(1)
जनता,
भैंसों का झुण्ड
और
पीछे चरवाहा,
जिधर हांकता है
चल पड़ती है
(2)
राष्ट्र के नाम पर
इतना जहर है
कि हर चीज
'सांप्रदायिक'
लगती हैं।
-अ ला उके
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जनता,
भैंसों का झुण्ड
और
पीछे चरवाहा,
जिधर हांकता है
चल पड़ती है
(2)
राष्ट्र के नाम पर
इतना जहर है
कि हर चीज
'सांप्रदायिक'
लगती हैं।
-अ ला उके
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