बयां जुदा जुदा
मैं एतबार न करता, तो और क्या करता।
- 'वसीम' बरेलवी
तुम्हारे जिस्म हैं पत्थर के, डूब जावोगे
ये मशविरा है समुन्दर को पार मत करना।
- 'जख्मी' मेरठी
ये तेरी आँख के तेवर बता रहे हैं मुझे
कोई तो बात तुझे नागवार गुज़री है।
यहां हमें कोई प्यार के क़ाबिल नहीं मिलता
कोई दिल से नहीं मिलता, किसी से दिल नहीं मिलता।
- दास चतुर्वेदी
फ़ज़ा से खून की बू आ रही है।
-होश नोमानी
परिंदों में फ़िरक़ा परस्ती नहीं देखी
कभी मंदिर पे जा बैठे , कभी मस्ज़िद पे जा बैठे।
- नूर तक़ी 'नूर'
जो खुद को कह रहे थे मुकम्मल किताब हूँ मैं।
- कृष्णानंद चौबे
इतनी फ़ुर्सत कहाँ फ़क़ीरों को।
- नवाज़ देवबंदी
ये किसी के आंसुओं से तर नहीं होता।
- शिव ओम अंबर
कार में बैठा हुआ था, पैदल सफ़र करता रहा।
-विजेंद्र सिंह 'परवाज़ '
वही दरख्त तो मुसाफिर को छाँव देते हैं।
- बुद्धिसेन शर्मा
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स्रोत -हिंदुस्तानी ग़ज़ले :सम्पा कमलेश्वर
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