छत्रपति शिवाजी प्रथम ( 1630 -1680 )
कट्टर हिंदुत्व की मानसिकता के लोग छत्रपति शिवाजी महाराज को 'हिन्दू राष्ट्र' के स्वप्न-दृष्टा के रूप में देखते हैं. वे उन्हें 'गौ-रक्षक' के रूप में पेश करते हैं. पाठ्य-पुस्तकों में उन्हें क्षत्रिय वंश का बतलाया जाता है.
देश के राजे-महाराजों के इतिहास से छत्रपति शिवाजी महाराज को इस तरह पेश करने वाले लोक मान्य बाल गंगाधर तिलक थे.स्मरण हो कि बाल गंगाधर तिलक ने सती-प्रथा का समर्थन किया था.ये वही बाल गंगाधर तिलक थे जिन्होंने कहा था कि पिछड़ी जातियों को राजनीति में जाने की बात की जाती है तो संसद और विधान सभाओं में जा कर क्या उन्हें हल चलाना है ?
ब्रिटिश भारत के आजाद होने का जब वक्त आया तब सत्ता के दावेदारी में मुस्लिमों के आलावा दलित-पिछड़ी जातियां लाम बंद हो रही थी. क्योंकि, पूर्व के हिन्दू राजा महाराजों के शासन काल में इन जातियों पर अकल्पनीय अत्याचार हुए थे. ब्रिटिश राज्य के समाप्ति पर सत्ता उन्हीं के हाथों में जानी थी. इन जातियों को डर था की अंग्रेजों के जाने के बाद फिर कहीं उनकी वही दुर्गति न हो और इसलिए सत्ता-हस्तांतरण के दौरान आने वाले आजाद भारत की राजनीति में ये जातियां अपने अधिकारों को सुरक्षित करना चाहती थी.
दूसरी ओर, हिन्दू ,हाथ में आने वाली सत्ता पर अपना एकाधिकार कायम रखना चाहते थे. दलित-पिछड़ी जातियों का हिन्दुओं से राजनैतिक रूप से छिटकना उनके सामाजिक-धार्मिक एकाधिकार को कम करना था. नि;संदेह इन परस्थितियों में इन जातियों को संगठित रखना हिन्दुओं के लिए चुनौति भरा कार्य था. हिन्दू कट्टर पंथी बालगंगा धर तिलक द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज को हिन्दू आईकन के रूप में उतारना उसी चुनौति का जवाब था.
शिवाजी के दादा मालोजी भोसले (1552-1606) बीजापुर के मुग़ल बादशाह निजाम शाह के दरबार में मनसबदार थे. मालोजी भोसले के पुत्र शाहजी (1599 -1664 ) निजामशाह और आदिलशाह के फ़ौज में जनरल थे. शाहजी का ब्याह बीजापुर के एक सामंत यादवराव की बेटी जीजाबाई से हुआ था.
शिवाजी का जन्म शाहजी की प्रथम पत्नी जीजा बाई से सन 1630 को पूना के पास शिवनेर दुर्ग में हुआ था. जीजाबाई के दो पुत्र थे- सम्भाजी और शिवाजी जिस में सम्भाजी बड़े थे. जीजाबाई एक धर्म-परायण हिन्दू महिला थी. परिवार के कुल देवता 'शिकारा शिन्गना पूरा शंभू महादेव' थे. शाहजी के पास पूना की जागीरदारी भी थी, जिसकी देख-रेख उनके विश्वास-पात्र एक ब्राह्मण दादोजी कोंडदेव करते थे. शिवाजी का बचपन अपनी माँ जीजाबाई के साथ यही बिता था. जिजाबाई को शाहजी ने काफी पहले त्याग दिया था.
सन 1636 में निजाम शाही के विलय के बाद शाहजी को मुग़ल बादशाह आदिल शाह
बैंगलोर लाये थे.यहाँ पर शाहजी ने तुकाबाई मोहित से दूसरा ब्याह कर लिया था
जिससे व्यन्कोजी पैदा हुए थे. व्यन्कोजी ने थंजोर राज्य की स्थापना की
थी. शाहजी के एक और दासी पुत्र शांताजी का उल्लेख मिलता है जिसे शिवाजी ने
कर्नाटक का सूबेदार नियुक्त किया था.
जीजाबाई ने शिवाजी की परवरिश एक बहादुर लड़का के रूप में की थी. उसे बचपन से ही युध्द-कौशल में पारंगत किया था. बड़े हो कर शिवाजी ने सचमुच अपनी माँ के सपने को साकार किया था. शिवाजी का ब्याह साईंबाई निम्बालकर से 14 मई 1640 में हुआ था.
शिवाजी ने विश्वस्त मराठा युवाओं की एक लडाका टुकड़ी तैयार की थी. उसने बचपन से ही डाका डालना और लूटपाट के कार्यों में दक्षता हाशिल कर ली थी. शिवाजी की सेना मराठे और कुनबी अधिक थे. वैसे तो मराठे खेतिहर किसान थे. मगर, युध्द कौशल में वे उतने ही पुर्तीले थे.
उनकी सेना में कोली,संघर ,बघेर आदि जातियों के भी काफी सैनिक थे. शिवाजी को जिनसे भिड़ना था, उन मुग़ल बादशाहों की विशाल फ़ौज के बनिस्पत उनके पास छोटी-सी सैन्य टुकड़ी थी. शायद, इसी कारण शिवाजी ने छापामार युध्द शैली का विकास किया था.
शिवाजी ने बीस वर्ष की युवावस्था में ही बीजापुर के तोरण किले को लूट लिया था. मुग़ल बादशाह आदिल शाह के ख़राब स्वाथ्य के चलते उसने राजगढ़, सिंहगढ़, पश्चिम घाट और कोक्कन क्षेत्र के दुर्गों पर भी अधिकार कर लिया था. सन 1647 तक उसने अन्य आस-पड़ोस के शासकों की आपसी रंजिश का फायदा उठा कर पुरन्दर का किला सहित कई दुर्गों को अपने कब्जे में ले लिया था.
शिवाजी की हरकतों से आदिल शाह बेखबर नहीं थे. बादशाह ने गुस्से में उनके पिता को कैद कर लिया तथा शिवाजी को सबक सिखाने फ़ौज भी भेज दिया था. पिता की कैद से दुखी हो कर शिवाजी ने अगले 4 -5 वर्षों तक कोई लूटपाट नहीं की. इस दौरान वे अपनी सेना को मजबूत करने में लगे रहे. अच्छा मौका जान कर शिवाजी ने पुन: चन्द्र राव मोरे के किले पर आक्रमण कर उसे अपने कब्जे में कर लिया.
इसी बीच सन 1656 में बादशाह आदिलशाह की मृत्यु हो गयी. औरंगजेब ने इसका फायदा उठा कर बीजापुर पर आक्रमण कर दिया. मगर, यहाँ औरंगजेब को शिवाजी से भी निपटना पड़ा . इस मुठभेड़ में शिवाजी को काफी बड़ी रसद हाथ लगी थी. अब तक शिवाजी करीब 40 दुर्गों के मालिक बन चुके थे.
सन 1659 में शिवाजी से निपटने के लिए बीजापुर के सुल्तान ने अफजल खां को प्रतापगढ़ भेजा था. अफजल खां ने शिवाजी को संदेश भिजवाया कि अगर वे बीजापुर की अधीनता स्वीकार करते हैं तो सुल्तान उन्हें उन सब क्षेत्रों का अधिकार दे देंगे जिन पर उन्होंने कब्जा कर रखा है. इस पर शिवाजी ने कहा कि संधि- प्रस्ताव के सिलसिले में उनसे अकेले में मिलना चाहते हैं.जब अफजल खां इसके लिए तैयार हो गया तो शिवाजी ने कहा कि वह उससे गले मिल कर बधाई देना चाहते हैं. कहा जाता है कि शिवाजी ने बड़ी चालाकी से अपनी लम्बी दाढ़ी के पीछे खंजर छुपा रखा था. बस क्या था, गले मिलने के दौरान शिवाजी ने खंजर अफजल खां के सीने में उतार दिया.
अफजल खां की मृत्यु के बाद शिवाजी ने पन्हाला, पवनगढ़, वसंतगढ़, राजापुर और दावुल के किलों पर आक्रमण कर अधिकार कर लिया. यद्यपि, बाद के दिनों में बीजापुर के सुल्तान ने पुन: इन दुर्गों को अपने अधिकार में ले लिया था तथापि उसे शिवाजी से संधि करनी पड़ी. सन 1962 की इस संधि के अनुसार, बीजापुर के सुल्तान को इन्द्रापुर से दावुर और कल्याण से पोंडा तक के क्षेत्र पर शिवाजी का आधिपत्य मानना पड़ा और एक स्वतन्त्र राज्य के रूप में मान्यता देनी पड़ी.
उधर, आगरे का मुग़ल बादशाह औरंगजेब, शिवाजी की बढती ताकत से परिचित था. उसने अपने सूबेदार शास्ता खां को शिवाजी की ओर रवाना किया. मगर, शास्ता खां को मुहं की खानी पड़ी. इस विजय से उत्साहित हो कर शिवाजी ने सूरत पर हमला किया. तब, सूरत डचों का व्यापार केंद्र था. सूरत की लूट से खिन्न हो कर औरंगजेब ने राजा जयसिंह को भेजा. राजा जयसिहं से शिवाजी को भारी हार का सामना करना पड़ा. शिवाजी ने राजा जयसिंह को संधि का प्रताव भेजा. जून 1665 की इस संधि के अनुसार शिवाजी को जीते हुए करीब 25 दुर्ग मुग़ल बादशाह को लौटाने पड़े थे.यही नहीं, संधि के मुताबिक शिवाजी और उनके बड़े भाई सम्भाजी को मुग़ल बादशाह के दरबार में खिदमत के लिए राजी होना पड़ा था.
मगर, औरंगजेब के दरबार में शिवाजी का रवैया ठीक नहीं था. उसकी ढीठता देख कर बादशाह ने उन्हें नजरबन्द कर लिया था. मगर, थोड़े समय ही बाद औरंगजेब के सिपहसालारों को गच्चा दे कर शिवाजी अपने भाई संभाजी से साथ वहां से भागने में कामयाब रहे. बादशाह को शक था कि इसमें राजा जयसिहं का हाथ है. अत: औरंगजेब ने राजा जयसिहं को मरवा डाला था.
औरंगजेब की कैद से भाग कर शिवाजी छिपते-छिपते राजगढ़ पहुंचे थे. राजगढ़ में मराठों के साथ शिवाजी ने पुन: अपने को सशक्त किया. सन 1668 में जसवंतसिहं की मध्यस्थता में शिवाजी ने फिर से औरंगजेब को संधि का प्रस्ताव भेजा.इस बार मुग़ल बादशाह औरंगजेब को भी यह संधि स्वीकार करनी पड़ी. संधि के तहत औरंगजेब ने शिवाजी को एक स्वतन्त्र राज्य के रूप में मान्यता देकर पूना, चाकन और सुपा के किले लौटा दिए.
औरंगजेब की कैद से भाग कर शिवाजी छिपते-छिपते राजगढ़ पहुंचे थे. राजगढ़ में मराठों के साथ शिवाजी ने पुन: अपने को सशक्त किया. सन 1668 में जसवंतसिहं की मध्यस्थता में शिवाजी ने फिर से औरंगजेब को संधि का प्रस्ताव भेजा.इस बार मुग़ल बादशाह औरंगजेब को भी यह संधि स्वीकार करनी पड़ी. संधि के तहत औरंगजेब ने शिवाजी को एक स्वतन्त्र राज्य के रूप में मान्यता देकर पूना, चाकन और सुपा के किले लौटा दिए.
सन 1670 में शिवाजी के द्वारा सूरत को फिर से लूटने का उल्लेख आता है. सन 1674 आते-आते शिवाजी का उन सब दुर्गों पर अधिकार हो गया था जो पुरन्दर की संधि के तहत उन्होंने मुगलों को लौटाए थे.
6 जून सन 1674 को शिवाजी का राज्यभिषेक हुआ था. इस राज्यभिषेक में शिवाजी को 'छत्रपति' की उपाधि से नवाजा गया था. शिवाजी के राज्यभिषेक के समय ब्राह्मणों ने भारी विरोध किया था. ब्राह्मणों का कहना था की चूँकि, शिवाजी शुद्र है इसलिए उनका राज्यभिषेक नहीं हो सकता. शिवाजी के राज्यभिषेक का सबसे ज्यादा विरोध उनके गुरु रामदास तथा प्रधान मंत्री मोरोपंत पिंगले से हुआ था. ये दोनों ब्राह्मण थे.
शिवाजी कुनबी समाज के थे. कुनबी समाज की गिनती ब्राह्मण, शूद्रों में करते थे. ब्राह्मणों के रुख को देख कर शिवाजी ने बालाजी आवाजी को अपना निजी सचिव बनाया था जो गैर ब्राह्मण कायस्थ थे. ब्राह्मण, कायस्थ समाज को भी शुद्र में ही गिनते थे. बालाजी आवाजी कई मन सोना और चांदी के गहने दे कर बनारस के गोगा भट्ट नामक ब्राह्मण पंडित को ले आये थे और उसके द्वारा शिवाजी का राज्यभिषेक सम्पन्न कराया था. गोगा भट्ट का पैतृक स्थान नांदेड़ था। राज्यभिषेक के दौरान गोगा भट्ट ने ब्राह्मणों के डर से वैदिक मंत्रोच्चार नहीं किया था। ब्राह्मण डर से भयाक्रांत हो कर गोगा भट्ट ने अपने पैर के अंगूठे से शिवाजी के माथे पर तिलक लगा कर राजतिलक की रस्म की थी. उसने तिकडम भिड़ा कर शिवाजी को उदयपुर ( राजस्थान) के सिसोदिया (राजपूत) वंश का घोषित किया था.
राज्यभिषेक से दौरान ब्राह्मणों को इतना धन दिया गया था कि राज्य का राजकोष खाली हो गया था. खाली राजकोष भरने के लिए शिवाजी ने पडोसी राज्यों पर कई बार आक्रमण, लूटपाट और डाके डाले थे.
शिवाजी के 'अष्टप्रधान' मंत्री परिषद् में आठ प्रधानों में से एक सेनापति को छोड़ कर शेष ब्राह्मण ही थे. शासन-प्रशासन ब्राह्मणों के हाथ में था. ब्राह्मणों की शासन पध्दति और सामाजिक-व्यवस्था की परिणति आगे चल कर पेशवाओं का शासन स्थापित करने में हुई थी. शिवाजी पर एक ब्राह्मण कृष्णराव कुलकर्णी ने प्राण-घातक हमला किया था जिसे उनके अंगरक्षक जीवा ने निष्फल कर दिया था. मगर, इस हमले में जीवा मारा गया था। कोंडीवली का निवासी जीवा नाई का था।
शिवाजी के 'अष्टप्रधान' मंत्री परिषद् में आठ प्रधानों में से एक सेनापति को छोड़ कर शेष ब्राह्मण ही थे. शासन-प्रशासन ब्राह्मणों के हाथ में था. ब्राह्मणों की शासन पध्दति और सामाजिक-व्यवस्था की परिणति आगे चल कर पेशवाओं का शासन स्थापित करने में हुई थी. शिवाजी पर एक ब्राह्मण कृष्णराव कुलकर्णी ने प्राण-घातक हमला किया था जिसे उनके अंगरक्षक जीवा ने निष्फल कर दिया था. मगर, इस हमले में जीवा मारा गया था। कोंडीवली का निवासी जीवा नाई का था।
सन 1677 तक शिवाजी ने राज्य का विस्तार करते हुए कोकण, बेलगावं, धारवाड़, मैसूर, त्रिचूर, तथा जिंजी पर अपना अधिकार कर लिया था.
शिवाजी के दो पुत्र थे, शम्भू या संभाजी और राजाराम। ज्येष्ठ पुत्र सम्भाजी पत्नी सायबाई की संतान थे. 9 वर्ष उम्र से ही संभाजी मुग़ल सरदार राजा जयसिंह की कैद में थे. शिवाजी पर नकेल कसने के लिए राजा जयसिंह ने उसे कैद कर रखा था. राजा जयसिंह की कैद में रह कर शम्भू बिगडैल और एय्यास बन गया था. अपनी मृत्यु के समय शिवाजी ने उसे पन्हाला दुर्ग में कैद कर रखा था.
शिवाजी का देहांत सन 1680 में उनके राजगढ़ किले में लम्बी बीमारी के बाद हुआ था। शिवाजी की मृत्यु के उपरांत उनकी पत्नी सोयरा बाई ने अपने 10 वर्षीय पुत्र राजाराम को राज्यभिषेक करवा दिया था। किन्तु, संभाजी ने सेना को भरोसे में लेकर अपनी सौतेली माँ और भाई को जेल में डाल दिया। संभाजी सन 1689 में कनकगिरी के युध्द में मुग़ल सेना द्वारा धोके से घेर कर मारे गए थे। संभाजी के मारे जाने के बाद राजाराम ने गद्दी संभाली। वह आजीवन मुग़ल सेना से लड़ते रहा । उसकी मृत्यु सन 1700 में पुणे के पास सिंगबाद में फेफड़े की बीमारी से हुई थी.
शिवाजी के दो पुत्र थे, शम्भू या संभाजी और राजाराम। ज्येष्ठ पुत्र सम्भाजी पत्नी सायबाई की संतान थे. 9 वर्ष उम्र से ही संभाजी मुग़ल सरदार राजा जयसिंह की कैद में थे. शिवाजी पर नकेल कसने के लिए राजा जयसिंह ने उसे कैद कर रखा था. राजा जयसिंह की कैद में रह कर शम्भू बिगडैल और एय्यास बन गया था. अपनी मृत्यु के समय शिवाजी ने उसे पन्हाला दुर्ग में कैद कर रखा था.
शिवाजी का देहांत सन 1680 में उनके राजगढ़ किले में लम्बी बीमारी के बाद हुआ था। शिवाजी की मृत्यु के उपरांत उनकी पत्नी सोयरा बाई ने अपने 10 वर्षीय पुत्र राजाराम को राज्यभिषेक करवा दिया था। किन्तु, संभाजी ने सेना को भरोसे में लेकर अपनी सौतेली माँ और भाई को जेल में डाल दिया। संभाजी सन 1689 में कनकगिरी के युध्द में मुग़ल सेना द्वारा धोके से घेर कर मारे गए थे। संभाजी के मारे जाने के बाद राजाराम ने गद्दी संभाली। वह आजीवन मुग़ल सेना से लड़ते रहा । उसकी मृत्यु सन 1700 में पुणे के पास सिंगबाद में फेफड़े की बीमारी से हुई थी.
नि;संदेह, शिवाजी बड़े पराक्रमी शासक हुए थे. राजपूताने के सिसौदिया,
बुन्देलखंड के बुन्देल और बघेल, ग्वालियर के कुशवाह और राजपूतों से वे चौथ (
कर ) वसूला करते थे. उन्होंने दक्षिण के मुस्लिम शासकों को कुचल कर रख
दिया था और तो और शिवाजी ने दिल्ली के मुस्लिम बादशाह औरंगजेब की नाक में
भी दम कर रखा था.
हिन्दू फंडामेंटेलिस्ट, शिवाजी को हिन्दू आईकन के रूप में पेश करते हैं. वे शिवाजी को मुग़ल साम्राज्य और इस्लाम के विरुध्द हिन्दू-घृणा के रूप में चित्रित करते हैं. इसमें कोई शक नहीं की छत्रपति शिवाजी महाराज ने मुस्लिम साम्राज्य के विरुध्द लम्बा संघर्ष किया था. किन्तु यह भी सच है की शिवाजी के राज्य की सेना में न सिर्फ मुसलमानों की संख्या अधिक थी वरन सेना में उनके विश्वस्त मुस्लिम अफसरों के होने का भी उल्लेख मिलता है। उनका सेना प्रमुख इब्राहिम मुसलमान था। शिवाजी ने अस्पृश्यों और महारों को किलेदार बनाया था।
जिस शिवाजी ने गाय, प्रजा और स्त्रियों को न लूटने की अपने सिपाहियों को दी थी, धूर्तता की हद देखिए कि उन्हें 'गो -ब्राह्मण प्रतिपालक' कह कर प्रचारित किया गया । निस्संदेह उनके राज्य में ब्राह्मणों को विशेष सुविधाएं थी, किन्तु प्रजा और स्त्रियों के स्थान पर ब्राह्मण किसने हुए कब घुसेड़ दिया, इसका अंदाजा लगाना कठिन नहीं है।
शिवाजी हिन्दू थे, हिन्दू धर्म में उनकी आस्था थी और आचरण भी उनका वैसा था, किन्तु वे मस्जिद और कुरआन की भी इज्जत करते थे. तत्संबंधित आदेश उन्होंने सैनिकों को दे रखा था. वे मंदिरों के साथ साथ मस्जिदों को भी दान देते थे. सूरत के जुन्नर व अन्य बाजार लुटे जाने का उल्लेख है, किन्तु किसी मस्जिद को तोड़ने का कोई उल्लेख नहीं मिलता।
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शायद, शिवाजी के भाई और पुत्र का नाम एक ही होने से कुछ गलती हुई है । बहरहाल, गलती को दुरुस्त कर दिया गया है। हमें इस गैर-जिम्मेदारी का भारी अफ़सोस है।
जिस शिवाजी ने गाय, प्रजा और स्त्रियों को न लूटने की अपने सिपाहियों को दी थी, धूर्तता की हद देखिए कि उन्हें 'गो -ब्राह्मण प्रतिपालक' कह कर प्रचारित किया गया । निस्संदेह उनके राज्य में ब्राह्मणों को विशेष सुविधाएं थी, किन्तु प्रजा और स्त्रियों के स्थान पर ब्राह्मण किसने हुए कब घुसेड़ दिया, इसका अंदाजा लगाना कठिन नहीं है।
शिवाजी हिन्दू थे, हिन्दू धर्म में उनकी आस्था थी और आचरण भी उनका वैसा था, किन्तु वे मस्जिद और कुरआन की भी इज्जत करते थे. तत्संबंधित आदेश उन्होंने सैनिकों को दे रखा था. वे मंदिरों के साथ साथ मस्जिदों को भी दान देते थे. सूरत के जुन्नर व अन्य बाजार लुटे जाने का उल्लेख है, किन्तु किसी मस्जिद को तोड़ने का कोई उल्लेख नहीं मिलता।
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शायद, शिवाजी के भाई और पुत्र का नाम एक ही होने से कुछ गलती हुई है । बहरहाल, गलती को दुरुस्त कर दिया गया है। हमें इस गैर-जिम्मेदारी का भारी अफ़सोस है।
please go throuh research on life of shambhaji.
ReplyDeleteyou have wrong information.
Dude on the basis of what u have written all dis???King Sambhaji didnt kill his mother & brother,n he was killed by Aurangbez by cheating on him.He was a great king
ReplyDeleteशिवाजी साम्राज्य में मुसलमानों को धार्मिक स्वतंत्रता थी और मुसलमानों को धर्मपरिवर्तन के लिेए विवश नहीं किया जाता था । कई मस्जिदों के निर्माण के लिए शिवाजी ने अनुदान दिया । हिन्दू पण्डितों की तरह मुसलमान सन्तों और फ़कीरों को भी सम्मान प्राप्त था । उस्कि सेना में मुसलमानों की संख्या अधिक थी ।
ReplyDeleteशिवाजी एक समर्पित कत्तर हिन्दु थे पर वह् धार्मिक सहिष्णुता के पक्षपाती भी थे । उस्के साम्राज्य में मुसलमानों को धार्मिक स्वतंत्रता थी और मुसलमानों को धर्मपरिवर्तन के लिेए विवश नहीं किया जाता था । कई मस्जिदों के निर्माण के लिए शिवाजी ने अनुदान दिया । हिन्दू पण्डितों की तरह मुसलमान सन्तों और फ़कीरों को भी सम्मान प्राप्त था । उस्कि सेना में मुसलमानों की संख्या अधिक थी ।
ReplyDeleteसूरत में स्त्रियों का सम्मान किया, कुरान की हिफाजत की, क्रिश्चयन ननों की रक्षा के लिए सूरत में अपनी फौज लगा दी, और पूरे भारत वर्ष को गौरवान्वित किया।
ReplyDeleteऔरंगजेव ने संभाजी को निर्मम और अमानवीय यातनाएं देकर उनकी हत्या करवाई थी, औरंगजेव ने उनको छल से बंदी बनाकर जीवित ही उनकी दोनों आँखे फोड़वा दी थी और निर्दयता से उनकी जीभ कटवा दी थी क्योंकि वे अभिमानी हिन्दू थे और अनेकों यातनाओं के पश्चात भी उन्होंने हिन्दू धर्म को नहीं त्यागा, जबकि आपने लिखा है कि "संभाजी सन 1689 में कनकगिरी के युध्द में ही मारे गए थे"
ReplyDeleteवास्तव में आपका लेख जातिवादी राजनितिक दुर्भावना से प्रेरित हैं अतः आपसे सत्य की अपेक्षा नहीं की जा सकती है
I think you need next 1000000000000 years of day and night study to get What Was Shivaji and what he do for the nation. Your knowledge and Blog both are misguiding about this Great King.
ReplyDeleteboss...........most of the information you given about Shivaji Maharaj is wrong. Chhatrapati Shivaji Maharaj not from Kunbi Caste, Chhatrapati Shivaji Maharaj was Real Maratha. On what basis you write down that information. Please go through the reference old historic books.
ReplyDeleteIf you dont know about Chhatrapati Shivaji Maharaj.... Then Pls stop blogging about them.
ReplyDeletemost of the things you written that was fake. i think you are fool.
UK aapan sarva bahujun aahot attach lihayla Shirley study first , then write
ReplyDeleteराजा जयसिंह की कैद में रह कर शम्भू बिगडैल और एय्यास बन गया था.
ReplyDeleteYe Galat History Batane ki Himat Kaisi He Teri....
Sambhaji Maharaj Ka Itihas Jana He To Unki History Padh
Unhe DHARMVEER, Kehte hai.
राजा जयसिंह की कैद में रह कर शम्भू बिगडैल और एय्यास बन गया था.
ReplyDeleteAapka Ye Likhna Bilkul Galat Hai,
Is ka mujhe Purva Chahi he aapse nahi to aapko Mafi Mangni hogi ''
राजा जयसिंह की कैद में रह कर शम्भू बिगडैल और एय्यास बन गया था.
ReplyDeleteYe Likh kar Aapne Aapman Kiya Hai.
Sambhaji Maharaj aadhar Se ham DHARMVEER Kehte hai.
Aapko History Jana Ho to Mujhse Milo Aap...
Parel Bhoiwada
Aap Mafi Mango Warna Aap Khilap FIR darj Karunga
ReplyDeletekutte tu kya mughal ki lund ki jhol hai saale jo chhatrapati maharaj ko gali dia suar bhadwe saale jihadi
ReplyDeletesuar
ReplyDeleteआप ने शिवाजी का इतिहास जिस पुस्तक से लिया है उस पूसतक का नाम बताना पसंद करें गे आप
ReplyDeleteये इन सम्भाजी ब्रिगेड वालों का प्रोपेगंडा है इनका बस चले तो शिवाजी जी को भी मुसलमान बता देंगे।
ReplyDeleteये लोग एक षड़यंत्र के तहत हमारे पाठ्यक्रमो में अपनी गन्दगी पहले भी घुसाने का प्रयास कर चुके है कन्हैया और उमर खालिद जैसे देशद्रोही इनकी ही विचारधारा से पैदा हुए है ये लोग क्या कभी ये बताएँगे कि मुगलों ने कितना अत्याचार किया था हुमायूँ ने हिंदुओं के सर कटवा कर उसकी मीनारे बनवाई थी कैसे अकबर जैसों के डर से रानियों को जौहर करना पड़ता था उन बलात्कारी कट्टरपंथी मुसलमानों को ये लोग अपना हीरो मानते है और शिवाजी को मुस्लिम प्रेमी बता कर हमको आपको भर्मित करना चाहते है अरे शिवाजी तो वो थे जिसने अफजल खान को कुत्ते की मौत मारा था और लोग तो अफजलो को इतना प्यार करते है कि नारा लगते है कि अफजल हम शर्मिंदा है तेरे कातिल जिन्दा है जब जब अफजल पैदा होगा भारत माता किसी न किसी शिवाजी को उसे रगड़ने के लिए जरूर भेजे गी।
जय भवानी जय शिवाजी
KAYASTAHA ARE HIGHER CASTE
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