आग सीने में दबाए रखिए
लब पे मुस्कान सजाए रखिए।
जिससे दब जाए कराहे घर की
कुछ न कुछ शोर मचाए रखिए।
गैर मुमकिन है पहुंचना उन तक
उनकी यादों को बचाए रखिए।
जाग जाएगा तो हक मांगेगा
सोए इंसा को सुलाए रखिए।
जुल्म की रात भी कट जाएगी
आस का दीप जलाए रखिए।
-दीक्षित दनकौरी
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स्रोत- हिंदुस्तानी ग़ज़ले: सम्पा - कमलेश्वर
लब पे मुस्कान सजाए रखिए।
जिससे दब जाए कराहे घर की
कुछ न कुछ शोर मचाए रखिए।
गैर मुमकिन है पहुंचना उन तक
उनकी यादों को बचाए रखिए।
जाग जाएगा तो हक मांगेगा
सोए इंसा को सुलाए रखिए।
जुल्म की रात भी कट जाएगी
आस का दीप जलाए रखिए।
-दीक्षित दनकौरी
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स्रोत- हिंदुस्तानी ग़ज़ले: सम्पा - कमलेश्वर
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