धम्म-संयम
"पुण्ण ! क़तरस्मिंं जनपदे विहरिस्ससि।"
"पुण्ण! किस जनपद में तुम विचरण करोगे ?" -सूनापरांत निवासी भिक्खु पुण्ण, जब विदा ले वापिस अपने जनपद लौटने लगे तो बुद्ध ने पूछा।
"भंते! सुनापरंतो नाम जनपदो, तत्थ अहं विहरिस्सामि।"
भंते! सूनापरांत नामक एक जनपद है, मैं वहां विचरण करूँगा।"
"चंण्डा च फरुसा, पुण्ण! सुनापरान्तका मनुस्सा । सचे ते, तं अक्कोसिस्सन्ति, परिभासिस्सन्ति , तत्थ किं भविस्सति ?"
"पुण्ण! सुनापरांत के लोग चंड और कठोर होते हैं। यदि वे तुम पर आक्रोशित होंगे, गाली देंगे, तो क्या होगा ?'
"तत्थ भंते, एवं भविस्सति; भद्दका सुनापरन्तका मनुस्सा, सुभद्दका सुनापरन्तका मनुस्सा, यं मे नयिमे पाणिना पहारंं देन्ति।"
"भंते ! मुझे यह होगा कि सुनापरांत के लोग भले हैं, बहुत भले हैं जो वे मुझे हाथ से नहीं मारते ।"
"सचे पन ते, पुण्ण, सुनापरन्तका मनुस्सा पाणिना पहारंं दस्सन्ति, तत्थ किं भविस्सति ?"
"यदि पुण्ण ! सुनापरांत के लोग तुझे हाथ से मार-पीट करें तो क्या होगा ?"
"तत्थ मे भंते, एवं भविस्सति; भद्दका सुनापरन्तका मनुस्सा, सुभद्दका सुनापरन्तका मनुस्सा, यं मे नयिमे लेड्डुना पहारंं देन्ति। "
"भंते ! मुझे यह होगा कि सुनापरांत के लोग भले हैं, बहुत भले हैं जो वे मुझे लाठी से नहीं मारते।"
"सचे पन ते, पुण्ण, लेड्डुना पहारंं दस्सन्ति, तत्थ किं भविस्सति ?"
"पुण्ण ! यदि वे लाठी से मारें तो क्या होगा ?"
"तत्थ मे भंते, एवं भविस्सति; भद्दका सुनापरन्तका मनुस्सा, सुभद्दका सुनापरन्तका मनुस्सा, यं मे नायिमे सत्थेन पहारंं देन्ति। "
"भंते ! मुझे यह होगा कि सुनापरांत के मनुष्य भले हैं, बहुत भले हैं जो वे मुझे किसी शस्त्र से नहीं मारते।"
"सचे पन ते, पुण्ण, सत्थेन पहारंं देन्ति, तत्थ किं भविस्सति ?"
" पुण्ण ! यदि शस्त्र से मारे तो क्या होगा ?"
"तत्थ मे भंते, एवं भविस्सति; भद्दका सुनापरन्तका मनुस्सा, सुभद्दका सुनापरन्तका मनुस्सा, यं मे नायिमे जीविता वोरोपेन्ति। "
"भंते ! यह होगा कि सुनापरंत के मनुष्य भले हैं, बहुत भले हैं जो मुझे जान से नहीं मार डालते ।"
"साधु ! साधु ! साधु ! पुण्ण, इमिना दमूपसमेन समन्नागतो सुनापरंतस्मिं जनपदे त्वं वत्थुं सक्खिस्ससि। " "साधु! साधु ! साधु ! पुण्ण ! इस धम्म-संयम से युक्त सुनापरंत जनपद में तुम निवास कर सकते हो (पुण्ण सुत्त: संयुक्त निकाय ।"
-अ. ला. उके मो. 9630826117
"पुण्ण ! क़तरस्मिंं जनपदे विहरिस्ससि।"
"पुण्ण! किस जनपद में तुम विचरण करोगे ?" -सूनापरांत निवासी भिक्खु पुण्ण, जब विदा ले वापिस अपने जनपद लौटने लगे तो बुद्ध ने पूछा।
"भंते! सुनापरंतो नाम जनपदो, तत्थ अहं विहरिस्सामि।"
भंते! सूनापरांत नामक एक जनपद है, मैं वहां विचरण करूँगा।"
"चंण्डा च फरुसा, पुण्ण! सुनापरान्तका मनुस्सा । सचे ते, तं अक्कोसिस्सन्ति, परिभासिस्सन्ति , तत्थ किं भविस्सति ?"
"पुण्ण! सुनापरांत के लोग चंड और कठोर होते हैं। यदि वे तुम पर आक्रोशित होंगे, गाली देंगे, तो क्या होगा ?'
"तत्थ भंते, एवं भविस्सति; भद्दका सुनापरन्तका मनुस्सा, सुभद्दका सुनापरन्तका मनुस्सा, यं मे नयिमे पाणिना पहारंं देन्ति।"
"भंते ! मुझे यह होगा कि सुनापरांत के लोग भले हैं, बहुत भले हैं जो वे मुझे हाथ से नहीं मारते ।"
"सचे पन ते, पुण्ण, सुनापरन्तका मनुस्सा पाणिना पहारंं दस्सन्ति, तत्थ किं भविस्सति ?"
"यदि पुण्ण ! सुनापरांत के लोग तुझे हाथ से मार-पीट करें तो क्या होगा ?"
"तत्थ मे भंते, एवं भविस्सति; भद्दका सुनापरन्तका मनुस्सा, सुभद्दका सुनापरन्तका मनुस्सा, यं मे नयिमे लेड्डुना पहारंं देन्ति। "
"भंते ! मुझे यह होगा कि सुनापरांत के लोग भले हैं, बहुत भले हैं जो वे मुझे लाठी से नहीं मारते।"
"सचे पन ते, पुण्ण, लेड्डुना पहारंं दस्सन्ति, तत्थ किं भविस्सति ?"
"पुण्ण ! यदि वे लाठी से मारें तो क्या होगा ?"
"तत्थ मे भंते, एवं भविस्सति; भद्दका सुनापरन्तका मनुस्सा, सुभद्दका सुनापरन्तका मनुस्सा, यं मे नायिमे सत्थेन पहारंं देन्ति। "
"भंते ! मुझे यह होगा कि सुनापरांत के मनुष्य भले हैं, बहुत भले हैं जो वे मुझे किसी शस्त्र से नहीं मारते।"
"सचे पन ते, पुण्ण, सत्थेन पहारंं देन्ति, तत्थ किं भविस्सति ?"
" पुण्ण ! यदि शस्त्र से मारे तो क्या होगा ?"
"तत्थ मे भंते, एवं भविस्सति; भद्दका सुनापरन्तका मनुस्सा, सुभद्दका सुनापरन्तका मनुस्सा, यं मे नायिमे जीविता वोरोपेन्ति। "
"भंते ! यह होगा कि सुनापरंत के मनुष्य भले हैं, बहुत भले हैं जो मुझे जान से नहीं मार डालते ।"
"साधु ! साधु ! साधु ! पुण्ण, इमिना दमूपसमेन समन्नागतो सुनापरंतस्मिं जनपदे त्वं वत्थुं सक्खिस्ससि। " "साधु! साधु ! साधु ! पुण्ण ! इस धम्म-संयम से युक्त सुनापरंत जनपद में तुम निवास कर सकते हो (पुण्ण सुत्त: संयुक्त निकाय ।"
-अ. ला. उके मो. 9630826117
No comments:
Post a Comment