यं(जो) दुन्निमित्तं(दु-निर्मित्त) अवमंगल(अमंगल) च,
यो चापनापो(च- अमनोकुल) सकुणस्स(पक्षी का) सद्दो(शब्द),
पापग्गहो(पाप ग्रह) दुस्सुपिनं(दुस्वप्न) अकन्तं(अप्रिय),
बुद्धानुभावेन(बुद्ध के अनुभाव से) विनासमेन्तु(विनाश को प्राप्त हो)।
ये जो बुरे निम्मित्त, अमंगल हैं
ये जो अ-मनोकुल, पक्षी के अप्रिय शब्द हैं
बुरे गृह-दोष, अप्रिय दुस्वप्न हैं
बुद्ध के आनुभाव(प्रताप) से विनाश को प्राप्त हों.
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मनापो- अनुकूल। अ-मनापो- अ-मनोकुल
कन्त- प्रिय। अकन्त- अप्रिय।
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