बी. एस. पी. की सोशल इंजीनियरिंग कहती है, जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी।
पार्टी की हार का कारण बहन मायावती उ. प्र. के 70 % मुसलमानों का एस. पी को वोट देना, बतलाती है। मतलब साफ है, मुसलमानों का बी. एस. पी. से मोह-भंग हो गया। सवाल है कि मुसलमानों का मोह-भंग क्यों हुआ ? उनका वाजिब हक उन्हें क्यों नहीं दिया जा सका ? यह कहना सतही होगा की हरेक को संतुष्ट नहीं किया जा सकता। केंद्र की अटल बाजपेयी सरकार और आज की यू. पी. ए- 2 से समय रहते सबक क्यों नहीं लिया गया ? और अगर आप सचेत थे, तब यह कहना पड़ेगा कि बी. एस. पी. के इस सोशल इंजीनियरिंग की काट ढूंढ़ ली गयी है.
पार्टी की हार का कारण बहन मायावती उ. प्र. के 70 % मुसलमानों का एस. पी को वोट देना, बतलाती है। मतलब साफ है, मुसलमानों का बी. एस. पी. से मोह-भंग हो गया। सवाल है कि मुसलमानों का मोह-भंग क्यों हुआ ? उनका वाजिब हक उन्हें क्यों नहीं दिया जा सका ? यह कहना सतही होगा की हरेक को संतुष्ट नहीं किया जा सकता। केंद्र की अटल बाजपेयी सरकार और आज की यू. पी. ए- 2 से समय रहते सबक क्यों नहीं लिया गया ? और अगर आप सचेत थे, तब यह कहना पड़ेगा कि बी. एस. पी. के इस सोशल इंजीनियरिंग की काट ढूंढ़ ली गयी है.
ab 2017 ka intezaar hai :)
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