उस घर जाना नहीं चाहिए
नवहि, भिक्खवे, अंगेही समन्नागतं कुलं‘‘भिक्खुओं! जिस गुहस्थ कुल में ये नौ बातें हों,
अनुपगन्त्वा वा नालं उपगन्तुं।
वहां जाना न हुआ हो तो जाना नहीं चाहिए।
उपगन्त्वा वा नालं निसीदितुं।
जाना हुआ हो तो बैठना नहीं चाहिए।
कतमेहि नवहि?
कौन-सी नव बातें?
न मनापेन पच्चुट्ठेन्ति।
अच्छी तरह उठकर स्वागत न करते हों।
न मनापेन अभिवादेन्ति।
अच्छी तरह अभिवादन न करते हो।
न मनापेन आसनं देन्ति।
आदरपूर्वक आसन न देते हो।
सन्तमस्स परिगुहन्ति।
घर में जो हो, उसे छुपाते हो।
बहुकम्पि थोकं देन्ति।
बहुत रहने पर भी थोड़ा देते हो।
पणीतम्पि लूखं देन्ति।
बढ़िया रहने पर भी रूखा-सूखा देते हो।
असक्कच्चं देन्ति नो सक्कच्चं।
अनादर कर देते हों सत्कार/आदर कर नहीं।
न उपनिसीदन्ति धम्मस्स सवनाय।
धर्म सुनने के लिए न बैठते हो।
भासितमस्स न सुस्सूसन्ति।
जो कहा जाए, उसे ध्यान पूर्वक न सुनते हो।
इमेहि खो भिक्खवे, नव अंगेही समन्नागतं कूलं
जिन गुहस्थ कुल में भिक्खुओं ! ये नव बातें हों ,
अनुपगन्त्वा वा नालं उपगन्तुं।
वहां जाना न हुआ हो तो जाना नहीं चाहिए।
उपगन्त्वा वा नालं निसीदितुं।
जाना हुआ हो तो बैठना नहीं चाहिए।
स्रोत- कुल सुत्त : नवक निपातः अंगुत्तर निकाय पृ. 72/152)।
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