बिटिया जब घर में होती है तो एक दिन उसकी शादी भी करनी होती है।शादी दो परिवारों का मिलन होता है। मगर, इधर शादी के मायने बदल रहे हैं। आजकल, शादी लड़का लड़की तक सीमित हो गई है। पेरेंट्स, परिवार और रिश्तेदारों को झंझट समझा जाने लगा है।
धन्य हो शादी डाट काम वालों का कि उन्होंने इस झंझट को और आसान बना दिया। हमारे यहाँ बड़े लडके की शादी शादी डाट काम के मार्फत हुई थी। शादी डाट काम से फायदा यह है की वाईड रेंज में च्वाईस मिल जाती है। मगर, इससे खतरे भी कम नहीं है। आपको सजातीय वर और पारिवारिक ट्रेडिशन सुनिश्चित करने में दिक्कत आ सकती है।
पहले, लडकी के लिए लड़का ढूढने का काम घर के बुजुर्ग और रिश्तेदार करते थे। मगर, बच्चों और परिवार में दूरियां इतनी बढ़ गई है कि माँ बाप शहडोल में रहते हैं और लडकी दिल्ली में। एक रिश्तेदार बलाघाट में रहता है तो दूसरा पूना में। और फिर, रिश्तेदारों को फुर्सत कहाँ कि वह आपकी बेटी के लिए रिश्ता खोजे। उन्हें तो बेटी की सूरत याद हो, बड़ी बात है।
शहरों के अपने ठाट हैं, अपनी कहानी है। यहाँ बगल के कमरे में कौन रहता है, महोनों तक पता नहीं होता। लोग अपने घर और बंगलों के चारों ओर इतनी बड़ी चार दिवारी बना लेते हैं कि अन्दर कोई दुर्घटना घट जाए तो कई दिनों तक पता नहीं चलता। जब पुलिस आ कर पूछ-ताछ करती है, तब मालूम होता है की कोई घटना घटी है।
दरअसल, शहर और खास कर दिल्ली, मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगा। प्रदुषण ऐसा है कि बाप रे बाप। उधर, धूप है कि मेहमान बन जाती है। मुझे तो यही आ कर समझ आया कि लोग गोवा क्यों जाते हैं।
बहरहाल, बात शादी जोड़ने की हो रही थी। रिश्तों के बिखरने के कारण इधर, आज-कल सम्मेलन आयोजित किये जा रहे हैं। शादी डाट काम और इस तरह की साईट्स इसी का अडवांस वर्शन है। ये इलेक्ट्रानिक मल्टी मिडिया का जमाना है।
इस साईट पर लड़का लडकी के पूरे बायो डेटा होते हैं। उनकी पसंद ना पसंद मेंशन होती है। कोई टेंशन नहीं। आपको कोई लडके की प्रोफाईल पसंद है, उसकी पसंद और नापसंद के दायरे में आते हैं, तो आप आगे बात करने के लिए मेसेज दे सकते हैं। अगर मेसेज पाने वाले को आपका प्रोफाईल पसंद आता है तो बात आगे बढ़ सकती है।
सित 12 के अंतिम सप्ताह में ताई ने बतलाया कि उसने एक लडके की रिक्वेस्ट एक्सेप्ट की है। वे मुम्बई के हैं। लड़का ठीक ठाक है और हम चाहे तो उनके पेरेंट्स से बात कर सकते हैं। बिटिया से ग्रीन सिग्नल मिलने पर हमने लडके के पेरेंट्स से बात की। यह ताकसांडे परिवार था। लडके के पिताजी ने बतलाया कि वे वर्धा के रहने वाले हैं और मुंबई के लोकमान्य तिलक टर्मिनल के पास अणुशक्ति नगर के बार्क (भाभा एटामिक पावर रिसर्च कालोनी ) में सर्विस करते हैं।
आगे, लडके के पिताजी ने कहा कि उन्होंने हमारी बच्ची का प्रोफाईल देखा है। लडके ने सारी बातें बतला दी है। हमारी बिटिया उन्हें पसंद है और इस पर वे हमारी सहमती चाहते हैं।
हमारे पास भी एतराज करने का कोई कारण नहीं था। ताई ने बतलाया था कि लडके के सिर पर बाल कम है। बच्ची के नालेज में होने के बावजूद अगर उसने सिलेक्ट किया है तो जाहिर है कि वह इसे सेकेंडरी मानती है, हमने सोचा। कोई भी लड़का परफेक्ट नहीं होता। कोई न कोई कमी होती ही है। सारी बातें एक साथ नहीं मिल सकती, यह अनुभव जन्य तथ्य है।
कुछ दिनों बाद ताई ने बतलाया की लड़का, जिनका नाम बिपिन है, दिल्ली मिलने के लिए आ रहा है। हमने सोचा, बात इसी तरह आगे बढती है।
बिपिन एक अच्छा और सुलझा हुआ लड़का लगा। मुझे उसमें गंभीरता नजर आयी। मेरे यह पूछने पर कि तुम्हारे सिर के बाल क्या हुए, उसने मुस्करा कर कहा, अंकल, उड़ गए। आप लडकी और उनके पेरेंट्स से मिलने जा रहे हैं तो जाहिर है, ऐसे कमेंट्स के लिए तैयार होते हैं। आजकल समय के पहले सिर के बालों का उड़ना या सफ़ेद होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है।
ताई ने बतलाया था कि उसके लिए लडके की पर्सनालिटी और वह अपनी बात कम्युनिकेट कैसे करता है, प्रायमरी है, न की फिजिकल एपियरेंस। मैंने कहा की फिजिकल एपियरेंस का अपना महत्त्व है।जब आप साथ में खड़े होते हैं तो फिजिकल एपियरेंस मेटर करता है। ताई ने लडके के द्वारा भेजे गए पहले मेसेज का जिक्र किया। बिपिन ने लिखा था कि वह काफी दिनों से सर्च कर रहा था। मजे की बात है कि इस सर्चिंग में उसके छोटे भाई ने बाजी मार ली। पापा कहते रहे मगर, मेरी सर्च चलती रही और अंतत आपकी प्रोफाईल देख कर मुझे लगा की मेरी सर्च पूरी हुई।
ताई ने कहा कि इस पर उसे रिस्पांस करना है। भाभी से पूछा तो उन्होंने कहा कि फैसला उसे खुद करना है। दादा और भैया ने भी यही कहा। अब फाईनल मम्मी डेडी है, आप लोग बता दो कि क्या रिस्पांस करना है ? मैंने मेडम की तरफ देखा। मेडम ने कहा कि स्काईप पर जितनी बातें हुई, परिवार के लोग हम जैसे ही लग रहे थे। मैंने ताई को कहा की तू 'हाँ' का मेसेज दे दे। कोई लड़का खुद अपनी ओर से एप्रोच करता है तो उसका वेटेज होता है।
हप्ता बीतते बिताते ताकसांडे जी का फोन आया कि हमें मुंबई की विजिट करनी चाहिए। हमने भी सोचा , लड़का दिल्ली की विजिट कर चुका है। जाहिर है, अब हमारी बारी थी। हम 6 अक्टू को मुंबई पहुंचे। बिपिन स्टेशन लेने आ गए थे।
ताकसांडे परिवार बार्क कालोनी में रहते हैं। 7 अक्टू की सुबह हम दोनों मियां बीबी प्रात: भ्रमण को निकले, जैसे कि हमारा रूटीन है। चचाई कालोनी जैसे ही माहौल लगा। बार्क, कालोनी एरिया है। मगर, सेक्युरिटी यहाँ काफी टाईट दिखी। भाभा एटामिक रिसर्च का यह केन्द्रीय संस्थान जो है। भाभा पावर एटामिक रिसर्च सुनते ही अपने आप सेक्युरिटी का ख्याल जेहन में आता है। यहाँ दुहरे और तिहरे स्तर पर स्टेट और सेंटर की सेक्युरिटी तैनात है। मैंने मप्र स्टेट इलेक्ट्री सिटी बोर्ड के थर्मल पावर स्टेशनों में सर्विस करते हुए 34 साल बिताया है। मगर, यहाँ मुझे अपने कई कंसेप्ट ढहते हुए नजर आये।
बार्क मुंबई के चेम्बूर साईड में समुद्र के किनारे है। कालोनी समुद्र से सटी हुई पहाड़ियों से घिरी हुई छिछली जगह जंगल झाड़ियों के बीच बसायी गई है। मौसम डेम्प मगर, सुहाना लगा। बीच बीच में बरसात हो रही थी। यद्यपि बरसात ख़त्म होने की थी मगर, तेज बारिश से आप कभी भी भीग सकते थे।
साम को ताकसांडे परिवार के साथ हम लोग पनवल साईड घुमने गए। मुंबई जैसे महा नगर में एक अदद मकान जरुरी होता है और लडकी के पेरेंट्स को यह बताना एक कस्टम है। ताकसांडे जी बार बार इसका जिक्र करते थे। मगर, तब हम लोग इस तथ्य से वाकिफ नहीं थे। ताकसांडे जी इसी उद्देश्य से हमें ले गए थे।
ताकसांडे परिवार सम्बन्धों को रिश्ते का रूप देने के लिए काफी उत्सुक दिखे। हमें भी अच्छा लगा। मेडम ने ताई से बात की। ताई का कहना था कि अगर हमें ठीक लगता है तो हम आगे बढ़ सकते हैं। मेडम ने अपनी बात मिसेज ताकसांडे को बता दी। मेडम ने यह भी कहा कि ऐसी स्थिति में हम इस बाबद पक्का संदेश ले जाना चाहेंगे।
अगली सुबह सामाजिक विधि विधान से
रिश्ते को पक्का करने की रस्म की गई। भोजन दान के साथ एक दूसरे को मिठाई खिला कर ख़ुशी के इस नए रिश्ते को हम दोनों परिवारों ने कबूल किया गया।