मध्य भारत के तीन बड़े राज्यों में भाजपा से सत्ता छिनना दलित परिप्रेक्ष्य में, देश के जन-तांत्रिक ढाँचे के लिए एक बड़ी उपलब्धि के साथ आशा का सन्देश है. मगर, इस 'सत्ता परिवर्तन' में रामविलास पासवान, उदितराज जैसे दलित नेताओं की चुप्पी बेहद डरावनी है ! रामदास आठवले सुर्ख़ियों में आए भी तो 'थप्पड़ खाने' जैसे असोभनीय प्रसंग में ? सनद रहे, भाजपा में होते हुए भी SC/ST Atrocity सम्बन्धी मामलों पर इन नेताओं ने बेहद कड़ा रुख अख्तियार किया था, जिसे हम इतने शीघ्र विस्मृत नहीं कर सकते.
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