मूकनायक
यह एक मराठी पाक्षिक पत्र था जिसका उद्देश्य मूक- बधिर दलित जाति के लोगों की आवाज को जनता और शासन तक पहुँचाना था।
इसका प्रकाशन डॉ आंबेडकर ने शरू किया था । डॉ आंबेडकर जब बड़ौदा महाराजा सयाजी गायकवाड़ के यहाँ नौकरी कर रहे थे। दलित जातियों का दुःख: दर्द उनकी कराह बन कर रहा था। डॉ आंबेडकर ने अपनी पीड़ा महाराजा को बतलायी। महाराजा बहुत द्रवित हुए। आंबेडकर के अंदर वे एक युगपुरुष को तड़पते हुए देख रहे थे। महाराजा के सहयोग से 31 जन सन 1920 को उन्होंने मूक नायक का प्रकाशन आरम्भ किया था।
मूक नायक के सम्पादक का काम पांडुरंग नंदराम करते थे। वे अकोला जिले के केलावरी गावं के रहने वाले थे। पांडुरंग ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे और यही कारण है कि शुरू के 13 अंकों का सम्पादन खुद डॉ आंबेडकर ने किया थे।
यह एक मराठी पाक्षिक पत्र था जिसका उद्देश्य मूक- बधिर दलित जाति के लोगों की आवाज को जनता और शासन तक पहुँचाना था।
इसका प्रकाशन डॉ आंबेडकर ने शरू किया था । डॉ आंबेडकर जब बड़ौदा महाराजा सयाजी गायकवाड़ के यहाँ नौकरी कर रहे थे। दलित जातियों का दुःख: दर्द उनकी कराह बन कर रहा था। डॉ आंबेडकर ने अपनी पीड़ा महाराजा को बतलायी। महाराजा बहुत द्रवित हुए। आंबेडकर के अंदर वे एक युगपुरुष को तड़पते हुए देख रहे थे। महाराजा के सहयोग से 31 जन सन 1920 को उन्होंने मूक नायक का प्रकाशन आरम्भ किया था।
मूक नायक के सम्पादक का काम पांडुरंग नंदराम करते थे। वे अकोला जिले के केलावरी गावं के रहने वाले थे। पांडुरंग ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे और यही कारण है कि शुरू के 13 अंकों का सम्पादन खुद डॉ आंबेडकर ने किया थे।
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