पालि-व्याकरण बहुत सरल है-
1. पालि में कारक बतलाने के लिए 8 विभक्तियाँ होती हैं-
1. पठमा- कर्ता (ने)
2. दुतिया- कर्म (को)
3. ततिया- करण (से, द्वारा)
4. चतुत्थी- सम्प्रदान (को, के, लिए)
5. पंचमी- अपादान (से)
6. छट्ठी- सम्बन्ध (का, के, की)
7. सत्तमी- अधिकरण (में, पर, पास)
8. आलपन- सम्बोधन (हे!, अरे!)
1. पालि में कारक बतलाने के लिए 8 विभक्तियाँ होती हैं-
1. पठमा- कर्ता (ने)
2. दुतिया- कर्म (को)
3. ततिया- करण (से, द्वारा)
4. चतुत्थी- सम्प्रदान (को, के, लिए)
5. पंचमी- अपादान (से)
6. छट्ठी- सम्बन्ध (का, के, की)
7. सत्तमी- अधिकरण (में, पर, पास)
8. आलपन- सम्बोधन (हे!, अरे!)
स्मरण रखने का सूत्र- कर्ता ने, कर्म को, करण से/द्वारा, सम्प्रदान को के लिए, अपादान से, संबंध का के की, अधिकरण में पर पास, सम्बोधन हे अजी अरे!
2. विभक्ति-विन्ह-
उक्त विभक्तियों में मोटे तौर पर 'विभक्ति-चिन्ह' इस प्रकार होते हैं-
विभत्ति- एकवचन/अनेकवचन
पठमा- सि/ यो
दुतिया- अं/ यो
ततिया- आ/ हि
चतुत्थी- स्स/ नं
पंचमी- स्मा/ हि
छट्ठी- स्स/ नं
सत्तमी- स्मिं/ सु
आलपन- सि/ यो
उक्त विभक्तियों में मोटे तौर पर 'विभक्ति-चिन्ह' इस प्रकार होते हैं-
विभत्ति- एकवचन/अनेकवचन
पठमा- सि/ यो
दुतिया- अं/ यो
ततिया- आ/ हि
चतुत्थी- स्स/ नं
पंचमी- स्मा/ हि
छट्ठी- स्स/ नं
सत्तमी- स्मिं/ सु
आलपन- सि/ यो
स्मरण रखने का सूत्र- सि, यो इति पठमा, अं, यो इति दुतिया, आ, हि इति ततिया, स्स, नं इति चतुत्थी, स्मा, हि, इति पंचमी, स्स, नं इति छट्ठी, स्मिं, सु इति सत्तमी।
3. उक्त विभत्ति चिन्हों को याद करना बड़ा सरल है, क्योंकि- 1. चतुत्थी और छट्ठी में दोनों वचनों के रूप एक जैसे होते हैं। 2. ततिया और पंचमी में बहुवचन के रूप एक जैसे होते हैं। amritlalukey.blogspot.com
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