आओ पालि सीखें
इन क्रियाओं का ध्यान से देखें-
देहि- दो(क्रिया- देति)। वदेहि- कहो( क्रिया- वदति)।
पठाहि- पढ़ो(क्रिया- पठति)। खमतु- क्षमा करे(क्रिया- खमति) आदि अनुज्ञा परस्पद की क्रियाएं हैं।
अनुज्ञा परस्सपद
क्रिया ‘पठति’(धातु पठ) का प्रयोग
अनुज्ञा परस्सपद आदेश, प्रार्थना, सलाह, इच्छा आदि को व्यक्त करने प्रयोग होता है।
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उत्तम पुरिस अहं पठामि। मयं पठाम।
मैं पढ़ूं। हम पढ़ें।
मज्झिम पुरिस त्वं पठ/पठाहि। तुम्हे पठथ।
तुम पढ़ो। तुम लोग पढ़ो।
पठम पुरिस सो पठतु। ते पठन्तु।
वह पढ़े। वे पढ़ें।
वाक्य रचना-
इध(यहां) आगच्छ/आगच्छाहि(आओ)।
सदा माता-पितुन्न वचनकरा भवथ(हों)।
अनुपाहनेन(जूते-चप्पलों के) बिना मा चलथ(चलो)।
मम(मेरा) आसयं(आश्य) सुणोतु(सुनो)।
दन्ते(दोतों को) मञ्जेय (मांजो)।
इदानि(ये) पोत्थकानि यथा ठानं ठापय(रखो)।
द्वारं उग्घाटेतु(खोलो)।
सतं वस्सं(वर्ष) जीवतु(जीवो)।
यानं मन्दं चालेतु।
आसन्दं इध आनेतु।
विजनं(फंखा) चालेतु।
अजयं(अजय को) इदं(यह) सूचेतु(सूचित करो)।
अज्ज चलचित्तं पस्साम(देखते हैं)।
अवगच्छन्तु(समझे)?
आम, अवगच्छाम(समझ गए)।
यमहं(एवं-अहं)(जैसे मैं) वदामि तं(उसे) वदेहि/वदेथ(कहो)।
अनुज्ञा परस्सपद के (निषेधात्मक) वाक्यों में ही ‘मा(मत)’ का प्रयोग होता है-
मा(मत) गच्छ(जाओ)।
मा अगमासि(आओ)।
मा अठासि(खड़े हो)।
मा भुञ्जि(खाओ)।
अनुपाहनेन बिना मा चलथ(चलो)।
-अ ला ऊके @amritlalukey.blogspot.com
इन क्रियाओं का ध्यान से देखें-
देहि- दो(क्रिया- देति)। वदेहि- कहो( क्रिया- वदति)।
पठाहि- पढ़ो(क्रिया- पठति)। खमतु- क्षमा करे(क्रिया- खमति) आदि अनुज्ञा परस्पद की क्रियाएं हैं।
अनुज्ञा परस्सपद
क्रिया ‘पठति’(धातु पठ) का प्रयोग
अनुज्ञा परस्सपद आदेश, प्रार्थना, सलाह, इच्छा आदि को व्यक्त करने प्रयोग होता है।
पुरिस एकवचन अनेकवचन
उत्तम पुरिस अहं पठामि। मयं पठाम।
मैं पढ़ूं। हम पढ़ें।
मज्झिम पुरिस त्वं पठ/पठाहि। तुम्हे पठथ।
तुम पढ़ो। तुम लोग पढ़ो।
पठम पुरिस सो पठतु। ते पठन्तु।
वह पढ़े। वे पढ़ें।
वाक्य रचना-
इध(यहां) आगच्छ/आगच्छाहि(आओ)।
सदा माता-पितुन्न वचनकरा भवथ(हों)।
अनुपाहनेन(जूते-चप्पलों के) बिना मा चलथ(चलो)।
मम(मेरा) आसयं(आश्य) सुणोतु(सुनो)।
दन्ते(दोतों को) मञ्जेय (मांजो)।
इदानि(ये) पोत्थकानि यथा ठानं ठापय(रखो)।
द्वारं उग्घाटेतु(खोलो)।
सतं वस्सं(वर्ष) जीवतु(जीवो)।
यानं मन्दं चालेतु।
आसन्दं इध आनेतु।
विजनं(फंखा) चालेतु।
अजयं(अजय को) इदं(यह) सूचेतु(सूचित करो)।
अज्ज चलचित्तं पस्साम(देखते हैं)।
अवगच्छन्तु(समझे)?
आम, अवगच्छाम(समझ गए)।
यमहं(एवं-अहं)(जैसे मैं) वदामि तं(उसे) वदेहि/वदेथ(कहो)।
अनुज्ञा परस्सपद के (निषेधात्मक) वाक्यों में ही ‘मा(मत)’ का प्रयोग होता है-
मा(मत) गच्छ(जाओ)।
मा अगमासि(आओ)।
मा अठासि(खड़े हो)।
मा भुञ्जि(खाओ)।
अनुपाहनेन बिना मा चलथ(चलो)।
-अ ला ऊके @amritlalukey.blogspot.com
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