Thursday, January 16, 2020

उस घर जाना नहीं चाहिए

उस घर जाना नहीं चाहिए 

नवहि, भिक्खवे, अंगेही समन्नागतं कुलं
‘‘भिक्खुओं! जिस गुहस्थ कुल में ये नौ बातें हों,
अनुपगन्त्वा वा नालं उपगन्तुं।
वहां जाना न हुआ हो तो जाना नहीं चाहिए।
उपगन्त्वा वा नालं निसीदितुं।
जाना हुआ हो तो बैठना नहीं चाहिए।

कतमेहि नवहि?
कौन-सी नव बातें?

न मनापेन पच्चुट्ठेन्ति।
अच्छी तरह उठकर स्वागत न करते हों।
न मनापेन अभिवादेन्ति।
अच्छी तरह अभिवादन न करते हो।
न मनापेन आसनं देन्ति।
आदरपूर्वक आसन न देते हो।
सन्तमस्स परिगुहन्ति।
घर में जो हो, उसे छुपाते हो।
बहुकम्पि थोकं देन्ति।
बहुत रहने पर भी थोड़ा देते हो।
पणीतम्पि लूखं देन्ति।
बढ़िया रहने पर भी रूखा-सूखा देते हो।
असक्कच्चं देन्ति नो सक्कच्चं।
अनादर कर देते हों सत्कार/आदर  कर नहीं।
न उपनिसीदन्ति धम्मस्स सवनाय।
धर्म सुनने के लिए न बैठते हो।
भासितमस्स न सुस्सूसन्ति।
जो कहा जाए, उसे ध्यान पूर्वक न सुनते हो।
इमेहि खो भिक्खवे, नव अंगेही समन्नागतं कूलं
जिन गुहस्थ कुल में भिक्खुओं ! ये नव बातें हों ,
अनुपगन्त्वा वा नालं उपगन्तुं।
वहां जाना न हुआ हो तो जाना नहीं चाहिए।
उपगन्त्वा वा नालं निसीदितुं।
जाना हुआ हो तो बैठना नहीं चाहिए।
स्रोत- कुल सुत्त : नवक निपातः अंगुत्तर निकाय  पृ. 72/152)। 

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