बहू-बेटियों की दोहरी जिम्मेदारियां
आजकल हमारी बहू-बेटियां सार्वजनिक/निजी प्रतिष्ठानों में काफी मात्रा में काम करती हैं. परन्तु दोनों के कार्य-प्रकृति के अंतर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. आदमी के लिए मालिक प्रथम होता है. अर्थात वह ड्यूटी पर घर को परे रख, अपने काम और काम के प्रति जिम्मेदार होता है. जबकि बहू-बेटियों के लिए घर अथवा पति प्रथम होता है. वे आफिस में काम करते हुए भी घर की जिम्मेदारी से चाह कर भी अलग नहीं हो पाती. उनकी यह दोहरी जिम्मेदारी कई बार आफिस अथवा घर में कलह का कारण भी बन जाती है. तत्सम्बंध में यह निहायत जरुरी है कि हम अपेक्षित उदारता और सहनशीलता का परिचय दें .
आजकल हमारी बहू-बेटियां सार्वजनिक/निजी प्रतिष्ठानों में काफी मात्रा में काम करती हैं. परन्तु दोनों के कार्य-प्रकृति के अंतर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. आदमी के लिए मालिक प्रथम होता है. अर्थात वह ड्यूटी पर घर को परे रख, अपने काम और काम के प्रति जिम्मेदार होता है. जबकि बहू-बेटियों के लिए घर अथवा पति प्रथम होता है. वे आफिस में काम करते हुए भी घर की जिम्मेदारी से चाह कर भी अलग नहीं हो पाती. उनकी यह दोहरी जिम्मेदारी कई बार आफिस अथवा घर में कलह का कारण भी बन जाती है. तत्सम्बंध में यह निहायत जरुरी है कि हम अपेक्षित उदारता और सहनशीलता का परिचय दें .
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