग का राष्ट्रिय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार कर कम-से-कम इस देश का बहुत बड़ा भला किया है.
             मगर तब,गैर हिन्दू इस योग से नाक-भों क्यों सिकुड़ते हैं ? मुझे नहीं लगता कि जिस तरह हिन्दू, बाबा रामदेव के योग की कक्षाओं को सिर-आँखों पर लेते हैं,गैर मुस्लिम उसी तर्ज पर लेते हों.आखिर क्या कारण है इसका ?
मैंने अपने सहकर्मी इंजीनियर  एक मुस्लिम भाई से बात की-
    " न मानने का कोई कारण नहीं है..हमारे यहाँ नमाज के समय ऐसी कई 'एक्सरसाइज' है,जो अपने-आप हो जाती हैं."
मगर तब क्यों कुछ मुस्लिम इलाईट, शिक्षण संस्थानों में सिखाये जा रहे योग कक्षाओं का विरोध करते हैं ? -मैंने कहा.
        सामान्यत लोग, फिर चाहे वे जिस किसी धर्म के हो,हर चीज में दिमाग नहीं लगाते.बल्कि, मोटे तौर पर कहा जाय तो दिमाग लगाने का ठेका धर्म के ठेकेदारों का होता है.खैर, एक और मुस्लिम सहकर्मी जो सीनियर केमिस्ट पद पर थे  और जो इस तरह के गंभीर विषय पर दखल रखते हैं, मैंने सवाल दागा-
   "क्या आप ॐ शब्द की व्युत्पत्ति और उसका अर्थ जानते हैं ?" -प्रतिप्रश्न हुआ.
 मैंने कहा-  "हाँ."
"आप जानते हैं कि बाबा रामदेव की योग कक्षाएं ॐ से शुरू होती है और ॐ पर ख़त्म होती है. इस्लाम में किसी देवी-देवता की स्तुति के लिए  कोई स्थान नहीं है..." -मेरा सहकर्मी धारा प्रवाह बोलते गया,बोलते गया.
      ॐ पांच मात्राओं* से बना है. हर मात्रा का अर्थ है,इष्ट देवता है. इसी तरह का एक और शब्द है- 'श्री'. मैं विषयांतर की वजह से इन सब की चर्चा अन्यत्र  करूंगा.बहरहाल मुझे लगा कि उनका 'रिजर्वेशन' जायज है.
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  * अकार- ब्रह्मा,उकार-विष्णु ,मकार-महेश,अर्ध मात्रा- सरस्वती, शून्य-गणपति

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