Friday, May 18, 2018

हरीप्रसाद टमटा

हरीप्रसाद टमटा
 भारत में दलितों का सर्वमान्य नेता कौन है, जब इस मुद्दे पर लन्दन के गोलमेज सम्मलेन में बहस हो रही थी, उस समय भारत से बाबासाहब डा. आंबेडकर को दलितों का मसीहा बताने वाला जो टेलीग्राम मिला था, उसे प्रेषित करने वाले अल्मोड़ा के जागीरदार राय साहेब मुंशी हरीप्रसादजी टमटा थे। 

मुंशी हरिप्रसाद टमटा का जन्म ताम्रकार परिवार में 26 अग 1887 को हुआ था। उन्होंने बचपन में मिडिल स्कूल तक शिक्षा प्राप्त की थी। बालक हरिप्रसाद बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। स्वाभिमान की भावना उन में कूट-कूट कर भरी थी।   

जिस टमटा जाति  में हरिप्रसाद पैदा हुए थे, पूर्व में उन्हें डोम कहा जाता था।  डोम जाति को सामाजिक रूप से 'नीच' समझा जाता था। हरिप्रसाद ने इस नीच-उंच की घृणा को जन्म से भोगा था। जब वे बड़े हुए तो उन्होंने इसके विरुद्ध आवाज उठाया। समाज की कुरुतियों को दूर करने 1905 में उन्होंने  'टमटा समाज सुधार सभा' का गठन किया था ।

हरिप्रसाद टमटा अपने समाज में स्वाभिमान की अलख जगाने निरंतर कार्य करते रहे।  1920 से 1926 के दरम्यान हरिप्रसादजी ने लम्बा आंदोलन चलाया और टमटा जाति का नाम  बदल कर 'शिल्पकार' रखने में सफल हुए। आज, पहाड़ों में अगर शिल्पकार समाज को अनु. जाति का दर्जा प्राप्त है, तो यह हरीप्रसादजी टमटा की देन है।

बाबासाहब के कार्यों की अनुगूँज टमटा जी तक पहुंच चुकी थी।  वे बाबासाहब को व्यक्तिगत न जानते हुए भी उनके मुरीद हो चुके थे। इसके साथ ही ज्योतिबा फुले के कार्यों से भी वे अनुप्रेरित थे।  

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