वत्तमान काल किरिया पयोगा
निम्न किरिया-प्रयोगों को ध्यान से देखिए-
अभिवादेमि- अभिवादन करता हूँ। समादियामि- मैं अंगीकार करता हूँ। नमामि- नमन करता हूँ। वन्दामि- वन्दना करता हूँ। खमामि- क्षमा करता हूँ। याचामि- याचना करता हूँ। खादामि- खाता हूँ । पिबामि- पीता हूँ । सयामि- सोता हूँ। चलामि- चलता हूँ । धावामि- दौड़ता हूँ । गच्छामि- जाता हूँ। वदामि- कहता हूँ । सुणोमि- सुनता हूँ। पस्सामि- देखता हूँ।
-ये सब वत्तमान(पच्चुपन्न) काल की किरियाएं हैं। वत्तमानकाल में किरिया प्रयोग तीनों पुरुषों में निम्न प्रकार से होता है-
किरिया ‘गच्छति’(धातु- गच्छ) प्रयोगा-
2. वत्तमान काल परस्सपद
पुरिस- एकवचन/ अनेकवचन
उत्तम पुरिस- अहं गच्छामि/ मयं गच्छाम।
मैं जाता हूॅं/ हम जाते हैं।
मज्झिम पुरिस- त्वं गच्छसि/ तुम्हे गच्छथ।
तुम जाते हो/ तुम लोग जाते हो।
अञ्ञं (पठम) पुरिस- सो गच्छति/ ते गच्छन्ति।
वह जाता है/ वे जाते हैं।
निम्न किरिया-प्रयोगों को ध्यान से देखिए-
अभिवादेमि- अभिवादन करता हूँ। समादियामि- मैं अंगीकार करता हूँ। नमामि- नमन करता हूँ। वन्दामि- वन्दना करता हूँ। खमामि- क्षमा करता हूँ। याचामि- याचना करता हूँ। खादामि- खाता हूँ । पिबामि- पीता हूँ । सयामि- सोता हूँ। चलामि- चलता हूँ । धावामि- दौड़ता हूँ । गच्छामि- जाता हूँ। वदामि- कहता हूँ । सुणोमि- सुनता हूँ। पस्सामि- देखता हूँ।
-ये सब वत्तमान(पच्चुपन्न) काल की किरियाएं हैं। वत्तमानकाल में किरिया प्रयोग तीनों पुरुषों में निम्न प्रकार से होता है-
किरिया ‘गच्छति’(धातु- गच्छ) प्रयोगा-
2. वत्तमान काल परस्सपद
पुरिस- एकवचन/ अनेकवचन
उत्तम पुरिस- अहं गच्छामि/ मयं गच्छाम।
मैं जाता हूॅं/ हम जाते हैं।
मज्झिम पुरिस- त्वं गच्छसि/ तुम्हे गच्छथ।
तुम जाते हो/ तुम लोग जाते हो।
अञ्ञं (पठम) पुरिस- सो गच्छति/ ते गच्छन्ति।
वह जाता है/ वे जाते हैं।
No comments:
Post a Comment