जुला 2009 में मैंने वहाँ एक फ्लैट बुक किया था। मेरा रिटायरमेंट दिस 2010 था। सोच ये थी रिटायरमेंट के बाद रायपुर में बसना है।
करीब दो साल पहले जब हम यहाँ आए थे तब ,यहाँ सड़कें तो चौड़ी-चौड़ी बन चुकी थी , मगर पार्क जैसी कोई चीज नहीं थी। हम जैसे ही मंत्रालय लोकेशन से वापिस मुड़े , हमारी नजर एक स्थान पर ठहर गई। यह सचमुच पार्क ही था जिसे एक नए अंदाज में बड़ी ही खूबसूरत तरीके से बनाया गया था। हम लोगों ने ठहर कर कुछ शॉट्स लिए। पार्क, वाकई राह चलते शैलानी का मन मोह रहा था।
मगर, सवाल अपने जगह तब भी कायम था कि यह केपिटल प्रोजेक्ट इतनी धीमी गति से क्यों चल रहा है ? मेरे जैसे लोगों ने 4 साल पहले जो क्वार्टर बुक किया था और जिनका पजेशन अब तक नहीं मिला है, और जो पिछले तीन साल से किराये के मकान में रहने को बाध्य है , इसका कौन जिम्मेदार है ?
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