Saturday, May 16, 2020

महामंगल गाथा

यं(जो) दुन्निमित्तं(दु-निर्मित्त) अवमंगल(अमंगल) च, 
यो चापनापो(च- अमनोकुल) सकुणस्स(पक्षी का) सद्दो(शब्द), 
पापग्गहो(पाप ग्रह) दुस्सुपिनं(दुस्वप्न) अकन्तं(अप्रिय), 
बुद्धानुभावेन(बुद्ध के अनुभाव से)  विनासमेन्तु(विनाश को प्राप्त हो)।

ये जो बुरे निम्मित्त, अमंगल हैं 
ये जो अ-मनोकुल, पक्षी के अप्रिय शब्द हैं 
बुरे गृह-दोष, अप्रिय दुस्वप्न हैं 
बुद्ध के आनुभाव(प्रताप) से विनाश को प्राप्त हों.
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मनापो- अनुकूल।  अ-मनापो- अ-मनोकुल 
कन्त- प्रिय।  अकन्त- अप्रिय। 

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