आदर
प्रसिद्द गुरुकुल कांगड़ी के संस्थापक स्वामी श्रद्धानंदजी महाराज ने एक दिन अपने कुछ ब्रह्मचारियों को कहा- "तुम्हारे मन में वेदों के लिए कुछ विशेष आदर नहीं है। "
ब्रह्मचारियों का उत्तर था- "स्वामीजी, यदि वेदों के बारे में आदर बनाए रखना था, तो आपने हमें उन्हें पढ़ाया ही क्यों (भदन्त आनंद कौसल्यायन: दर्शन; वेद से मार्क्स तक )?"
प्रसिद्द गुरुकुल कांगड़ी के संस्थापक स्वामी श्रद्धानंदजी महाराज ने एक दिन अपने कुछ ब्रह्मचारियों को कहा- "तुम्हारे मन में वेदों के लिए कुछ विशेष आदर नहीं है। "
ब्रह्मचारियों का उत्तर था- "स्वामीजी, यदि वेदों के बारे में आदर बनाए रखना था, तो आपने हमें उन्हें पढ़ाया ही क्यों (भदन्त आनंद कौसल्यायन: दर्शन; वेद से मार्क्स तक )?"
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