तीन तरह के आदमी
तयो मे भिक्खवे, पुग्गला संतो लोकस्मिं।
भिक्खुओं, लोक में तीन तरह के आदमी होते हैं।
कत्तमे तयो ? कौन-से तीन ?
पासाणे लेख उपमो पुग्गलो, पथवि लेख उपमो पुग्गलो,
पत्थर पर खिंची रेखा के सामान आदमी, पृथ्वी(रेत) पर खिंची रेखा के सामान आदमी
उदक लेख उपमो पुग्गलो ।
पानी पर खिंची रेखा के समान आदमी।
कत्तमो खो भिक्खवे, पासाणे लेख उपमो पुग्गलो ?
भिक्खुओं! पत्थर पर खिंची रेखा के समान आदमी कैसा होता है ?
सेय्यथापि भिक्खवे, पासाणे लेखा खिप्पं लुज्जति
जैसे भिक्खुओं, पत्थर पर खिंची रेखा शीघ्र नहीं मिटती
न वातेन वा, उदकेन वा, चिरट्ठिका होति।
न हवा से, न पानी से, चिरस्थायी होती है।
एवमेव खो, भिक्खवे, इध एकच्चो पुग्गलो अभिण्हं कुज्झति,
इसी प्रकार भिक्खुओं, यहाँ एक आदमी क्रोधित होता है
तस्स कोधो दीघरत्तं अनुसेति।
उसका क्रोध दीर्घ काल तक रहता है
अयं वुच्चति पासाण लेख उपमो पुग्गलो।
ऐसा 'पत्थर पर खिंची रेखा के सामान आदमी' कहलाता है।
सेय्याथापि, भिक्खवे, पथविया लेखा खिप्पं लुज्जति,
वातेन वा उदकेन वा, न चिरट्ठिका होति।
एवमेव खो. भिक्खवे, इध एकच्चो पुग्गलो अभिण्ह कुज्झति,
तस्स कोधो न दीघरत्तं अनुसेति।
अयं वुच्चति भिक्खवे, पथविलेख उपमो पुग्गलो।
सेय्यथापि, भिक्खवे, उदके लेखा खिप्पं येव पटिविगच्छति
जैसे भिक्खुओं, पानी पर खिंची रेखा शीघ्र मिट जाती है
न चिरट्ठिका होति। एवमेव खो भिक्खवे,
चिरस्थायी नहीं होती। उसी प्रकार भिक्खुओं,
इध एकच्चो पुग्गलो यहाँ एक आदमी ऐसा होता है
आगाळ्हेन पि वुच्चमानो
जिसे कडुवा भी बोला जाए
फरुसेनपि वुचमानो, अमनापेन पि वुच्चमानो
कठोर भी बोला जाए, अप्रिय भी बोला जाए
सन्धियतिमेव, संसन्दतिमेव, सम्मोदतिमेव ।
तो भी वह जुड़ा ही रहता है, मिला ही रहता है, प्रसन्न ही रहता है
अयं वुच्चति, भिक्खवे उदक लेख उपमो पुग्गलो।
उसे भिक्खुओं, 'पानी पर खिंची रेखा के समान आदमी' कहा जाता है।
इमे खो भिक्खवे, तयो पुग्गला संविज्जमाना लोकस्मिं।
भिक्खुओं! लोक में ये तीन तरह के आदमी होते हैं।
स्रोत-रेख सुत्त: तिक निपात: अंगुत्तर निकाय
तयो मे भिक्खवे, पुग्गला संतो लोकस्मिं।
भिक्खुओं, लोक में तीन तरह के आदमी होते हैं।
कत्तमे तयो ? कौन-से तीन ?
पासाणे लेख उपमो पुग्गलो, पथवि लेख उपमो पुग्गलो,
पत्थर पर खिंची रेखा के सामान आदमी, पृथ्वी(रेत) पर खिंची रेखा के सामान आदमी
उदक लेख उपमो पुग्गलो ।
पानी पर खिंची रेखा के समान आदमी।
कत्तमो खो भिक्खवे, पासाणे लेख उपमो पुग्गलो ?
भिक्खुओं! पत्थर पर खिंची रेखा के समान आदमी कैसा होता है ?
सेय्यथापि भिक्खवे, पासाणे लेखा खिप्पं लुज्जति
जैसे भिक्खुओं, पत्थर पर खिंची रेखा शीघ्र नहीं मिटती
न वातेन वा, उदकेन वा, चिरट्ठिका होति।
न हवा से, न पानी से, चिरस्थायी होती है।
एवमेव खो, भिक्खवे, इध एकच्चो पुग्गलो अभिण्हं कुज्झति,
इसी प्रकार भिक्खुओं, यहाँ एक आदमी क्रोधित होता है
तस्स कोधो दीघरत्तं अनुसेति।
उसका क्रोध दीर्घ काल तक रहता है
अयं वुच्चति पासाण लेख उपमो पुग्गलो।
ऐसा 'पत्थर पर खिंची रेखा के सामान आदमी' कहलाता है।
सेय्याथापि, भिक्खवे, पथविया लेखा खिप्पं लुज्जति,
वातेन वा उदकेन वा, न चिरट्ठिका होति।
एवमेव खो. भिक्खवे, इध एकच्चो पुग्गलो अभिण्ह कुज्झति,
तस्स कोधो न दीघरत्तं अनुसेति।
अयं वुच्चति भिक्खवे, पथविलेख उपमो पुग्गलो।
सेय्यथापि, भिक्खवे, उदके लेखा खिप्पं येव पटिविगच्छति
जैसे भिक्खुओं, पानी पर खिंची रेखा शीघ्र मिट जाती है
न चिरट्ठिका होति। एवमेव खो भिक्खवे,
चिरस्थायी नहीं होती। उसी प्रकार भिक्खुओं,
इध एकच्चो पुग्गलो यहाँ एक आदमी ऐसा होता है
आगाळ्हेन पि वुच्चमानो
जिसे कडुवा भी बोला जाए
फरुसेनपि वुचमानो, अमनापेन पि वुच्चमानो
कठोर भी बोला जाए, अप्रिय भी बोला जाए
सन्धियतिमेव, संसन्दतिमेव, सम्मोदतिमेव ।
तो भी वह जुड़ा ही रहता है, मिला ही रहता है, प्रसन्न ही रहता है
अयं वुच्चति, भिक्खवे उदक लेख उपमो पुग्गलो।
उसे भिक्खुओं, 'पानी पर खिंची रेखा के समान आदमी' कहा जाता है।
इमे खो भिक्खवे, तयो पुग्गला संविज्जमाना लोकस्मिं।
भिक्खुओं! लोक में ये तीन तरह के आदमी होते हैं।
स्रोत-रेख सुत्त: तिक निपात: अंगुत्तर निकाय
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