सूबेदार गोपाल बाबा वलंगकर ( -- - 1940 )
सूबेदार गोपाल बाबा वलंगकर के सामाजिक सुधार की दिशा में किये गए प्रयासों को डा. बाबा साहेब आंबेडकर ने सराहा था.
गोपाल बाबा वलंकर भारत के इतिहास में पहले दलित पत्रकार थे जिन्होंने छुआ-छूत और असमानता और दलितों के स्वाभिमान की बात पुरजोर तरीके से उठाई थी. यद्यपि पिछड़ी जातियों के हक़-हकूकों की आवाज उठानी शुरू हो गई थी, किन्तु अछूतों के मुक्ति-युद्ध को प्रमुखता और प्रधानता देने की तैयारी उनकी नहीं थी(डॉ गंगाधर पान्तावणेे; महान पत्रकार डॉ अम्बेडकर). गोपाल बाबा वलंकर ने इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया था.
सूबेदार गोपाल बाबा वलंगकर के सामाजिक सुधार की दिशा में किये गए प्रयासों को डा. बाबा साहेब आंबेडकर ने सराहा था.
गोपाल बाबा वलंकर भारत के इतिहास में पहले दलित पत्रकार थे जिन्होंने छुआ-छूत और असमानता और दलितों के स्वाभिमान की बात पुरजोर तरीके से उठाई थी. यद्यपि पिछड़ी जातियों के हक़-हकूकों की आवाज उठानी शुरू हो गई थी, किन्तु अछूतों के मुक्ति-युद्ध को प्रमुखता और प्रधानता देने की तैयारी उनकी नहीं थी(डॉ गंगाधर पान्तावणेे; महान पत्रकार डॉ अम्बेडकर). गोपाल बाबा वलंकर ने इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया था.
सूबेदार गोपाल बाबा का पूरा नाम गोपाल नाक वलंगकर था. आपके पिता का नाम विठ्ठल नाक वलंगकर था. आप दलित महार समाज में पैदा हुये थे. सूबेदार गोपाल बाबा का जन्म महाराष्ट्र में महाड़ जिले के रावढळ नामक गावं में हुआ था. यह वही महाड है जहां,आगे चलकर बाबा साहेब डा.आंबेडकर ( 1892 -1956 ) के नेतृत्व में सार्वजनिक तालाब का पानी के लिये लम्बा संघर्ष किया गया था.
सूबेदार गोपाल बाबा वलंगकर मराठा आर्मी में थे. सन 1886 में आर्मी से रिटायर होने के बाद आपने सामाजिक-सुधार के कार्य को हाथ में लिया था. सूबेदार गोपाल बुआ वलंगकर पर महात्मा ज्योतिबा फुले ( 1827-90 ) का जबरदस्त प्रभाव था.
सूबेदार गोपाल बाबा वलंगकर सामाजिक-उत्थान से जुडी पत्र-पत्रिकाओं में लेख लिखा करते थे. उनके लेख दलितों की दयनीय स्थिति और उन पर होने वाले अत्याचारों पर हुआ करते थे. वे अपने विचार तथ्यों के साथ बड़ी संयत भाषा में रखते थे.उन्होंने मराठी भाषा में एक साप्ताहिक समाचार-पत्र का प्रकाशन भी किया था. उन्होंने 'अनार्य दोष परिहार' नामक संस्था बनायीं थी.
सूबेदार गोपाल बाबा वलंगकर सामाजिक-उत्थान से जुडी पत्र-पत्रिकाओं में लेख लिखा करते थे. उनके लेख दलितों की दयनीय स्थिति और उन पर होने वाले अत्याचारों पर हुआ करते थे. वे अपने विचार तथ्यों के साथ बड़ी संयत भाषा में रखते थे.उन्होंने मराठी भाषा में एक साप्ताहिक समाचार-पत्र का प्रकाशन भी किया था. उन्होंने 'अनार्य दोष परिहार' नामक संस्था बनायीं थी.
सन 1888 में सूबेदार गोपाल बाबा वलंगकर ने 'विटाळ विध्वन्षक' नामक पुस्तक लिखी थी. सामाजिक आन्दोलन के क्षेत्र में यह एक क्रन्तिकारी पुस्तक थी. इस पुस्तक में सूबेदार गोपाल बाबा वलंगकर ने हिन्दुओं से 26 प्रश्न पूछे थे. ये प्रश्न उनके धर्म-ग्रंथों के आधार पर थे. इन प्रश्नों के द्वारा सूबेदार गोपाल बाबा वलंगकर ने इस बात से पर्दा उठाया था कि सनातनी हिन्दू कितने स्वार्थी और मतलबी हैं. उन्होने बतलाया था कि अछूतों की दयनीय दशा के लिए हिन्दू और उनके धर्म-ग्रन्थ जिम्मेदार है.
अछूतों का सुधार हो, इस उद्देश्य से सन 18 90 में गोपाल बाबा वलंकर ने 'अनार्य दोष परिहारक मंडल' की स्थापना की थी.
अछूतों का सुधार हो, इस उद्देश्य से सन 18 90 में गोपाल बाबा वलंकर ने 'अनार्य दोष परिहारक मंडल' की स्थापना की थी.
तब, सनातनी हिन्दुओं के बहकावे में आकर अंग्रेजों ने भारतीय ब्रिटीश सेना में महारों की भर्ती बंद कर दी थी. सूबेदार गोपाल बाबा वलंगकर ने सन जुला. 1894 में इस सम्बन्ध में अंग्रेज सरकार को कड़ा पत्र लिखा था. आपने लिखा था कि पूर्व में महार समाज के लोगों ने ब्रिटिश सेना में रहते हुए अंग्रेजों की कितनी सहायता की है . मगर, अंग्रेजों में उनकी सेवाओं को नजरअंदाज कर उलटे उन्हें सेना से निकाल दिया है, जो अनुचित है. उन्होंने लिखा था कि महार समाज की वीरता और उल्लेखनीय सेवा को ध्यान में रखते हुए अंग्रेज सरकार को अपने आदेश पर पुन: विचार करना चाहिए.
सन 1885 में सूबेदार गोपाल बाबा वलंगकर के सामाजिक-उत्थान के कार्यों को देखते हुए अंग्रेज सरकार ने उन्हें महाड़ जिला लोकल बोर्ड का सदस्य नियुक्त किया था. लोकल बोर्ड के सदस्य के बतौर सूबेदार गोपाल बाबा वलंगकर ने दलित जातियों के लिए कई कल्याण-कारी योजनायें मंजूर करवाने में अहम भूमिका निभाई थी. दलित समाज के इस महान नायक का सन 1940 में निधन हो गया. सूबेदार गोपाल बाबा वलंगकर ने सामाजिक जाग्रति और दलित- साहित्य चेतना की जो मशाल जलाई, दलित समाज उसे कभी बुझने नहीं देगा.
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