नकारात्मक (Negative) वाक्य-
१. 'न' का प्रयोग कर-
न अत्थि मे धनं (मेरे पास धन नहीं है )।
'न ' पर जोर देने के लिए नपि/ नहि , 'न'एव'/ न पन, न खो का प्रयोग कर-
न हि वेरेन वेरानि समन्तति इध कुदाचनं(वैर से वैर इस संसार में कभी शांत नहीं होता।)।
-नत्थि सोको कुतो भयं(शोक नहीं तो भय कहाँ)?
नो हि एतं भंते(नहीं, ऐसा नहीं है भंते)।
२. 'अ' अथवा 'अन' जोड़ कर-
अ-कालो खो तव भगवन्तं दस्सनाय(समय नहीं है यह तुम्हारे लिए भगवान के दर्शन का)।
छाया अन-पायिनि(छाया, न पीछा छोड़ने वाली)।
निषेधात्मक (Prohibitive) वाक्य-
इसके लिए 'मा' का प्रयोग होता है -
मा सद्दं अकत्थ(शब्द/आवाज मत करो)।
मा वोच फरुसं कञ्चि(कभी कठोर शब्द न कहें)।
मा ते कामगुणे भमस्सु चित्तं(काम-भोग की और चित्त मत जाने दो)।
१. 'न' का प्रयोग कर-
न अत्थि मे धनं (मेरे पास धन नहीं है )।
'न ' पर जोर देने के लिए नपि/ नहि , 'न'एव'/ न पन, न खो का प्रयोग कर-
न हि वेरेन वेरानि समन्तति इध कुदाचनं(वैर से वैर इस संसार में कभी शांत नहीं होता।)।
-नत्थि सोको कुतो भयं(शोक नहीं तो भय कहाँ)?
नो हि एतं भंते(नहीं, ऐसा नहीं है भंते)।
२. 'अ' अथवा 'अन' जोड़ कर-
अ-कालो खो तव भगवन्तं दस्सनाय(समय नहीं है यह तुम्हारे लिए भगवान के दर्शन का)।
छाया अन-पायिनि(छाया, न पीछा छोड़ने वाली)।
निषेधात्मक (Prohibitive) वाक्य-
इसके लिए 'मा' का प्रयोग होता है -
मा सद्दं अकत्थ(शब्द/आवाज मत करो)।
मा वोच फरुसं कञ्चि(कभी कठोर शब्द न कहें)।
मा ते कामगुणे भमस्सु चित्तं(काम-भोग की और चित्त मत जाने दो)।
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