Saturday, February 24, 2018

अभिलासदास साहेब (Abhilasdas saheb)

अभिलासदास साहेब से मेरा कोई सीधा मिलना तो नहीं हुआ किन्तु  मैंने उनके कई ग्रन्थ पढ़े हैं और इसलिए लगता है,  मैं उन से मिला हूँ।

अभिलासदास साहेब से मेरा परिचय कबीर पंथ के मेरे गुरु बालकदास साहेब से हुआ था।  निस्संदेह, गुरूजी उनके व्यक्तित्व और कृतित्व से प्रभावित थे। जान पड़ता है, वे व्यक्तिगत रूप से उनसे परिचित थे।  सत्संग के दौरान वे बात-बात पर अभिलासदास साहेब को उद्दृत करते थे।

कबीर पंथ में अनेक साधु -महात्मा हुए हैं किन्तु गोपाल  साहेब (कबीर चौरा कशी ), भगवान साहेब (धनौती बिहार), जागु साहेब (विद्दुपुर, बिहार), धनी धर्मदास साहेब (बांधव गढ़), गुरुदयाल साहेब (फतुहा, बिहार), रामरहस साहेब (गया, बिहार), पूरण साहेब (बुरहानपुर, म. प्र.),  काशी साहेब (बुरहानपुर, म. प्र.), निर्मल साहेब (अजगैबा, उ. प्र.), विशाल साहेब (बाराबंकी, उ. प्र. ) राघव साहेब (कबीर चौरा कशी) आदि का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता हैं। अभिलास दास साहेब इसी कड़ी के व्यक्ति हैं।
अभी कुछ ही वर्ष पूर्व 26 सित.  2012  को यह महान विभूति हम से अलग  हो गई । आइए, इस विभूति के बारे में कुछ जानने का प्रयास करें।
जन्म - अभिलासदास साहेब का जन्म ब्राह्मण परिवार में 17 अग. सन 1933  को सिद्धार्थ नगर (उ. प्र.) के खानतारा गावं में हुआ था। बालक के बचपन का नाम 'रामसुमिरन' था। अपने चार भाई-बहनों में रामसुमरन सबसे बड़े थे।  उनकी माता का नाम जगरानी देवी और पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शुक्ल था। रामसुमिरन का विवाह 12 वर्ष की अवस्था में हुआ था।  उनकी पत्नी का नाम सरस्वती था। अठारह वर्ष की उम्र में एक पुत्र के पिता बने थे।

 खानतारा गावं से कुछ ही दूरी पर बड़हरा आश्रम है।

आश्रम में साधु संतों का आन-जाना होता था। वहां के साधु रामसूरत की कुछ बातें रामसुमिरन को प्रभावित कर गई। साधु बाबा की बातें बचपन में उसे परिवार में मिले संस्कारों से विरुद्ध थी। यह कहना कि खम्बा फाड़ कर भगवान अवतार नहीं लेता। राम, कृष्ण ईश्वर के अवतार नहीं हैं। पुराणों की अधिकतर बातें कथा- कहानियां हैं, आदि साधु की बातों पर उसे यकीन नहीं होता था किन्तु जितना वह उनसे बात करता, साधु की बातों पर अविश्वास करने का कोई कारण नजर नहीं आता। इस समय राम सुमिरन की उम्र 18 वर्ष थी।      

अभिलासदास ने 21  वर्ष की उम्र में घर त्याग दिया था।
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' पारख सिद्धांत बोध'
1.    आत्म-बोध -इच्छा-तृष्णा संयमित कर  आप में स्थित
2 . समाधि - चिंतन-मनन
स्रोत-  सदगुरु अभिलास साहेब: जीवन दर्पण,  लेखक राम दास साहेब
कबीर पारख संस्थान ,  संत कबीर मार्ग,
प्रीतम नगर इलाहबाद(उ. प्र.), 011     

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