धम्मदेसना-थम्भो, एरई (दतिया)
अस्स थम्भस्स निम्माणं एकस्सा इतिहासप्पसिद्धाय घटनाय पतीकत्तेन कारितं वत्तति। अयं हि गामो एरई डा. आनन्दस्स पितुगामो विज्जति। तस्स बाल्यकालो एतम्हि गामे येव वीतिनामितो। पितुम्हा आवुस्मा जागनसीहस्मा मातुया च उपासिकाय हरबो बाई तो 01 नवम्बर, 1965 तमे काले जातस्स आनन्दस्स पितरा साधारणा कम्मन्तिका आसुं। तेहि अच्चन्तं परिस्समेन स्वस्स पुत्तस्स अज्झयनं कारितं। तस्स पाथमिकी मज्झमिकी च सिक्खा एतस्मिं येव गामे सम्पन्ना। अग्गिमाय सिक्खाय सो दतियाजिलामुख्यालये पेसितो अभवि। यम्हा सो 1985 तमे वस्से पी.एम.टी. परीक्खं उत्तीण्णं अकरि। 1990 तमे वस्से मेडिकल कॉलेज रीवा (मज्झप्पदेस) तो एम.बी.बी.एस. अथ च 1994 तमे वस्से नेत्ततिकिच्छाविञ्ञाणे एम.एस. ति उपाधयो पापुणि।
सो संकप्पं अकरि यं ‘नाहं विवाहं करिस्सामि, न च मे नाम्ना काचि सम्पत्ति वा भविस्सतीति।’ ततो सो सम्पुण्णे देसस्मिं निद्धनानं बालानं सिक्खाय परिवत्तनविज्झालये उग्घाटितवा। ततो सो 08 जुलाई, 2017 तमे दिनांके सामणेरो सञ्जातो तथा च 05 नवम्बर, 2017 तमे दिनांके धम्मदेसनं दातुं पठमवारं स्वीये पितुग्गामे समागतो, यत्थ समत्था गामवासिनो तस्स सोस्साहं अभिनन्दनं करिंसु। एतस्सेव पतीकरूपेण समत्था गामवासिनो सिक्खामिसनस्स समप्पितेहि च करियकत्तारेहि अञ्ञमञ्ञं मिलित्वा जनसहकारभावनाय अस्स धम्मदेसनाथम्भस्स (कमसंख्या-1 इच्चस्स) निम्माणं कारापितं, यस्स 19 अप्पिल, 2020 तमे दिनांके उग्घाटनं अभवि।
तेहि संकप्पितं यं यत्थ यत्थ एतादिसा धम्म-देसनायो आयोजिता भविस्सन्ति, पच्चेकं ठाने एतादिसानं धम्मदेसनाथम्भानं निम्माणं कारापितं भविस्सतीति।
इस स्तम्भ का निर्माण एक ऐतिहासिक घटना के उपलक्ष्य में कराया गया। यह गाँव एरई डा. आनन्द का पैतृक-गाँव है। उनका बचपन इसी गाँव में बीता। पिता आयुष्मान् जागन सिंह एवं माता आयुष्मति हरबो बाई से 01 नवम्बर, 1965 को जन्मे आनन्द के माता-पिता बेहद साधारण मजदूर थे। बड़ी मेहनत करके उन्होंने अपने बेटे को पढ़ाया। उनकी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा भी इसी गाँव में हुई। आगे की पढ़ाई के लिये उन्हें दतिया जिला मुख्यालय भेज दिया। जहाँ से उन्होंने सन् 1985 में पी.एम.टी. की परीक्षा पास की। सन् 1990 में मेडिकल कॉलेज रीवा (म.प्र.) से एम.बी.बी.एस. तथा सन् 1994 में नेत्रा चिकित्सा विज्ञान में एम. एस. की उपाधियाँ प्राप्त कीं।
उन्होंने संकल्प लिया था कि ‘न मैं शादी करूँगा और न मेरे नाम कोई सम्पत्ति होगी।’ फिर उन्होंने पूरे देश में गरीब बच्चों के लिए परिवर्तन मिशन स्कूल खोलें। 08 जुलाई, 2017 को वे श्रामणेर बने तथा 05 नवम्बर, 2017 को धम्मदेसना हेतु प्रथम बार अपने पैतृक गाँव पहुँचे, जहाँ समस्त ग्रामवासियों ने उनका बड़े उत्साह से अभिनन्दन किया। इसी उपलक्ष्य में समस्त ग्रामवासियों एवं शिक्षा मिशन के समर्पित कार्यकर्ताओं ने आपसी सहयोग से इस ‘धम्मदेसना स्तम्भ क्रमांक-1’ का निर्माण कराया। जिसका 19 अप्रैल, 2020 को उद्घाटन किया गया।
उन्होंने संकल्प लिया कि जहाँ-जहाँ इस तरह की धम्म-देसनाएँ होंगी, हर जगह इसी तरह के ‘धम्मदेसना स्तम्भों’ का निर्माण कराया जायेगा।
अस्स थम्भस्स निम्माणं एकस्सा इतिहासप्पसिद्धाय घटनाय पतीकत्तेन कारितं वत्तति। अयं हि गामो एरई डा. आनन्दस्स पितुगामो विज्जति। तस्स बाल्यकालो एतम्हि गामे येव वीतिनामितो। पितुम्हा आवुस्मा जागनसीहस्मा मातुया च उपासिकाय हरबो बाई तो 01 नवम्बर, 1965 तमे काले जातस्स आनन्दस्स पितरा साधारणा कम्मन्तिका आसुं। तेहि अच्चन्तं परिस्समेन स्वस्स पुत्तस्स अज्झयनं कारितं। तस्स पाथमिकी मज्झमिकी च सिक्खा एतस्मिं येव गामे सम्पन्ना। अग्गिमाय सिक्खाय सो दतियाजिलामुख्यालये पेसितो अभवि। यम्हा सो 1985 तमे वस्से पी.एम.टी. परीक्खं उत्तीण्णं अकरि। 1990 तमे वस्से मेडिकल कॉलेज रीवा (मज्झप्पदेस) तो एम.बी.बी.एस. अथ च 1994 तमे वस्से नेत्ततिकिच्छाविञ्ञाणे एम.एस. ति उपाधयो पापुणि।
सो संकप्पं अकरि यं ‘नाहं विवाहं करिस्सामि, न च मे नाम्ना काचि सम्पत्ति वा भविस्सतीति।’ ततो सो सम्पुण्णे देसस्मिं निद्धनानं बालानं सिक्खाय परिवत्तनविज्झालये उग्घाटितवा। ततो सो 08 जुलाई, 2017 तमे दिनांके सामणेरो सञ्जातो तथा च 05 नवम्बर, 2017 तमे दिनांके धम्मदेसनं दातुं पठमवारं स्वीये पितुग्गामे समागतो, यत्थ समत्था गामवासिनो तस्स सोस्साहं अभिनन्दनं करिंसु। एतस्सेव पतीकरूपेण समत्था गामवासिनो सिक्खामिसनस्स समप्पितेहि च करियकत्तारेहि अञ्ञमञ्ञं मिलित्वा जनसहकारभावनाय अस्स धम्मदेसनाथम्भस्स (कमसंख्या-1 इच्चस्स) निम्माणं कारापितं, यस्स 19 अप्पिल, 2020 तमे दिनांके उग्घाटनं अभवि।
तेहि संकप्पितं यं यत्थ यत्थ एतादिसा धम्म-देसनायो आयोजिता भविस्सन्ति, पच्चेकं ठाने एतादिसानं धम्मदेसनाथम्भानं निम्माणं कारापितं भविस्सतीति।
इस स्तम्भ का निर्माण एक ऐतिहासिक घटना के उपलक्ष्य में कराया गया। यह गाँव एरई डा. आनन्द का पैतृक-गाँव है। उनका बचपन इसी गाँव में बीता। पिता आयुष्मान् जागन सिंह एवं माता आयुष्मति हरबो बाई से 01 नवम्बर, 1965 को जन्मे आनन्द के माता-पिता बेहद साधारण मजदूर थे। बड़ी मेहनत करके उन्होंने अपने बेटे को पढ़ाया। उनकी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा भी इसी गाँव में हुई। आगे की पढ़ाई के लिये उन्हें दतिया जिला मुख्यालय भेज दिया। जहाँ से उन्होंने सन् 1985 में पी.एम.टी. की परीक्षा पास की। सन् 1990 में मेडिकल कॉलेज रीवा (म.प्र.) से एम.बी.बी.एस. तथा सन् 1994 में नेत्रा चिकित्सा विज्ञान में एम. एस. की उपाधियाँ प्राप्त कीं।
उन्होंने संकल्प लिया था कि ‘न मैं शादी करूँगा और न मेरे नाम कोई सम्पत्ति होगी।’ फिर उन्होंने पूरे देश में गरीब बच्चों के लिए परिवर्तन मिशन स्कूल खोलें। 08 जुलाई, 2017 को वे श्रामणेर बने तथा 05 नवम्बर, 2017 को धम्मदेसना हेतु प्रथम बार अपने पैतृक गाँव पहुँचे, जहाँ समस्त ग्रामवासियों ने उनका बड़े उत्साह से अभिनन्दन किया। इसी उपलक्ष्य में समस्त ग्रामवासियों एवं शिक्षा मिशन के समर्पित कार्यकर्ताओं ने आपसी सहयोग से इस ‘धम्मदेसना स्तम्भ क्रमांक-1’ का निर्माण कराया। जिसका 19 अप्रैल, 2020 को उद्घाटन किया गया।
उन्होंने संकल्प लिया कि जहाँ-जहाँ इस तरह की धम्म-देसनाएँ होंगी, हर जगह इसी तरह के ‘धम्मदेसना स्तम्भों’ का निर्माण कराया जायेगा।
No comments:
Post a Comment