Friday, February 24, 2012

एन.जी.उके ( N.G.Uke : -- 2006)

        एन.जी. उके साहेब को मैं उनके लेख के माध्यम से जानता हूँ. बंगलौर से प्रकाशित 'दलित वायस',  बामसेफ के 'बहुजनों का बहुजन भारत' आदि पत्र-पत्रिकाओं में उनके लेख प्रकाशित होते रहते थे. सामाजिक आन्दोलन पर उनके लेख बड़े विद्वतापूर्ण और विचारोत्तेजक होते थे. उनकी विद्वता का मैं कायल था. मगर, उनसे रुबरुं होने का अवसर नहीं हुआ .जन. 2007 में मैंने किसी पत्रिका में पढ़ा, कि उनका देहांत हो गया. मैं सोचते रह  गया कि एक और 'प्रबुध्द भारत' का हीरा खो गया.
       उके साहेब का देहांत 82 वर्ष की उम्र में दिल्ली के उनके बसंत कुञ्ज निवास में 4  नव. 2006  को हुआ था. वे एक बड़े स्कालर और पके हुए अम्बेडकराईट थे.नागपुर के राय साहेब जी.टी. मेश्राम, जिनके बाबा साहेब से करीबी सम्बन्ध थे, की बेटी उके साहेब की पत्नी थी.
      उके साहेब कहते थे कि हमारे पढ़े-लिखे लोगों को उनके रूटीन लाईफ में, ईश्वर, आत्मा-परमात्मा, भाग्य-दुर्भाग्य आदि शब्दों के उपयोग से बचना चाहिए. क्योंकि, ये वाकजाल आपको उसी ब्राह्मणवादी ट्रेप में रहने की मानसिकता लगातार पैदा करते रहता है.
      बाबा साहेब के अनुयायियों के आपस में बटें होना, उके साहब ठीक नहीं मानते थे. वे देश को एक 'प्रभुध्द भारत' के रूप में देखते थे. इस तारतम्य में  बौध्द धर्म गुरु दलाई लामा से मिल कर उन्होंने अपनी  बात कही थी. उनकी सोच थी कि देश को बुध्द और बाबा साहेब आंबेडकर के विचारों के अनुरूप बनाने हेतु हमे भारत  नव-निर्माण के कार्य-क्रम करने की जरुरत है. बुध्द धर्म में ही कई विचारधाराएँ हैं. हमें अन्य बुध्दिस्ट देशो से मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाना चाहिए. उके साहेब के अनुसार, समाज में व्याप्त कुरुतियाँ और अन्धविश्वास को ख़त्म कर ही आगे बढा जा सकता है. क्योंकि, ये समाज का शोषण करती है.

Dr Ambedkar signing
on witness register of N G Uke
 
   बाबा साहेब आंबेडकर से एन. जी. उके साहेब की पहली भेट नागपुर के  'डिप्रेस क्लास एसोसियशन' के क्न्फेरेंस में जुला. 1942  हुई थी. उके जी इस समय नागपुर के साईंस कालेज के इंटर में पढ़ रहे थे. तब,  इन दलित छात्र नौजवानों ने वहां  'शेड्यूल्ड कास्ट स्टूडेंट फेडरेशन' ( SCSF ) नामक एक संगठन बनाया था. उके जी इसके ज्वाईंट सेक्रेटरी थे. बाबा साहेब डा. आंबेडकरउस समय गवर्नर जनरल की  काउन्सिल में लेबर मिनिस्टर के पद पर थे.
       बाबा साहेब डा. आंबेडकर से इनकी दूसरी मुलाकात दिल्ली में उनके आवास 22 पृथ्वीराज रोड पर हुई थी.  उके जी का चयन भारत सरकार द्वारा आरक्षित वर्ग के उच्च अध्ययनरत विद्यार्थियों को विदेश में भेजे जाने के लिए हुआ था. बाबा साहेब सरकार के सिलेक्शन कमेटी में थे. परिचय के बाद जब उके जी ने बतलाया कि उनका चयन सामान्य वर्ग की सीट से भी हुआ है, तब,  बाबा साहेब बहुत खुश हुए थे. उके जी की क़ाबलियत पर बधाई देते हुए बाबा साहेब ने कहा था कि अच्छा हुआ आरक्षित वर्ग की एक सीट बच गयी. किसी दूसरे को मौका मिलेगा. लन्दन में भी उच्च शिक्षा अध्ययन के दौरान उके जी की कई बार भेट बाबा साहेब से हुई थी.
      उके जी पढाई में शुरू से ही तेज थे. वे कक्षा में हमेशा अव्वल आते थे. यद्यपि, पढाई में तेज होने के कारण सह-पाठी और ब्राह्मण टीचर उनसे ईर्ष्या करते थे.किन्तु, वे इससे हतोत्साहित नहीं हुए. पढाई में अव्वल रहने के कारण 8 वी कक्षा से ही उन्हें स्कूल से वजीफा मिलने लगा था जो उच्च विद्याध्ययन के लिए विदेश में रहने तक जारी रहा.

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