कामठी-रामटेक रोड से जब आप रामटेक की ओर जाते हैं तब मनसर का यह मंजुश्री बुद्ध महाविहार आपका ध्यान अनायास आकर्षित करता है
यह महाविहार लम्बे-चौड़े क्षेत्र में बनाया गया है.बाहर के विस्तृत मैदान में भगवान् बुद्ध की ऊँची-ऊँची कई खड़ी मूर्तियाँ हैं. मूर्तियों के हाथ विभिन्न मुद्राओं में हैं.एक कार्यशाला को देख कर लग रहा था कि बड़ी-सी चट्टान को तराश कर भगवान् बुद्ध की लेती हुई मुद्रा में मूर्ति बनायीं जा रही.
मंजुश्री शब्द का उल्लेख त्रिपिटक में मिलता है.
मंजुश्री को बौद्ध धर्म की महायान शाखा में ध्यानावस्था का प्रतीक माना गया है.प्रज्ञापारमिता सुत्त में उल्लेख आया है कि मंजुश्री किसी नाग राजा की कन्या थी जिसका समाधि प्रक्रिया पर भगवान बुद्ध से संवाद हुआ था.
यह महाविहार लम्बे-चौड़े क्षेत्र में बनाया गया है.बाहर के विस्तृत मैदान में भगवान् बुद्ध की ऊँची-ऊँची कई खड़ी मूर्तियाँ हैं. मूर्तियों के हाथ विभिन्न मुद्राओं में हैं.एक कार्यशाला को देख कर लग रहा था कि बड़ी-सी चट्टान को तराश कर भगवान् बुद्ध की लेती हुई मुद्रा में मूर्ति बनायीं जा रही.
मंजुश्री शब्द का उल्लेख त्रिपिटक में मिलता है.
मंजुश्री को बौद्ध धर्म की महायान शाखा में ध्यानावस्था का प्रतीक माना गया है.प्रज्ञापारमिता सुत्त में उल्लेख आया है कि मंजुश्री किसी नाग राजा की कन्या थी जिसका समाधि प्रक्रिया पर भगवान बुद्ध से संवाद हुआ था.
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