Friday, November 27, 2020

मम दिनचरिया

 मम दिनचरिया

उपासिका-
आचरियो! सादरं अभिवादनं.
जय भीम. 

आचरियो-
जय भीम, उपासिके !
भोती कथं अत्थि ?

उपासिका-
अहं कुसला अम्हि. 

आचरियो-
सुखी च दीघायु भव.

साधुवादं आचरियो!
अज्ज पाठस्स किं विसयं अत्थि ?

आचरियो-
अज्ज पाठस्स विसयं 'मम परिचयो' अत्थि.
अत्तनो विसयं कथनीयं.
पठमे,  पच्चेकानं अत्तनो नामं कथनीयं.

उपासिका- 
आम !  आचारियो !
मम नाम सुरेखा बागडे. 
मम नाम रत्नमानिका ऊके. 
मम नाम सुनन्दा गजभिये.
मम नाम रेखा बागडे.
मम नाम के डी डोंगरे. 

आचरियो-
भोती सुरेखा! त्वं पितुस्स नाम किं ?

उपासिका- 
मम पितुस्स नाम  ............ बागडे अत्थि.

आचरियो-
भोती रेखा! त्वं पितुस्स नाम किं ?

उपासिका-
आचरियो! मम पितुस्स नाम -------- बागडे अत्थि.

आचरियो- 
साधु! साधु!! साधु !!! उपासिके.


अहं सत्तरस वस्सीयो बालको अम्हि(हूँ )।
मैं 17 वर्षीय बालक हूँ.
अहं अधुना बारसमे वग्गे अज्झयन करोमि।
मैं अभी 12वी कक्षा में पढ़ता हूँ.
मम पिता कसको अत्थि।
मेरे पिता किसान है.

अहं पभाते(सुबह) उट्ठहामि।
मैं प्रातकाल उठता हूँ.
उट्ठहित्वा मात-पितुनो दस्सनं(दर्शन) करोमि।
उठकर माता-पिता के दर्शन करता हूँ.
अनुकम्मेण बुद्धं वन्दामि।
अनुक्रम में बुद्ध को वंदन करता हूँ.
ततो एकं चसकं(गिलास) जलं पिबामि।
तदन्तर एक गिलास जल पीता हूँ.
ततो पात-किरिया(प्रातक्रिया) सम्पादेमि।
तदन्तर प्रातक्रिया का सम्पादन करता हूँ.
ततो दन्त मज्जनं च मुख धोवनं करोमि।
तदन्तर दन्त-मंजन और मुंह धोता हूँ 
वत्थेन(वस्त्र से) मुखं पुच्छामि।
वस्त्र से मुंह पोछता हूँ.
अनन्तरं पात-भमणं करोमि।
अनन्तर प्रात-भ्रमण करता हूँ.
पात-भमणं आरोग्यकारी।
प्रात-वायु आरोग्यकारी होती है.
पात वायु सुखकारी।
प्रातवायु सुखकारी होती है.
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पालि अधिट्ठानं 
एकादसमो पाठो
मम दिनचरिया
      (2)
मम नाम विसाखा।
मेरा नाम विसाखा है।
अहं सोळस वस्सीया बालिका।
मैं 16 वर्षीय बालिका हूँ।
अहं दसमे वग्गे अज्झयन करोमि।
मैं 10वेें वर्ग/कक्षा में पढ़ती हूँ ।

मम पिता कसको अत्थि।
मेरे पिता किसान है।
मम पिता सासकीय अधिकारी।
मेरे पिता शासकीय अधिकारी हैं.
मम पिता वणिज्जो.
मम पिता व्यवसायी है।

मम नाम रतनमानिका।
मेरा नाम रत्नमानिका है।
अहं गहणी।
मैं गृहणी हूँ।

मम नाम जोति।
अहं सासकीय अधिकारी।
मम नाम ललिता।
अहं समाजसेविका।

अहं सुनीता वाहने.
मैं सुनिता वाहने हूँ.
अहं तिकिच्छिका.
मैं चिकित्सिका हूँ.

अहं विनीता गजभिये.
अहं अभियान्तिका.
मैं अभियांत्रिका हूँ .
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पालि अधिट्ठानं 
बारसमो पाठो
मम दिनचरिया
       (3)
सुप्पभातं
जय भीम. नमो बुद्धाय
नव वादने(बजे) अहं अप्पहारं(अल्पहार) करोमि।
अप्पहारं भुञ्जित्वा(खाकर) अज्झयनं करोमि।
दस वादने अहं विज्झालयं गच्छामि(जाता हूं)।
विज्झालये झानेन(ध्यान से) अज्झयनं करोमि।
अहं मम आचरियानं(आचार्यों का) गारवं(गौरव) करोमि।
ते अम्हे विसयानुसारं पाठेन्ति।
अहं विञ्ञाणं(विज्ञान), गणितं, हिन्दी, पालिं च
आग्लं(अंगेजी) भासा पठामि।
विञ्ञाणं मम पिय विसयो।
पालि मम पिय भासा।
घरे परिवारजनेहि(परिवार के लोगों के) सह(साथ)
पालि वदितुं(बोलने के लिए) अहं वायाम(प्रयास) करोमि।
पालि एका सरला, सुबोधा भासा।
पालि अम्हाकं(हमारी)  संखार(संस्कार) भासा।

मज्झण्हे(मध्याण्ह में) भोजनं भुञ्जामि(भोजन करता हूं)।
अहं सब्बदा(सर्वदा) साकाहारं भोजनं करोमि।
साकाहार भोजनं उत्तमं।
मज्झण्हे भोजनं भुञ्जित्वा(खाकर) पुनं अज्झयनं करोमि।
विज्झालये विविध अवसरेसु(अवसरों पर)
विजिंगिसा(प्रतियोगिताएं) अयोजिता होन्ति।
अहं रुचिपुब्बकं(रूचि पूर्वक) पटिभागं(प्रतिभाग/हिस्सा) गण्हामि(लेती/लेता हूं)।
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पालि अधिट्ठानं 
तेरसमो पाठो
मम दिनचरिया
       (3)
सुप्पभातं
जय भीम. नमो बुद्धाय

अपरण्हे(अपराण्ह में) 
अहं घरं आगच्छामि।
घरं आगत्वा(आकर) 
मुखं च हत्थ-पादे धोवामि।
विज्झालय गणवेसं(स्कूल ड्रेस) 
परिवत्तेमि(बदलता हूं)।
ततो मित्तेहि-सह(मित्रों के साथ) 
कीळामि(खेलता हूं)।
सायंकाले घरस्स(घर के)
सह-कम्मं करोमि।
परिवारजनेहि सह(परिवार-जनों के साथ) 
बुद्ध विहारं गच्छामि(जाता हूँ)।
अम्हाकं(हमारा) बुद्ध विहारो 
सिक्खाय(शिक्षा का) पमुख ठानं(स्थान)।
जना, इध(यहाँ) 
पालि भासा पठन्ति(पढ़ते)  पाठेन्ति(पढ़ाते हैं)।

रत्तियं(रात में) 
अहं भोजनं भुञ्जामि।
अनन्तरं विज्झालयस्स(विद्यालय का)
 गह-कम्मं(गृह-कार्य) करोमि(करता हूँ)।
ततो मात-पितु वन्दित्वा(वन्दन कर) 
सयामि(सोता हूं)।

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