राजाओं की कृपा पर मत रहो
एक बार बुद्ध राजगृह के वेळुवराम में ठहरे थे। तब कुछ भिक्खु, जहाँ तथागत थे, वहां आएं और अभिवादन कर एक ओर बैठ गए। एक और बैठ कर उन भिक्खुओं ने तथागत को कहा-
"भंते, राजकुमार अजातसत्तु के आदमी पांच सौ बर्तनों में भोजन भर पांच सौ गाड़ियों में लाद कर देवदत्त के अनुयायियों को सुबह-शाम पहुंचाते हैं।" इस पर तथागत ने भिक्खुओं से कहा-
" भिक्खुओं, राजाओं से लाभ- सत्कार की सतत इच्छा मत करो। क्योंकि यह अंतत: थिनमिद्ध(आलसी) ही बनाता है, उद्यमी नहीं(स्रोत- 2. सामाजिक-राजनीतिक सवालों पर प्रवचन, भाग- 4 : बुद्धा एंड हिज धम्मा। 2. रथ सुत्त: संयुक्त निकाय, भाग- 1, 16 -4 -6)
-प्रस्तुति - अ ला ऊके मो 9630826117
एक बार बुद्ध राजगृह के वेळुवराम में ठहरे थे। तब कुछ भिक्खु, जहाँ तथागत थे, वहां आएं और अभिवादन कर एक ओर बैठ गए। एक और बैठ कर उन भिक्खुओं ने तथागत को कहा-
"भंते, राजकुमार अजातसत्तु के आदमी पांच सौ बर्तनों में भोजन भर पांच सौ गाड़ियों में लाद कर देवदत्त के अनुयायियों को सुबह-शाम पहुंचाते हैं।" इस पर तथागत ने भिक्खुओं से कहा-
" भिक्खुओं, राजाओं से लाभ- सत्कार की सतत इच्छा मत करो। क्योंकि यह अंतत: थिनमिद्ध(आलसी) ही बनाता है, उद्यमी नहीं(स्रोत- 2. सामाजिक-राजनीतिक सवालों पर प्रवचन, भाग- 4 : बुद्धा एंड हिज धम्मा। 2. रथ सुत्त: संयुक्त निकाय, भाग- 1, 16 -4 -6)
-प्रस्तुति - अ ला ऊके मो 9630826117
No comments:
Post a Comment