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संकल्प हो हमारा, इन्सान हम बनेंगे
इन्सान बन गए तो,भगवान् भी बनेंगे
हो जैन बौद्ध हिन्दू,मुस्लिम हो ईसाई
आपस में भाई-भाई,सब मेल मिल रहेंगे
हम एक ही गगन के,चमके हुए सितारे
लगते हैं कितने प्यारे, हंसते रहे रहेंगे
हम एक ही चमन के फुल हैं न्यारे-न्यारे
लगते हैं कितने सुंदर,खिलते रहे खिलेंगे
मंदिर तो एक हैं,दीपक हैं न्यारे-न्यारे
लगते हैं कितने प्यारे,जलते रहे जलेंगे
गीता-पुराण आगम,गुरु-ग्रन्थ हो पुरानन
इन्सान सबकी गाथा,हम प्रेम से पढेंगे
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