मित्तानं ! सादरं अभिवादनं।
मित्रों ! मेरा सादर अभिवादन है।
जय भीम। नमो बुद्धाय।
अहं अमतो।
मैं अमृत हूँ।
अयं पालि भासा।
यह पालि भाषा है।
अयं भगवा वाणी।
यह भगवान बुद्ध की वाणी है।
भगवा अस्सं भासायं देसितं।
बुद्ध ने इस भाषा में देशना की है ।
पालि बहु सरला भासा।
पालि बहुत सरल भाषा है।
पालि गाम-देहातं भासा।
पालि गावं-देहातों की भाषा है।
असोक काले पालि रट्ठ भासा आसि।
अशोक के समय पालि राष्ट्र-भाषा थी।
जना पालि भासायं वदन्ति, भासन्ति।
लोग पालि में बोलते, बात करते थे।
सम्पूण्णं बुध्दवचनं पालि भासायं अत्थि ।
सम्पूर्ण बुध्दवचन पालि भाषा में हैं।
जय भीम। नमो बुद्धाय।
अहं अमतो।
मैं अमृत हूँ।
अयं पालि भासा।
यह पालि भाषा है।
अयं भगवा वाणी।
यह भगवान बुद्ध की वाणी है।
भगवा अस्सं भासायं देसितं।
बुद्ध ने इस भाषा में देशना की है ।
पालि बहु सरला भासा।
पालि बहुत सरल भाषा है।
पालि गाम-देहातं भासा।
पालि गावं-देहातों की भाषा है।
असोक काले पालि रट्ठ भासा आसि।
अशोक के समय पालि राष्ट्र-भाषा थी।
जना पालि भासायं वदन्ति, भासन्ति।
लोग पालि में बोलते, बात करते थे।
सम्पूण्णं बुध्दवचनं पालि भासायं अत्थि ।
सम्पूर्ण बुध्दवचन पालि भाषा में हैं।
बुध्दवन्दना च परित्त-पाठादि पालि भासायं अत्थि ।
बुध्द वन्दना और परित्राण-पाठ आदि पालि भाषा में हैं।
सोगतानं संखार भासा अपि पालि अत्थि।
बौद्धों की संस्कार भाषा भी पालि है।
पालि भासं सुणित्वा चितं पसीदति।
पालि भाषा सुनकर मन प्रसन्न होता है।
पालि बुद्ध सावकानं भासा।
पालि बुद्ध सावकों की भाषा है।
घरे च बुध्दविहारे, बुद्ध वंदना पालि भासायं होति।
घर और बुध्द विहार में बुद्ध वंदना पालि भाषा में होती है ।
तिपिटक संगायना अपि पालि भासायंं संवत्तति।
ति-पिटक संगायन पालि भाषा में होता है।
पालि वदनीयं।
पालि बोलना चाहिए।
पालि भासनीयं।
पालि में बात करनी चाहिए।
थोकं थोकं पालि वदनीयं, भासनीयंं।
थोड़ा-थोड़ा पालि बोलना चाहिए, बात करनी चाहिए।
सुद्धं वा असुद्धं, चिन्ता नत्थि।
शुद्ध और अशुद्ध की चिंता नहीं।
असुद्धं परं सुद्धं भवति।
पहले अशुद्ध फिर शुद्ध होती है।
खमतु मं, विदूजना, पालि पंडिता ।
पालि विद्वत, पंडित जन, क्षमा करें।
पालि पचाराय अयं मम वायामो।
पालि प्रचार के लिए यह मेरा प्रयास है।
त्वं अपि वायामं करणीयं.
तुम्हें भी प्रयास करना है.
नमो बुद्धाय, जय भीम.
पुनं मिलाम.
नमो बुद्धाय, जय भीम
फिर मिलते हैं.
बुध्द वन्दना और परित्राण-पाठ आदि पालि भाषा में हैं।
सोगतानं संखार भासा अपि पालि अत्थि।
बौद्धों की संस्कार भाषा भी पालि है।
पालि भासं सुणित्वा चितं पसीदति।
पालि भाषा सुनकर मन प्रसन्न होता है।
पालि बुद्ध सावकानं भासा।
पालि बुद्ध सावकों की भाषा है।
घरे च बुध्दविहारे, बुद्ध वंदना पालि भासायं होति।
घर और बुध्द विहार में बुद्ध वंदना पालि भाषा में होती है ।
तिपिटक संगायना अपि पालि भासायंं संवत्तति।
ति-पिटक संगायन पालि भाषा में होता है।
पालि वदनीयं।
पालि बोलना चाहिए।
पालि भासनीयं।
पालि में बात करनी चाहिए।
थोकं थोकं पालि वदनीयं, भासनीयंं।
थोड़ा-थोड़ा पालि बोलना चाहिए, बात करनी चाहिए।
सुद्धं वा असुद्धं, चिन्ता नत्थि।
शुद्ध और अशुद्ध की चिंता नहीं।
असुद्धं परं सुद्धं भवति।
पहले अशुद्ध फिर शुद्ध होती है।
खमतु मं, विदूजना, पालि पंडिता ।
पालि विद्वत, पंडित जन, क्षमा करें।
पालि पचाराय अयं मम वायामो।
पालि प्रचार के लिए यह मेरा प्रयास है।
त्वं अपि वायामं करणीयं.
तुम्हें भी प्रयास करना है.
नमो बुद्धाय, जय भीम.
पुनं मिलाम.
नमो बुद्धाय, जय भीम
फिर मिलते हैं.
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