दिल्ली की एक बस में घटी गेंग-रेप की घटना पर हर कोई सड़कों पर उतर कर, पुलिस प्रोटेक्शन की बात करता है। मगर क्या महिलाऐं घरों में सेफ है ?
हकीकत ये है कि महिलाऐं, सबसे अधिक घर-परिवार और अपने अडोस-पड़ोस में अत्याचार/बलात्कार की शिकार है। ये अलग बात है कि ये घटनाएँ खबरों में चर्चा का विषय नहीं होती। ये अत्याचार और बलात्कार की घटनाएँ घर की लाज़ के नाम पर दबा दी जाती है।
महिलाओं पर अत्याचार और बलात्कार की घटनाएँ पुलिस प्रोटेक्शन से नहीं थम सकती। पुलिस हर किसी को प्रोटेक्शन नहीं दे सकती। इतना पुलिस बल है कहाँ ? बेशक, पुलिस को चुस्त और दुरुस्त करने की जरुरत है। लोगों का नजरियाँ पुलिस के बारे में ठीक नहीं है। इसमें सुधार की जरुरत है।
मिडिया हमेशा गलत बात को हाई लाईट करता है। क्योकि, देश का मिडिया मठाधिशों के साथ धर्म का उतना ही ठेकेदार है। जब कहीं धार्मिक प्रतीकों पर चर्चा की जरुरत होती है तब, मिडिया चर्चा को दूसरी तरफ मोड़ देता है।
महिलाओं पर अत्याचार और बलात्कार की घटनाओं के लिए जरुरत है, लोगों का माईंड-सेट बदलने की। इस देश में हिन्दू बहुसंख्यक है और लोगों के माईंड-सेट के लिए वही जिम्मेदार है। आप राम और कृष्ण जैसे रामायण और महाभारत के पात्रों को अपना आराध्य देव बतला कर और घरों में उनकी पूजा कर महिलाओं के प्रति लोगों का माईंड -सेट नहीं बदल सकते। यह तो डा आंबेडकर के शब्दों में कीचड़ से कीचड़ धोने की बात है।
हकीकत ये है कि महिलाऐं, सबसे अधिक घर-परिवार और अपने अडोस-पड़ोस में अत्याचार/बलात्कार की शिकार है। ये अलग बात है कि ये घटनाएँ खबरों में चर्चा का विषय नहीं होती। ये अत्याचार और बलात्कार की घटनाएँ घर की लाज़ के नाम पर दबा दी जाती है।
महिलाओं पर अत्याचार और बलात्कार की घटनाएँ पुलिस प्रोटेक्शन से नहीं थम सकती। पुलिस हर किसी को प्रोटेक्शन नहीं दे सकती। इतना पुलिस बल है कहाँ ? बेशक, पुलिस को चुस्त और दुरुस्त करने की जरुरत है। लोगों का नजरियाँ पुलिस के बारे में ठीक नहीं है। इसमें सुधार की जरुरत है।
मिडिया हमेशा गलत बात को हाई लाईट करता है। क्योकि, देश का मिडिया मठाधिशों के साथ धर्म का उतना ही ठेकेदार है। जब कहीं धार्मिक प्रतीकों पर चर्चा की जरुरत होती है तब, मिडिया चर्चा को दूसरी तरफ मोड़ देता है।
महिलाओं पर अत्याचार और बलात्कार की घटनाओं के लिए जरुरत है, लोगों का माईंड-सेट बदलने की। इस देश में हिन्दू बहुसंख्यक है और लोगों के माईंड-सेट के लिए वही जिम्मेदार है। आप राम और कृष्ण जैसे रामायण और महाभारत के पात्रों को अपना आराध्य देव बतला कर और घरों में उनकी पूजा कर महिलाओं के प्रति लोगों का माईंड -सेट नहीं बदल सकते। यह तो डा आंबेडकर के शब्दों में कीचड़ से कीचड़ धोने की बात है।
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